नगरीय निकाय चुनाव में बड़ी भयावह हार भाजपा की नहीं रही है। जैसा कि विधान सभा के चुनाव में थी। और कांग्रेस की जीत भी कोई बड़ी जीत नहीं है। प्रदेश के 47 निकायों में सत्ता की चाबी निर्दलियों के हाथों में है। भाजपा और कांग्रेस के समक्ष सत्ता की चाबी को अपने पास रखने की चुनौती है।
0 रमेश कुमार ‘‘रिपु‘‘
राजधानी रायपुर के नगर निगम में कांग्रेस और भाजपा दोनों के समक्ष चुनौती थी अपनी अपनी पार्टी का मेयर बनाने की। चुनावी परिणाम ने दोनों ही बड़ी पार्टियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। इसलिए कि दोनों पार्टियों को बहुमत नहीं मिला। जनता ने सत्ता की चाबी निर्दलीय पार्षदों के हाथ में दे दी है। जाहिर सी बता है कि निर्दलीय पार्षदों की अहमियत बढ़ गई है। वहीं प्रदेश की राजधानी रायपुर में सरकार होने के बाद भी,कांग्रेस बहुमत के आंकड़े से दो सीट पीछे है। 34 कांग्रेस,29 भाजपा और 7 निर्दलीय पार्षद जीते हैं। रायपुर के सांसद सुनील सोनी और पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह का दावा है कि भाजपा का ही मेयर बनेगा। यदि ऐसा हो जाता है तो भूपेश सरकार की बड़ी हार होगी। जिसकी उम्मीद कम है। इस चुनाव में विपक्ष के अपने तीखे आरोप भी हैं। धन,बल और सत्ता का दुरूप्रयोग कांग्रेस ने किया है। बगैर आरोप के राजनीति नहीं चलती। सबसे बड़ा सवाल यह है कि धान के मामले पर जिस तरह भाजपा शहर से गांव तक धरना और प्रदर्शन की,उसका लाभ उसे उतना नहीं मिला। लेकिन वह कांग्रेस का पीछ करना नहीं छोड़ी। 47निकायों में सत्ता की चाबी निर्दलीय पार्षदों के हाथ में होने से एक बात साफ है कि जनता अभी कांग्रेस की पूरी तरह हुई नहीं है। धमतरी में तीन बागी पार्षद के कांग्रेस में शामिल हो जाने से कांग्रेस की लाज बच गई।
निर्दलीय बने किंगमेकर
नगरीय निकाय का चुनाव विपक्ष और सत्ता पक्ष की सियासी ताकत का एक तरीके से मूल्यांकन किया है,कहना गलत नहीं होगा। पंजा थोड़ा ऊपर है,कमल से। लेकिन कई स्थानों में कांग्रेस और भाजपा दोनों बराबर है। बलौदाबाजार के नगर पंचायत में दोनों दलों को 7-7 सीटें मिली है। नगर पंचायत साजा में 6-6 सीटें। नगर पंचायत गंडई,सहसपुर लोहारा,पिपरिया,दोरनपाल,नई लेदरी,बिल्हा नगर पंचायत,नगर पालिका तखतपुर और कटघोरा में भी दोनों दलों को 7-7 सीटें मिली है। जािहर सी बात है कि किसी भी दल के साथ निर्दलीय चले गये, तो अध्यक्ष उस पार्टी का बनेगा। पेंड्रा में स्थिति बड़ी अजीब है। कांगे्रस और भाजपा 4-4 सीट जीते हैं। लेकिन छजका 4 सीट जीती है। 3 निर्दलीय पार्षद भी है। यानी यहां छजका किंगमेकर की भूमिका में है। खरौद में भी भाजपा और कांग्रेस 5-5 सीटें जीती हैं। जबकि 5 सीटों पर निर्दलियों का कब्जा है।
अपने अपने दावे
निकाय चुनाव में पंजा थोड़ा सा ऊपर है। जबकि प्रदेश में उसकी सत्ता है, तो उसका जैसा जोर होना चाहिए था,वैसा नहीं दिखा। जैसा कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विक्रम उसेंडी कहते हैं,‘‘ एक साल में भूपेश अलोकप्रिय हो गये’’। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम कहते हैं,‘‘ सभी दस नगर निगम में कांग्रेस के मेयर बनेंगे। जहां संख्या कम है, वहां निर्दलीय हमारे साथ हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा,‘‘ हमारे नौजवानों ने भाजपा के सूरमाओं को पछाड़ दिया है। रायपुर में हम हैट्रिक करने जा रहे हैं। तीसरी बार यहां के निगम में कांग्रेस का कब्जा होगा। दुर्ग में पिछले 20 सालों से हम बाहर थे। सबसे बड़ी जीत दुर्ग में हमें मिली है। धमतरी में लगातार भाजपा जीतती रही थी। जहां इस बार कांग्रेस को सफलता मिली। कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मेहनत सरकार के कामकाज पर जनता ने भरोसा जताया। राजनांदगांव एवं कवर्धा में कांग्रेस ने बाजी मारी। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के क्षेत्र में कांग्रेस को सफलता मिली। पिछली बार 6 नगर निगमों में कांग्रेस के महापौर जीते थे, लेकिन वहां पार्षदों की संख्या के हिसाब से बहुमत नहीं था। इस समय हर तरफ हमारा बहुमत है।
वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने बैलेट पेपर से हुए चुनाव को कांग्रेस की साजिश बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बैलेट पेपर से चुनाव कराकर कांग्रेस सरकार अपनी साजिश में सफल रही। मतगणना अधिकारी और कर्मचारियों पर राज्य सरकार का दबाव था। उन्होंने दावा किया कि आधे से अधिक निकायों में भाजपा के महापौर और अध्यक्ष चुने जाएंगे।
कोरबा में कांग्रेस हैरान
कोरबा के चुनाव परिणाम से कांग्रेस हैरान है। कोरबा में भाजपा को बड़ी लीड मिली। इस चुनावी परिणाम में सबसे चैकाने वाली बात रही कि जिले के प्रभारी मंत्री और विधायकों को अपने अपने क्षेत्र में करारी मात मिली। भाजपा की महासचिव सरोज पांडे भी अपने क्षेत्र में भाजपा को नहीं जीता पाईं। वहीं रायपुर में मेयर के प्रबल दावेदार संजय श्रीवास्तव को करारी मात मिली। भाजपा के प्रफुल्ल माहेश्वरी और भाजपा के जिला अध्यक्ष राजेन्द्र पांडे भी चुनाव हार गये। रायपुर में कांग्रेस का महापौर निर्दलीय के भरोसे ही बनने के आसार है। प्रदेश में कांग्रेस के 1283 पार्षद जीते और भाजपा के 1131 पार्षद। 103 नगर पंचायत में 48 में कांग्रेस और 40 में भाजपा विजयी रही। दस जगह बराबरी और पांच निर्दलीय जीते। 38 नगर पालिका में 18कांग्र्रेस और 17 में भाजपा का कब्जा और 3 में निर्दलियों का दबदबा है। 10नगर निगम में से 7 पर कांग्रेस विजयी रही और 2 में भाजपा और कांग्रेस बराबरी पर। बीजापुर नगर पालिका में कांग्रेस ने एक तरफा कब्जा किया। 15 वार्डो में 12 पर कांग्रेस और तीन पर भाजपा ने जीत दर्ज की।
मेयर की दौड़ मेें
राजधानी में मेयर की दौड़ में तीन नाम हैं। एजाज ढेबर,प्रमोद दुबे वर्तमान में मेयर हैं और ज्ञानेश शर्मा। तीनों उम्मीदवारों में किसे मेयर बनाना है यह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर निर्भर करेगा। लेकिन माना जा रहा है कि ज्ञानेश शर्मा इसके पहले कांग्रेस मीडिया के प्रमुख का दायित्व निभा चुके हैं। इसलिए वे मुख्यमंत्री के अति करीब हैं। लेकिन जाति कार्ड चला तो एजाज ढेबर का नाम पहले आ सकता है। चूंकि प्रमोद दुब पिछली दफा मेयर रह चुके हैं। इस बार वे 1500 वोटों से जीते हैं जबकि एजाज ढेबर सबसे अधिक वोटों से चुनाव जीते हैं। एजाज ढेबर पर सहमति दस जनपथ के कहने पर रही बन सकती है। लेकिन यह माना जा रहा है कि प्रमोद दुबे को मुख्यमंत्री दोबारा मेयर नहीं बनाना चाहेंगे। ज्ञानेश शर्मा मेयर नहीं बनाये गये तो सभापति बनाये जा सकते हैं।
बहरहाल निकाय चुनाव में भी डाॅ रमन सिंह कमल नहीं खिला सके। जाहिर सी बात है कि भाजपा को पूरे चार साल जनता के बीच जाकर कड़ी मेहनत और अपनी छाप बनाने की ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत है। जिला पंचायत के चुनाव तीन स्तरों पर होना है। यह चुनाव भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और डाॅ रमन सिंह के बीच प्रतिष्ठा का रहेगा।
मंत्री और विधायकों के क्षेत्र में कांग्रेस को मिली मात फोटो-
निकाय चुनाव के परिणाम से कांग्रेस के मंत्री और विधायकों के काम काज और परफारमेंस पर सवाल उठ रहे हैं। जिन्हें स्थानीय स्तर पर चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, वे पैदल भी साबित नहीं हुए। जबकि अपने विधान सभा क्षेत्र में बड़े अंतर से चुनाव जीते थे। बेमेतरा जिले के साजा विधानसभा क्षेत्र के देवकर नगर पंचायत में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिल गया है। 15 वार्डों के नगर पंचायत में 8 सीटों पर भाजपा, 6 पर कांग्रेस और 1 सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली हैण् आपको बता दें यह विधानसभा सीट मंत्री रविन्द्र चैबे की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम कोंडागांव नगर पालिका के चुनाव में उनके हिस्से करारी हार आई। कुल 21 वार्ड में भाजपा को 13 जबकि कांग्रेस 9 सीटों पर जीत मिली है।
विधानसभा अभनपुर. विधायक धनेन्द्र साहू का निर्वाचन क्षेत्र है। यहां कुल 15 वार्ड में भाजपा को 10, निर्दलीय को 4 और कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट पर जीत सकी।
विधायक चंद्रदेव राय विधानसभा बिलाईगढ़. से है। यहाँ भी कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली है। कुल15 वार्ड में भाजपा को 7 निर्दलीय को 5 जबकि कांग्रेस को सिर्फ 3 सीट मिली है।
विधानसभा अहिवारा के विधायक रुद्र गुरु अपने निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस को हारने से नहीं बचा सके। कुल 15 वार्ड में भाजपा को 10 कांग्रेस को 4 और निर्दलीय को 1 सीट पर जीत मिली है
विधानसभा डौंडीलोहारा विधायक अनिला भेड़िया का निर्वाचन क्षेत्र है। यहाँ कुल 15 वार्ड में निर्दललियों को 7 भाजपा को 5 और कांग्रेस को महज 3 सीटों पर जीत मिली है।
विधानसभा बेमेतरा,आशीष छाबड़ा का निर्वाचन क्षेत्र है। यहाँ लगातार दूसरी बार कांग्रेस की करारी हार हुई। कुल 21 वार्ड में भाजपा को 12 कांग्रेस को 8 और निर्दलीय 1 सीट पर काबिज हुआ।
विधानसभा महासमुंद के विधायक विनोद चंद्राकर अपने निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस को हारने से नहीं बचा सके। कुल 30 वार्ड में भाजपा को 14 कांग्रेस को 8ए जोगी कांग्रेस को 2 और निर्दलियों को 5 और आप को 1 सीट पर जीत मिली है।
खल्हारी.बागबहार विधानसभा के विधायक द्वारिकाधीश यादव के निर्वाचन क्षेत्र कांग्रेसे को 4 सीट मिली। कुल 15 वार्ड में भाजपा को 6 निर्दलियों को 5 सीटों पर जीत मिली है।
विधानसभा सरायपाली. किस्मत लाल नंद का निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस की सर्वाधिक बुरी गति हुई। कुल 15 वार्ड में भाजपा को 9 और कांग्रेस को 3 और निर्दलियों को 3 सीटों पर जीत मिली है।
विधानसभा बसना. विधायक देवेन्द्र बहादुर का निर्वाचन क्षेत्र है। यहाँ कुल 15 वार्ड में 7 में निर्दलियों को 5 में कांग्रेस को और 3 में भाजपा को जीत मिली है।
विधानसभा राजिम के विधायक अमितेष शुक्ल अपने निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस को हार से नहीं बचा सके। कुल 15 वार्ड में भाजपा को 6 कांग्रेस को 3 जेसीसीजे 1 और निर्दलियों को 5 सीटों पर जीत मिली
विधानसभा दंतेवाड़ा. की विधायक देवती कर्मा के निर्वाचन क्षेत्र में कुल 15 वार्ड में भाजपा को 8 निर्दलियों को 4 और कांग्रेस को सिर्फ 3 सीटों पर जीत मिली है।
विधानसभा बस्तर. विधायक लखेश्वर बघेल का निर्वाचन क्षेत्र है। यहाँ से भी कांग्रेस को करारी हार का सामना पड़ा है। कुल 15 वार्डों में निर्दलियों ने 10 कांग्रेस ने 4 और भाजपा ने सिर्फ 1 सीट पर जीत मिली।
विधानसभा अंतगाढ़. विधायक अनूप नाग का निर्वाचन क्षेत्र है। यहाँ भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। कुल 15 वार्डों में भाजपा को 7 कांग्रेस को 5 और निर्दलियों को 3 सीटों पर जीत मिली है।
विधानसभा नगरी.सिहावा लक्ष्मी धु्रव का निर्वाचन क्षेत्र है। यहाँ भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। कुल 15 वार्डों में भाजपा ने 9 कांग्रेस ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की।
विधानसभा जशपुर. विधायक विनय भगत का निर्वाचन क्षेत्र है। यहाँ कांग्रेस की सबसे बड़ी हार हुई है। कुल 20 वार्ड में भाजपा को 16, निर्दलियों को 3 और सिर्फ 1 सीट पर कांग्रेस को जीत मिली है।
विधानसभा पत्थलगाँव. विधायक रामपुकार सिंह का निर्वाचन क्षेत्र है। यहाँ भी कांग्रेस हार गई। कुल 15 वार्ड में 9 में भाजपा को, 5 में कांग्रेस को 1 में निर्दलीय को विजय मिली।
विधानसभा गुंडरदेही के विधायक कुँवर निषाद अपने निर्वाचन क्षेत्र कांग्रेस को नहीं जीता सके। 15 वार्ड में भाजपा को 8, कांग्रेस को 6 और निर्दलीय को 1 सीट पर जीत मिली।