Monday, January 1, 2024

डबल इंजन की सरकार,कैसे होगी वादों की नैया पार

"मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सोशल इंजीनियरिंग की रणनीति को अंजाम दिया गया है। अब पिछड़ों के कंधे पर सवार होकर बीजेपी लोकसभा चुनाव फतह करना चाहती है। तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को मोदी की गारंटी को लोकसभा चुनाव से पहले पूरा करके बताना है, कि उनके राज्य में अच्छे दिन आ गए हैं। सवाल यह है कि चुनौती के सागर पर वादों की स्टीमर कैसे चलेगी। मोदी की गारंटी पर विपक्ष की नजर है, कि कहीं यह जुमला बनकर न रह जाए।" 0 रमेश कुमार ‘रिपु’
मोदी की गारंटी के दम पर भाजपा मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भगवा रंग में रंग गयी। सियासत का सिंकदर एक बर फिर बन कर मोदी उभरे। अब सवाल यह है कि मुख्यमंत्री डाॅ मोहन यादव,विष्णु देव साय और भजन शर्मा किस तरह अपने प्रदेश में अच्छे दिन लाते हैं। इसलिए कि इनके सामने चुनौतियों का पहाड़ है। खास कर तीनों राज्यों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। मध्यप्रदेश पर सन् 2019 में 195178 करोड़ कर्ज था जो सन् 2023 में बढ़कर 378617 करोड़ हो गया है। यानी प्रति व्यक्ति कर्ज 43731 रुपए है। प्रति व्यक्ति आय 140583 रुपए है। राजस्थान पर कर्ज का बोझ बढ़ता गया। सन् 2019 में 31184 करोड़ था जो सन् 2023 में बढ़कर 537012 करोड़ हो गया। यानी प्रति व्यक्ति ऋण 66277 रुपए है। प्रति व्यक्ति आय 156149 रुपए है। छत्तीसगढ़ पर सन् 2019 में 68988 करोड़ रुपए का कर्ज था जो सन् 2023 में बढ़कर 118166 करोड़ हो गया। प्रति व्यक्ति पर ऋण 39154 रुपए है। और प्रति व्यक्ति आय 133898 रुपए है। तीनों राज्यों में डबल इंजन की सरकार है। रेवड़ी किस राज्य पर भारी होगी यह भी बड़ा सवाल है। साथ ही लोकसभा चुनाव की तैयारी भी। मोहन को बड़ी लकीर खींचनी होगी.. तीनों राज्यों में बने मुख्यमंत्री के पास अनुभव की कमी है। ऐसी स्थिति में राज्य की पस्त माली हालत को बगैर केन्द्र की मदद से बेहतर करना राज्य सरकारों के सामने विकट समस्या है। संसाधन स्वयं के दम पर जुटाने होंगे। चूंकि बीजेपी के संकल्प पत्र में ऐसे कई वादे हैं और मोदी की गारंटी हैं, जो बीजेपी शासित राज्यों के समक्ष चुनौती है,लोकसभा से पहले इन्हें पूरा करना। इसलिए कि तीनों मुख्यमंत्रियों के सामने 2024 का विजन है। मध्यप्रदेश में शिवराज की लोकप्रियता बहुत है। उनके साथ कोई विवाद नहीं रहा। वो जनता के नेता है। उन्हें सत्ता का घमंड कभी नहीं रहा। और यह भी जताने की कभी कोशिश नहीं किया, कि प्रदेश में जो भी है वो उनके दम की वजह से है। हमेशा वे संगठन को लेकर चले। वो आज मुख्यमंत्री नहीं हैं, लेकिन बहनों के दिलों में वो बरसों तक रहेंगे। भाजपा को शिवराज की तरह ऐसा नेता मिलना मुश्किल होगा। पार्टी उनका क्या इस्तेमाल करेगी,यह अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। वहीं उनकी लोकप्रियता का भी सामना करते हुए डाॅ मोहन यादव को अपनी लकीर खींचनी है। उन्हें ऐसा कुछ करना पड़ेगा, कि जनता शिवराज सिंह को भूले। इसके अलावा प्रहलाद पटेल,कैलाश विजय वर्गीय,वीडी शर्मा,जैसे अनके बड़े नेता हैं। उनसे तालमेल बनाना है। जाहिर सी बात है कि नयी भाजपा को नये तरीके से गढ़ा जा रहा है। सोशल इंजीनियरिंग की रणनीति के तहत डाॅक्टर मोहन यादव को मोदी ने मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर बड़ा सियासी मैसेज दिया है। लालू प्रसाद यादव,अखिलेश यादव,तेजस्वी यादव से उन्हें बड़ा बनाना है। केवल ओबीसी वोटों को साधना ही नहीं है। वैसे बीजेपी नए भारत की राजनीति में पिछड़ों की पीठ पर सवार है। मोदी ने ओबीसी और दलित कार्ड खेलकर विभिन्न पार्टियों के जुड़े दिग्गजों को चुनौती दी है। राजेन्द्र शुक्ला ब्राम्हण,जगदीश देवड़ा दलित को उप मुख्यमंत्री और नरेन्द सिंह तोमर को विधान सभा अध्यक्ष बनाकर मोदी ने सोशल इंजीनियरिंग की रणनीति का इस्तेमाल किया है। ऐसा ही छत्तीसगढ़ और राजस्थान में किया है। राजस्थान में भजन शर्मा मुख्यमंत्री हैं और छत्तीसगढ़ में विजय शर्मा उप मुख्यमंत्री अरूण साव ओबीसी और विष्णुदेव साय आदिवासी के बड़े नेता है। सामाजिक विस्तार की बीजेपी की योजना नई नहीं है। लेकिन इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी कि ऐसा होगा। देश की राजनीति में जाति का असर इतना प्रभावी है कि मोदी अपने भाषणों में कई बार यादवों सहित सभी ओबीसी जातियों को आकर्षित करने के लिए खुद निसंकोच पिछड़ी जाति का बताया। लालू और नीतिश की राजनीति की काट पेश करने के लिए मोदी ने तीनों राज्यों में ऐसा किया है। विभिन्न जातियों को एक सामाजिक गठजोड़ तैयार करना चाहते हैं,ताकि चुनाव में बहुमत हासिल किया जा सके। मोहन के समक्ष चुनौतियां.. मोहन यादव कैसे अखिलेश यादव और लालू प्रसाद यादव, नीतिश कुमार की सियासी रेखा से बड़ी रेखा खींचते हैं,बीजेपी भी नहीं जानती। इसलिए कि उनके समक्ष एक-एक करके बीजेपी के संकल्प पत्रों को पूरा करना है। गेहूं 2700 रुपए प्रति क्विंटल और धान 3100 रुपए प्रति क्विंटल किसानों से खरीदना। गरीब परिवारों को 12वीं तक मुफ्त शिक्षा देना है। गरीब छात्राओं को के.जी. से पी.जी तक मुफ्त शिक्षा। हर परिवार में एक सदस्य को रोजगार या स्वरोजगार देना। लाड़ली बहनों को पक्का मकान और पांच साल गरीबों को मुफ्त राशन देना है। किसानों को सालाना 12000 रुपए देना। 100 रुपए में 100 यूनिट बिजली,450 में गैस सिलेंडर,महिलाओं को हर माह तीन हजार रुपए देना। तेंदूपत्ता के लिए 4000 रुपए प्रति बोरा देना,जन्म से शादी तक बेटी को 2 लाख रुपए देना। इस समय राज्य में मल्टीडाइमेशनल गरीबी 21 फीसदी से ज्यादा है। 2021 के अनुसार 1.82 करोड़ लोग गरीब हैं। बुजुर्गो को 600 रुपए मासिक पेंशन देना है। बढ़ते कर्ज के बीच मोदी की गारंटी को पूरा करना है। सन् 2024 के लिए बजट खर्च 306,103 करोड़ रुपए है। मोहन यादव के समक्ष आर्थिक चुनौतियां बहुत हैं। विष्णु कैसे लाएंगे अच्छे दिन.. छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बनते ही वोटर कहना शुरू कर दिया है कि कौन सा वादे पहले पूरा होना चाहिए। किसान चाहता है, कि रमन सरकार के समय का दो साल का लंबित बोनस उसे जल्द मिल जाए। प्रधान मंत्री आवास के तहत 18 लाख लोगों को छत मिल जाए। महिलाएं चाहती हैं, कि हर महीने महतारी योजना के तहत एक-एक हजार रुपए उनके खाते में आ जाएं। किसानों को धान का समर्थन मूल्य पर 3200 रुपए प्रति क्विंटल मिल जाए।चूंकि प्रदेश में धान खरीदी एक नम्वंबर से चल रही है। तेंदूपत्ता भी 5500 रुपए प्रति बोरा की राशि मिलने लगे। मुफ्त इलाज दस लाख रुपए और गरीबों को सिलेंडर 500 रुपए में चाहिए। भूमिहीन मजूदूरों को सालाना दस हजार रुपए देना। भाजपा की सरकार पूरे पांच साल रहेगी और एक साथ अपने संकल्प पत्र के वादे को पूरा करेगी, इसकी संभावना कम है। ऐसा हुआ तो विपक्ष सरकार को सड़क से विधान सभा तक घेरेगी। भजन के सामने चुनौती... समाजिक और आर्थिक आंकड़ों को एक तरफ रखकर इस बार चुनाव की नयी परिभाषा मोदी की गारंटी के रूप में सामने आई। राजस्थान में रोटी बदलने का वैसे भी रिवाज है। लेकिन बदलाव की सत्ता जिस तरह मोदी की गारंटी ने लिखी,उसे चुनौती नहीं दी जा सकती। लेकिन राजस्थान में इस बार गहलोत सरकार की उपलब्धि को दरकिनार करते हुए भाजपा ने केवल जाति और संस्कृति के गणित को ही समाने नहीं रखा, बल्कि विकास के सिद्धांत को भी रखा। लोगों की जरूरतों को अहमियत दी। जनता की सेवा करने वाली सरकार बताने के लिए संकल्प पत्र में ऐसे कई वादों को जोड़ा गया है, जो मुख्यमंत्री भजन शर्मा के सामने चुनौती बनकर खड़े हैं। 12वीं पास मेघावी छात्रों को मुफ्त स्कूटी। छात्रों को के.जी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा। गरीब परिवारों को 400 रुपयों में गैस सिलेंडर।एआइआइएमएस की तर्ज पर आइआइटी की तर्ज पर काॅलेज का निर्माण। मातृ वंदन की राशि 4000 हजार से बढ़ाकर 8000 रुपए करना। बेटी के जन्म पर दो लाख रुपए का बांड। एसआइटी से पेपर लीक की जांच। 2.5 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी। किसानों को सलाना 12 हजार रुपए देना। सवाल यह है कि इन तीन राज्यों की जनता को उक्त लाभ मिलेंगे तो भाजपा शासित अन्य राज्यों में नहीं मिलने से क्या,वहां की जनता आवाज नहीं उठाएगी। फिर रेवड़ी कल्चर की राजनीति का क्या होगा। सवाल यह है,कि चुनौती के सागर पर वादों की स्टीमर कैसे चलेगी। मोदी की गारंटी पर विपक्ष की नजर है, कि कहीं यह जुमला बनकर न रह जाए।

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