Saturday, June 8, 2019

नक्सली बम से सांसें बेदम

                                                            नक्सली बम से सांसें बेदम
 नक्सलियों ने भाजपा विधायक सहित नौ जवानों की जान लेकर भूपेश सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। कांकेर, धमतरी,राजनांदगांव और दंतेवाड़ा में हिंसक वारदात से स्पष्ट है कि नक्सली संख्या में कम हुए हैं,लेकिन कमजोर नहीं हुए हैं।

0 रमेश कुमार ‘‘रिपु‘‘
                सात अप्रैल को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की राजनांदगांव के मानुपर में सभा होनी थी। लेकिन उनके पहुंचने के कुछ घंटे पहले नक्सलियों ने एक के बाद एक दो सीरियल ब्लास्ट मानपुर मोहला मुख्य मार्ग और ख्वास फड़की के पास कर, नक्सल डी.जी गिरधारी नायक की उस बात को गलत साबित कर दिये गये कि नक्सली कमजोर हुए हैं। सवाल यह है कि यदि नक्सली कमजोर हुए हैं तो सीरियल ब्लास्ट क्या बताने के लिए किया गया। जबकि माओवादी तीन आईडी बम लगा रखे थे। तीसरा ब्लास्ट नहीं हुआ, क्यों नहीं किया गया, यह पुलिस के लिए जांच का विषय है। जबकि पुलिस के आला अफसरों को पता है कि 2003 के विधान सभा चुनाव में झीरम घाटी में कांग्रेस ने अपने 29 नेताओं को खो दिया था।
गौरतलब है कि मानपुर इलाका घुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। साल 2009 में नक्सलियों ने एक बड़ी घटना को अंजाम दिया था। तब तत्कालीन एस.पी वीके चैबे सहित 29 जवान शहीद हो गए थे। धमाके की चपेट में आकर आईटीबीपी का एक जवान घायल हो गया। जबकि राजनांदगांव में सुरक्षा की जिम्मेदारी आईटीबीपी के पास है। माओवादी मानपुर से परगोनी के बीच और अपने प्रभाव वाले इलाके में लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का पोस्टर बैनर लगा रखे हैं। जगह जगह पर्चे फेक कर दहशत फैलाने का काम किया है। जम्मू,कश्मीर के अलगाववादी संगठनों के समर्थन में बैनर लगाकर खुफिया ऐजेंसी की नींदे उड़ा दी है। नक्सली जिला बीजापुर में तालाब के किनारे पर्चे देखे गये हैं। नक्सलियों ने पर्चे में लिखा है कि हमारे देश में मौजूदा लुटेरी व्यवस्था को उखाडकर उसकी जगह सच्ची जनवादी और स्वालंबन व्यवस्था का निर्माण करें। जाहिर सी बात है कि नक्सली क्षेत्र में चुनाव इस बार टेढ़ी खीर है।
नक्सली अपने रंग में
कांकेर,धमतरी के बाद राजनांदगांव में माओवादियों की वारदातों से एक बात साफ है कि नक्सली इस चुनाव में पूरी तरह अपने रंग में है। इसका प्रमाण है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की राजनांदगांव के मानुपर में सभा से पहले लगातार विस्फोट होना। लगातार नक्सलियों की हिंसक वारदातों के बाद केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच भी नक्सलियों के किसी बड़े हमले की जानकारियों शेयर की गई। आत्मसमर्पित नक्सलियों ने भी बड़ी वारदात की सूचना पहले से ही दिये थे। राजधानी रायपुर में नौ अप्रैल को किसी बड़े नक्सली हमले को लेकर 27 इनपुट शेयर हुए। पुलिस के उच्चाधिकारियों से लेकर थाने के टीआई तक ने माओवादियों के हमले की जानकारी मिलने पर हमले की आशंका जताई।
रोका गया था मंडावी को
नक्सली मूवमेंट की सूचना मिलने पर विधायक भीमा मंडावी को छोटे रास्ते से जाने से मना किया गया था। बावजूद इसके वो चुनाव प्रचार के लिए अपने अंगरक्षकों के साथ बचेली से शाम को बुलेट पू्रफ वाहन से उसी रास्ते से लौट रहे थे,जहां नक्सली घात लगाकर बैठे थे। नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण दंतेवाड़ा में चुनाव प्रचार दोपहर 3 बजे ही खत्म हो गया था। नुकुलनार थाने से 4 किलोमीटर पहले ग्राम श्यामगिरी के निकट माओवादियों ने ब्लास्ट किया। माओवादी इस घटना में करीब 70 किलो आईईडी का इस्तेमाल किया था। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि वाहन के परखच्चे उड़ गए। घटना स्थल पर दस फीट गहरा गड्ढा हो गया है। बारूदी विस्फोट में बुलेट पू्रफ वाहन में सवार जिला बल के 4 जवानों हेड कांस्टेबल छगन कुलदीप, रामलाल ओयामी, आरक्षक सोमड़ू कवासी एवं चालक दंतेश्वर राव सहित विधायक भीमाराम मंडावी शहीद हो गए। नक्सली शहीद जवानों की एक इंसास रायफल एवं दो एके 47 बंदूक एवं उनके कारतूस लूटकर ले गए हैं। विस्फोट के बाद छिपे नक्सलियों ने आधे घंटे तक फायरिंग की। दंतेवाड़ा के एस.पी अभिषेक पल्लव ने कहा,पुलिस के पास इस किस्म के हमले की सूचना थी। इसलिए एक बूथ को शिफ्ट भी किया गया था और मंडावी को इसकी सूचना दी गई थी। नक्सल डीजी गिरधारी नायक ने दावा किया कि झीरम घाटी कांड की तरह ही नक्सलियों ने इस अटैक की तैयारी की थी। उल्लेखनीय है कि इसी मार्ग पर 28 फरवरी 2014 में नक्सलियों द्वारा किए गए ब्लास्ट में टीआई विवेक शुक्ला सहित 5 जवान शहीद हो गए थे। स्पेशल डी.जी डी.एम अवस्थी ने बताया, भाजपा विधायक को पहले ही जानकारी दी गई थी कि कुआकोंडा के पास इस रूट पर सुरक्षा मौजूद नहीं है और उन्हें वहां नहीं जाना चाहिए’’। 
स्टार प्रचारक सहमे
लाल आतंक के खौफ का आलम यह है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और आबकारी मंत्री कवासी लखमा के आलाव कोई बस्तर में चुनाव प्रचार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। डाॅ रमन सिंह,मोदी और अमित शाह जाने से बचते रहे हैं। वहीं नक्सलियों ने अपने हमले का तरीका बदल दिया है। अब वे पुलिस सर्चिग पार्टी पर हमले करने की बजाय कस्बाई क्षेत्र में स्थित थानों,कैम्प और चैकियों को निशाना बना रहे हैं। चूंकि बारिश में नक्सली कमजोर पड़ जाते है। गरमी में वो जंगलों से बाहर निकल आते हैं। अप्रैल से जून तक वे टेक्टिकल काउंटर आॅफेंसिव कैपेन (टीसीओसी) चलाते हैं। इसलिए चुनाव कराना थोड़ा कठिन काम है।
नक्सली बौखलाये क्यों
चुनाव से पहले माओवादियों की हिंसक वारदातों में इजाफा इस बात का संकेत हैं कि वे नहीं चाहते कि राज्य में चुनाव हो। 4 अप्रैल को कांकेर के पखांजूर से 35 किलोमीटर दूर मोहल्ला जंगल में मुठभेड़ में बीएसफ के चार जवान शहीद हुए।गौलतलब है कि 18 फरवरी 2018 को बीएसएफ का कैंप महला गांव में खोले जाने का नक्सलियों ने विरोध किया,क्योंकि कोयलीबेड़ा विकासखंड का गांव महला कभी नक्सलियों का गढ़ हुआ करता था। यहां कैंप खुलने के बाद से नक्सली बैकफुट पर चले गए थे। नक्सली कैंप खुलने के बाद से अब तक यहां के जवानों पर तीन बड़े हमले कर चुके हैं। जिसमें सालभर में 6 जवान शहीद हुए हैं। धमतरी के बोरई थाना के चमेदा गांव के पास साले भाट के जंगल में पांच अप्रैल को घात लगाए नक्सलियों ने सर्चिंग टीम में शामिल 45 जवानों पर नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग की। इस हमले में सीआरपीएफ 211 बटालियन के हेड कांस्टेबल हरिश्चंद्र पाल शहीद हो गए। वही कांस्टेबल सुधीर कुमार घायल हो गया। हाल ही में धमतरी पुलिस ने  6 लाख के इनामी सीतानदी के एरिया कमांडर अजित मोडियाम सहित दो नक्सलियों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद से ही नक्सली बौखलाए हुए हैं। गौरतलब है कि 2009 में भी इसी इलाके के पास रिसगाव में एक बड़ा नक्सली हमला हुआ था। जिसमे 13 जवान शहीद हुए थे। आशंका है कि नक्सलियों ने चुनाव में गड़बड़ी करने के लिए खासी तैयारी कर रखी है। वहीं पुलिस के सामने चुनौती है नक्सलियों के काले मंसूबों को नाकाम कर निष्पक्ष और निर्भीक मतदान कराना। वहीं कांकेर के पखांजूर महल के जंगल में दो सौ की संख्या में नक्सलियों का हमला करना इस बात का संकेत हैं कि वे पूरी तैयारी में रहते हैं।
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कांकेर में नक्सली मुठभेड़ में चार जवानों के शहीद होने पर कहा कि    प्रदेश सरकार की ढुलमुल नीतियों के चलते पिछले तीन माह में नक्सली आतंक की काफी वारदातें हुई हैं। पूर्ववर्ती प्रदेश भाजपा सरकार ने सख्ती से नक्सली गतिविधियों पर काबू पाया था लेकिन, मौजूदा सरकार के ढुलमुल रवैए और स्पष्ट दृृष्टिकोण के अभाव के चलते नक्सली फिर खून,खराबा कर दहशतगर्दी का खेल खेलने लग गये हैं’’।
अलगाववादी संगठन से संबंध
कांकेर में 11 अप्रैल को मतदान कराने फोर्स का दबाव बढ़ा तो नक्सली धमतरी जिले के सिहावा,बोरई और खल्लारी क्षेत्र में दस्तक दे दिये। इस क्षेत्र में सीतानदी दलम और गोबरा दलम सक्रिय हैं। गौरतलब है कि नक्सली इन्ही दो दलम की मदद से बोरई में छिपे हैं। बोरई में सीआरपीएफ के जवानों को डेरा है,इसलिए मुठभेड़ की संभावना बढ़ जाती है। माओवादियों ने पुलिस की परेशानी बढ़ा दिये हैं। दरअसल अरनपुर थाना क्षेत्र के नीलावाया मार्ग पर नक्सलियों ने जम्मू,कश्मीर के अलगाववादी संगठन (जेकेएलएफ) जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के समर्थन में पोस्टर बैनर लगाये। पोस्टर और बैनर में नक्सलियों ने जम्मू,कश्मीर के अलगाववादी संगठन जेकेएलएफ पर प्रतिबंध को केंद्र की मोदी सरकार की तानाशाही, ब्राह्मणवादी फासिस्ट नीति का नतीजा करार दिया है। नक्सलियों के जेकेएलएफ के समर्थन में आने से खुफिया एजेंसियां अन्य आतंकी व अलगाववादी संगठनों से उनके तार जुड़े होने की आशंकाओं की पड़ताल कर रही हैं।
भूपेश सरकार से खफा
नक्सली भूपेश सरकार से खुश नहीं हैं। उन्होंने अपने बैनर के जरिये आरोप लगाया है कि भूपेश सरकार फर्जी मुठभेड़ में ग्रामीणांे को मार रही है। ताड़बल्ला और गोरडेलगुडा मुठभेड़ को फर्जी बताया है। इनमें नक्सलियों ने अपने 13 साथियों के मारे जाने का जिक्र भी किया है। जबकि दंतेवाड़ा पुलिस के समक्ष सरेंडर करने वाला नक्सली पनसराम वट्टी ने बताया कि सभी नक्सली ही थे। पनसराम नक्सलियों की इंद्रावती एरिया कमेटी प्लाटून नम्बर 16 का कमांडर है। जिस वक्त यह घटना हुई थी उसमें पनसराम भी शामिल था। सरेंडर नक्सली ने बताया कि 6 फरवरी को बीजापुर के इन्द्रवती नदी पार ताड़बला में नक्सली बम बनाने व हथियार चलाने की ट्रेनिंग ले रहे थे। जहां हमला हुआ वह ट्रेनिंग कैम्प था। यहां तीन दिनों से हथियार चलाने, बम बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। यहां हर दिन सुबह 8 बजे से ट्रेनिंग शुरू होती थी। वर्दी पहनकर ही ट्रेनिंग दी जाती थी। बहरहाल बारिश शुरू होने से पहले तक नक्सली छग में अपना रंग दिखाते रहेंगे।