Monday, January 1, 2024

भारत न्याय यात्रा,कांग्रेस को कितना फायदा

"राहुल की भारत न्याय यात्रा से यदि कांग्रेस नहीं सिमटती जैसा, कि मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस हार गयी तो उनकी राजनीति में अर्द्धविराम नहीं लगेगा। वैसे भी इस बार 2024 के चुनाव में सिर्फ दो ही पार्टी की विचार धाराएं दिखेंगी। एक बीजेपी की और दूसरी इंडिया गठबंधन की। भारत न्याय यात्रा से कांग्रेस में अच्छे दिन आने का न्याय जनता करेगी या नहीं,राहुल भी नहीं जानते।" 0 रमेश कुमार‘रिपु’ भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा क्या कोई सियासी इतिहास बना सकेगी? यह सवाल इसलिए भी है,कि सूर्य जब उत्तरायण की ओर होगा, तब राहुल गांधी मणिपुर से भारत न्याय यात्रा की शुरूआत करेंगे। उस मणिपुर से, जो हिंसा के डंडे में केवल लहूलुहान ही नहीं हुआ बल्कि,उसकी आबरू भी तार-तार होने के बाद भी सदन में न प्रधान मंत्री मोदी कुछ बोले और नही गृह मंत्री अमित शाह। जाहिर सी बात है,कि राहुल गांधी भारत न्याय यात्रा में अपने साथ कई सवाल और मुद्दों को लेकर भी चलेंगे । वैसे प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जब चुनाव प्रचार में नहीं होते हैं,तब वो सरकारी कार्यक्रमों में होते हैं। और पार्टी का ही प्रचार करते नजर आते हैं। सियासी परिदृश्य बदला... राहुल की भारत न्याय यात्रा उन राज्यों से निकलेगी,जहां क्षत्रपों की अपनी सियासत है। मणिपुर से मुंबई तक 6200 किलोमीटर की यात्रा कहीं पैदल और कहीं बस से करेंगे। भारत न्याय यात्रा 14 राज्यों से यानी 85 जिले और 98 लोकसभा से होकर गुजरेगी। इन राज्यों के तहत लोकसभा की कुल 355 सीटें आती हैं। ये वो राज्य हैं,जहां कांग्रेस का पिछले दो चुनावों में प्रदर्शन बेहद ही खराब रहा। 2019 के चुनाव में कांग्रेस 355 सीटों में केवल 14 सीट पाई थी। इस समय बीजेपी के पास 236 सीटें हैं। अब सियासी परिदृश्य बदल गया है। एक तरफ भारत न्याय यात्रा होगी,दूसरी तरफ मोदी की गारंटी। सन् 2019 के चुनाव में बीजेपी के समक्ष चुनौतियां कम थी,उस वक्त इंडिया गठबंधन नहीं था। इंडिया गठबंधन यानी 28 दलों को मिलने वाला वोट 67 फीसदी है और बीजेपी 37.76 फीसदी वोट पाकर 193 सीटें पाई। जबकि एनडीए का संयुक्त वोट 603.7 मिलियन था। यानी 45 फीसदी वोट पाकर कुल 303 सीटें पाई। कांग्रेस 11 करोड़ 94 लाख वोट पाकर सिर्फ 52 सीटें पाई। कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 92 सीटें जीती थी। राहुल की भारत न्याय यात्रा से कांग्रेस का दस फीसदी भी वोट बढ़ता है, तो सदन में विपक्ष का नेता होने की हैसियत हो सकती है। यात्रा में कई मुद्दे साथ होंगे.. भारत न्याय यात्रा कांग्रेस की यात्रा है। इंडिया गठबंधन की नहीं। ऐसे में इडिया गठबंधन के 28 दलों के राज्य में भारत न्याय यात्रा पहुंचेगी,तब उसकी आगवानी करते हैं या नहीं, इस पर विपक्ष की नजर रहेगी। यदि ऐसा होता है,तो यह मैेसेज जाएगा,कि भारत न्याय यात्रा अकेले कांग्रेस की नहीं,बल्कि इंडिया गठबंधन की है। और जनता में राहुल गांधी मणिपुर से लेकर मुंबई तक के तमाम राज्यों के सवालों को अपनी यात्रा में शामिल कर उन्हें मुद्दा बनाकर चलेंगे,तब बीेजेपी की सियासी परेशानी बढ़ सकती है। क्यों कि 146 सांसदों के निलंबन, अडानी के सवाल, बेरोजगारी,महंगाई और देश की आर्थिक स्थिति के मुद्दे होंगे ही, साथ ही किसानों की भी बात होगी। बीजेपी का मकसद मोदी की हैट्रिक.. भारत जोड़ो यात्रा सात सिंतम्बर 2022 से 29 जनवरी 2023 तक थी। जबकि भारत न्याय यात्रा 14 जनवरी से 20 मार्च 2024 तक। भारत न्याय यात्रा की वजह यह है,कि कांग्रेस अपना वोट बैंक बढ़ाना चाहती है। कांग्रेस शासित राज्यो में न्याय स्कीम की शुरूआत भी संभव है। वहीं बीजेपी भारत संकल्प यात्रा गांव-गाव तक निकाल रही है। इसके पीछे मकसद है,मोदी की हैट्रिक सुनिश्चत करना और विकसित भारत के लाभार्थियों से संवाद कायम करना। इसके लिए 2500 कार्यक्रम के लिए वैन तैनात रहेंगे। साथ ही विकसित भारत हेल्थ कैंप भी करीब 65300 आयोजित होंगे। जिसमें महिला युवा,किसान और करीब एक करोड़ गरीब लोगों को लाना। देश के 255000 पंचायतों तक पहुंचने का लक्ष्य है। साथ ही 2019 से दस फीसदी वोट बढ़ाना है। वहीं भारत न्याय यात्रा का मकसद है 85 जिलों से गुजर कर करीब 98.7 करोड़ लोगों का ध्यान आकर्षित करना। बीजेपी के समक्ष चुनौतियां.. दोनों बड़ी पार्टियों का सियासी एजेंडा तय है। लेकिन सीटों को लेकर इंडिया गठबंधन में कोई बात नहीं हुई,जबकि बीजेपी जनवरी के अंत तक कुछ उम्मीदवार घोषित कर सकती है। विकसित भारत संकल्प यात्रा और भारत न्याय यात्रा में से किसी एक को जनता को चुनना होगा। इन यात्राओं से किसे फायदा होगा 2024 में, कोई भी दावा नहीं कर सकता। लेकिन भारत संकल्प यात्रा के जरिए बीजेपी की नजर उन राज्यो में होगी, जहां उसकी सरकार नहीं है। पश्चिम बंगाल,जहां टीएमसी की सरकार है। तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है। ओड़िशा में बीजू जनता दल की है। गैर बीजेपी शासित राज्यों में बीजेपी के लिए भारी चुनौती है। इसलिए कि 2019 के चुनाव में पश्चिम बंगाल में 42 में से 18 सीटें जीती थी। टीएमसी ने विधान सभा में बीजेपी को बढ़त बनाने से रोका। बिहार में जेडीयू एलजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी,तब उसे 40 में से 30 सीट मिली थी। अब इंडिया गठबंधन में नीतिश हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे, तब बीजेपी को 48 में से 41 सीट मिली थी। अब स्थिति बदल गयी है। उद्धव गुट इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। झारखंड में 14 सीट है। यहां झामुमो के साथ कांग्रेस की गठबंधन सरकार है। मणिपुर और मेघालय में दो -दो सीट है। असम में 14 सीट। जिसमें नौ सीट पर बीजेपी और तीन पर कांग्रेस का कब्जा है। दो सीट कांग्रेस हार गयी। एक निर्दलीय और एक सीट एआईयूडीएफ के पास है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरसा दावा करते हैं, कि हम इस बार 11 सीटें जीतेंगे। मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी विधान सभा चुनाव जीती है। तीनों राज्यों को मिला दें तो यहां लोकसभा की 65 सीटें होती है। हिन्दी भाषी राज्य दिल्ली,झारखंड,हरियाणा,हिमालचल प्रदेश,यू.पी और उत्तराखंड,एम.पी,छग और राजस्थान की मिलाकर कुल 193 सीटे होती है। कांग्रेस इन्हीं राज्यों से कम से कम 30-40 सीट भी जीत जाती है,तो बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। हिमाचल प्रदेश की सभी चार सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। जरूरी है चुनाव जीतना.. सवाल यह है कि राहुल की यात्रा क्या इंडिया गठबंधन की पार्टियों पर असर डालेगी या फिर सिर्फ अपनी ही पार्टी को रिचार्ज करेगी । पिछले दिनों दिल्ली में इंडिया गठबंधन की बैठक में दिल्ली के सी.एम अरविंद केजरीवाल और बंगाल की सी.एम ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को 2024 में इंडिया गठबंधन की ओर से पी.एम उम्मीदवार बनाए जाने का प्रस्ताव रख कर अपनी मंशा जाहिर कर दी है,कि वो राहुल को पी.एम. के रूप में नहीं स्वीकारते। हालांकि खरगे ने इस बात पर जोर दिया था,कि गठबंधन को एक पी.एम चेहरा पेश करने की जरूरत नहीं है। जरूरी है चुनाव जीतना। राहुल की भारत न्याय यात्रा से यदि कांग्रेस नहीं सिमटती,जैसा कि मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस हार गयी तो उनकी राजनीति में अर्द्धविराम नहीं लगेगा। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री कर रहे टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी का वीडियो बनाए जाने पर उनकी सियासी मानसिकता पर उठी उंगलियों पर सवाल नहीं उठेंगे। वैसे भी, इस बार 2024 के चुनाव में सिर्फ दो ही पार्टी की विचार धाराएं दिखेगी। एक बीजेपी की और दूसरी इंडिया गठबंधन की।वैसे भारत न्याय यात्रा से कांग्रेस में अच्छे दिन आने का न्याय जनता करेगी या नहीं,राहुल भी नहीं जानते।

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