Saturday, May 8, 2021

मौत की लहर और बेपरवाह सरकार











सरकार की लापरवाही में मौत की दूसरी लहर ने साढ़े सात हजार लोगों की जानें ले ली। बेपरवाह सरकार ने राजधानी रायपुर कोरोना की राजधानी बना दिया। बेबस जनता अस्पतालों में आॅक्सीजन,बेड और जीवन रक्षक दवाई के लिए परेशान है। शवों को कचरा गाड़ी में ले जाया गया। अंतिम समय भी सम्मान नहीं दे सकी सरकार।   
0 रमेश तिवारी’रिपु’
            छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने का दावा करते थे। प्रदेश में सरकार की लापरवाही की वजह से साढ़े सात हजार मौत के बाद जनता पूछ रही है,‘‘ क्या यही नवा छत्तीसगढ़ है? राजधानी रायपुर कोरोना की राजधानी बन गई है। प्रदेश में पहली मौत 29 मई 2020 को हुई थी। इस समय राजधानी रायपुर में रोज 66 और प्रदेश में औसत मौत 175 है। सवाल यह है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को जब पता था कि कोविड की दूसरी लहर पहली लहर से भयावह होगी, बावजूद इसके उन्होंने राजधानी रायपर में आईपीएल का मैच क्यों कराया और जी खोल कर फ्री कूपन क्यों बांटे। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर अपनी राजनीतिक छवि बनाने के लिए असम में चुनाव प्रचार करने पहुंँच गए। इधर प्रदेश में कोरोना का ओलंपिक शुरू हो गया फिर भी मुख्यमंत्री ने कमान नहीं संभाली। देखते ही देखते छत्तीसगढ़ देश में कोरोना के मामले में पांँचवा राज्य बन गया। कोविड की दूसरी लहर मौत की सूनामी बन गई।      
व्यापारी राजकुमार ग्वालानी कहते हैं,‘‘हिन्दुस्तान के अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर रंगून में एक शेर लिखे थे,‘‘ कितना बदनसीब है जफर दफ्न के लिए,दो गज जमीन भी नहीं मिली कू ए यार में’’। बहादुर शाह जफ़र भी नहीं जानते थे कि आगे चलकर यह शेर बहुतों की जिन्दगी की बानगी हो जायेगा। बेदिल दिल्ली से लेकर छत्तीसगढ़ तक के अस्पतालों में मरने के लिए लोगों को एक बेड भी नसीब नहीं होगा।’’  
कोविड की आपदा पर प्रदेश सरकार की खामियों पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय ने कहा,‘‘पहली लहर में केंद्र से लॉकडाउन का अधिकार मांगने वाले भूपेश अपनी जिम्मेदारियों से बचते हुए कोरोना रोकथाम की जिम्मेदारी कलेक्टर पर डाल दिए हैं। आज पूरा प्रदेश कोरोना से त्रस्त है और भूपेश अपनी राजनीति में मस्त है।’’
विपक्ष ने मांगा हिसाब
छत्तीसगढ़ में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने 24 अप्रैल को अपने घरों के बाहर कोरोना से होने वाली मौत, अस्पतालों की अव्यवस्था, दवाईयों की कालाबाजारी के साथ सरकार से डीएमएफ डिस्ट्रिक्ट माईनिंग फंड के दो हजार करोड़ और शराब के सेस के चार सौ करोड़ रूपये का हिसाब मांगा। पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह ने कहा,‘ सरकार दावा कर रही है कि 850 करोड़ रूपये कोरोना इलाज के लिए बजट निर्धारित किया गया है। सरकार बताए कि खर्च कहाँ-कहाँ किया गया है।’’ वहीं कांग्रेस और अन्य पार्टियों के लोग पिछले एक डेढ़ साल से प्रधानमंत्री केयर्स फंड का हिसाब मांँग रहे हैं। सवाल यह है कि दोनों पार्टियों के नेता मिलकर छत्तीसगढ़ के हितों के लिए यहाँ की स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए क्यों नहीं हिसाब माँगते। ऐसा क्यों नहीं सोचते बस्तर में कोई बड़ी नक्सली वारदात होती है, तो घायल जवानों को हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर से रायपुर के प्रायवेट और सरकारी मेडिकल कालेज क्यों लाना पड़ता है? जबकि बस्तर में विकास के नाम पर  करोड़ों रूपये व्यय होते हैं। अरबों की खनिज वन संपदा यहाँ से बाहर जाती है। रायपुर राजधानी का मुँह क्यों देखना पड़ता है?
बहरहाल अब पीएम केयर के माध्यम से प्रदेश के चार जिलों आॅक्सीजन प्लांट लगेगा। वहीं राज्य के सभी जिलों में कुल 1322 आइसोलेशन बेड की व्यवस्था की गई है और आवश्यकतानुसार मरीजों को भर्ती कर उपचार किया जा रहा है। रायपुर में 158 आइसोलेशन बेड है, जबकि सबसे अधिक मरने वालों की संख्या यहाँ है।
टीकाकरण के दावे में झोल
सरकार दावा करती है कि रायपुर में रोज 40 हजार टीकाकरण की क्षमता है,लेकिन वैक्सीनेशन की रफ्तार बाकी जिलों की तुलना में धीमी है। यहांँ पांँच हजार टीके भी रोज नहीं लग रहे हैं। दो सौ केन्द्र की जगह मात्र 99 केन्द्रों में टीकाकरण हो रहा है। इस पर स्वास्थ्य मंत्री टी.एस सिंहदेव ने कहा कि वैक्सीन उत्पादक कंपनियां समय से वैक्सीन उपलब्ध कराने को तैयार नहीं हैं। अगर समय से वैक्सीन नहीं मिली तो हमारे पास टीकाकरण अभियान चलाने का कोई तरीका नहीं है। स्वास्थ्यमंत्री का दावा है अभी हमारे पास टीकाकरण के 3 हजार केंद्र हैं। यहांँ 7 हजार वैक्सीनेटर तैनात हैं। इन केंद्रों की संख्या बढ़ाई भी जा सकती है लेकिन वैक्सीन ही नहीं मिलेगी तो वैक्सीनेशन कैसे होगा? केंद्र सरकार से मूल्य और आपूर्ति की सुगमता आदि पर बातचीत कर रहे हैं। जल्द ही सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड वैक्सीन के 50 लाख डोज का पहला ऑर्डर भेजा जा सकता है।  
साँसों के सौदागर  
कोविड को सरकार नियंत्रित नहीं कर पाई वहीं दूसरी ओर साँसों के सौदागर लोगों की मदद करने की बजाए रेमडेसिविर इंजेक्शन मनमानी कीमत पर बेचते पकड़े गए। पकड़े गए युवकों का राजनीतिक कनेक्शन ने कई सवाल खड़े कर दिये हंै।साइबर सेल के प्रभारी रमाकांत साहू ने बताया कि ये लोग 15 से 30 हजार रुपए में इंजेक्शन बेच रहे थे। इनके पास से 9 इंजेक्शन और 1 लाख 58 हजार रुपए मिले हैं।
जनता को लूट रहें    
देश के दूसरे कोरोना वैक्सीन उत्पादक भारत बायोटेक ने भी राज्य सरकारों और खुले बाजार के लिए वैक्सीन के दाम तय कर दिये हैं। इसके मुताबिक यह राज्य सरकारों को 600 रुपए और निजी अस्पतालों को 1200 रुपए प्रति डोज की दर से बेची जाएगी। अब इस दाम को लेकर बवाल मच गया है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार पर जनता को लूटने का आरोप लगा दिया है। सीरम इंस्टीट्यूट ने अपनी वैक्सीन कोवीशील्ड का दाम राज्यों के लिए 400 रुपए और खुले बाजार के लिए 600 रुपया प्रति डोज तय किया है। यह कंपनी केंद्र सरकार को 150 रुपए प्रति डोज में वैक्सीन उपलब्ध करा रही है। इसको लेकर राज्यों में भारी असंतोष दिख रहा है।
कचरा गाड़ी में शव
कांग्रेस सरकार के कारण राज्य में उत्पन्न कोरोना संबंधित अव्यवस्थाओं के विरोध में भाजपा का हर नेता अपने -अपने निवास में एक दिवसीय धरना दिया। पूर्व मंत्री एंव विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस की अव्यवस्था का आलम यह है कि छत्तीसगढ़ में अस्पतालों में जगह नहीं है। वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है। ऑक्सीजन सरकार उपलब्ध नहीं करा रही है और सरकार मृतकों का भी सम्मान न कर कचरा  गाड़ी में ढोकर उनका अंतिम संस्कार कर रही है। ऐसी सोई सरकार को जागृत करने के लिए आज भाजपा प्रदेश भर में धरने पर बैठी है। गौरतलब है कि राजनांद गांव के डोंगरगांव ब्लॉक में दो सगी बहनों सहित 4 लोगों की कोरोना से मौत हुई। जिसके बाद इनके शवों को एम्बुलेंस तक प्रशासन ने मुहैया नहीं कराया बल्कि नगर पंचायत के कचरा फेंकने वाले वाहन से शवों को ले जाया गया।
मदद के लिए बढ़ाया हाथ
आॅक्सीजन की कमी का सामना एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार कर रही है,वहीं 11 अप्रैल से 24 अप्रैल तक छत्तीसगढ़ से 270695 मेट्रिक टन आक्सीजन की अन्य राज्यों को आपूर्ति कर जरूरतमंद राज्यों को सहायता पहुंचाई गई है। 11 अप्रैल से 24 अप्रैल तक छत्तीसगढ़ से कर्नाटक को 1682 मेट्रिक टन, आंध्रप्रदेश को 17669 मेट्रिक टन, मध्यप्रदेश को 80122 मेट्रिक टन, गुजरात को 12042 मेट्रिक टन तेलंगाना को 578 मेट्रिक टन और महाराष्ट्र को 10138 मेट्रिक टन मेडिकल आक्सीजन की आपूर्ति की गई है। वहीं सरकार की तमाम दलीलों के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि, ऑक्सीजन उपलब्ध कराना राज्य की जिम्मेदारी है। वह सुनिश्चित करे कि इसकी कमी से किसी मरीज की मौत न हो। चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने कहा कि उद्योगपतियों से सरकार सामंजस्य बनाएए जिससे ऑक्सीजन और इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में मदद मिले।
आपदा में भेदभाव का आरोप
काग्रेस प्रवक्ता एवं संसदीय सचिव विकास उपाध्याय कहते हैं,‘‘विधायकों को एक माह का वेतन देने की बात आती है, तो कांग्रेस के विधायक मुख्यमंत्री सहायता कोष में राशि देते हैं और भाजपा के विधायक जिला राहत कोष के अलावा अपने लोगों से पीएम केयर्स फंड में राशि दिलवाते हैं। जाहिर है कि बीजेपी वाले आपदा में सहायता राशि देने में भी भेदभाव रखते हैं।  
सीनियर ऑर्थोपीडिक सर्जन डॉ एस फुलझेले और डॉ आरके पंडा के अनुसार कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर एक भीषण ज्वार की तरह उभरी है। पहल लहर की तुलना में करीब पांँच गुना तेज है। हर्ड इम्यूनिटि हासिल करने के लिए 75 फीसदी आबादी का टीकाकरण करना होगा। देरी से जांँच व इलाज में देरी भारी पड़ रही है। लक्षण दिखते ही जांच करवाने व समय पर इलाज कराने से आधी से ज्यादा मौतें रोकी जा सकती हैं। मॉस्क पहनकर 99 फीसदी संक्रमण को रोका जा सकता है।
बहरहाल कोविड के प्रति सरकार खबरदार नहीं थी। वहीं जनता के साथ सरकार की लापरवाही ने कोरोना को बढ़ने का मौका दिया। टीकाकरण को राज्य सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया।