Friday, September 8, 2023

एम.पी में बीजेपी का ढोल फट रहा

एम.पी में बीजेपी का ढोल फट रहा कांग्रेस के सर्वे में बीजेपी 85 सीटो में सिमटी रमेश कुमार ‘रिपु’
मध्यप्रदेश में बीजेपी का ढोल फट रहा है। यह कांग्रेस का सर्वे बता रहा है। कांग्रेस ने तीन टीमों से सर्वे कराया। दक्षिण भारत,यूपी और मध्यप्रदेश की टीम के जरिए। सर्वे बता रहे हैं कि लाड़ली बहना की वजह से बीजेपी के खाते में पांच फीसदी वोटों में इजाफा हुआ है। इस वजह से बीजेपी की सीट बढ़कर 80 से 85 तक हो गयी है। अभी चुनाव होने में दो माह का वक्त है। बीजेपी कितना कवर करती है मोदी भी नहीं जानते। कांग्रेस के सर्वे को सच मान लिया जाए तो बीजेपी के ढोल फटने की वजह कई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिह चैहान इतना परेशान कभी किसी सी चुनाव में नहीं हुए। जितना इस बार के विधान सभा चुनाव को लेकर है। उसकी वजह कई हैं। बीजेपी एंटी इन्कम्बैसी के दौर से गुजर रही है। यह एंटी इन्कम्बैसी की वजह मोदी हैं। महंगाई,बेरोजगारी और झूठे वायदे के लिए केद्र सरकार जिम्मेदार है। वहीं प्रदेश में भ्रष्टाचार के लिए शिवराज सिंह। प्रदेश में 18 साल के कार्यकाल में शिवराज के समय 230 घोटाले हुए हैं। शिवराज पहले मुख्यमंत्री है,जिनके खिलाफ मोदी ने व्यापम घोटाले के लिए सीबीआई जांच का आदेश दिया। शिवराज घोंषणा का रिकार्ड बना दिये हैं। अपने कार्यकाल में अब तक तीस हजार से अधिक घोंषणाएं कर चुके हैं। विपक्ष उन्हें घोंषणावीर कहता है। मोदी को चुनावी दूल्हा बनने परहेज आर एस एस पहले ही कह चुका है कि मोदी चुनावी चेहरा इस बार नहीं हैं। संघ मानता है कि न तो मोदी चेहरा काम आ रहा है और न ही हिन्दुत्व कार्ड। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक चुनाव हारने के बाद मोदी बैकफुट में आ गए हैं। मोदी ही जब बीजेपी हैं। मोदी हैं तो संघ है। जैसा प्रचारित किया जा रहा है तो फिर दो राज्यों की हार की भी जिम्मेदारी मोदी को लेनी चाहिए। मोदी इसके लिए तैयार नहीं है। वे चुनावी दूल्हा बनना नहीं चाहते। और शिवराज चुनावी घोड़ी से उतरना चाहते हैं। इस बार जनदर्शन यात्रा में शिवराज को पार्टी ने प्रमोट नहीं किया है। इसीलिए चित्रकूट में जेपी नड्डा ने जनदर्शन आर्शीवाद यात्रा को हरी झंडी दिखाई। सीधी कांड से आदिवासियों को साधने के लिए ऐसा किया गया है। विंध्य क्षेत्र की 30 सीटों में 23 सीटें ऐसी है जहां ब्राम्हणों की आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है। सीधी पेशाब कांड में प्रवेश शुक्ला के घर बुलडोजर चला देने से ब्राम्हण समाज बीजेपी के खिलाफ हो गया है। सन् 2018 के चुनाव में बीजेपी आदिवासी बाहुल इलाके के 84 सीटों में 34 ही जीत पाई थी। जबकि 2013 के चुनाव में 59 सीट जीती थी। अब आदिवासियों का विश्वास जीतने में बीजेपी लगी है। मध्यप्रदेश देश में पहले नम्बर पर है जहां आदिवासियो ंके खिलाफ 2627 मामले दर्ज हुए हैं। दलितों के मामले में तीसरे स्थान पर है,7214 मामले दर्ज हुए हैं। रेप मामले में दूसरे स्थान पर है,कुल 2947 मामले दर्ज हुए हैं। यह स्थिति 2022 की है। एनसीआर की रिपेार्ट के मुताबिक 2021 में 17008 बच्चे क्राइम के शिकार हुए थे। शिवराज विरूद्ध बीजेपी सन् 2014 में पी.एम.की दौड़ में शिवराज और डाॅ रमन सिंह थे। मोदी और अमितशाह की जोड़ी ने दोनों को किनारे कर दिया। छत्तीसगढ़ में रमन कुछ नहीं कर पाए। सिंधिया के चलते मध्यप्रदेश में बीजेपी ने सरकार बना ली। मुख्यमंत्री शिवराज बन गए लेकिन इनके चारो ओर इनके विरोधी खड़े हो गए। यह सब मोदी की रणनीति के तहत हुआ। वी.डी शर्मा,नरोत्तम मिश्रा,ज्योतिरादित्य सिंधिया,और कैलाश विजयवर्गीय। ये सभी मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। कैलाश विजयवर्गीय ने तो खुलकर कह दिया था कि मुझे मुख्यमंत्री बनाया जाए। वी.डी शर्मा मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, सोशल मीडिया में खबरे खूब वायरल हुई थी। जाहिर सी बात है कि बीजेपी में जबरदस्त की गुंटबंदी है। शिवराज की अमितशाह से जम नहीं रही है। आत्मविश्वास डगमगाया है। और प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है। अमितशाह हावी हैं इस बार भारी एंटी इन्कमबैसी की वजह से बीजेपी हाईकमान भी मान कर चल रहा है कि मध्यप्रदेश में भगवा छतरी तनने में दुविधा है। वहीं अमितशाह का दावा है कि जनआर्शीवाद यात्रा जब समाप्त होगी, तब बीेजेपी 150 सीट जीतेगी। जबकि बीजेपी अपने अच्छे दिनों में भी इतनी सीट नहीं जीती थी। हो सकता है कि बीजेपी के कई प्रत्याशी पांच-सात सौ वाटों से जीतें। कलेक्टर कुछ भी कर सकते हैं। इसी आशंका को देखते हुए दिग्विजय सिंह ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन को एक पत्र देकर कहा कि जहां भी हार जीत का फैसला एक हजार वोटो के अंदर हो वहां पुर्न मतगणना कराया जाए। प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल बैस दो बार सेवा वृद्धि ले चुके हैं। उनके नेतृत्व में निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद कम है। इसलिए उनकी सेवाएं खत्म की जाए। बीजेपी में भगदड़ बीजेपी के नेता और विधायक कांग्रेस में जा रहे हैं। भाजपा के 31 बडे नेता अब तक कांग्रेस में जा चुके हैं। इसमें से 25 फीसदी सिंधिया गुट के हैं। वीरेन्द्र रघुवंशी,भ्ंावर सिंह शेखावत,गिरिजाशंकर,माखन सिंह सोलंकी,राधेलाल बघेल,दीपक जोशी पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र हैं,देशराज सिंह,हेमंत लहरिया,कमल पटेल के राइट हैंड दीपक सारण,धु्रव प्रताप सिंह,अवधेश नायक,रोशनी यादव,समंदर पटेल,बैजनाथ सिंह यादव,रघुराज धाकड़, राकेश गुप्ता, गगन दीक्षित,यदुराज सिंह यादव आदि लोगों ने बीजेपी छोड़ दी। वजह बताते हैं,पार्टी अपने मूल सिद्धतों को भूल गयी। भ्रष्टाचार और गुटबाजी हावी है। भाजपा तानाशाही की सरकार चलाती है। सिंधिया समर्थकों का दबदबा बढ़ गया है। चुनाव नजदीक आते ही ज्यादातर बीजेपी के नेता पार्टी छोड़ रहे है। जाहिर सी बात है कि कांग्रेस के सर्वे पर बीजेपी नेता भी भरोसा कर रहे हैं कि शिवराज अब खत्म होने जा रहा है।