Tuesday, May 21, 2024

दो लड़कों ने यू.पी.में बीजेपी की बाजी पलट दी

  



''मोदी-शाह के अभेद्य चुनावी कवच की दरारों को यू.पी.में अखिलेश और राहुल की जोड़ी ने उघाड़ दिया है।  चुनावी मतदान का प्रतिशत और मतदाताओं में बीजेपी विरोधी रूझान ने मोदी-अमितशाह को सियासी फलक से नीचे ला दिया है। फैलती भाजपा को अब खतरा महसूस होने लगा है। सवाल यह है कि दलित,पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम वर्ग क्या मोदी का रथ यूपी में ही रोक देगा?

-रमेश कुमार ‘रिपु’
क्या उत्तर प्रदेश में खाक से उठ खड़ी होगी अबकी बार कांग्रेस! पिछले दो चुनाव में कांग्रेस को झन्नाटेदार हार के पराजय का मुंह देखना पड़ा था। बेल की तरह फैल चुकी बीजेपी से एनडीए के सहयोगी दलों का मोहभंग होने के बाद मोदी विरोधी दलों का गठबंधन कमल को नोचने लगेगें,इसकी कल्पना मोदी-अमितशाह कभी नहीं किये थे।अबकी बार यूपी की सियासी जमीन से कमल को जड़ से उखाड़ने के लिए राहुल और अखिलेश ने जो रणनीति अपनाई है,उससे बीजेपी के तंबू में सनाका खिंच गया है।इसलिए कि यूपी में जो सियासी हवा चल रही है,उसे रोकने की काट गुजरात लाॅबी के पास नहीं है। यह बात अब तक के हुए चुनाव ने साफ कर दिया। मोदी का रथ यू.पी.से दिल्ली जा पाएगा,इसमें संदेह गहरा गया है। सन् 2014 में मोदी की जो लहर थी,वैसी लहर सन् 2019 में नहीं थी। बावजूद इसके 65 सीट बीजेपी पा गयी थी।  अबकी बार न लहर है। और न ही हवा है।यही वजह है कि मोदी-शाह के अभेद्य चुनावी कवच की दरारों को यू.पी.में अखिलेश और राहुल की जोड़ी ने उघाड़ दिया है। चुनावी मतदान का प्रतिशत और मतदाताओं में बीजेपी विरोधी रूझान ने मोदी-अमितशाह को सियासी फलक से नीचे ला दिया है। फैलती भाजपा को अब खतरा महसूस होने लगा है। सवाल यह है कि दलित,पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम वर्ग क्या मोदी का रथ यूपी में ही रोक देगा?

गुजरात लाॅबी का भरेासा टूटा - वैसे गुजरात लाॅबी को पूरा भरोसा था,कि राहुल गांधी के जातिगत जनगणना और आरक्षण का मुद्दा राम मंदिर की लहर में उड़ जाएगा। अखिलेश के अगड़े- पिछड़े की की राजनीति जो राम को लाए हैं,उन्हें लाएंगे के नारे में नहीं ठहरेगा। लेकिन गुजरात लाॅबी को हवा तक नहीं लगी कि इंडिया गठबंधन वाले चुनाव को संविधान बचाने की लड़ाई से जोड़,कर बीजेपी की पसली को चोटिल कर देंगे। दलित,अति दलित,पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग में संविधान बचाने की बात ने इतना असर डाला, कि अंबेडकर जयंती में गांव-गांव में बैठक कर बीजेपी के खिलाफ हवा बना दी।इसका असर यह हुआ,कि जो दलित,अति दलित और पिछड़ा वर्ग बीजेपी का वोटर था,वो सपा या फिर कांग्रेस को वोट कर दिया। चार चरणों के चुनाव में अचानक मतदाताओं के बदलते रूख को गुजरात लाॅबी नहीं भांप पाई। आगे के चुनाव में बीजेपी कामयाबी का कोई सियासी रास्ता नहीं ढूंढ सकी, तो उसे भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। क्यों कि अखिलेश और राहुल गांधी मोदी और अमित शाह के बयानों से वोटर प्रभावित न हो इसका तत्काल जवाब मंच से देने लगे हैं।

बाजी पलटने की रणनीति - बीजेपी और मायावाती का जो बेस वोटर था,उसमें जागरूकता आई। उसे यकीन हो गया, कि बसपा की सरकार बन नहीं सकती। इसलिए कुर्मी, कुशवाहा, कटियार, वर्मा, मौर्य, पटेल,       चौहान,साकेत,मुसलमान वोटर सायकिल पर बैठने लगा। 'हाथ' से हाथ मिलाने लगा। बीजेपी आश्वस्त थी,कि राम मंदिर बनने के बाद यूपी में 75 सीट आएगी। दूसरे चरण के चुनाव से मोदी के चाणक्य अमितशाह को रिपोर्ट मिली कि अंबेडकर जयंती पर सारे दलित और पिछड़ा वर्ग गांव गांव बैठक कर तय किया है कि यदि बीजेपी की सरकार आई तो संविधान बदल देगी। बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिष्ठा का सवाल है। और वो सबके सब बीजेपी की बाजी को पलटने में लग गए।

मोदी से मुस्लिम खफा - प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिन्दू कार्ड भी खेला। उन्होंने हिदुओं को सावधान करते हुए कहा,कांग्रेस की सरकार आई तो वो राम मंदिर में बाबरी ताला लगा देगी। लेकिन मोदी की बातों का कोई असर नहीं दिखा। केन्द्रीय गृहमंत्री,यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित बीजेपी कई मंत्रियों ने कांग्रेस के घोषणा पत्र को कटघरे में रखा। सबने जोर शोर से मंच पर कहा,कि कांग्रेस की सरकार आई तो देश में सरिया कानून लागू हो जाएगा। महिलाओं के मंगल सूत्र छीन लिए जाएंगे। जिनके पास दो घर उसमें एक घर लेकर अल्पसंख्यकों को दे दिया जाएगा। यहां तक एक से ज्यादा कार होने पर उसे ले लिया जाएगा। जबकि कांग्रेस के घोषणा पत्र में ऐसा कहीं नहीं लिखा था। बीजेपी के केन्द्रीय मंत्रियों के झूठ से भी बीजेपी के पक्ष में हवा नहीं बनी। लेकिन यूपी के 21.26 फीसदी मुस्लिम वोटर मोदी से नाराज हो गया। बागपत में 27 फीसदी,अमेठी में 20 फीसदी, अलीगढ़ में 19 फीसदी,गोंडा में 19.6,लखीमपुरी खीर में20 फीसदी,लखनऊ में21.46 फीसदी,पीलीभीत में 24.11 फीसदी,सिद्धार्थ नगर में 29.33 महाराजगंज में 17.48 फीसदी और मुरादाबाद,रामपुर में 50.8 फीसदी,मजफ्फर नगर में 41 फीसदी,बिजनौर में 43 फीसदी,अमरोहा में 41 फीसदी,बलरामपुर में38.51 इसके अलावा बरेली, बहराइच, संभल,हापुड़ आदि जिलों के मुस्लिमों को मोदी ने नाराज कर दिया।। यूपी के 75 जिलों में मुस्लिम वोटर की संख्या इतनी है कि वो किसी भी पार्टी की हार जीत की दिशा बदल सकते हैं। काशी के तीस लाख मुस्लिम वोटर इस बार मोदी को वोट करेंगे इसमें संदेह है।  

राम मंदिर मुद्दा नहीं बना - बीजेपी राम मंदिर को मुद्दा नहीं बना सकी। सन् 2014 के चुनाव में रायबरेली ही विपक्ष के पास था। बीजेपी 2024 के चुनाव में इस सीट को जीतना चाहती है। अदिति सिंह लखनऊ में प्रचार कर रही हैं। मगर वो अयोध्या, और अमेठी नहीं गयी। संजय सिंह अमित शाह से मिलने के बाद भी निष्क्रिय दिखाई दे रहे हैं। राजा भैया ने बकायदा अपने समर्थकों को कह दिया है,जो प्रत्याशी आपको बेहतर लगे उसका प्रचार करें और वोट दें। उनके समर्थक और वोटर समझ गए कि राज भैया किसे वोट करने को कह रहे हैं। कौशाम्बी बीजेपी की सीट फंस गयी है। पांचवे चरण की 14 सीट में 13 सीट बीजेपी के पास है। इसमें सात सीटों में कोंटे का टक्कर है। लोकसभा की 14 सीटों में विधान सभा की कुल 71 सीटें आती है। जिसमें 45 सीट बीजेपी के पास है।  
यूपी मे नरेटिव बदलता रहा- उत्तर प्रदेश में गेरूआई राजनीति की पताका उम्मीद से कम लहरा रही है। उसकी वजह यह है कि योगी आदित्यनाथ ने हाथ खींच लिया है। क्यों कि उन्हें पता है कि अमितशाह लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें सी.एम.पद से हटा देगे। यूपी में नरेटिव बदलता जा रहा है। अमेठी में जो कह रहे थे,कि राहुल गांधी के चुनाव नहीं लड़ने से स्मृति इरानी को वाॅक ओवर मिल गया,अब वही आकलन कर रहे हैं,कि किशोरी लाल शर्मा कितने लाख से स्मृति को हराएंगे। बीजेपी के खिलाफ बाजी पलटने का सबब बीजेपी के नेता हैं। जनवरी मे जो उत्साह बना था,उसी उत्साह में मोदी ने कहा था कि अबकी बार चार सौ पार।अनंत हेगड़े,अरूण गोविल,लल्लू सिंह और ज्योति मिरधा ने कहा,संविधान बदलने के लिए मोदी को चाहिए चार सौ के पार सीट। इस बात को इंडिया ने लपक लिया। और अपने हर मंच पर संविधान बदलने की बात जोर-शोर से कहने लगे। उसका असर यह हुआ कि बीजेपी का वोटर उनके हाथ से फिसल गया। बीजेपी को लगा,राहुल गांधी की बातों को वोटर गंभीरता से लेता नहीं। अखिलेश यादव पांच साल तक निष्क्रिय रहे,इसलिए राम मंदिर की लहर में उनकी बात दब जाएगी।
अखिलेश की सोशल इंजीनियरिंग - अखिलेश यादव ने सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले के तहत टिकट बांटा। दस कुर्मी,आठ मौर्य,पांच कश्यप,पांच निषाद,और अपने परिवार को छोड़कर किसी यादव को टिकट दिया नहीं।मेरठ,फैजाबाद की सामान्य सीट पर भी उन्होने दलित को टिकट दिया। उसका नतीजा यह रहा है कि दलित,पिछड़ा वर्ग और मुस्लमान वोटर सपा और कांग्रेस को जा रहा है। बीस फीसदी दलित,दस फीसदी ओबीसी और पन्द्रह फीसदी मुस्लिम वोटर इंडिया गठबंधन को जा रहा है यानी 45 फीसदी वोट पा रहे हैं। ठाकुर और ब्राम्हण वोटर को जोड़ दें तो यह प्रतिशत और ज्यादा हो जाता है। राजपूत भी बीजेपी से नाराज है। करणी सेना भी यूपी में सक्रिय हो गयी है बीजेपी के खिलाफ। ऐसे में बीजेपी का फिसलना ही था।
बीजेपी की साख पर संकट - बीजेपी ने देश को बड़ा करने का सपना दिखाया। दूसरी ओर देश को कर्ज में डूबाते गए। देश पर मोदी  के दस साल के कार्यकाल में 272 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। खाद्यान योजना बिल कांग्रेस ने लाया था। आज मोदी सरकार देश में 85 करोड़ गरीब जनता को पांच किलो का अनाज दे रही है। राहुल ने कहा,हमारी सरकार आएगी तो दस किलो देंगे।वहीं हर गरीब महिला को लखपति बनाएंगे। हर पार्टी का अपना अपना घोषणा पत्र है। बीजेपी को मात देने इंडिया गठबंधन ने विशेष रणनीति बनाई। हर दिन कोई न कोई पार्टी देश में बीजेपी के खिलाफ पहले प्रेस कांफ्रेस करती है,उसके बाद चुनाव प्रचार।धर्म आधारित राजनीति बीजेपी करने की योजना बनाई थी, लेकिन  कामयाब नहीं होने से बीजेपी की साख पर संकट गहरा गया है। मोदी ने देश से पचास दिन मांगे थे।अब दस साल बाद यूपी का बेरोजगार वोटर उनके काम काज पर आंकलन करने लगा है। बेरोजगारी,मंहगाई,संविधान बदलने, आरक्षण,और जातिगत जनगणना कि बात करके  यूपी में दो सियासी लड़के  बीजेपी की चुनावी बाजी पलट दिये हैं ।

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