अजीत जोगी अपने ही बनाये फंदे में फंस गये हैं। उन पर गिरफ्तारी के साथ ही उनकी विधायकी पर भी तलवार लटक रही है। अंतागढ़ उप चुनाव कांड में अजीत और अमित जोगी आरोपी हैं। जेसीसी के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी के जेल से बाहर निकलने की संभावना कम है। ऐसे में सवाल है कि जोगी की पार्टी बचेगी या खत्म हो जायेगी।
0 रमेश कुमार ’’रिपु’’
’’छत्तीसगढ़ में तीसरी राजनीतिक ताकत जोगी की पार्टी है’’। डाॅ रमन सिंह कभी यह कहकर जोगी का राजनीतिक कद बढ़ाया था। वहीं जोगी की पार्टी को भाजपा की ‘बी’ टीम कांग्रेस कहती आई है। आज पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और उनका पुत्र अमित जोगी की सियासत के सितारे गर्दिश में हैं। और छत्तीसगढ़ की तीसरी सियासी ताकत इन दिनों संकट के दौर से गुजर रही है। जेसीसी (जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी को अपनी नागरिकता की गलत जानकारी देने के आरोप में सेशन कोर्ट ने जेल भेज दिया है। वहीं छत्तीसगढ़ की आदिवासी कल्याण विभाग की उच्चाधिकार हाई पावर कमेटी ने अजीत जोगी को आदिवासी मानने से इंकार कर दिया है। अजीत जोगी के खिलाफ समीरा पैकरा की शिकायत पर धारा 420,467,468,471 के तहत अपराध दर्ज किया गया है। अंतागढ़ टेप कांड मामले में जोगी के खिलाफ एक नया मोड़ तब आ गया है। अंतागढ़ उप चुनाव कांड के आरोपी पूर्व विधायक मंतूराम पवार ने उपचुनाव को प्रभावित करने के लिए 7.50 करोड़ रूपये के लेन देने का खुलासा प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्टेªट नीरज श्रीवास्वत की कोर्ट में कलमबंद बयान दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि उन्हें एक पैसा नहीं दिया गया। 2014 में हुए अंतागढ़ उप चुनाव के सौदे में फिरोज सिद्दकी और अमीन मेनन की भूमिका बिचैलिये की थी। डाॅ रमन सिंह का पहली बार नाम अंतागढ़ मामले में सामाने आया है। इससे राजेश मूणत,अजीत जोगी,अमित जोगी की मुश्किलें बढ़ सकती है। इन तीनो के खिलाफ पंडरी थाने में केस दर्ज है। मामले की जांच एसआइटी कर रही है। इस कांड की जारी सी.डी में इन सभी नेताओं की आवाज होने की आशंका है,लेकिन किसी ने भी अपनी आवाज का सेम्पल एसआइटी को अभी तक नहीं दिया। अब मंतूराम पवार के इस शपथ पत्र से जोगी परिवार पर एक और मुश्किल बढ़ गई। वहीं जेसीसी के मीडिया विभाग के अध्यक्ष इकबाल अहमद रिजवी ने कहा, बीजेपी में रहते हुए मंतूराम पवार ने जिस तरह का बयान दिया है, इससे साफ जाहिर है कि वे कांग्रेस प्रवेश करने वाले हैं। कांग्रेस से मिले प्रलोभन के कारण ही वे इस प्रकार का बयान दे रहे हैं’’। पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह ने कहा,’’ दंतेवाड़ा उप चुनाव नजदीक है। पहली बार मेरे खिलाफ राजनीतिक षडयंत्र के तहत मेरा नाम उछाला गया है। कांग्रेस की सोची समझी रणनीति के तहत मंतूराम पर दबाव बनाकर यह बयान दिलवाया गया है। इससे पहले भी मंतूराम ने विभिन्न न्यायलयों में शपथ पत्र पर बयान दिया है कि उन्होंने स्वेच्छा से अपना नामांकन वापस लिया था। और इस प्रकरण में पैसा का किसी तरह से कोई लेने देन नहीं हुआ था। इस संबंध में कोर्ट में अपना पक्ष रखूंगा’’।
कोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी
अजीत जोगी के खिलाफ दर्ज मामले से अब वे विधायक रहेंगे या नहीं, 19 सितंबर से कोर्ट इस मामले कीें सुनवाई करेगी। चूंकि अजीत जोगी की पार्टी जेसीसी (जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़) जोगी घराने के इर्द गिर्द घूमती है। अजीत जोगी अपनी पार्टी के सप्रीमों हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी हाई पाॅवर कमेटी की रिपोर्ट पर,इसकी संभावना कम ही है कि हाई कोर्ट जोगी की जाति को लेकर कोई अलग से निर्णय देगी। उनकी विधायकी खत्म होने की आशंका ज्यादा है। वहीं अमित जोगी को हाई कार्ट से बेल मिलने की संभावना कम बनती दिख रही है। उसकी वजह यह है कि सेशन कोर्ट के जज विनय प्रधान ने अपने फैसले में कहा,’’ प्रजातंत्र के पावन धरा पर विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किये हैं। अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत याचिका खारिज की जाती है’’। वहीं रायपुर की विशेष मजिस्टेट लीना अग्रवाल ने अंतागढ़ टेपकांड मामले में आरोपी जेसीसी के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी को ट्रांजिट रिमांड पर अदालत में पेश करने का आदेश दिया है। गौरेला पुलिस को पेशी के लिए 12 सितंबर तक का वक्त दिया है। तीन बड़ी अपराधिक घटनाओं के बाद जेसीसी पार्टी को लेकर सियासी अटकलों का बाजार गर्म है। जोगी की पार्टी जेसीसी रहेगी या टूट जायेगी। अमित जोगी को धोखा धड़ी के जुर्म में कम से कम दो साल की सजा हो सकती हैं। इसलिए कि उनके खिलाफ पुख्ता दस्तावेज हैं। अमित जोगी के जेल में होने से अजीत जोगी भावानात्मक रूप से टूट जायेंगे। उनकी विधायकी खत्म होने और अंतागढ़ मामले की वजह से पार्टी का जनाधार तो खत्म होगा ही साथ अब उन पर जनता की विश्वसनीयता भी घटेगी। सवाल यह है कि जोगी अपनी पार्टी की कमान किसके हाथ में देंगे?
रेणू की रूचि नहीं राजनीति में
श्रीमती डाॅ. रेणू जोगी पार्टी में ज्यादा अनुभवी हैं। यदि अजीत जोगी की गिरफ्तारी होती है तो पार्टी की कमान रेणू जोगी के हाथ आ सकती है। लेकिन पार्टी को पूरा समय देने में वे भी अक्षम हैं। स्वास्थ्य उनका भी ठीक नहीं रहता। वहीं रेणू जोगी पर कोई आरोप नहीं है। स्वच्छ छवि है ही साथ ही समझदार नेत्री हैं। लेकिन अजीत जोगी के आदिवासी मामले पर हाई कोर्ट का भी फैसला हाई पाॅवर कमेटी जैसा ही रहा तो फिर रेणू जोगी के संदर्भ में भी तहकीकात के सवाल उठाये जा सकते हैं। उन्होंने आदिवासी के रूप में क्या, क्या, सुविधायें और लाभ लीं। यदि ऐसा कुछ भी साक्ष्य मिलता है तो फिर श्रीमती रेणू जोगी भी फंस सकती हैं। वैसे रेणू जोगी की दिलचस्पी राजनीति मे अब नहीं है। इसी से स्पष्ट है कि वे अंत तक जोगी की पार्टी में शामिल नहीं हुई। लेकिन कांग्रेस से इस्तीफा भी नहीं दिया,पर जोगी के साथ हमेशा रहीं। उन्हें इसके लिए कई बार नोटिस भी दिया गया। जब कांग्रेस ने उन्हें कोटा विधान सभा के लिए टिकट नहीं दी तो वो अजीत जोगी की पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ीं। आज जेसीसी से कोटा की विधायक हैं। ऐसे में यह भी संभावना खत्म हो जाती है कि वे कांग्रेस मंे कभी लौटेंगी।
जेसीसी का अगला अध्यक्ष कौन?
अजीत जोगी अपनी हर सियासी गोटी बहुत सोच समझ कर चलते हैं। अपने ऊपर किसी भी तरह के खतरे की आशंका को वे पहले ही भंाप जाते हैं। वे कभी नहीं चाहेंगे कि रेणू जोगी पर कोई राजनीतिक संकट मंडराये। ऐसे में उनके घर में उनकी बहू ऋचा जोगी पर जाकर नजर ठहरती है। ऋचा जोगी राजनीति में बहुत समय से सक्रिय हैं। विपक्ष की भूमिका में वे डाॅ रमन सिंह से लेकर भूपेश सरकार तक सक्रिय दिखीं। भूपेश बघेल का ड्रीम प्रोजेक्ट नरवा,घुरवा,गोठान और बाड़ी मामले को सबसे पहले उठाया कि यह प्रोजेक्ट केवल भ्रष्टाचार का जरिया है। पिछला चुनाव जोगी ने ऋचा को अपनी पार्टी के बजाय अकलतरा से बसपा से लड़ाया। बहुत कम वोटों के अंतर से वे चुनाव हारी लेकिन राजनीति में अपनी सक्रियता नहीं छोड़ी। युवाओं के बीच अधिक लोकप्रिय हैं। ऐसे में संभावना यह भी बनती है कि रेणू के इंकार करने पर ऋचा जोगी को प्रदेश अध्यक्ष बनें। वहीं रेणू जोगी कभी नहीं चाहंेगी कि पार्टी की कमान ऋचा के हाथ में आये। क्यों कि ऋचा जोगी सबसे अधिक तेज तर्रार नेत्री हैं,पार्टी के लोगों का कहना है कि श्रीमती रेणू जोगी और ऋचा में बनती नहीं। ऋचा तभी प्रदेश अध्यक्ष बन सकती हैं जब अमित जोगी कहेंगे। अजीत जोगी पार्टी की कमान लोरमी के विधायक धरमजीत सिंह को भी सौप सकते हैं। धरम जीत सिंह चार बार के विधायक और विधान सभा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। अनुभवी होने के साथ ही अजीत जोगी के विश्वासपात्र भी हैं। पूर्व विधायक आर. के. राय पर जोगी को कम भरोसा है। सभी को पता है कि वे जोगी के साथ रहते तो हैं,लेकिन कांग्रेस में वापस आने के लिए कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं से संपर्क में है। भूपेश बघेल की पसंद आर. के राय नहीं हैं,इसलिए उनकी कांग्रेस में वापसी अब तक नहीं हुई है।
देवव्रत से परहेज क्यों
खैरागढ़ विधायक देवव्रत सिंह जो कि कांग्रेस से सांसद भी रहे हैं। भूपेश बघेल से इनकी कभी नहीं पटी। कांग्रेस में रहकर इन्होंने भूपेश बघेल की कई बार कांग्रेस हाई कमान से लिखित में शिकायत भी की। इनकी लोकप्रियता खैरागढ़ से राजनांदगांव तक है। युवाओं के बीच सबसे अधिक सक्रिय और रईस नेता हैं। युवा हैं, धारा प्रवाह किसी भी मुद्दे पर बोलने में सक्षम हैं। विपक्ष की भूमिका बड़ी इमानदारी से निबाहते हैं। वहीं पार्टी के लोगों का कहना है कि जोगी कभी नहीं चाहेंगे कि उनकी पार्टी का अध्यक्ष कोई ऐसा व्यक्ति बने जो पार्टी पर अपना दबदबा रखे। जोगी जानते हैं कि देवव्रत बहुत तेज और किसी की नहीं सुनने वाले नेताओं में से हैं। वे एक बार फैसला ले लिये तो आसानी से बदलते नहीं हैं। देवव्रत ंिसंह की वजह सेे जोगी घराने का पार्टी में कोई अस्तित्व ही नहीं रह जायेगा। इससे इंकार भी नहीं है कि देवव्रत सिंह के अध्यक्ष बनने से कांग्रेस और भाजपा दोनों को नुकसान है। भाजपा नहीं करेगी मदद
सबसे बड़ा सवाल यह है कि अपने बनाये राजनीतिक चक्रव्यूह में फंसे जोगी को क्या भाजपा मदद करेगी?इसकी संभावना कम ही दिखती है। उसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि संघ नहीं चाहेगा कि जोगी राजनीति में मजबूती से खड़े रहे हैं। यह अलग बात है कि डाॅ रमन सिंह जोगी को तीसरी सियासी ताकत अपने राजनीतिक फायदे के लिए बताते रहे। लेकिन उसका फायदा विधान सभा चुनाव में नहीं मिला। जिससे डाॅ रमन सिंह की राजनीतिक नजरिये से संघ के समक्ष बड़ी भद्द हुई है। अब डाॅ रमन सिंह सत्ता से बाहर हैं। लेकिन नान घोटाला और अंतागढ़ उप चुनाव कांड में उनके नाम आने से उनकी साख कलंकित हुई है। उनका दामाद डाॅ पुनीत गुप्ता भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरा है। डाॅ रमन सिंह की सत्ता जाने के बाद से कोर्ट के चक्कर में डाॅ पुनीत गुप्ता का समय जाया जा रहा है। भाजपा बंटी हुई है। डाॅ रमन सिंह के साथ संघ भी नहीं है। जाहिर है कि जोगी भाजपा की ‘बी’ टीम होकर भी अकेले पड़ गये हैं।
जोगी के खिलाफ संघ
सामने नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव है। डाॅ रमन सिंह चाहते हैं कि चुनाव में जोगी की मौजूदगी रहे। इसलिए अमित जोगी को जेल हुई तो उन्होने भूपेश सरकार को घेरते हुए कहा,सरकार हिम्मत से क्यों नहीं कहती है कि हां हमने अमित जोगी को गिरफ्तार किया है। सरकार को बोलने में परेशानी क्यों हो रही है’’। संघ नहीं चाहता कि जोगी राजनीतिक रूप से मजबूत हों और सक्रिय रहे हैं। इसकी वजह यह है कि संघ हिन्दू राजनीति का समर्थक है। संघ के ज्यादातर लोग अजीत जोगी को ईसाई मानते हैं। जोगी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान छत्तीसगढ़ में ईसाई मिशनरी को ज्यादा बढ़ावा मिला है। दिलीप सिंह जूदेव सारी जिन्दगी आदिवासियों का पैर धोकर उन्हें ईसाई से हिन्दू धारा में लाते रहे। आज जोगी अपनी जाति की लड़ाई लड़ रहे हैं। छत्तीसगढ़ में उनकी जाति को लेकर कांग्रेस के नेता ही एक मत नहीं है। जोगी के साथ लंबे समय तक साथ रहे नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री शिव डहरिया कहते हैं,जोगी न आदिवासी हैं और न ही सतनामी हैं’’।
मुझ पर आरोप गलत हैः भूपेश
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा,मुझ पर लगाये गये आरोप बिलकुल गलत हैं। जोगी पर आरोप भाजपा ने लगाये उनकी जाति की जांच भाजपा ने की। भाजपा की ही समीरा पैकरा ने शिकायत की थी। यह पूरा किया कराया तो भाजपा का है। जोगी ने आदिवासी का अपना जाति प्रमाण पत्र दिखाया। कांग्रेस ने उन्हें विधायक,मंत्री,मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन उनका जाति प्रमाण पत्र ही गलत हो जाये तो उसमें क्या किया जा सकता है।
बहरहाल जोगी की सियासत के सितारे गर्दिश में हैं। सभावना है कि आने वाले दिनों में प्रदेश की राजनीति में कई बदलाव हो सकते हैं।