Wednesday, April 3, 2024

अबकि बार मोदी को 272 के भी लाले



 इंडिया गठबंधन लोकतंत्र बचाओ की बात कर रहा है। बीजेपी चार सौ के पार का नारा लगा रही है। जबकि 106 सीट पर वह कमजोर है। 36 फीसदी वोट पाने वाली बीजेपी 62 फीसदी वोट वाली पार्टी को शिकस्त देने हर ढीले सियासी पेंच को कस रही है। वहीं विपक्ष के सर्वे में बीजेपी को 186 सीट मिल रही है। यानी यह चुनाव मुद्दों पर हुआ तो मोदी के लिए सहज नहीं होगा।
 





रमेश कुमार ‘रिपु’
 भाजपा का दांव सबसे ऊंचा है। उसे तीसरी बार सत्ता की कमान चाहिए। इसलिए उसने एक नया नारा गढ़ कर अपने समर्थकों का मनोबल ऊंचा किया है। अबकि बार चार सौ के पार। जबकि बीजेपी के आंतरिक सर्वे में वह 106 सीटों पर कमजोर है। और सौ ऐसी सीटें है,जहां जीतना उसके लिए टेढ़ी खीर है। मोदी कहते हैं बीजेपी 370 के पार रहेगी। अमितशाह ने कहा सवा तीन सौ सीट बीजेपी को मिलेगी। जीत का विश्वास लेकर मोदी चुनावी समर में उतर रहे हैं। सीट अधिक से अधिक पाने बीजेपी हर सियासी पेंच को कस रही है। इसी लिए बीजेपी ऐसी पार्टियों से हाथ मिला रही है,जिसे पार्टी के लोग पसंद नहीं कर रहे हैं। राज ठाकरे के समर्थकों ने यूपी और बिहार के लोगों के साथ मुंबई में जो जुल्म ढाए थे,उसे कोई भूला नहीं है। ऐसी पार्टी के साथ गठबंधन करने पर क्या यूपी,बिहार वाले वोट करेंगे? महाराष्ट्र में बीजेपी एकनाथ शिंदे के भरोसे 48 सीट में अबकि बार, 41 सीट पाने से रही। इसलिए अब बीजेपी के साथ उद्धव ठाकरे नहीं हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना ने 18 सीट और एनसीपी ने 4 सीट 2019 में जीती थी। अबकि बार बीजेपी की सीट आधी होने के आसार हैं। पश्चिम बंगाल की 42 सीट में उसे 2019 में 18 सीट मिली थी। सीएए के जरिए उसकी सीट बढ़ेगी,ऐसा उसे भरोसा है। जबकि माना जा रहा है इस बार बीजेपी 10 सीट से ज्यादा नहीं पा रही है। पंजाब में कांग्रेस 13 सीट में आठ सीट जीती थी,आम आदमी पार्टी एक सीट। अकाली दल 2 और बीजेपी 2 सीट जीती थी। बीजेपी और अकाली दल फिर एक साथ हो गए है। संभावना है एक दो सीट मिल सकती है। दिल्ली की सातों सीट बीजेपी के खाते में गयी थी। इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में समझौता हो गया है। तीन सीट पर कांग्रेस और चार सीट पर आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ेगी । केजरीवाल को मोदी जेल भेजकर अच्छा नहीं किये हैं। केजरीवाल आंदोलन से निकला व्यक्ति है। दिल्ली में बीजेपी दो सीट पा जाए यही बहुत है।

जदयू को वजूद बचाने के लाले..
बिहार की 40 सीट में बीजेपी को नीतीश के साथ 39 सीट मिली थी। लेकिन पश्चिमी और पूर्वी बिहार में एनडीए की स्थिति पहले जैसी नहीं है। नीतीश से पूरा बिहार नाराज है। इस बार बिहार में जदयू को अपना वजूद बचाने के लाले पड़ने के आसार हैं। कोयरी,कुर्मी,अन्य पिछड़ा वर्ग, और मुस्लिम वोटर नीतीश से नाराज है। पूर्णिया में 39.47 फीसदी मुस्लिम और हिन्दू 60.94 फीसदी हैं। अररिया में मुस्लिम 42.95 और हिन्दू 56.68 फीसदी हैं। किशनगंज में मुस्लिम 67.98 और हिन्दू 31.43 फीसदी हैं।कटियार में44.47 फीसदी मुस्लिम और 54.85 फीसदी हिन्दू हैं। बिहार में मजहबी आंकआंकड़ा हिन्दू 82.69,मुस्लिम 16.87,ईसाई 0.12 और सिक्ख 0.02 फीसदी हैं। महागठबंधन के साथ यादव 83 फीसदी और एनडीए के साथ 13 फीसदी हैं। कुर्मी महागठबंधन के साथ 62 फीसदी और एनडीए के साथ 31 फीसदी। कोयरी 27 फीसदी एनडीए के साथ और महागठबंधन के साथ 41 फीसदी। मुस्लिम महागठबंधन के साथ 78 फीसदी और एनडीए के साथ 04 फीसदी। जाहिर सी बात है कि नीतीश के पाला बदलने से एनडीए को कोई खास बढ़त मिलती नहीं दिख रही है। समीकरण में सेंधमारी के लिए बीजेपी सीमांचल में तैयारी कर रही है। लेकिन उसे सफलता मिलते नहीं दिख रहा है। कहा जा रहा है,कि पलटू पाॅलिक्क्सि इस बार बीजेपी और जदयू दोनों को ले डूबेगा।

बीजेपी के साथ खेला होगा..
कर्नाटक की 28 सीट में 25 सीट पर बीजेपी जीती थी। एक-एक सीट कांग्रेस,जेडीएस और निर्दलीय को 2019 में मिली थी। लेकिन अब वहां कांग्रेस की सरकार है। यहां बीजेपी विधान सभा बहुत बुरी तरह हार चुकी है। जाहिर सी बात है,कि कर्नाटक उसके लिए कंटक साबित होगा। शिवकुमार चाणक्य की भूमिका में हैं। मोदी को अबकि 5-6 सीट के भी लाले हैं। दस राज्यों की कुल सीट 254 होती है। 2019 जैसी स्थिति अब बीजेपी के साथ नहीं है। यानी इन राज्यों में ही खेला हो गया तो कैसे चार सौ के पार एनडीए जाएगा। आन्ध्र प्रदेश की 25 सीट में वायएसआर 23 सीट और टीडीपी को 03 सीट मिली थी। कांग्रेस और बीजेपी को एक भी सीट नहीं। जगन रेड्डी की हर बात मोदी मानते हुए उनसे हाथ मिला। ताकि आन्ध्र में बीजेपी खाता खोल सके। ओड़िशा के नवीन पटनायक से भी हाथ मिला लिया है। ओड़िसा की 21 सीट में 12 सीट बीजेडी,8 बीजेपी और एक सीट कांग्रेस को 2019 में मिली थी। तेलंगाना के के. सी. आर. से भी समझौता कर लिया। यहां 17 सीट है। जिसमें चार सीट बीजेपी को 2019 में मिली थी। नौ सीट टीआरएस को। तीन सीट कांग्रेस को। एक सीट ओवैसी की पार्टी को। झारखंड में बीजेपी 14 में 12 सीट पाई थी। 2024 में सभी सीट जीतती यदि वो हेमंत सोरेन केा जेल न भेजती। उन्हें जेल भेजकर वो अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली। यहां उसे छह सीट से ज्यादा मिलने की संभावना नहीं है। यूपी में मुख्तार अंसारी की मौत के बाद बनारस में मोदी को इस बार रिकार्ड वोट नहीं मिलेगा। उनका वोट प्रतिशत गिरेगा। जिस तरह यू.पी. में योगी कर रहे हैं,उससे बीजेपी की सीट बढ़ने की बजाए घटेगी। अबकि बार 50-55 सीट ही बीजेपी को मिलेगी।

जीती सीट बीजेपी को बचाना होगा..
बीजेपी 2014 में 427 सीट पर चुनाव लड़ी थी,तब 282 सीट जीती थी। 2019 के चुनाव में 436 सीट पर चुनाव लड़ी और 303 सीट जीती। तब उसके साथ कई पार्टियां साथ थी। इस बार बीजेपी को 475 या फिर 500 सीटों पर चुनाव लड़ना होगा,तभी चार सौ पार की बात की जा सकती है। वैसी बीजेपी को अपनी जीती हुई सीट को बचाना बहुत टेढ़ी खीर है।यूपी,मध्यप्रदेश,गुजरात,और राजस्थान में अब पहले जैसी बात नहीं है। तीन सौ पार हो जाए यही बहुत बड़ी बात है। राम लला के उद्घाटन पर मोदी को हीरो हीरोइन लाना पड़ता है। मोदी सरकार ने वादे खूब किये,मगर जमीनी धरातल पर काम कम हुए हैं। बीजेपी वाले कहते हैं,मोदी को तीसरी बार पी.एम.बनाओ ताकि भारत विश्व गुरु बने सके। भारत पहले भी विश्व गुरु रहा है। देश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। देश पर 272 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। वहीं बीजेपी के अंदर दूसरे दल से आए लोगों को टिकट मिलने सेे अंतरद्वंद बढ़ गया है।
जुमले की बारिश कब तक
मध्यप्रदेश की 29 सीट में सिर्फ एक सीट कांग्रेस जीती थी। छत्तीसगढ़ की 11 सीट में दो सीट कांग्रेस को मिली थी। राजस्थान की 25 सीटों में 24 बीजेपी और एक सीट सहयोगी पार्टी लोकतांत्रिक पार्टी जीती। इन राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी चुनावी लड़ाई है। इस बार इन राज्यों में बीजेपी सीट घट सकती है। लेकिन चुनाव से पहले बीजेपी ऐसा महौल बनाने में लगी है,कि विपक्ष चुनाव से पहले ही मैदान छोड़ दे। वैसे बीजेपी पूरे पांच साल चुनाव ही लड़ती है। जबकि विपक्ष आखिरी साल के छह माह चुनाव की तैयारी करती है। सवाल यह है कि दस साल के बीजेपी के सामने एंटीइन्कमबैसी भी है। पुलवामा कांड, बाला कोट, अच्छे दिन दूर क्यों है।,इलेक्टोरल बांड कांड,सरकारी एजेंसी का दुरूप्रयोग,अपने दस साल के काम काज पर श्वेत पत्र संसद में प्रस्तुत करना चाहिए,वो पुरानी सरकार के खिलाफ श्वेत पत्र पेश करते हैं। 2014 से पहले देश का क्या हाल था,यह बताना देश को हैरान करता है। सवाल यह है कि देश को भरमाने से क्या वोट मिल सकता है? गंगा साफ हो गयी। महंगाई कम हो गयी। दो करोड़ हर साल रोजगार मिलने लगा। काला धन आ गया। करेप्ट नेताओं का पैसा गरीबों में बांट देंगे। सब के जेब में 15 लाख रुपए आ गये। पश्चिम बंगाल के मनरेगा के 21 लाख मजदूरों का मजदूरी तीन साल से रोक रखा है। क्या वो मिल गया। सहारा का पैसा गरीबों को मिलने लगा? अमितशाह के पांच हजार करोड़ बांटने की बात जुमला साबित हुई। महिला आरक्षण बिल लाए क्यों? सवाल यह है कि जुमलों की बारिश आखिर कब तक?

हिन्दुस्तान बचाने वाला चुनाव..
दिल्ली के रामलीला मैदान में 25 से ज्यादा दलों ने चुनाव से पहले बड़ी रैली की। रैली में गठबंधन के 21 नेताओं ने जनसभा को संबोधित किया। राहुल गांधी ने कहा,नरेंद्र मोदी जी इस चुनाव से पहले मैच फिक्सिंग की कोशिश कर रहे है। उन्होंने हमारी टीम से दो खिलाड़ियों को अरेस्ट करके अंदर कर दिया। नरेंद्र मोदी इस चुनाव से पहले मैच फिक्सिंग की कोशिश कर रहे है। उनका 400 का नारा बिना मैच फिक्सिंग के बिना सोशल मीडिया और मीडिया पर दबाव डाले 180 से ज्यादा नहीं हो पा रहा है। कांग्रेस देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। लेकिन हमारे अकाउंट्स फ्रीज करा लिए गए हैं। हमें पोस्टर छपवाने हैं,कार्यकर्ताओं को राज्यों में भेजना है,लेकिन हमारे अकाउंट्स फ्रीज हैं। ये पूरी की पूरी मैच फिक्सिंग की कोशिश की जा रही है। मेरी बात गौर से सुन लीजिए। अगर भाजपा जीती और उन्होंने संविधान को बदला तो इस पूरे देश में आग लग जाएगी। ये देश नहीं बचेगा। ये चुनाव वोट वाला चुनाव नहीं है। ये चुनाव हिंदुस्तान को बचाने वाला चुनाव है।
बहरहाल 25 से अधिक दलों की महारैली से एक बात साफ है, कि हाथ से हाथ मिल गए तो सरकार बदल जाएगी। इन नेताओं का करिश्मा मोदी की गारंटी के पांव उखाड़ सकते हैं। जनता का वोट सबसे बड़ी आदालत है। हमेशा अपनी गलती से ही सत्ता पक्ष मुंह की खाता है।