Wednesday, July 15, 2020

गोबर के बहाने हिन्दुओं पर दांव

 
सियासी फायदे के लिए भूपेश सरकार डेढ़ रूपये किलो गोबर खरीद रही है। ताकि वह हिन्दू वोटरों को रिझा सके। गाय पर राजनीति करने ‘रोका छेकी’ अभियान शुरू की। लेकिन हैवी ट्रैफिक वाली सड़कों पर पूरे प्रदेश में मवेशियों का राज है। विपक्ष का मानना है कि लालू प्रसाद यादव के चारा घोटाला की तरह, गोबर खरीदी में भी घोटाला करने की तैयारी कर रही है कांग्रेस।

0 रमेश तिवारी ‘‘रिपु’’
                राजनीति से अर्थशास्त्र को संचालित करने के मकसद से भूपेश सरकार ने नरवा, गरवा,घुरवा और बारी के बाद अब डेढ़ रूपये किलो गोबर खरीद रही है। ताकि हिन्दू वोटरों को रिझा सके। मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह ने चुटकी लेते हुए कहा,’’राज्य में ठीक से धान तो खरीद नहीं सके, अब गोबर खरीदने जा रहे हैं’’। सियासी फायदे के लिए गांव की राजनीति पर जोर दे रही कांग्रेस ने प्रदेश में 2800 गोठान बनाने का फैसला किया है। जिसमें 2240 गोठान बन गये हैं,ऐसा सरकार का दावा है। जबकि प्रदेश के कई गोठान सिर्फ फोटो सेशन के लिए बनाए गये हैं। प्रदेश में कुल पांच हजार गांवों में गौठानों को तैयार किया जा रहा है, ताकि लगभग साढ़े चार लाख लोगों को रोजगार मिल सके। सी.एम भूपेश बघेल ने पशु पालकों को अपने पशुओं को बांध कर रखने को कहा, ताकि उन्हें गोबर मिल सके और उन्हें बेचकर आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकें। गोबर खरीदी से लेकर उसके वित्तीय प्रबंधन एवं वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन से लेकर उसके विक्रय तक की प्रक्रिया पर काम किया जा रहा है। गौठानों को आजीविका केन्द्र के रूप में विकसित कर रहे हैं’’।
गांव की ओर सरकार
सियासी फायदे के लिए भूपेश सरकार ने गांव की ओर रूख किया है। अपनी सूट बूट वाली छवि बदली है। गांव पर दांव लगाने एक लाख करोड़ से अधिक का बजट पास किया गया है। बजट में किसानों का हित सर्वोपरि बताते हुए 17 लाख 34 हजार किसानों का ऋण माफ किया गया है। राजीव गांधी न्याय योजना के तहत किसानों को धान के समर्थन मूल्य की पहली किश्त की राशि दी गई है,  जो कि1492 करोड़ रूपये है। दूसरी किश्त 20 अगस्त को किसानों के खाते में पहुंच जाएगी। इस योजना के तहत 5100 करोड़ रूपये का प्रावधान बजट में किया गया है। वहीं किसान सड़कों पर न उतरें इसलिए सरकार ने खाद,बीज और उपकरण खरीदने के लिए बिना ब्याज के कर्ज देने के लिए 4600 करोड़ रूपये का प्रावधान किया। इस साल नाबार्ड ने भी छत्तीसगढ़ के लिए 1150 करोड़ की अतिरिक्त कर्ज सीमा मंजूर की है। राज्य में अब तक खरीफ के लिए 7.65 लाख किसानों ने 2721 करोड़ का कर्ज लिया है। खरीफ फसलों के लिए सहकारिता के माध्यम से कुल 6.35 मीट्रिक टन रासायनिक खाद के भंडारण का लक्ष्य रखा गया है। 26 जून तक सहकारी समितियों में 5.77 लाख मीट्रिक् टन खाद का भंडारण किया जा चुका है। जो कि कुल लक्ष्य का 90.81 प्रतिशत है। इसी तरह लक्ष्य का 71 फीसदी खाद का वितरण किया जा चुका है।
आदिवासियों की बात मानी
तेंन्दू पत्ता बोनस की राशि ढाई हजार से बढ़ाकर चार हजार रूपये की गई है। लेकिन राशि नहीं मिलने पर बीजापुर जिले में तेंदूपत्ता के नकद भुगतान को लेकर हजारों आदिवासियों ने 29 जून को कलेक्ट्रेट पहुंच कर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने की घोषणा की, तो जिला प्रशासन सकते में आ गया। जिला प्रशासन ने उच्च स्तरीय अधिकारियों को सूचना दी। बात सी.एम तक पहुंची। ग्रामीणों ने चेक से भुगतान लेने से मना कर दिया। दूसरे दिन सी.एम भूपेश बघेल ने नक्सल प्रभावित सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर वनमंडल के तेंदूपत्ता संग्राहकों को पारिश्रमिक की राशि का नगद भुगतान करने की स्वीकृति दी है। जाहिर सी बात है कि मुख्यमंत्री आदिवासियों को नाराज नहीं करना चाहते। इसलिए कि आदिवासियों की वजह से बस्तर की सभी 12 सीटें कांग्रेस के पास है।
कांग्रेस हिन्दूत्व की ओर
छत्तीसगढ़ सरकार ने गोधन न्याय योजना लांॅच की, तो प्रदेश में गोबर पॉलिटिक्स शुरू हो गई है। पूर्व पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर ने ट्वीट कर योजना पर सवाल उठाते हुए गोबर को राजकीय प्रतीक चिन्ह बनाने का सुझाव दे दिया। कांग्रेस ने पलटवार करते हुए, चंद्रकार सहित अन्य बीजेपी नेताओं को दिमाग में भरे गोबर को, इस योजना के तहत बेचकर आर्थिक लाभ कमाने को कह। चन्द्राकर के खिलाफ धारा 124क एवं 188 के तहत कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं ने मामला दर्ज कराया। राजकीय चिन्ह की तुलना गोबर से किए जाने पर उनका निवार्चन रद्द करने की शिकायत छत्तीसगढ़ निर्वाचन आयोग से की। 
कृषि को प्रोत्साहन
केन्द्र सरकार ने किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने की बात कही है। वहीं प्रदेश सरकार कृषि आधिरित बजट पेश कर ग्रामीण छत्तीसगढ़ में हलचल पैदा करना चाहती है। लेकिन कोराना की वजह से बजट में 30 फीसदी की कटौती की गई है। जाहिर सी बात है कि कुछ योजनाएं अधर में रहेगी। वैसे सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 366 करोड़, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में 370 करोड़, एकीकृत बागवानी मिशन में 205 करोड़, जैविक खेती मिशन के लिए 20 करोड़, वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम में 200 करोड़ एवं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में 110 करोड़ का प्रावधान किया है। कृषक जीवन ज्योति योजना के तहत 5 एच.पी. तक के कृषि पंपों को निःशुल्क विद्युत प्रदाय के लिये 2 हजार 300 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। बेमेतरा,जशपुर, धमतरी, अर्जुन्दा, जिला बालोद में उद्यानिकी महाविद्यालय तथा लोरमी में कृषि महाविद्यालय की स्थापना के लिए नवीन मद में 5 करोड़ का प्रावधान है। वहीं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में खाद्य प्रौद्योगिकी की स्थापना की जायेगी। कृषि मंत्री रविन्द्र चैबे कहते हैं,‘‘ कृषि क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं उत्पादन क्षेत्र से कहीं ज्यादा है। इसलिए बजट में रोजगार की समस्या को हल करने कृषि खर्च को बढ़ाया गया है’’।    
सबसे बढ़िया,कृषि पर दांव
बहरहाल रोजगार सृजन के तहत मनरेगा के जरिए रोजगार बढ़ायें। फाइलों में 14 लाख लोगों को रोजगार देने की बात की जा रही है। ये आंकड़े केवल किताबी नहीं होना चाहिए। कृषि में रोजगार सृजन की क्षमता उत्पादन क्षेत्र से ज्यादा है। यदि कोई सरकार रोजगार की समस्या को हल करने की दिशा में आगे बढ़ती है, तो कृषि पर दांव लगाना सबसे बढ़िया उपाय है।
फोटो - 1 गोठान में गायें
2 गोबर पर नजर
3 बीजापुर जिले में तेंदूपत्ता के भुगतान को लेकर हजारों आदिवासियों ने प्रदर्शन किया

 
 ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी- मरकाम
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष मोहन मरकाम कहते हैं नरवा,घुरवा और बाड़ी योजना से हमारी सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना चाहती है। गोबर खरीदने की योजना से कृषि जगत में नायाब तब्दीली आएगी। रासायनिक खाद से प्रदूषण प्रदूषित होता ही है, साथ ही सेहत पर बुरा असर पड़ता है। उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश -
0 गोबर खरीदी की योजना से क्या यह मान लिया जाए कि कांग्रेस अब हिन्दू होने लगी है?
00 बात हिन्दू और मुस्लिम की नहीं है। छत्तीसगढ़ कृषि बाहुल राज्य है। भूपेश बघेल की सरकार चाहती है कि लोग रासायनिक खाद की जगह आर्गेनिक खाद का इस्तेमाल करें। ताकि पर्यावरण में सुधार हो और लोगों कीे सेहत अच्छी बने। पशुपालक से खरीदे गए गोबर से सरकार वर्मी कम्पोस्ट बनाने का काम करेगी। इसके लिए सरकार ने गोधन न्याय योजना बनाई है। पहले चरण में 2240 गोठानों को जोड़ा जाएगा। गोबर की खाद बनाने में स्वसहायता समूहों की मदद ली जाएगी। फिर सहकारी समितियों के माध्यम से इसका विक्रय किया जाएगा।
0 गोबर खरीदी पर विपक्ष की नाराजगी की वजह आप क्या मानते हंै।
00 विपक्ष हमेशा से हर चीज में धर्म की राजनीति करते आया है। गाय,गोबर और राम वन गमन का मुद्दा अब इनके हाथ से निकल गया है। सरकार में आने के बाद हमारी पार्टी चाहती है कि, ग्रामीण किसान गोबर खाद को अहमियत दंे। लेकिन विपक्ष गोबर की राजनीति करने पर आमादा है। इसे राज्यकीय चिन्ह घोषित करने की वकालत करते हैं। गोबर पर धार्मिक भावनाएं भड़काने और समुदाय को बांटने की राजनीति कर रहे हैं।
0 क्या यह मान लिया जाए कि कांग्रेस गोठान,गोबर,और किसान के जरिये गांव की ओर अपना रूख कर ली है।
00 छत्तीसगढ़ का गौरवशाली इतिहास रहा है। गांव में हमारी संस्कृति बसती है। यहां की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और मजबूत हो, इसलिए भूपेश बघेल की सरकार ने नरवा,गरवा,घुरवा और बाड़ी को प्राथमिकता दे रही है। ताकि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिल सके।
0 गाय,गोबर,किसान के जरिये, क्या कांग्रेस अभी से 2023 में होने वाले विधान सभा चुनाव की तैयारी कर रही है।
00 चुनाव आते जाते रहते हैं। हमें सरकार में रह कर काम करने का मौका मिला है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार बेहतर काम करना चाहती है। एक पहचान बनाना चाहती है। हम चाहते हैं,यहां का किसान समृद्ध हो। यहां के गांव जैविक खाद को अपना कर,पर्यावरण की रक्षा में मिसाल बनें। सरकार की योजनाओं से ग्रामीण छत्तीसगढ़ में हलचल है। प्रदेश सरकार किसानों की सरकार है। इसका प्रमाण है 19 लाख से अधिक किसानों के कर्जे माफ करना। राजीव गांधी न्याय योजना के तहत प्रदेश के सभी किसानों को समर्थन मूल्य के बोनस की पहली किस्त दी गई है। धीरे धीरे सभी किस्तें मिल जाएगी। तेन्दूंपत्ता की बोनस राशि ढाई हजार से बढ़कार चार हजार किया गया है।
0 जोगी की पार्टी को 12 फीसदी वोट मिले थे। वर्तमाान में जिस तरह कांग्रेस राजनीति के रास्ते पर चल रही है, उससे वह कितने फिसदी वोट जोगी की पार्टी को अपने पक्ष में कर सकती है?        00 चुनाव आते जाते रहते हैं। जोगी जी हमारी पार्टी से प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री थे। उनके जैसा नेता अब उनकी पार्टी में कोई नहीं है। अब उनकी पार्टी  में खलबली है। उनके पदाधिकारी और कार्यकत्र्ता कांग्रेस में आ रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि, अगले चुनाव में जोगी की पार्टी चुनाव लड़ने की स्थिति में रहेगी।
0 बीजेपी के नए अध्यक्ष विष्णुदेव साय हैं। क्या आपको लगता है 15 सीट से बढ़कर बीेजेपी 40 सीट से ऊपर पा जाएगी।
00 मुझे नहीं लगता कि विष्णु देव साय के नेतृत्व में बीजेपी कोई करिश्मा कर पाएगी। बीजेपी को आदिवासी वोटर नकार दिया है। 2013 के चुनाव में हमारे पास आदिवासी की 18 सीटें थी। अब 29 सीट में 28 सीट है। आदिवासी वोटर बीजेपी की ओर झुकेगा,ऐसा नहीं लगता।









  हिन्दुओं को धोखा दे रही कांग्रेस- साय
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय कहते हैं, कांग्रेस सरकार का सारा काम थ्योरी पर है,प्रेक्टिकल में कुछ भी नहीं। गोबर खरीदी योजना के नाम कांग्रेस हिन्दुओं को धोखा दे रही है। हिन्दुओं को भरमाने का प्रयास कर रही है। इनके नेता तो कोट के ऊपर से जनऊ पहनते हैं। प्रदेश में काम काज नहीं, गुंडाराज है। उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश -
0 क्या ऐसा नहीं लगता कि डेढ़ रूपये किलो गोबर खरीदने वाली कांग्रेस अब हिन्दू होने लगी है?
00 कांग्रेस ने नरवा, गरवा,घुरवा और बाड़ी से अपनी राजनीति की शुरूआत की। कांग्रेस सरकार की योजनाएं थ्योरी में अच्छी लगती है लेकिन, प्रेक्टिकल में कहीं कुछ भी नहीं है। मवेशी मर रहे हैं। ऐसी कोई सड़क नहीं है, जहां गायें बैठी न मिले। इनका रोका छेका अभियान पूरे प्रदेश में फेल है। पंचायत के पास पैसा नहीं है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था छिन्न भिन्न हो गई है। हमें लगता है, ये लालू प्रसाद यादव के चारा घोटाला की तरह, गोबर घोटाला की तैयारी में हैं। अलग से बजट है नहीं। रोजगार गारंटी,  ,मनरेगा,और पंचायत के पैसा को लगा रहे हैं।
0 नरवा, गरवा,घुरवा और बारी के जरिए ग्रामीण अर्थव्यस्था को मजबूत कर रहे हैं,ऐसा सरकार कहती है। आप क्या मानते हैं।
00 कंडा भी बन जाएगा। गोबर गैस लग जायेगा। बकरी के लिए बंबूल भी लग जाएगा। लेकिन, जब तक बंबूल तैयार होगा, तब तक पता नहीं, इनकी सरकार रहेगी भी कि नहीं। नरवा,गरवा,घुरवा और बारी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुधरेगी या फिर कांग्रेस की अर्थव्यवस्था सुधरेगी? डेढ़ साल में प्रेक्टिकल की बजाए, थ्योरी वाली योजना ज्यादा लाई है कांग्रेस।
0 कांग्रेस की इस प्रक्रिया पर विपक्ष ऐसा क्यों कह रहा है कि सरकार के दिमाग में गोबर भरा है।
00 यह एक सामान्य सी बात है। लेकिन सरकार में बैठे लोगों को लगता है, विपक्ष सही कह दिया है। उन्हें बुरा लग गया। हमारी पार्टी के पूर्व मंत्री अजय चन्द्राकर के खिलाफ कांग्रेस के लोगों ने एफआईआर दर्ज करा दिया है। जबकि प्रधान मंत्री के खिलाफ युवा कांग्रेस मोर्चा के पदाधिकारी,इनका आईटी सेल चैबीस घंटे सोशल मीडिया में अनर्गल बातें कहते रहता है। हमारी पार्टी ने तो एफआईआर दर्ज नहीं कराया। पी.एम सिर्फ बीजेपी के नहीं,पूरे देश के हैं। कांग्रेसियों को यह सोचना चाहिए।
0 प्रदेश सरकार गोठान यानी कि गाय,गोबर,और किसान के जरिये ऐसा नहीं लगता कि अब वह गांव की राजनीति करने को अमादा है।
00 इन्हें गाय की चिंता नहंी है। इनकी सरकार बनते ही मवेशी बाजार खुल गये। यहां की गायें झारखंड के रास्ते से बंगाल के बूचड़ खाने भेजी जा रही हैं। प्रदेश में रमन सरकार थी, तो गायों की तस्करी पर रोक थी। बूढ़ी गायों को रास्ते में ही ट्रक से उतार देतें हैं, उन्हें मरने के लिए। गांव की राजनीति करते, तो अच्छा रहता है। पूरे प्रदेश में गंुडाराज है। बिहार के रेत माफियाओं को बोलबाला है। रायगढ़ जिले के सारंगढ़ टिमरलगा क्षेत्र में अवैध खनन की सूचना पर प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी मयंक चतुर्वेदी अपनी टीम के साथ पहुंचे थे। जहां खनन माफिया ने उनकी कार को जेसीबी से कुचल कर कथित तौर पर हत्या करने की कोशिश की। धमतरी और बलौदाबाजर में हमारे कार्यकत्र्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।  
00 गाय,गोबर,किसान के जरिये, क्या कांग्रेस अभी से 2023 में होने वाले विधान सभा चुनाव की तैयारी कर रही है?
00 कांग्रेस जानती है, वो अगला चुनाव नहीं जीत सकती। इसलिए धार्मिक भावनाओं के जरिये हिन्दुओं के साथ धोखा कर रही है। उन्हें भरमाने का प्रयास कर रही है। जबकि यह सभी जानते हैं कि इनके नेता अपने को हिन्दू साबित करने के लिए कोट के ऊपर जनऊ पहनते हैं। उन्हें यह भी नहीं पता कि जनऊ अंदर पहना जाता है।








Saturday, July 11, 2020

पड़ गए बीज टूट,फूट के

  
स्वास्थ्य एंव पंचायत मंत्री टी.एस.सिंहदेव ने एक चैनल में यह कहकर सनसनी फैला दी कि,यदि किसानों को अंतर की राशि अगली फसल से पहले नहीं मिली, तो इस्तीफा दे दूंगा। मुख्य मंत्री के रवैये से वे क्षुब्ध थे। उनके ट्वीट और बयान से माना जा रहा है कि कांग्रेस की दीवार में दरार पड़ गई है। 




0 रमेश कुमार ‘‘रिपु’’
                 एक ट्वीट ने बता दिया कि कांग्रेस की दीवार में दरार पड़ गई है। ट्वीट स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंह देव का था। उन्होंने ट्वीट किया कि सभी बेरोजगार, शिक्षा कर्मियों, विद्या मितान, प्रेरकों एवं अन्य युवाओं की पीड़ा से मैं बहुत दुखी और शर्मिंदा हूँ’’। दरअसल 29 जून को बेरोजगार युवक हरदेव सिन्हा बेरोजगारी से परेशान होकर मुख्यमंत्री निवास के सामने खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा लिया था। युवक मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी परेशानी रखना चाहता था। लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उसे भीतर नहीं जाने दिया। गौरतलब है कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में था कि कांग्रेस सरकार बनने पर बेरोजगारों को ढाई हजार रूपये महीना बेरोजगारी भत्ता देंगे। 
छत्तीसगढ़ सरकार में कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव अपनी ही सरकार से खुश नहीं है। यह कयास इस वजह से लगाया जा रहा है कि ट्वीटर पर प्रदेश के बेरोजगारों के प्रति चिंता व्यक्त की। इसके बाद 30 जून को एक टी.वी. चैनल में सभी नागरिकों के सामने लिखित और मौखिक रूप से कहा कि यदि अगली फसल से पहले 2500 रुपए सरकार के वादे के मुताबिक धान के बदले, मिलने वाला मूल्य प्रति क्विंटल, किसानों का नहीं मिला, तो मेरा इस्तीफा स्वीकार कर लेना। जाहिर सी बात है कि उनका इशारा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर था। उनके इस सियासी बयान सेे बखेड़ा खड़ा होना ही था। और यही हुआ एक जुलाई को। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने टी.एस सिंह देव को राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए अधिकृत प्रवक्ता के पद से हटा कर, कृषि मंत्री रविन्द्र चैबे और वन मंत्री मोहम्मद अकबर को नियुक्त कर दिया। सरकार की तरफ से कहा गया कि ऐसा पत्रकारों की मांग पर किया गया है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी शैलष त्रिवेदी ने इस मामले में कहा,‘‘ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरफ से दो मंत्रियों को सरकार का अधिकृत प्रवक्ता इसलिए नियुक्ति किया गया है,ताकि सरकार की तरफ से दी जाने वाली जानकारियों में विविधता ना रहे और जनता के बीच किसी भी विषय पर स्पष्ट जानकारी पहुंचे’’।
अब सियासी रिश्ता 36 का
टीएस सिंह देव के बयान से यह तो साफ हो गया कि कांग्रेस में आल इज वेल नहीं है। भूपेश और टीएस सिंह देव के बीच 36 का सियासी रिश्ता है,न कि 63 का। उनके बयान ने सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी है। वहीं विपक्ष इस पर चुटकी ले रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री डाॅक्टर रमन सिंह ने कहा है,‘‘ टी.एस. सिंहदेव के इस्तीफे की पेशकश कांग्रेस सरकार की चलाचली की बेला का अलार्म है। राज्य सरकार की दगाबाजी, वादाखिलाफी और सियासी नौटंकियों का एक न एक दिन यही हश्र होना था। भाजपा लगातार जिन मुद्दों पर सरकार की आलोचना कर रही है, सिंहदेव के इस्तीफे की पेशकश से उस पर मुहर लग रही है। सरकार में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले मंत्री टी. एस. सिंहदेव की यह पेशकश सरकार के राजनीतिक चरित्र के ताबूत की पहली और आखिरी कील साबित होगी। सरकार ने न किसानों के साथ न्याय किया, न शराबबंदी का वादा निभाया और न ही प्रदेश के शिक्षित बेरोजगारों के लिए रोजगार के कोई अवसर बाकी रखे। बेरोजगार युवकों को प्रदेश की भूपेश सरकार ने इस कदर हताशा के गर्त में धकेल दिया है कि वे अब आत्मदाह तक करने जैसा कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं। यह सरकार के लिए चुल्लूभर पानी में शर्म से डूब जाने वाली स्थिति है’’।
एक साल भर्ती रूकी हुई है
प्रदेश में करीब सवा साल से शिक्षक भर्ती प्रक्रिया अटकी हुई है। इसको लेकर अभ्यर्थी काफी नाराज हैं और लगातार प्रदर्शन भी करते रहे हैं। शिक्षक भर्ती का विज्ञापन पिछले साल 9 मार्च 2019 को जारी हुआ था। इसके अंतर्गत व्याख्याता, शिक्षक सहायक, शिक्षक विज्ञान सहायक, शिक्षक विज्ञान प्रयोगशाला के कुल 14580 पदों पर भर्ती होनी है। सवा साल में सिर्फ परीक्षा के परिणाम ही घोषित हुए हैं। करीब 4 माह पहले सत्यापन कार्य शुरू हुआ, लेकिन वह भी काफी धीमी गति से चल रहा है। 14 माह बाद भी ना तो व्याख्याता और ना ही किसी भी शिक्षक और सहायक शिक्षक संवर्ग की प्रथम पात्र,अपात्र की सूची जारी हुई है। कंाग्रेस के घोषणा पत्र में शराब बंदी,बेरोजगारों को भत्ता,एक लाख सरकारी पदों पर भर्ती, मुफ्त इलाज की सुविधाएं, आंगनबाड़ी केंद्रों में शिक्षा का बंदोबस्त,स्वामीनाथन कमेटी की कई सिफारिशों को लागू करने की बात कही गई है। 
सियासत शुरू
टी.एस.सिंहदेव के बयान और ट्वीट पर बीजेपी अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि टी.एस.सिंहदेव का शर्मिदा होना उचित है। उनमें अभी नैतिकता है, इसलिए सरकार में जो देखा, वह उन्होंने कहा। सरकार तो नाकाम है। घोंषणा पत्र में किये गये वायदे पूरे करने में मुकर रही है’’। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा,‘‘टीएस सिंहदेव ने किसानों के साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठाकर सरकार को सबक सिखाने का जो संकल्प व्यक्त किया है, भाजपा उसका स्वागत करती है। महिला स्व.सहायता समूहों के कर्ज माफ करने का वादा तक अब सरकार के एजेंडे में कहीं नजर नहीं आ रहा है। पूर्व कलेक्टर एंव भाजपा नेता ओपी चैधरी ने अपने ट्वीट में लिखा, धन्यवाद! आपने शर्मिंदा होने की संवेदनशीलता कम से कम दिखाई। भारतीय संविधान में कैबिनेट के सामूहिक उत्तरदायित्व का सिद्धांत है। कैबिनेट के किसी सदस्य का बयान, पूरे कैबिनेट और सरकार का बयान होता है।
बायें करने की राजनीति
भूपेश सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है, उसे मिला प्रचंड जनादेश। उनसे जनता की उम्मीदें बहुत है। जिन पर खरा उतरना भूपेश सरकार के लिए बेहद कठिन काम है। वे अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों का विश्वास खो रहे हैं। टी.एस.सिंह देव कहने को स्वास्थ्य एवं पचायत मंत्री हैं लेकिन,मुख्यमंत्री पिछले कई माह से उन्हें बायें करते आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की बैठक में मुख्यमंत्री ने उन्हें बताया तक नहीं,जबकि वे रायपुर में ही थे। मुख्यमंत्री निवास से सिंहदेव का निवास मुश्किल से दो सौ मीटर है। कोरोनाकाल के समय भी उनसे राय लेना उचित नहीं समझा। जब टी.एस. सिह देव से पूछा गया कि स्वास्थ्य विभाग की बैठक में क्यों नहीं गये,उनका जवाब था कि, उन्हें स्वास्थ्य विभाग के बैठक की जानकारी नहीं थी। सचिव की जवाबदारी थी,पर उन्होंने भी जरूरी नहीं समझा बताना। मंत्रियों के विभाग बंटवारे के समय टी.एस सिंह देव वित्त विभाग चाहते थे,लेकिन मुख्यमंत्री ने उसे अपने पास रखा। गोबर खरीदी योजना समिति में सिंहदेव का नाम है। वाणिज्यिक विभाग सिंह देव के पास है,लेकिन विभाग ने इन्हें बताया तक नहीं और एक कोयला व्यापारी के यहां जी.एस.टी.मामले पर छापा पड़ गया।
कांग्रेस का जवाब
टी.एस सिंह देव के इस्तीफे के बयान पर कांग्रेस दुविधा में है कि मिडिया को क्या जवाब दें। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री अमर जीत भगत ने कहा, किसी और के बयान पर मैं कुछ नहीं कह सकता। लेकिन एक बात साफ करना चाहूंगा कि घोषणा पत्र पांच सालों के लिए होता है। अभी तो सरकार को मात्र डेढ़ साल हुए हैं। कांग्रेस  प्रवक्ता आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा कांग्रेस की सरकार पर सवाल उठाने से पहले अपने 15 साल के कार्यकाल को याद करे। 
क्या करेंगे सिंहदेव
सवाल यह है कि क्या मध्यप्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ में भी हो सकता है? वैसे संभावनाओं पर राजनीति चलती है। गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू मुख्यमंत्री से एक समय नाराज चल रहे थे। लेकिन उन्होने चुप्पी साध ली है,अगली रणनीति उनकी भी चैकाने वाली हो सकती है। कांग्रेस के अंदर का एक सच यह है कि ढाई साल भूपेश और ढाई साल टी.एस.सिंह देव मुख्यमंत्री रहेंगे। तो दोनों तरफ से बाजी पलटने की कवायद हो सकती है। कांग्रेस के एक गुट का कहना है, अगामी एक साल के अंदर मुख्यमंत्री ऐसा कुछ कर सकते हैं कि, सिंहदेव स्वयं कांग्रेस छोड़ देंगे या फिर इस्तीफा दे देंगे। ऐसी स्थिति में वे अपने साथ कितने विधायक ले जाते हैं,अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। वैसे मुख्यमंत्री उन्हें बायें करने की सियासी प्रक्रिया शुरू कर दिये है। इसकी जानकारी राहुल गांधी को है। बीच में टी.एस सिंह देव दिल्ली गये थे,अपनी बात रखने। दोनों के बीच क्या बातें हुई, बाहर नहीं आई। बहरहाल कांग्रेस के अंदर बायें चलने की जो राजनीति चल रही है, उसका अंत कहां जाकर होगा, न तो कांग्रेस को पता है, और न ही दस जनपथ को।