Wednesday, July 19, 2023

पुष्पराज तुरुप कितना कारगर...

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0 रमेश कुमार 'रिपु" रियासत नहीं रही। मगर,बघेली जनता के लिए अब भी पुष्पराज सिंह महाराज हैं। वैसे लोकतंत्र में जनता ही महाराज है।वहीं रंग बदलती सियासत के दौर में भी सुर्खियों में रहने की सियासत करने में पुष्पराज सिंह माहिर हैं। कांग्रेस में थे तब भी और नहीं थे,तब भी। पुष्पराज सिंह एक बार फिर भाजपा में आ गए हैँ । कांग्रेस के कईयों को लगता है कि वे सेमरिया या फिर गुढ़ विधान सभा से चुनाव लडेंगें। जबकि ऐसा नहीं है। बीजेपी ने बहुत सोच समझ कर पुष्पराज सिंह को प्रोडेक्ट कर रही है। पुष्पराज सिंह पर इस बार जिम्मा है बीजेपी को आठों विधान सभा की सीट दिलाना। बीजेपी उनका पूरा राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है। बीजेपी के लिए और उनके लिए भी, यह एक सुनहरा मौका है। सुनहरी कामयाबी का जिम्मा. सन् 2023 के विधान सभा चुनाव में पुष्पराज सिंह के सक्रिय होने से चुनाव बेहद रोचक हो जाएगा। वहीं बीजेपी एंटीइन्कम्बैसी से गुजर रही है। रीवा की आठों विधान सभा के लिए पुष्पराज सिंह पर बीजेपी दांव खेलने जा रही है। सवाल यह है कि बीजेपी को बढ़त मिलेगी या फिर भगवा छतरी कम जगह ही तन पाएगी। बीजेपी के लिए पुष्पराज सिंह कितना तुरुप कारगर होगें,इस पर आकलन कांग्रेस में होने लगा हैं। बीजेपी की रणनीति के मुताबिक पुष्पराज सिंह आठों विधान सभा में बीजेपी के लिए वोट मांगेंगे। सीटों के संभावित नुकसान को यदि पुष्पराज सिंह कम करने में कामयाब हो गए,तो लोकसभा की टिकट उनकी तय है। विधान सभा चुनाव के परिणाम ही बताएंगे कि पुष्पराज सिंह कितने कामयाब सियासी खिलाड़ी हैं। रीवा जिला महाराजमय होता है या फिर कमलनाथमय,यह हर कोई देखना चाहता है। कैसा और कहां होगा असर.. रिमही जनता आज भी पुष्पराज सिंह को महाराज कहती है। ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी पकड़, सियासी उम्मीद से ज्यादा है। पुष्पराज सिंह को न तो नागेन्द्र सिंह,न ही राजेन्द्र शुक्ला और न ही जनार्दन मिश्रा नकार सकते हैं। शिवराज सिंह चौहान को भी पता है कि रीवा में कोई कार्ड चल सकता है तो वो है पुष्पराज सिंह। उनके खुलकर बीजेपी के लिए वोट मांगने से भगवा राजनीति का तापमान बढ सकता है। उनकी हाजिर जवाबी,सभी जाति के वोटरों से सीधा जुड़ाव, और कांग्रेस का हर नेता उनके कद की इज्जत करता है। चूंकि कांग्रेस में मंत्री रहे हैं,कांग्रेस की राजनीति की है। ऐसे में कांग्रेस के पाले से अल्पसंख्यक ओबीसी,एससी,एसटी वोटर को खींचना होगा। अल्पसंख्यक वोटर रीवा में करीब 25 हजार है। इन वोटरों के बीच उनका आकर्षण है। युवाओं और महिलाओं के बीच उनकी अपनी लोकप्रियता है। पुष्पराज का गणराज्य.. पुष्पराज को बीजेपी विधान सभा चुनाव नहीं लड़ाएगी। ऐसे में उनका विरोध किसी भी विधान सभा में नहीं होगा। पुष्पराज सिंह को रीवा जिले की जनता के लिए नया एजेंडा तय करना होगा। साथ ही विराट सोच के साथ, सियासी पिच पर उतरना होगा। सवाल यह है कि जिला ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा और शहर कांग्रेस अध्यक्ष लखनलाल खंडेलवाला क्या पुष्पराज सिंह के किसी बयान का विरोध करेंगे? क्यों कि दोनों का इनसे साहब सलाम का सियासी रिश्ता बरसों से है। राजेन्द्र शर्मा क्या श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी की भूमिका में पुष्पराज के सामने आ सकेंगे? राजेन्द्र शुक्ला को घेरने के लिए कांग्रेस के पास बहुत सारी बातें हैं। लेकिन पुष्पराज सिंह के खिलाफ बोलने के लिए कुछ भी नहीं है। बीजेपी का हो या फिर कांग्रेस का अथवा बसपा का कोई भी नेता महाराज के बायें चलने की सियासत कम से कम सामने से करने की हिम्मत नहीं करता। क्या इतने भर से पुष्पराज सिंह भगवा छतरी रीवा की आठों विधान सभा में तान लेंगे? ंइजीनियर राजेन्द्र शर्मा कहते हैं,कांग्रेस चार सीट सीधे -सीधे जीत रही है। लेकिन जनता में बदलाव का जो जोश देखने को मिल रहा है उससे कह सकते हैं कि आठों सीट कांग्रेस के हाथ में होगी। गौरतलब है सुन्दर लाल तिवारी ने 2018 के चुनाव में कहा था,कि हम सात सीट जीतेंगे। अमहिया काग्रेस ने जो राजनीति 2018 में की थी,यदि वही की, तो पुष्पराज सिंह का सियासी कद 2023 के चुनाव में बढ़कर मोदी और अमितशाह के साथ खड़े होने की हो जाएगी। दो ठाकुर आमने- सामने होंगे.. विंध्य में कुंवर अर्जुन सिंह को जो सम्मान मिलता था,उनके चलते अजय सिंह राहुल को भी मिलता है। पुष्पराज सिंह बीजेपी के लिए ठाकुरों से वोट मांगेगे और अजय सिंह राहुल कांग्रेस के लिए। ठाकुर राजनीति का टकराव सिर्फ रीवा ही नहीं, पूरे रीवा संभाग की सीटों पर असर डालेगी। अजय सिंह राहुल मोदी और शिवराज के वादे और भ्रष्टाचार का लेखा- जोखा रखेंगे तो पुष्पराज सिंह मोदी के कामकाज की बातें करेंगे। लाड़ली बहना और संविदा कर्मियों के अलावा शिवराज सरकार की योजनाओं की बातें करेंगे, मोदी को ईमानदार और मेहनती होने की बात करेंगे। लेकिन पुष्पराज सिंह को इसका भी जवाब देना होगा कि अल्पसंख्यक बीजेपी के दौर में अपने आप को डरा महसूस क्यों कर रहा है? मैराथन मैन.. सवाल यह है कि पुष्पराज सिंह मैराथन मैन बन पाएंगे या फिर भगवा तिलक और गमछा लेकर घूमते रह जाएंगे। जिले की राजनीति से पुष्पराज सिंह पन्द्रह सालों से कटे हुए हैं। नया वोटर उन्हें पहचानता भी नहीं। युवा लड़के और लड़कियों के बीच उनका अपना कोई जनाधार नहीं है। वो प्रियंका,राहुल गांधी और मोदी को जानता है। उनके पास ऐसा क्या है, जो नयी सदी के युवाओं को रिझा सकें। उन्हें मना सकें कि बीजेपी को वोट देना ही हितकर है। नई नस्ल की वोट की फसल को काटने के लिए रीवा जिले के लिए क्या अलग से घोषणा पत्र लेकर उनके पास पहुंचेंगे। जबकि कई कांग्रेसी पुष्पराज सिंह को किचन सियासी कहते हैं। पुष्पराज सिंह महाराज छवि से बाहर कितना निकल पाएंगे,शायद वो खुद भी नहीं जानते। उनके साथ कई ऐसे विवाद भी हैं। जिन्हें बीजेपी ने कभी खोला था चुनाव में। वही विवाद कांग्रेस ने खोला तो पुष्पराज सिंह के लिए संकट खड़ा हो जाएगा। बहरहाल पुष्पराज सिंह अपनी सियासत की नई पारी एक बार फिर से बीजेपी में खेलने जा रहे हैं। सच तो यह है कि बीजेपी के लिए और उनके लिए भी, यह एक मौका है।

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