Friday, December 28, 2012

चित्रकूट का बदल गया चित्र

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 मालेगांव और समझौता एक्सप्रेस में बम ब्लास्ट का आरोपी चित्रकूट स्थित ब्रम्हकुंड आश्रम में रामलखन महाराज के नाम पर भगवा चोला पहनकर पिछले डेढ़ साल से रह रहा था। उसके पकड़े जाने से यह बात साफ हो गई है कि धार्मिक नगरी चित्रकूट का चरित्र अब बदल गया है।क्यों कि अब यहां संत,महात्मा शंख,त्रिशूल की जगह बंदूकों के साथ रहते है।
           चित्रकूट का चरित्र और उसका चित्र अब बदल गया है। कभी यहां के घाटों पर संतों और महात्माओं का हुजूम देखने को मिलता था। साथ ही शंख,की आवाज कानों में भक्ति का रस घोलती थी। संतों और महात्माओं को त्रिशूल के साथ देखकर मन धार्मिक हो जाता था। अब उस चित्रकूट की फिजा बदल गई है। भगवा लिबास में ज्यादातर संत, महात्मा महलनुमा मठों में रहते हैं। पैदल नहीं लग्जरी गाड़ियांे में चलते हैं। त्रिशूल की जगह उनके हाथों में लाइसेंसी बंदूकें उनकी खास पहचान बन गई है। कई संत तो बंदूक लेकर ही अपने काफिले के साथ निकलते है। अध्यात्म के गलियारे में गूगल की महक के साथ गांजे का धुआं तैर रहा है। दबे पांव घुसे ऐश्वर्य,वैभव और विलास ने भक्त, भगवान और अध्यात्म के तारों को छिन्न-भिन्न कर दिया है। और इसी का फायदा यहां आकर उठाते हैं आतंकवादी,खूनी,डकैत और अनेक अपराधी। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है मालेगांव और समझौता एक्सप्रेस में बम ब्लास्ट का आरोपी राधे सिंह। जो यहां पिछले डेढ़ साल से ब्रम्हकुंड आश्रम में रामलखन महाराज के नाम से भगवा चोला पहनकर रह रहा था। किसी को अपने आचरण से उसने एहसास ही नहीं होने दिया कि वो आतंकवादी है। वो चित्रकूट आया अपनी आत्मा और विचार को शुद्ध करने, ऐसा नहीं है। वो चित्रकूट को अपने छुपने की सबसे महफूज जगह मानकर आया था। ऐसा चित्रकूट के लोगों का विश्वास है कि, कोई भी व्यक्ति यहां आता है राम की मर्जी से और जाता भी है तो उनकी ही मर्जी से। यह बात सुनने में अजीब लग सकती है। लेकिन धन सिंह पर यह बात सत्य प्रतीत होती है।
     सुबह चित्रकूट के आश्रमों में 17 दिसंबर को सनसनी फैल गई,जब नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी की गिरफ्त में आया मालेगांव और समझौता एक्सप्रेस में बम ब्लास्ट का आरोपी धन सिंह उर्फ रामलखन दास महाराज। यह आतंकवादी चित्रकूट में ब्रम्हकुण्ड के पास त्यागी बाबा की  कुटिया में रह रहा था। 32 वर्षीय धन सिंह उर्फ रामलखन दास महाराज, पुत्र शिव सिंह निवासी हातौद इंदौर का,नयागांव थाना पुलिस की मदद से नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) अफसरों ने उसे गिरफतार किया। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह पूर्व में पकड़े गए आरोपी राजेन्द्र चौधरी उर्फ लक्ष्मणदास महाराज निवासी देवालपुर और इंदौर के ही रामजी व अमित के साथ मालेगांव में रैकी करता था। मोटर साइकिल के जरिए उसने एक्सप्लोसिव प्लांट किया था। पुलिस के अनुसार आरोपी धन सिंह और उसके साथियों का हाथ हैदराबाद, जयपुर, जम्मू तथा इंदौर में हुए बम धमाकों में भी है।
      मालेगांव ब्लास्ट के दौरान धन सिंह और राजेन्द्र के साथ इंदौर के ही रामजी उर्फ रामचन्द्र, अमित हकला उर्फ प्रिंस साथ थे। चारों ने वहां वारदात के बाद अलग-अलग हो गये। मालेगांव ब्लास्ट के आरोपी धन सिंह उर्फ रामलखन दास महाराज ने बताया कि राजेन्द्र उर्फ लक्ष्मणदास मास्टर माइंड था। जिसके इशारे पर रैली और एक्सप्लोसिव प्लांटेशन किया जाता था। आरोपी धन सिंह ने एनआईए को पूछताछ में यह भी बताया कि मालेगांव धमाके के बाद वह वापस अपने गांव हातौद चला आया। कुछ दिनों बाद पुलिस से बचते हुए वह ओेंकारेश्वर पहुंच गया। जहां करीब डेढ़ साल रहा। वहीं बातों ही बातों में पता चला कि   छुपने की सबसे महफूज जगह चित्रकूट है, इसलिए ओंकारेश्वर से चित्रकूट चला आया। आरोपी धन सिंह को नयागांव थाना में पदस्थ उप निरीक्षक सतीश तिवारी, प्रधान आरक्षक सुधीर त्रिवेदी, आरक्षक आशीष दुबे और सैनिक चंदिका प्रसाद ने पकड़ने के बाद नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) अधिकारी महेश लाड़ा, एएसपी श्री नेगी और इंस्पेक्टर बिजेन्दर सिंह के सुपुर्द करते हुए उसकी धारकुण्डी से गिरफ्तारी दिखाई।   18 दिसंबर को धमाके के आरोपी धन सिंह उर्फ रामलखन दास महाराज को जिला अस्पताल में मेडिकल जांच के बाद प्रथम श्रेणी न्यायिक दण्डाधिकारी मो. अरसद के न्यायालय में पेश किया गया।एनआईए के पुलिस अधीक्षक प्रेम सिंह बिष्ट कहते हैं, हमारी टीम के सामने ऐसी कोई बात नहीं आई जिससे यह कहा जा सके कि आरोपी आरएसएस से जुड़ा था। चित्रकूट से पकड़ा गया धन सिंह मालेगांव-समझौता एक्सप्रेस में हुए ब्लास्ट का आरोपी है। उसे यहां से ट्रांजिट रिमाण्ड पर  मुम्बई ले जा रहे हैं।
अधर्मी बाबाओं की नगरी
 चित्रकूट के मठ व आश्रमों में साधु के भेष में पनाह पाने वालों में धन सिंह उर्फ बाबा रामलखनदास उर्फ स्वामी पहला शख्स नहीं है। अपराध जगत से जुड़े ऐसे लोगों की लंबी सूची है। जो कानून व्यवस्था की आंखों में धूल झोककर यहां रहते आये हैं। कुख्यात व चर्चित अय्याश बाबा इच्छाधारी को पूरा देश अभी तक नहीं भूला है। लगभग पांच साल पहले निर्माेही अखाड़े से भी दिल्ली की एसटीएफ ने एक अपराधी को दबोचा था। यहां ऐसे दर्जनों साधु-संत महंत हैं, जिनके पास वैध-अवैध हथियार है। चित्रकूट सबसे अधिक शर्मिदा किया इच्छाधारी बाबा ने। चमरौंहा गांव निवासी राजीव रंजन द्विवेदी उर्फ शिवा द्विवेदी उर्फ भीमानंद उर्फ इच्छाधारी बाबा ने राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसी घिनौनी छाप बनाई जिससे संत समाज और चित्रकूट धाम दोनों ही अपमानित हुए हैं। चित्रकूट जिले के मानिकपुर कस्बे से 23 किलोमीटर दूर स्थित चमरौंहा गांव में इच्छाधारी बाबा का अपना साम्राज्य था। बाबा के पिता का कहना है कि तीन बार हाई स्कूल में फेल होने के बाद उनका बेटा शिवा द्विवेदी घर से भागकर आगरा चला गया। वहां के एक होटल में वेटर का काम करता था। 1997 में पहली बार भीमानंद ग्रेटर नोएडा पुलिस द्वारा सेक्स रैकेट में पकड़ा गया। चित्रकूट जिले के इस गांव से 500 मीटर पहले नदी तट के किनारे इच्छाधारी ने 2009 में 5 एकड़ जमीन खरीदी जिसके भूमिपूजन में दिल्ली और बम्बई की बार बालाएं भी बुलाई गईं थीं। इस आयोजन में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री दद्दू प्रसाद,दस्यु साम्राट ददुआ का पुत्र व तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष वीर सिंह और कई तेंदूपत्ता व्यापारियों ने शिरकत की थी। बाबा की इस जमीन पर तत्कालीन कलेक्टर हृदेश कुमार ने बाबा से खुश होकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना की राशि से 1500 पेड़ लगवा दिए थे। जहां वतर्मान में इच्छाधारी ने तीन मंजिला साई आश्रम मंदिर बनवाया है। वर्ष 2010 में दिल्ली पुलिस ने इस अधर्मी बाबा को सेक्स रैकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार किया तो धाािर्मक नगरी चित्रकूट के माथे पर भी बदनामी के छीटे पड़े। समाजशास्त्री डा. महेश शुक्ला कहते हैं,चित्रकूट के महात्माओं के बीच अब प्रतिद्वंदिता बढ़ गई है।यह प्रतिद्वंदिता ज्ञान की नहीं बल्कि बाहुबल, जनबल व धनबल की है। यही वजह है कि चित्रकूट के तकरीबन हर आश्रम में त्रिशूल व शंख मिले या न मिले लेकिन दीवारों पर बंदूकें जरूर टंगी नजर आ जाएंगी।