Tuesday, June 2, 2020

सवालों के घेरे में झीरम कांड


झीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं की हत्या किसी के इशारे पर हुई या फिर नक्सली हत्या थी? यह अब भी राज है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एनआइए की रिपोर्ट से खफा हैं। ऐसे में एसआईटी का गठन और झीरम मामले पर कांग्रेस का फिर से मामला दर्ज करना हैरानी भरा सवाल है।

0 रमेश  तिवारी
             बस्तर में झीरम घाटी हत्याकांड के सात साल बाद भी यह स्पष्ट नहीं हो सका कि कांग्रेस के बड़े नेताओ की हत्या में नक्सलियों का हाथ था या फिर कोई साजिश थी। इस नृशंस हत्याकांड में सरकार और उनकी जांच एजेंसियों को लेकर संदेह के सवाल और टकराव की स्थिति निर्मित होती रही है। लेकिन सच्चाई सामने नहीं आई। भूपेश बघेल सीएम बनने पर एसआईटी का गठन किया। एसआईटी ने एनआईए से जांच फाइल मांगी झीरम की लेकिन, एनआईए ने अभी तक इसमें कोई भी एक्शन नहीं लिया। क्लोजर रिपोर्ट भी नहीं दी। दरअसल एनआईए की रिपोर्ट में झीरम कांड के लिए कांग्रेस को जिम्मदार ठहराया गया था,कांग्रेस रिपोर्ट को झूठ का पुलिंदा करार दिया था। एनआईए की रिपोर्ट में कहा गया कि परिवर्तन यात्रा के दौरान कांग्रेस नेताओं पर हमला,सरकार को दहशत में डालने और सरकार को उखाड़ फेकने की साजिश का हिस्सा था।
कांग्रेस का आरोप है कि विशेष अदालत में एनआईए की रिपोर्ट में पेश गए आरोप पत्र में विवादास्पद मुद्दों को शामिल नही किया गया है। खासकर शहीद के परिजन जिस षडयंत्र की बात कर रहें हैं,जांच रिपोर्ट मंे वो बात नहीं है। लेकिन रिपोर्ट में घटना का सिलसिलेवार जिक्र विस्तार से है। घटना में शहीद हुए नेता स्व. नंदकुमार पटेल के बेटे विधायक उमेश पटेल, स्व. महेंद्र कर्मा के बेटे छविन्द्र कर्मा और स्व.योगेंद्र शर्मा के बेटे हर्षित शर्मा और स्व.उदय मुदलियार के बेटे जितेन्द्र मुदलियार आदि के परिजनों का कहना है कि एनआइए की रिपोर्ट में घटना से जुड़ी कथित राजनीतिक साजिश के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है। गौरतलब है कि 25 मई 2013 को झीरम घाटी में नक्सलियों ने एंबुश लगाया था। जिसमें राज्य के दिग्गज कांग्रेसी नेता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल कद्दावर नेता वीसी शुक्ल,महेन्द्र कर्मा और उदय मुदलियार समेत 29 लोग शहीद हुए थे। 
राज्य सरकार ने गिनाई खामियां
राज्य सरकार ने एनआईए जांच में खामियां गिनाते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखी थी।  केस की जांच एसआईटी स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम से कराने और केस को ट्रांसफर करने की मांग की थी। केंद्रीय गृह सचिव को लिखे पत्र में बताया गया था कि, अब तक की एनआईए जांच में बड़े षडयंत्र को नजरंदाज किया गया है। जांच एजेंसी ने किसी दूसरी थ्योरी पर काम ही नहीं किया। यहां तक कि रमन्ना, गुडसा उसेंडी, गजराला अशोक और दूसरे नक्सलियों के बारे में बाद में कई सबूत मिले। इसके बावजूद एनआईए ने किसी भी चार्जशीट में इनको शामिल नहीं किया।
शहीद आत्माओं को न्याय नहीं मिला
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि झीरम घाटी कांड में शहीद आत्माओं को अभी तक न्याय नही मिला है। झीरम घाटी कांड के षडयंत्र की सच्चाई को सब जानना चाहते है। एनआईए को पूर्व की राज्य सरकार ने जांच सौंपा था और उन्होंने अपनी जांच कम्पलीट कर ली। लेकिन जो झीरम घाटी कांड में षंडयंत्र हुआ है,उसके बारे में कोई जांच नहीं हुई। जो नक्सली पकड़े गये है,उनका और आत्मसमर्पित नक्सलियो का बयान एएनआई ने नहीं लिया। जो घटना स्थल पर थे, उनसे भी बयान नहीं लिया गया। फूलोदवी नेताम सहित झीरम में घटना स्थल पर उपस्थित साथियों का भी बयान एनआईए ने नहीं लिया। एनआईए जांच ही अधूरी है। इस मामले में जांच पूरी हो, सबका बयान हो, जो तथ्य हैं, सामने आने चाहिये।
साक्ष्य क्यों छिपा रहे सीएम
बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने कहा, झीरम के मामले में जेब में सबूत होने की बात भूपेश बघेल कहते थे, सालों बीत जाने के बाद भी अब तक सबूत पेश नहीं करने वाले प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर साक्ष्य छिपाने का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। हर बात के लिए भाजपा के सिर पर अपनी नाकामियों का ठीकरा फोड़ने पर आमादा रहने वाले कांग्रेस के नेता कभी अपने मुख्यमंत्री पर भी तो यह दबाव बनाएं कि वे सबूत पेश करके झीरम की जाँच को अंजाम तक पहुँचने में सहयोग करें।   
एसआईटी कुछ नहीं की
तत्कालीन भाजपा सरकार ने हमले के बाद मामले की जांच एनआईए को सौंप दी थी। सात सालों में एनआईए ने इस मामले में सौ से ज्यादा गिरफ्तारी की लेकिन,घटना क्यों और किसलिए अंजाम दी गई, इसका खुलासा नहीं कर पाई है। 2018 में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार ने एसआईटी का गठन किया। तत्कालीन आईजी विवेकानंद सिन्हा के नेतृत्व में 10 सदस्यों वाली टीम बनाई गई। टीम में विषय विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया और पहली बैठक रायपुर में पीएचक्यू में हुई। बताया जाता है कि एसआईटी गठन के बाद यह इकलौती बैठक थी, इसके बाद कोई बैठक या कोई जांच ही नहीं हो पाई। कांग्रेस का आरोप है कि झीरम कांड की जांच को प्रभावित करने के लिए केन्द्र सरकार एनआईए की जांच रिपोर्ट की नकल नहीं दे रही है। उसकी रिपोर्ट के बगैर एसआईटी मामले की जांच नहीं कर पाएगी।
किसे बचाना चाहती है सरकार
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा,’’क्या कारण है झीरम की जांच नही होने दिया जा रहा। जब बिना किसी निष्कर्ष पर पहुचे एन आई ए ने झीरम की जांच बंद कर दी है,ऐसे में केंद्र सरकार मामले की फाइल क्यो वापस नही कर रही है? आखिर किसको बचाने या कौन सा तथ्य छुपाने में के लिए केन्द्र सरकार अड़ंगेबाजी लगा रही है। सवाल यह है कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए इस दुर्दान्त नर संहार की जांच भाजपा क्यो नही होने देना चाहती।
झीरम कांड में नया मोड़
शहीद उदय मुलियार के पुत्र जितेन्द्र मुदलियार ने झीाम कांड पर दरभा में रिपोर्ट दर्ज करा कर इस कांड को को एक नया मोड़ दिया दे दिया है। उन्होने कहा हम सात साल से एनआईए का इंतजार कर रहे थे। पर कोई भी पीड़ित पक्ष से बात नहीं किया। एनआईए ने किसी भी पीड़ित पक्ष से इस संबंध में  चर्चा नहीं की है। झीरम में षड़यंत्र के तहत हत्या की गई है। यह राजनीतिक हत्याकांड है। इसमें हम में से किसी को कोई शंका नहीं है। आरटीआई से मिले दस्तावेज में नक्सल मूवमेंट की जानकारी इंटेलिजेंस द्वारा अपने अधिकारों को दी गई गई थी। इंटेलिजेंस मार्च,अप्रैल से ही रेगुलर अधिकारियों को बताना शुरू कर दिया था कि, वहां नक्सली एकत्र हो रहे हैं। उनके पास 19- 20 मई का भी लेटर था कि वहां पर नक्सली ग्रुप मे एकत्र हो रहे हैं। जब वहां ग्रुप में नक्सलियों के एकत्र होने का इनपुट था, तो परिवर्तन यात्रा को सुरक्षा क्यों नहीं दी गई। इसमें षड़यंत्र वाला जो हिस्सा है उसका खुलासा नहीं हुआ तो हम कोर्ट जाएंगे। हमें न्याय चाहिए।
दरअसल झीरम से सुकमा जाने वाला रास्ता स्टेट हाईवे है। स्टेट हाइवे में दोनों तरफ भारी संख्या में नक्सली थे। संवेदनशील एरिया में परिवर्तन यात्रा जा रही थी। जिसकी सूचना सभी अधिकारियों को दी गई थी। फिर सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं की गई थी? यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है। एनआईए ने जांच में षड़यंत्र वाले बिन्दुओं पर जांच क्यों नहीं की,उसका खुलासा होना बाकी है।
सवालों में रिपोर्ट
0 यदि एनआइए की रिपोर्ट सच है तो किन-किन चश्मदीद लोगों से बातें की गई।
0 एनआइए की रिपोर्ट की 7वीं कंडिका में लिखा है कि नक्सली माड़ में क्षेत्रीय सहयोग से समानांतर सरकार चला रहे हैं,लेकिन सरकार ने इसे माओवाद प्रभावित क्षेत्र घोषित किया है। सवाल यह है कि सरकार जानते हुए भी सार्थक कार्रवाई क्यों नहीं की।
0 कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के पहले मुख्यमंत्री डाॅ.रमन सिंह की विकास यात्रा बस्तर में निकली थी,उस पर नक्सली हमला क्यों नहीं हुआ?
0 नक्सलियों ने किसके इशारे पर इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दिया। किसने नक्सलियों को सूचना दी परिवर्तन यात्रा में महेन्द्र कर्मा भी शामिल हैं?
0 झीरम मामले में इतनी बड़ी चूक की वजह क्या है?
0 कांग्रेस नेताओं के काफिले को तीरथगढ़ से तोंगपाल थाने तक सुरक्षा नहीं दी गई थी। लेकिन एनआइए ने इस पर कोई टिप्पणी क्यों नहीं की?
0 हमलावरों ने एक नेता का नाम पूछ कर गोलियां चलाई,इसका मतलब हमला पूर्व नियोजित था और कुछ नेताओं पर किया गया था। इस राजनीतिक साजिश पर भी रिपोर्ट में एक शब्द नहीं कहा गया है,ऐसा क्यों?

   









‘रिपु’