Tuesday, April 21, 2020

थैंक्यू मिस्टर कोरोना..



 0 रमेश तिवारी ‘‘रिपु’’

मिस्टर कोरोना तुम्हें थैंक्यू करने का मन कर रहा है। तुम्हारी वजह से पूरी दुनिया लाॅक डाउन होने से गुस्सा है, लेकिन करीब 50 से 75 हजार लोग प्रीमैच्योर मौत से बच गए। साफ,सुथरी हवा मिलने से 5 साल से कम उम्र के करीब 4000 बच्चे और 70 साल से नीचे के 51000 से 73000 वयस्कों की जिंदगी प्रदूषण नहीं होने की मुसीबत से बच गई।


तुम्हारी वजह सेे पूरी दुनिया को यह बात समझ में आई कि भारत नमस्ते क्यों करता आया है। शाकाहारी बने,तंदुरूस्त रहें। ऐसा कहने के पीछे,भारत का राज क्या है? तुम धन्यवाद के हकदार हो। तुम्हारी वजह से कई जगह गंगा का पानी निर्मल हो गया। जबकि गंगा को निर्मल करने के लिए चार हजार करोड़ रूपये से अधिक खर्च हो चुके हैं। लेकिन राम की गंगा मैली की मैली रही। लॉकडाउन से नदी में औद्योगिक कचरे की डंपिंग में कमी आई है। गंगा का पानी ज्यादातर मॉनिटरिंग सेंटरों में नहाने के लिए उपयुक्त पाया गया है।
हवाई सफर रूकने से कार्बन डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, बैंजीन आदि गैसों के उत्सर्जन में 22 फीसदी की कमी आई है। हवा स्वच्छ हो गई। धरती की ओजोन में बढ़ते छिद्र से वैज्ञानिक परेशान हो रहे थे। धरती गर्म होती जा रही थी। लेकिन ऐसी सारी समस्या छू हो गई है। शिकायत रहती थी कि लोग अपने बच्चों को,पति,पत्नी एक दूसरे को समय नहीं दे पाते थे। भाग दौड़ की जिन्दगी में रिश्तों में दरार बढ़ गई थी। आज इसकी शिकायत किसी को नहीं है। आम आदमी कहता था कि कानून का राज कब आयेगा? अब रोजनामचे में एफआईआर नहीं दिख रही है। अपराधी किस बिल में घुस गये पुलिस को भी पता नहीं।
शहर से लेकर गांव तक खामोशी पसरी हुई है। इतनी खामोशी से जंगल के जानवर भी हैरान हो गए हैं। वे जंगल से शहर की सड़कों पर यह देखने निकल आए हैं कि आखिर हो क्या गया है। डायनासोर जिस तरह लुप्त हो गया है, कहीं आदमी भी लुप्त तो नहीं हो गए हैं? सड़कों पर मोर नाच रहे है। वो भी बेमौसम में। हिरण सड़कों पर धमाल कर रही हैं। हाथी झुंड के झुंड जंगलों से निकल कर शहरों में आ गए हैं। तुम्हारे आने से दहशत और मौत की एक तरफ तस्वीर है, तो दूसरी तरफ दुनिया की अदुभुत तस्वीर भी देखने को मिली।

हाय,मै निशा जिंदल..



 0 रमेश तिवारी ‘‘रिपु’’


सुन्दर काया, सुन्दर चेहरे और इश्क से भी ज्यादा मीठी भाषा कहीं है, तो सिर्फ फेस बुक की अनदेखी दुनिया में है। सोशल मीडिया ने दो विपरीत दिलों को बहुत करीब ला दिया है। फेस बुक में तुम,तुम नहीं होना, पहली शर्त है, किसी के दिल तक जाने के लिए। अपना नाम निशा जिंदल रख लो। और दिलकश किसी पाकिस्तानी लड़की की तस्वीर पोस्ट कर दो। यानी लड़की की फोटो एकदम से झकास होनी चाहिए।
एक झलक देखते ही डाॅक्टर, पुलिस,पत्रकार,नेता,विधायक सभी आपको फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दें। इतना ही नहीं, आपके बातें करने का लहजा शबनमी होना चाहिए। ऐसा लिख दें तो कमाल हो जाएगा। मै 32 साल की हूं, मन बहुत करता है शादी करने का। लेकिन क्या करूं,मेरा एक बेटा है पांच साल का। मेरे पति एक एक्सीडेंट में पांच साल पहले ही गुजर गये हैं। एक हमसफर की कमी का एहसास होता है। क्या कोई मेरा हमसफर बन सकता है? मै घर से संपन्न हूं। कई बार रात की तन्हाई मेरे अंग अंग में आग लगा देती है।
ऐसा भी लिख सकते हैं, मेरा मन करता है किसी के साथ भाग जाऊं। कोई मेरे साथ घर से भागना चाहेगा? चूंकि आपके फेस बुक में स्मार्ट और खूबसूरत लड़की की तस्वीर है। जाहिर सी बात है कि सलाह देने वाले और लाइक करने वाले दो तीन हजार हो सकते हैं। फालोवर दस हजार भी। मेरे दिल में छेद है। डाॅक्टर ने बताया हैं। आॅपरेशन के लिए मै आर्थिक मदद चाहती हूं। आप मेरे इस अकाउंट में मेरी मदद कर दीजिए प्लीज।
मै जो यह लिख रहा हूं कोई कल्पना वाली बात नहीं है। फेस बुक में ऐसे लोगों की भरमार है। रायपुर पुलिस ने ऐसे की एक लड़के को पकड़ा है, जो चार साल से इजीनियरिंग पास नहीं कर पा रहा है। दिमागी रूप से विक्षिप्त होने के साथ ही, देखने में भी रिक्शा वाले सा है। लेकिन उसके फेस बुक में हसीन लड़की की तस्वीर होने की वजह से ,उसके दस हजार फालोवर है। सैकड़ों कमेंटस और लाइक आते हैं।
झूठ तो झूठ ही होता है। निशा जिंदल के नाम से बनी फर्जी आईडी वाले महाशय ने कोरोना को लेकर जमातियों के खिलाफ ऐसा उल्टा सीधा लिखा कि, पुलिस को उस तक पहुंचना पड़ा और उसे जेल में डाल दिया, साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने के आरोप में।
देखिये आपके फेस बुक में कोई लड़की ,लेखक,डाॅक्टर और पुलिस आॅफिसर बनके आपको मूर्ख तो नहीं बना रही है। आज कल सोच समझ कर कमेंटस करें। एक यूजर शिवांगी बनके आज कल बहुतों को सेवईयां खिलाने वालों के घर में बुके लेकर जाने की बात कर रही है। मैसेजर बाॅक्स में मैसेज भी कर रही है। उसके चेहरे पर फिदा होकर उसकी बातें फालो मत कर लेना,आपको कोरोना हो सकता है।

किलर कोरोना के फाइटर

 छत्तीसगढ़ के 28 जिलों में 23 जिले ग्रीन जोन में हैं। यदि किलर कोरोना के फाइटर देवदूत बनकर मुस्तैदी से न जुटे होते, तो छत्तीसगढ़ के कई जिले दूसरा इंदौर बन जाते। सबने मिलकर लोगों के मन में उम्मीद की आशा जगाई और भरोसे का बीज बोए।

0 रमेश तिवारी ‘‘रिपु’’
               छत्तीसगढ़ भी कोरोना वायरस के प्रकोप से बच नहीं पाया। लेकिन खुशी इस बात की है कि प्रदेश के 28 जिलों में 23 जिले कोरोना के कहर से बचे हुए हैं। किलर कोरोना के फाइटर डाॅक्टर,नर्स,पुलिस,समाज सेवी,सफाई कर्मी आदि मुसीबत की घड़ी में देवदूत बनकर छत्तीसगढ़ को कोरोना का रेड जोन बनने से रोका। वरना छत्तीसगढ़ के कई जिले इंदौर और भोपाल बन गए होते। आम लोगों को डंडा मारने और जबरिया चालान के लिए बदनाम पुलिस ने जनता की दिल से मदद की। इस वजह से जनता उनके स्वागत के लिए इंतजार करते देखी गई। बिलासपुर के हेमू नगर में पुलिस वालों के ऊपर पुष्प वर्षा की गई। वहीं तबलीगी जमात कामयाबी की राह में रोड़ा भी बने। प्रदेश के कुल 33 में से 24 केस कोरबा जिले के कटघोरा तहसील के तबलीगी जमात के हैं। कटघोरा को कोरोना का हाॅट स्पाॅट घोषित कर दिया गया है। कटघोरा से सबसे पहला मामला 4 अप्रैल को तबलीगी जमाती किशोर का ही सामने आया था। वह ठीक होकर महाराष्ट्र के कामठी चला गया है। सभी संक्रमितों का जमाती कनेक्शन है। वहीं राजधानी रायपुर में पांच केस, दुर्ग, राजनांदगावं और बिलासपुर में एक एक केस पाए गए। यहां के मरीज स्वस्थ्य होकर अपने घरों में क्वारंटाइन हैं।
कोरोना वायरस के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए पुलिस के जवानों ने रात दिन एक कर हर तरह से लोगों के स्वास्थ्य की हिफाजत में अपनी पूरी ऊर्जा झोंक दी है। बिलासपुर में एक महिला का स्वास्थ्य खराब होने पर काफी देर तक एंबुलेंस नहीं आई, तो ड्यूटी पर तैनात एक पुलिस अफसर ने सड़क के किनारे खड़े एक रिक्शे पर बीमार महिला को बिठाकर अस्पताल पहुंचाया।   
कोरोना की नई फाइटर
अंबिकापुर की अनविता न तो डाॅक्टर है और न ही स्वास्थ्य कर्मी। लेकिन 11 वी की यह छात्रा कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए छोटेे बच्चों को प्रेरित ही नहीं, बल्कि जागरूक भी कर रही है। लाॅक डाउन के दौरान घर में रहते हुए वह छोटे बच्चों को टास्क देकर उन्हें पुरस्कृत कर रही है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में उसके इस कार्य पर डब्ल्यू एच.ओ संस्था ने उसे ‘‘युवा कोरोना फाइटर’’ से पुरस्कृत कर प्रमाण पत्र जारी किया है। अनविता मेडिकल काॅलेज के माइक्रोबाॅयोलाजी विभाग में के डाॅ आर कृष्णामूर्ति की बेटी हैं । अभी तक अनविता 80 से अधिक बच्चों को जागरूक कर चुकी हैं। 
दीनदयाल रसोई
राजनीति से परे होकर बीजेपी ने राजधानी रायपुर में लॉक डाउन में जरूरतमंदों के सहयोग के लिए हेल्प डेस्क चलाया। गरीब परिवारों की सहायता के लिए 6 अप्रैल से भाजपा स्थापना दिवस से दीनदयाल रसोई प्रारंभ की गई है। दीनदयाल रसोई से प्रतिदिन 2000 पैकेट भोजन पका कर जरूरतमंद को बांटा जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कार्यकर्ताओं को इस सेवा कार्य को तब तक करते रहने की अपील की जब तक यह संकट टल ना जाये।
दवाइयों की पूर्ति विमान से
रायपुर के स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट आम लोगों के लिए पूरी तरह से बंद है। मगर दवाइयों की सप्लाई के लिए विमान आ रहे हैं। कार्गो विमान से दवाएं एम्स में भेजी गईं। इस तरह का यह तीसरा विमान था। हवाई रास्ते से ही दवाएं और डॉक्टरों के लिए प्रोटेक्शन किट्स आ रहा है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बताया है कि केन्द्र सरकार ने अनुमति दे दी है इसलिए रायपुर के अंबेडकर अस्पताल की लैब में अब कोरोना के सैंपल की जांच होती है। अभी तक जांच की सुविधा रायपुर एम्स और जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में ही थी।
कोशिश रहती है बेटा न देखे
रायगढ़ के पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह बताते हैं उम्र दराज सास ससुर के साथ घर में दो छोटे बच्चे भी हैं। उनका छोटा बेटा जो सिर्फ एक वर्ष का हैं, अपने पापा के देर रात घर मे ड्यूटी से आते ही दूर से देखकर दौड़ कर पास आने के जिद करता हैं। लेकिन वो उससे बचते हुए घर के बाहरी हिस्से के कमरे में चले जाते हैं।   
जनसेवा पहले,शादी बाद में
कोरोना वायरस का असर अब होने वाले शादियों पर भी पड़ा है। जनपद पंचायत अभनपुर में पदस्थ सीईओ शीतल बंसल ने कोरोना वायरस के चलते अपने शादी टाल दी है। 26 मार्च को उनकी शादी भारतीय वन सेवा के आयुष जैन के साथ होने वाली थी। शीतल बंसल और उनके मंगेतर ने कोरोना के संक्रमण से अपने क्षेत्र को सुरक्षित रखने को प्राथमिकता देते हुए शादी की तारीख आगे बढ़ा दी है। शीतल बंसल 2017 बैच की राज्य प्रशासनिक सेवा की डिप्टी कलेक्टर हैं। 
नायाब तरीका
लोरमी एसडीएम रुचि शर्मा ने लॉक डाउन का उल्लंघन कर बिना ठोस वजह के सड़क में नजर आने या नियम को तोड़ने वाले लोगों को सबक सिखाने के लिए स्लोगन लिखी तख्तियां बनवाई हैं। जिसमें लिखा हुआ है कि मैं संक्रमण फैलाऊंगा पर सावधानी नहीं बरतूंगा। मैं अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए देश को खतरे में डाल सकता हूं। मैं लोरमी को सुरक्षित नहीं रहने दूंगा लोरमी का दुश्मन हूँ। मुझे अपने देश से प्यार नहीं है इसलिए मैं घर से बाहर निकलकर संक्रमण फैला रहा हूँ’’। ऐसी व्यवस्था से अब सड़कांे पर कोई नजर नहीं आता।
नक्सली गढ़ की देवदूत
अबूझमाड़ के नक्सलगढ़ में 43 गांव ऐसे हैं जहां सड़क.बिजली, पानी स्कूल और अस्पताल नहीं है।   स्वास्थ्य विभाग की कर्मचारी रानी मंडावी, सुनीत मरावी, सुमित्रा सोढ़ी, रत्नी ककेम कई किलोमीटर पैदल चलकर अबूझमाड़ के दुर्गम इलाके में थर्मल स्क्रीनिंग किट और मॉस्क लेकर गांव,गांव पहुंच रही हैं। इनकी तैनाती भैरमगढ़ इलाके में इंद्रावती नदी के पार अबूझमाड़ के सरहदी गांवों के चार उप स्वास्थ्य केंद्रों में है। नक्सल इलाके में महिला स्वास्थ्यकर्मी कोरोना को मात देने में जुटी हैं। कांकेर में 76 स्वसहायता समूहों की 207 महिलाएं मास्क बना रही हैं। समूहों को 50 हजार मास्क बनाने का आर्डर मिला है। लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों को घर,घर राशन व जरूरी सामान भी मुहैया करा रहा है। बस्तर में पहली बार पार्षद बनी कोमल सेना घर में खुद से मास्क बनाने में जुटी हुई है।
पत्तों के मास्क से सुरक्षा
कांकेर के आमाबेड़ा का ग्राम कुरूटोला आदिवासी बाहुल्य इस गांव से जागरूकता की नायाब मिसाल सामने आई है। संक्रमण से बचने के लिए मास्क पहनने की सलाह दी गई है। स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव होने की वजह सें ग्रामीणों ने देशी तरीका अपनाया और पेड़ के पत्तों से ही मास्क बना लिया है। ग्रामीण अब इसी का उपयोग कर रहे हैं। सरकार की ओर से जारी की गई एडवाइजरी को भी मान रहे हैं।