Saturday, May 23, 2020

पांव पांव पहुंचा कोरोना


कोरोना मुक्ति की ओर कदम बढ़ा रहे छत्तीसगढ़ में कोरोना पांव,पांव पहुंचा। अप्रैल माह तक आधा सैकड़ा भी मरीज नहीं थे। लेकिन मजदूरों की वापसी ने लाॅक डाउन की हवा निकाल दी। माना जा रहा है कि जून तक कोरोना मरीजों की संख्या पांच सैकड़ा पहुंच सकती है।











0 रमेश कुमार ‘रिपु’
           छत्तीसगढ़ कोरोना मुक्ति की ओर कदम बढ़ा रहा था। यहां मरीजों की संख्या अन्य राज्यों की तरह तेजी से नहीं बढ़ी। एम्स से 95 फीसदी मरीज स्वस्थ्य होकर अपने अपने घर चले गये। लेकिन चार मई को शराब दुकान खुलने के बाद,कोरोना मरीजों में संख्या में थोड़ा इजाफा हुआ। सबसे अधिक कोरोना मरीजों में तेजी पन्द्रह से बीस मई के बीच देखी गई। 25-25 मरीज एक दिन में मिले। जाहिर सी बात है कि अन्य राज्यों से आने वाले प्रवासी मजदूरों की वजह से कोरोना मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं,केन्द्र सरकार लाॅक डाउन से पहले यदि मजदूरों को उनके राज्यों में भेजने का इंतजाम कर देती, तो कोरोना मरीज जो अब बढ़ते क्रम में दिख रहे हैं,ऐसी स्थिति न आती। राहुल गांधी के कहने पर केंद्र सरकार मजदूरों के खाते में 7500 रुपए डाल देती, तो वे सड़कों पर नहीं भटकते’’।  
सवा दो लाख मजदूर आएंगे
श्रम मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया ने प्रथम प्रवक्ता को बताया कि अन्य राज्यों में फंसे अब तक 75 हजार मजदूरों की छत्तीसगढ़ वापसी हो चुकी है। इनमें से 16 हजार मजदूर रेलमार्ग से आए हैं। जबकि शेष सड़क मार्ग से आए हैं। अन्य राज्यों में फंसे श्रमिकों को लाने के लिए 43 विशेष ट्रेनों को मंजूरी दे दी गई है। राज्य शासन के एप में अभी तक दो लाख 27 हजार लोगों ने वापस आने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। राज्य सरकार 22 ट्रेनों के लिए अब तक रेलवे को कुल 1.88 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुकी है। श्रमिकों के रेल और बस से आने का खर्चा श्रम विभाग उठाएगा। मजदूरों को लाने में लगभग 10 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। जम्मू से श्रमिकों को लाने के साथ ही उत्तराखंड जाने वालों  के लिए भी ट्रेन की व्यवस्था की गई है।  
एक सैकड़ा के पार कोरोना
प्रदेश में संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 105 हो गई है। माना जा रहा है कि जून तक पांच सैकड़ा मरीज हो सकते हैं। कोरोना के 31341 संभावित मरीजों की जांच में 29812 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। 1463 सैंपलों की जांच जारी है। वहीं 59 मरीज ठीक होकर घर लौट चुके हैं। वापस आए मजदूरों को क्वारंटीन सेंटर ले जाने के लिए बसों की व्यवस्था की गई हैं। 24 हजार 805 लोगों को क्वारंटीन किया गया है। आने वाले सभी श्रमिकों का स्वास्थ्य परीक्षण के लिए राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 16 हजार 599 और शहरी क्षेत्रों में 623 क्वारंटीन सेंटर बनाए गए हैं। बालोद में 17 मई को कोरोना संक्रमण के 25 नए मामले सामने आए हैं। ये अब तक के एक दिन में सबसे ज्यादा संक्रमण का केस हैं। अब कोरोना के मरीज उन इलाकों से मिलने लगे हैं,जहां इसकी आशंका नहीं थी। राज्य में कोरोना पॉजिटिव का पहला मामला रायपुर में, मार्च के प्रथम सप्ताह में विदेश से लौटी युवती से सामने आया था। अब जिन लोगों में कोरोना संक्रमण दिख रहा है,सभी सामान्य नागरिक या श्रमिक हैं।
तो सैकड़ों की मौत नहीं होती
स्वास्थ्य मंत्री टी.एस सिंहदेव ने कहा कि अगर भारत सरकार सभी राज्यों के लिए शुरू से ट्रेन चला देती तो लाखों मजदूर सड़कों पर पैदल चलने को मजबूर नहीं होते। सैकड़ों मौतें नहीं होतीं। छत्तीसगढ़ से होकर गुजरने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या 12 से 15 हजार हैं। उनके भोजन की व्यवस्था और राज्यों की सीमा तक छोड़ने की व्यवस्था कर रहे हैं। मजदूर गुजरात से महाराष्ट्र होकर यहां पहुंच रहे हैं। यहां से ओडिशा, झारखंड, बिहार, यूपी,एमपी जा रहे हैं। इनमें से अधिकांश राज्यों में तो बीजेपी की सरकारें हैं। लोगों का जीवन नर्क बना दिया है। ताली बजवाने में एकजुटता का श्रेय केन्द्र सरकार लेती है,ं तो लाखों मजदूरों के सड़क पर चलने की जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए’’।
 क्वारंटीन सेंटरों में होंगे 85 हजार टेस्ट
राज्य में में 17 हजार से ज्यादा क्वारंटीन सेंटरों की क्षमता करीब 5.5 लाख है। मई के अंत तक क्वारंटीन सेंटर में रखे प्रवासी मजदूरों के 85 हजार से ज्यादा रैपिड टेस्ट करने की रणनीति बनाई गई है। हर ब्लॉक में औसतन 50 क्वारंटीन सेंटर के हिसाब से फिलहाल 17183 सेंटर हैं। इनमें 56 हजार से ज्यादा श्रमिक रखे गए हैं। किसी भी सेंटर में अगर एक भी पॉजिटिव केस मिलता है तो वहां रह रहे सभी का कोरोना टेस्ट किया जाएगा। ये पूरी प्रक्रिया 14 दिन के क्वारैंटाइन पीरियड के दौरान की जाएगी। सैंपल अलग,अलग आयु समूह के आधार पर एकत्र होंगे, ताकि वैज्ञानिक तरीके से इसका आकलन किया जा सकेगा।     
मजदूरों ने केयरटेकर को पीटा
मजदूरों की परेशानियां और उनका दर्द देखकर मन गुस्से से भर जाता है। वहीं देश भर में जन सेवक जगह जगह उनकी सेवा के लिए पानी,भोजन,चप्पल लेकर खड़े हैं। फिर भी कुछ मजदूर मूड़े आ गए हैं। छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के एक क्वारंटाइन सेंटर में श्रमिकों ने केयरटेकर चमन साहू की जमकर धुनाई कर दी। वजह ये थी कि मजदूरों की फरमाइश पर उन्हें खाने में लस्सी नहीं दी गई। मजदूर क्वारंटीन सेंटर में आने के बाद समझते हैं, उन्हें फाइव स्टार होटल की तरह सुविधा मिलेगी। संक्रमण के डर ने पुलिस के भी हाथ पैर बांध दिए हैं। जिसका खूब फायदा प्रवासी मजदूर उठा रहे हैं। एक तो पहले ही गांव के लोग यहां क्वारंटीन सेंटर बनाए जाने से नाराज है और अब इन मजदूरों के नखरे उठा कर और उनकी फरमाइश पूरी करते,करते लोगों के सब्र का बांध अब टूटने लगा है। कोरिया के क्वारंटीन सेंटर से भागे दो मजदूरों की रिपोर्ट 7 मई को पाॅजिटिव आई। दोनों मजदूर बैकुंठपुर स्थित क्वारंटीन सेंटर में थे, और सैंपल देने के बाद झारखंड भाग निकले। जगदलपुर के स्व. बलिराम कश्यप मेडिकल कॉलेज में बने क्वारंटाइन सेंटर से तमिलनाडु के भागे दो ड्राइवर  पकड़े जाने के बाद जेल भेज दिए गए हैं। मुंगेली से चार मजदूर, और दंतेवाड़ा जिले में अरनपुर के क्वारंटीन सेंटर से 23 मजदूर फरार हो गये।
मुख्यमंत्री की मांग
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चाहते हैं केन्द्र सरकार धान का कोटा 24 लाख टन से बढ़ाकर 31.11 लाख टन कर दे। स्वास्थ्य कर्मियों की तरह पुलिस निगम जिला एवं अन्य विभागों के लोगों को भी पी.एम गरीब कल्याण पैकेज में शामिल करें। मनरेगा के तहत 200 दिन का रोजगार दिया जाए ताकि,लोगों को मई,जून में भी काम दिया जा सके। राज्य के कोल ब्लॉकों से कोयला मंत्रालय द्वारा जमा कराई गई 4140 करोड़ रुपए की लेवी राज्य को दी जाए। राज्य का वित्तीय घाटा भी इस वर्ष जीएसडीपी के 5 प्रतिशत के बराबर रखे जाने तथा उधार की सीमा जीएसडीपी के 6 प्रतिशत तक शिथिल किया जाए।
सी.एम कोष में 56 करोड़ आए
कोविड 19 की रोकथाम और जरूरतमंदों की मदद के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष में कुल 56 करोड़ 4 लाख 38 हजार 815 रुपये जमा हुए। कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिये सरकार ने सभी 28 जिलों को 25.25 लाख रुपये और 11 जिलों को 20.20 लाख रुपये जारी किए थे। इस तरह जिलों को अब तक 10 करोड़ 40 लाख रुपये जारी किया जा चुका है। 45 करोड़ 79 लाख 8 हजार 815 रुपये अब भी मुख्यमंत्री सहायता कोष में बचे हैं।   
रोजगार गारंटी में काम
राज्य के श्रम सचिव सोनमणि बोरा ने बताया कि लाॅक डाउन के वक्त करीब 1 लाख 29 हजार मजदूरों ने सरकार से मदद मांगी। उन्हें राशन के साथ नगद मदद की गई। अनुमान है कि छत्तीसगढ़ के करीब तीन लाख लोग दूसरे राज्यों में जाकर मजदूरी करते हैं। इनमें से 50 हजार के आसपास दूसरे राज्यों से पैदल आ गए, जिन्हें 14 दिन के क्वारंटाइन के साथ गावों में रोजगार गारंटी के काम में लगा दिया गया है। 30 हजार के करीब सरकारी साधनों ट्रेन और बसों से आ चुके हैं। वापसी के इच्छुक प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए राज्य सरकार 28 ट्रेनों की मांग की थी, 15 की अनुमति मिली है। कुछ प्रक्रियाधीन है। ग्राम पंचायत जनपद पंचायत में नए जाॅब कार्ड के लिए आवेदन देने पर 15 दिवस के भीतर जाॅब कार्ड बन जाएगा। आवेदक का उक्त ग्राम पंचायत का मूल निवासी होना अनिवार्य है एवं आवेदक का किसी भी जाॅब कार्ड में नाम नहीं होना चाहिए। राज्य में 1200 से अधिक लघु और माध्यम उद्योग चालू करा दिए गए हैं। लगभग 92 फीसदी लोगों को रोजगार मिल गया है। इसमें काम करने वाले 60 फीसदी से अधिक मजदूर दूसरे राज्यों के हैं। उम्मीद है कि वे अब अपने राज्य नहीं जायेंगे। 
समर्थन मूल्य की राशि दी
प्रदेश के 18 लाख से ज्यादा किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत पहली किस्त 21 मई से सीधे उनके खाते में जाएगी। इसके लिए 51 सौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। किसानों को धान के अंतर की राशि 665 और 685 रुपए दी जाएगी। अंतर की राशि की दूसरी किस्त जुलाई,अगस्त में दिए जाने की संभावना है। उद्योगों में काम शुरू होने से 91 हजार 997 श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है। मनरेगा के तहत 9883 पंचायतों में 20 लाख लोगों को रोजगार मिला, जो कि पूरे देश के मनरेगा में 24 प्रतिशत भागीदारी है। वन विभाग की विभिन्न योजनाओं में कुल 6 लाख 42 हजार 949 वनवासियों को रोजगार भी प्रदान किया है।