छत्तीसगढ़ के 28 जिलों में 23 जिले ग्रीन जोन में हैं। यदि किलर कोरोना के फाइटर देवदूत बनकर मुस्तैदी से न जुटे होते, तो छत्तीसगढ़ के कई जिले दूसरा इंदौर बन जाते। सबने मिलकर लोगों के मन में उम्मीद की आशा जगाई और भरोसे का बीज बोए।
0 रमेश तिवारी ‘‘रिपु’’
छत्तीसगढ़ भी कोरोना वायरस के प्रकोप से बच नहीं पाया। लेकिन खुशी इस बात की है कि प्रदेश के 28 जिलों में 23 जिले कोरोना के कहर से बचे हुए हैं। किलर कोरोना के फाइटर डाॅक्टर,नर्स,पुलिस,समाज सेवी,सफाई कर्मी आदि मुसीबत की घड़ी में देवदूत बनकर छत्तीसगढ़ को कोरोना का रेड जोन बनने से रोका। वरना छत्तीसगढ़ के कई जिले इंदौर और भोपाल बन गए होते। आम लोगों को डंडा मारने और जबरिया चालान के लिए बदनाम पुलिस ने जनता की दिल से मदद की। इस वजह से जनता उनके स्वागत के लिए इंतजार करते देखी गई। बिलासपुर के हेमू नगर में पुलिस वालों के ऊपर पुष्प वर्षा की गई। वहीं तबलीगी जमात कामयाबी की राह में रोड़ा भी बने। प्रदेश के कुल 33 में से 24 केस कोरबा जिले के कटघोरा तहसील के तबलीगी जमात के हैं। कटघोरा को कोरोना का हाॅट स्पाॅट घोषित कर दिया गया है। कटघोरा से सबसे पहला मामला 4 अप्रैल को तबलीगी जमाती किशोर का ही सामने आया था। वह ठीक होकर महाराष्ट्र के कामठी चला गया है। सभी संक्रमितों का जमाती कनेक्शन है। वहीं राजधानी रायपुर में पांच केस, दुर्ग, राजनांदगावं और बिलासपुर में एक एक केस पाए गए। यहां के मरीज स्वस्थ्य होकर अपने घरों में क्वारंटाइन हैं।
कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए पुलिस के जवानों ने रात दिन एक कर हर तरह से लोगों के स्वास्थ्य की हिफाजत में अपनी पूरी ऊर्जा झोंक दी है। बिलासपुर में एक महिला का स्वास्थ्य खराब होने पर काफी देर तक एंबुलेंस नहीं आई, तो ड्यूटी पर तैनात एक पुलिस अफसर ने सड़क के किनारे खड़े एक रिक्शे पर बीमार महिला को बिठाकर अस्पताल पहुंचाया।
कोरोना की नई फाइटर
अंबिकापुर की अनविता न तो डाॅक्टर है और न ही स्वास्थ्य कर्मी। लेकिन 11 वी की यह छात्रा कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए छोटेे बच्चों को प्रेरित ही नहीं, बल्कि जागरूक भी कर रही है। लाॅक डाउन के दौरान घर में रहते हुए वह छोटे बच्चों को टास्क देकर उन्हें पुरस्कृत कर रही है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में उसके इस कार्य पर डब्ल्यू एच.ओ संस्था ने उसे ‘‘युवा कोरोना फाइटर’’ से पुरस्कृत कर प्रमाण पत्र जारी किया है। अनविता मेडिकल काॅलेज के माइक्रोबाॅयोलाजी विभाग में के डाॅ आर कृष्णामूर्ति की बेटी हैं । अभी तक अनविता 80 से अधिक बच्चों को जागरूक कर चुकी हैं।
दीनदयाल रसोई
राजनीति से परे होकर बीजेपी ने राजधानी रायपुर में लॉक डाउन में जरूरतमंदों के सहयोग के लिए हेल्प डेस्क चलाया। गरीब परिवारों की सहायता के लिए 6 अप्रैल से भाजपा स्थापना दिवस से दीनदयाल रसोई प्रारंभ की गई है। दीनदयाल रसोई से प्रतिदिन 2000 पैकेट भोजन पका कर जरूरतमंद को बांटा जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कार्यकर्ताओं को इस सेवा कार्य को तब तक करते रहने की अपील की जब तक यह संकट टल ना जाये।
दवाइयों की पूर्ति विमान से
रायपुर के स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट आम लोगों के लिए पूरी तरह से बंद है। मगर दवाइयों की सप्लाई के लिए विमान आ रहे हैं। कार्गो विमान से दवाएं एम्स में भेजी गईं। इस तरह का यह तीसरा विमान था। हवाई रास्ते से ही दवाएं और डॉक्टरों के लिए प्रोटेक्शन किट्स आ रहा है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बताया है कि केन्द्र सरकार ने अनुमति दे दी है इसलिए रायपुर के अंबेडकर अस्पताल की लैब में अब कोरोना के सैंपल की जांच होती है। अभी तक जांच की सुविधा रायपुर एम्स और जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में ही थी।
कोशिश रहती है बेटा न देखे
रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह बताते हैं उम्र दराज सास ससुर के साथ घर में दो छोटे बच्चे भी हैं। उनका छोटा बेटा जो सिर्फ एक वर्ष का हैं, अपने पापा के देर रात घर मे ड्यूटी से आते ही दूर से देखकर दौड़ कर पास आने के जिद करता हैं। लेकिन वो उससे बचते हुए घर के बाहरी हिस्से के कमरे में चले जाते हैं।
जनसेवा पहले,शादी बाद में
कोरोना वायरस का असर अब होने वाले शादियों पर भी पड़ा है। जनपद पंचायत अभनपुर में पदस्थ सीईओ शीतल बंसल ने कोरोना वायरस के चलते अपने शादी टाल दी है। 26 मार्च को उनकी शादी भारतीय वन सेवा के आयुष जैन के साथ होने वाली थी। शीतल बंसल और उनके मंगेतर ने कोरोना के संक्रमण से अपने क्षेत्र को सुरक्षित रखने को प्राथमिकता देते हुए शादी की तारीख आगे बढ़ा दी है। शीतल बंसल 2017 बैच की राज्य प्रशासनिक सेवा की डिप्टी कलेक्टर हैं।
नायाब तरीका
लोरमी एसडीएम रुचि शर्मा ने लॉक डाउन का उल्लंघन कर बिना ठोस वजह के सड़क में नजर आने या नियम को तोड़ने वाले लोगों को सबक सिखाने के लिए स्लोगन लिखी तख्तियां बनवाई हैं। जिसमें लिखा हुआ है कि मैं संक्रमण फैलाऊंगा पर सावधानी नहीं बरतूंगा। मैं अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए देश को खतरे में डाल सकता हूं। मैं लोरमी को सुरक्षित नहीं रहने दूंगा लोरमी का दुश्मन हूँ। मुझे अपने देश से प्यार नहीं है इसलिए मैं घर से बाहर निकलकर संक्रमण फैला रहा हूँ’’। ऐसी व्यवस्था से अब सड़कांे पर कोई नजर नहीं आता।
नक्सली गढ़ की देवदूत
अबूझमाड़ के नक्सलगढ़ में 43 गांव ऐसे हैं जहां सड़क.बिजली, पानी स्कूल और अस्पताल नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की कर्मचारी रानी मंडावी, सुनीत मरावी, सुमित्रा सोढ़ी, रत्नी ककेम कई किलोमीटर पैदल चलकर अबूझमाड़ के दुर्गम इलाके में थर्मल स्क्रीनिंग किट और मॉस्क लेकर गांव,गांव पहुंच रही हैं। इनकी तैनाती भैरमगढ़ इलाके में इंद्रावती नदी के पार अबूझमाड़ के सरहदी गांवों के चार उप स्वास्थ्य केंद्रों में है। नक्सल इलाके में महिला स्वास्थ्यकर्मी कोरोना को मात देने में जुटी हैं। कांकेर में 76 स्वसहायता समूहों की 207 महिलाएं मास्क बना रही हैं। समूहों को 50 हजार मास्क बनाने का आर्डर मिला है। लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों को घर,घर राशन व जरूरी सामान भी मुहैया करा रहा है। बस्तर में पहली बार पार्षद बनी कोमल सेना घर में खुद से मास्क बनाने में जुटी हुई है।
पत्तों के मास्क से सुरक्षा
कांकेर के आमाबेड़ा का ग्राम कुरूटोला आदिवासी बाहुल्य इस गांव से जागरूकता की नायाब मिसाल सामने आई है। संक्रमण से बचने के लिए मास्क पहनने की सलाह दी गई है। स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव होने की वजह सें ग्रामीणों ने देशी तरीका अपनाया और पेड़ के पत्तों से ही मास्क बना लिया है। ग्रामीण अब इसी का उपयोग कर रहे हैं। सरकार की ओर से जारी की गई एडवाइजरी को भी मान रहे हैं।