Wednesday, December 21, 2022

बेशर्म रंग कहाँ देखा दुनिया वालों ने..

.. दीपिका ने रचनात्मक कला केे जरिए केसरिया बिकनी पहनकर थिरकते हुए देश को बताया,कि केसरिया बेशर्म रंग है। यानी कि केसरिया समर्थक और केसरिया पार्टी की सरकार भी बेशर्म है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर विभिन्न माध्यमों से हिन्दू धर्म और संस्कृति को निशाना बनाने की यह सोची समझी साजिश है। 0 रमेश कुमार ‘रिपु’ फारसी का शब्द है रंग। जिसका अर्थ मिजाज और हाल-चाल होता है। लेकिन रंग जब सियासी हो जाए या फिर मजहबी,तो रंग के मायने बदल जाते हैं। उनकी तासीर बदल जाती है। फिर रंग का रंग,देखते बनता है। दुनिया वालों ने कई रंग देखे हैं। फूट के रंग। प्यार के रंग। दंगे का रंग। मगर,फिल्मी दुनिया ने एक नए रग से परिचय कराया है। बेशर्म रंग। आदमी बेशर्म होता है। सुना है। लेकिन बेशर्म रंग कहाँ देखा है दुनिया वालों नें गीत के बोल पर दीपिका पादुकोंण को केसरिया बिकनी में थिरकते देख कर दर्शकों के होश उड़ गए। उनके जेहन पर सवालों की बौछारें भी पड़ी। क्यों कि अभी तक हिन्दू यही जानता है,कि केसरिया आस्था,शौर्य,और गौरव का प्रतीक है। और हरा रंग इस्लाम की आस्था से जुड़ा है। जाहिर सी बात है,हर रंग कुछ कहता है। बशर्ते रंग की जुबां को समझें।  ‘पठान’ फिल्म के ट्रेलर को देखकर लोगों ने फिल्म को नकार दिया था। कहा गया,कि यह फिल्म हॉलीवुड मूवी वॉर और मार्वल्स की कॉपी है। लेकिन दीपिका पादुकोंण ने केसरिया रंग की बिकनी पहनकर जिस अंदाज में थिरकी है,वह दर्शकों के साथ सियासी जगत का भी ध्यान अपनी ओर खींचा है। पठान फिल्म के बेशर्म रंग के गाने को यूट्यूब पर अब तक छह करोड़ से अधिक लोग देख चुके हैं। दीपिका ने रचनात्मक कला केे जरिए केसरिया बिकनी पहनकर थिरकते हुए देश को बताया,कि केसरिया बेशर्म रंग है। यानी कि केसरिया समर्थक और केसरिया पार्टी की सरकार भी बेशर्म है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर विभिन्न माध्यमों से हिन्दू धर्म और संस्कृति को निशाना बनाने की यह सोची समझी साजिश है। मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और महाराष्ट्र में पठान फिल्म का विरोध हो रहा हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर में शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण सहित पांँच लोगों पर धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने और अश्लीलता फैलाने के आरोप में केस दर्ज किया गया है। उत्तरप्रदेश के मथुरा में अखिल भारत हिंदू महासभा संगठन के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिनेश शर्मा कहते हैं,फिल्म में भगवा कपड़े पहन कर सनातन धर्म को कमजोर दिखाने की साजिश की गई है। हिंदू महासभा कोर्ट से इस फिल्म पर बैन लगाने की मांग करेंगी। भगवा जैसे पवित्र रंग का प्रयोग बिकिनी के लिए करना स्वीकार नहीं किया जाएगा। गुजरात में विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल ने पहले ही कह दिया है,कि पठान फिल्म का यह गाना बॉलीवुड की विकृत हिंदू विरोधी मानसिकता को दिखाता है। भगवा बिकनी के दृश्यों के साथ फिल्म को गुजरात में रिलीज नहीं होने देंगे। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कहते हैं,दीपिका पादुकोण टुकड़े-टुकड़े गैंग की स्लीपर सेल है। ऐसे लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देश धर्म संस्कृति का उपहास,रचनात्कता कला और फिल्म के जरि कर रहे हें। फिल्म पठान दोषों से भरी है,और जहरीले मानसिकता पर आधारित है। अगर गाने के बोल और वेशभूषा में बदलाव नहीं किया गया तो विचार करेंगे कि मध्यप्रदेश में फिल्म को रिलीज करना है या नहीं। हरे रंग की बिकनी में भी दीपिका होती तो शायद विरोध न होता। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। बीजेपी नेता जयभान सिंह पवैया ने कहा,जिस फिल्म का नाम पठान है। शाहरूख खान हीरो है,उस फिल्म में दीपिका को हरे रंग की चिंदियों से सजा देते। कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में शाहरूख ने कहा,सीट बेल्ट बांध लें,मौसम बदलने वाला है। दुनिया चाहे कुछ भी कर ले। मैं और आप जितने भी पॉजिटिव लोग हैं, सब जिंदा हैं। शाहरुख का इशारा सोशल मीडिया पर फिल्म को ट्रोल करने वालों की तरफ था। सियासत में भी मौसम बदलेगा,कि नहीं,कोेई नहीं जानता। लेकिन हिमाचल प्रदेश का चुनाव कांग्रेस के जीतने पर टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोगों को लगता है 2024 में सियासी मौसम बदलेगा।  अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बोलने के लिए शाहरूख और अमिताभ बच्चन ने उस राज्य को चुना,जहाँ कुछ माह पहले तक दंगे ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया था। वैसे देश में कितनी भी बड़ी घटना हो जाए, ये दोनों कलाकार नहीं बोलते। शाहरूख का बेटा आर्यन ड्रग्स मामले में अंदर था,तब भी मौन थे। बच्चन परिवार का गांधी परिवार से कैसे ताल्लुकात रहे हैं,सारा देश जानता है। पनामा पेपर्स में इनका नाम है। यानी नम्बर दो का पैसा इनका विदेश में जमा है। संसद में जया बच्चन ने पनाम पेपर्स का जिक्र हुआ तो खिसिया कर बोली,मैं बीजेपी को श्राप देती हूँ। यह कभी सरकार में न आए। अमिताभ बच्चन एक लम्बे समय तक मुलायम सिंह यादव की पार्टी के ब्रांड एम्बेस्डर थे। बोफोर्स में इनका नाम उछला। अजिताभ बच्चन और अमिताभ बच्चन का साथ अमर सिंह न देते,तो जेल जाने से न बचते। आज ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में है,कह रहे हैं।  दरअसल भारत जोड़ो यात्रा और हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणाम के बाद टुकड़े-टुकड़े वाली गैंग यह बताने में लगी है,कि देश में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है। हरिवंश राय बच्चन और अमृता प्रीतम दोनों ऐसे साहित्यकार थे,जिन्होंने खुलकर इमरजेंसी का समर्थन किया था। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है,कि अमिताभ बच्चन अपने पिता की खींची लाइन से बाहर कैसे जा सकते हैं। वैसे अमिताभ बच्चन अवसरवादी अभिेनेता हैं। जब तक मुलायम सिंह यादव के साथ थे,उनकी पार्टी का प्रचार किया। कभी समाजवादी पार्टी की नीतियों पर ऊंगली नहीं उठाई। अब ममता बनर्जी की पार्टी की ओर इनका झुकाव है। इसीलिए पश्चिम बंगाल पहुंँच गए। ममता बनर्जी ने अमिताभ बच्चन को भारत रत्न देने की वकालत कर दी तो इन्होंने भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है कह दिए।  यह देश तन से सिर जुदा के नारे को अभी भूला नहीं है। टुकड़े गैग को लगता है,चुनाव नजदीक है। देश में हवा बनाया जाना जरूरी है। इसलिए सेंसर बोर्ड के आड़ में ये सरकार को घेर कर यह बताने में लगे हैं,कि हमारे खिलाफ षडंयत्र किया जा रहा है। सियासी टेबल और सोशल मीडिया पर केसरिया बिकनी से बवाल मचा हुआ है। यूजर्स लिखते हैं, टुकड़े टुकड़े गैंग की समर्थक दीपिका पादुकोंण और कर भी क्या सकती है। भगवा रंग किस धर्म के लोगों का प्रतीक है,मुस्लिम भी जानते हैं। फिल्म का बायकॉट करने वालों का मानना है,कि भगवा जैसे पवित्र रंग का प्रयोग बिकिनी के लिए करना स्वीकार्य नहीं है।पठान फिल्म 25 जनवरी को रिलीज होगी। इससे पहले लाल सिंह चड्ढा,रक्षाबंधन और ब्रह्मास्त्र फिल्म का बायकॉट करने की भी मांग की गई थी।