लाखों रूपयों के इनामी नक्सली मारे जा रहे हैं या फिर सरेंडर कर रहे हैं। दूसरी ओर राजनीतिक व्यक्तियों की हत्या कर माओवादी सरकार के सामने चुनौती खड़ी कर रहे हैं। नक्सलियों के लिए कोई फर्क नहीं पड़ा प्रदेश में भाजपा की सरकार हो या फिर कांग्रेस की। उनकी सलतनत अब भी कायम है।
0 रमेश कुमार ‘‘रिपु’’
नक्सलियों की सलतनत अब भी कायम है। उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता राज्य में भाजपा की सरकार हो या फिर कांग्रेस की। लोकसभा चुनाव के दौरान दंतेवाड़ा के भाजपा विधायक भीमा मंडावी चुनाव प्रचार से वापस लौट रहे थे और नक्सलियों ने बारूदी विस्फोट कर 9 अप्रैल को उनकी हत्या कर दी थी। राज्य में नक्सली राजनीतिक व्यक्तियों को टारगेट कर के चल रहे हैं। इसी कड़ी में विधान सभा में सपा प्रत्याशी संतोष पुनेम को माओवादियों ने अपहरण कर धारदार हथियार से 19 जून को इलमिडी थाना क्षेत्र के मरिमल्ला गांव के पास उनकी हत्या कर दी। संतोष पुनम ठेकेदरी के चलते नक्सलियों के निशाने पर थे। मृतक संतोष पुनम का शव लेने उनकी पत्नी और भाई गये तो नक्सलियों ने उन्हें बैरंग लौटा दिया और शव को मरिमल्ला गांव के पास फेंक दिया। नक्सली आतंक का सिलसिला यहीं नहीं थमा। नक्सलियों ने सड़क निर्माण कार्य में लगे 4 वाहन डोजर, जेसीबी, ट्रेक्टर और बोलेरो को आग के हवाले कर दिया। नक्सलियों की यह वारदात कर एक बार फिर पुलिस की सफलता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।
पीछे हटे नहीं हैं नक्सली
नक्सली अभी तक आम ग्रामीणों को पुलिस का मुखबिर बताकर हत्या करते आये हैं। लेकिन अब पुलिस कर्मी भी उनके निशाने पर हैं। 23 जून को अपने परिवार के साथ मिरतुर निवासी सहायक आरक्षक चैतु कड़की सब्जी खरीदने आया था। नक्सलियों ने उस पर चाकू से प्राण घातक हमला किया। दिया। अस्पताल लाते वक्त रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। ऐसी वारदातों से जाहिर है कि माओवादियों में अब कानून का डर नहीं रही गया है। लेकिन बीजापुर एसप.पी. दिव्यांग पटेल मानते है,’’ नक्सलियों के पैर उखड़ रहे हैं। वे पहले से कमजोर हुए हैं। हताशा में ऐसी वारदातें कर अपने होने का एहसास करा रहे हैं। बारिश में नक्सली घने जंगलांे में या फिर कहीं और छिप जाते है। लेकिन पुलिस की सर्चिग पूरे बारिश के महीने में चलती रहती है। बस्तर में नक्सलवाद अब अंतिम पड़ाव में है’’। नक्सली वारदातों में कमी आई है। लेकिन नक्सली पीछे हटे नहीं है। नक्सल प्रभावित जिला कोंडागांव में पिछले छह सालों के आंकड़े बताते हैं कि 332 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। पांच दर्जन से अधिक नक्सली सबसे छोटा जिला नारायणपुर में सरेंडर किये। जिसमें 40 नक्सलियों को आरक्षक एवं अन्य पदों में नियुक्त किया गया। आठ लाख का इनामी नक्सली नक्सलवाद से नाता तोड़कर इन दिनो पर्यावारण के लिए काम कर रहा है। हजारों नक्सली समाज की मुख्यधारा से जुड़ गये हैं। बावजूद इसके नक्सलियों की आड़ में आदिवासी महिलाओं के साथ पुलिस के घिनौने वारदात के चलते बस्तर में नक्सलवाद खत्म नहीं हो रहा है। जल,जंगल और जमीन की लड़ाई इसे हवा दे रही है। ऐसी धारणा है यहां की।
13 लाख का इनामी नक्सली
दरअसल नक्सलियों की समानांतर सरकार के चलते आम आदमियों की सांसे दहशतजदा है। पुलिस लगतार नक्सलियों पर हमला कर रही है। जून महीने के प्रथम सप्ताह पुलिस ने चार नक्सलियों को मार गिराया। पुलिस के दबाव में बीजापुर जिले के मिरतुर थाना इलाके में लंबे समय से आतंक का पर्याय बना 13 लाख का इनामी ओड़िशा राज्य के कालाहांडी में सेंट्रल कमेटी सुरक्षा प्लाटून नंबर.3 का कमांडर गुड्डू उर्फ सुरेश,जनमिलिशिया कमांडर दिलीप पुनेम समेत 4 नक्सलियों ने 19 जून को दंतेवाड़ा एसपी डॉ अभिषेक पल्लव के सामने सरेंडर किया। नक्सली गुड्डू पर ओड़िशा सरकार ने 8 लाख और छत्तीसगढ़ सरकार ने 5 लाख का इनाम घोषित किया था। वहीं जनमिलिशिया कमांडर दिलीप पर एक लाख का इनाम था। दिलीप पुनेम भांसी क्षेत्र में सक्रिय था। हत्या रेलवे पटरी उखाड़ने जैसी घटनाओं में शामिल रहा है। गुड्डू बीजापुर जिले मंे 13 पुलिस जवानों की हत्या में भी शामिल था। 22 वाहनों में आगजनी एटपाल में एंबुश लगाकर पुलिस पार्टी पर हमला करने की घटना में शामिल था।
माओवादियों की बड़ी टीम
देखा जाए तो राज्य के 27 जिलों में 18 जिले नक्सली प्रभावित जिले है। अभी इन जिलों में नक्सली गतिविधियां तेज है, दंतेवाड़ा, कांकेर, बस्तर,बीजापुर, नारायणपुर ,राजनांदगांव, सरगुजा, जशपुर, कोरिया, धमतरी, महासमुंद, बालोद, कबीराम, रायगढ़ ,बलौदाबाजार, गरियाबदं, सूरजपुर और बलरामपुर। सरगुजा 2010 में नक्सल मुक्त घोषित किया गया था। लेकिन एक बार फिर से नक्सलियों की मूवमेंट ने सरकार को हैरानी में डाल दिया है। पुलिस अफसरों का कहना है कि लेवी वसूली और उगाही की शिकायतें मिलती है। अभी तक नक्सली झारखंड में वारदात करने के बाद यहां आ जाते थे, कुछ दिनों बाद चले जाते थे। लेकिन इस बीच देखा जा रहा है कि उनका मूवमेंट बढ़ रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि पड़ोसी राज्यों में नक्सलियों की उपस्थिति की वजह से छत्तीसगढ़ के कई जिले उनके रडार में है। रायगढ़ में नक्सली नहीं हैं,लेकिन नक्सली अब लाल आतंक के कॉरिडोर का विस्तार करने में लग गए है। ज्यादातर वारदातें बस्तर के सातों जिलों में होती है। लेकिन नक्सलियों ने सरकार और फोर्स का ध्यान बांटने के लिए अब छोटे जिलों में वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।
आठ लाख की इनामी थी सीमा
18 जून को धमतरी-कांकेर सीमा से लगे कट्टी गांव में एक अन्य घटना में आठ लाख की हार्ड कोर महिला नक्सली सीतानदी दलम कमांडर सीमा मंडावी को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। पिछले दस सालों से इसका आतंक था। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की रहने वाली सीमा उर्फ जरीना मंडावी उम्र 45 वर्ष 2005 में माड़ इलाके में नक्सली संगठन में काम कर रही थी। माड़ के कुतुल इलाके में सक्रिय सीमा के काम को देखते नक्सलियों ने उसे महिला एलजीएस का सेक्रेटरी बनाया था। इसी दौरान सीमा का माड़ इलाके में काम कर रहे राज्य कमेटी सदस्य पुसु से प्रेम प्रसंग हो गया था। उसके खराब चाल चलन की बात भी नक्सली संगठन में जोर पकड़ने लगी थी। इसलिए 2008 में डीवीसी रैंक से डिमोशन कर उसे मैनपुर एरिया कमेटी सदस्य बना दिया गया। 2014 में छिंदखड़क स्कूल के चपरासी पर पुलिस मुखबिर होने का आरोप लगाकर की थी हत्या। 2017 में रावस सरपंच के पुत्र का अपहरण कर उसकी भी हत्या करने में शामिल रही।
नक्सल संगठन की खुलेगी पोल
जगदलपुर,महाराष्ट्र और तेलंगाना की पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन के तहत 70 लाख के इनामी नक्सली नर्मदा और उसके पति किरण को गिरफ्तार किया है। इनकी गिरफ्तारी से नक्सल संगठन को एक बड़ा आघात पंहुचा है। जिसके पीछे की वजह बताई जा रही है कि नर्मदा नक्सलियों के दंडकारण्य जोन के चप्पे.चप्पे से वाकिफ है। दंडकारण्य और गढ़चिरौली के क्षेत्र में होने वाली बड़ी नक्सल घटनाओं में तैयार की जाने वाली रणनीति में इसकी अहम भूमिका रहती थी। बस्तर के डीआईजी सुंदरराज पी ने बताया कि छत्तीसगढ़ पुलिस भी पूछताछ के लिए एस.पी स्तर के अधिकारियों की टीम गठित कर महाराष्ट्र भेजेगी। जिससे उन्हें उम्मीद है कि दोनों ही बड़े नक्सलियों से कुछ अहम सुराग हाथ लग सकते हैं। नर्मदा डीकेएफजेडसी की भी सदस्य है और उसके पति किरण नक्सलियों की प्रचलित पत्रिका प्रभात के लिए लंबे समय से लिखता रहा है। जिससे पुलिस अधिकारियों को उम्मीद है कि इन दोनों के पास से छत्तीसगढ़ के नक्सल संगठन की अहम जानकारियां हो सकती हैं।
नक्सली सिस्टम में शहरी
एक तरफ नक्सलियों की सलतनत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है प्रदेश में किसी की भी सरकार आये या जाये। दूसरी ओर शहरी नक्सली और जंगली नक्सली को लेकर सियासी बहस ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं। जैसा कि मुख्य मंत्री भूपेश बघेल ने बीजेपी के संकल्प पत्र में सिस्टम में शहरी नक्सली घुसने के आरोपों पर कहा कि यदि वो आज हैं तो रमन सिंह को उनके नाम सार्वजनिक करना चाहिए और प्रमाणित करना चाहिए। उन्होंने रमन सिंह से पूछा कि जब शहरी, नक्सली सिस्टम में घुसा तो 15 साल तक क्या कर रहे थे। यदि उन्हें मालूम था तो क्या कार्रवाई की। रमन सिंह पर हमला करते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि जिस अधिकारी वी.के चैबे ने शहरी नक्सलियों के नेटवर्क को तोड़ा उसकी मौत की जांच रमन सिंह की सरकार ने नहीं कराई। इस घटना में 29 जवान शहीद हो गए और अधिकारी को गालंट्री एवार्ड दे दिया गया। भाजपा की ऐसी कार्यशैली हो सकती है लेकिन कांग्रेस की नहीं।
जाहिर है कि नक्सलियों की बढ़ती वारदातें और कुछ इनामी नक्सलियों के सरेंडर कर देने से नक्सलवाद खत्म नहीं होगा। माओवादियों के खिलाफ नरम उपाय के बजाय दोतरफा आक्रमण की रणनीति को अंजाम देना होगा। ऐसे कदम उठाए जाएं ताकि नक्सली हिंसा का सफाया किया जा सके।
0 रमेश कुमार ‘‘रिपु’’
नक्सलियों की सलतनत अब भी कायम है। उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता राज्य में भाजपा की सरकार हो या फिर कांग्रेस की। लोकसभा चुनाव के दौरान दंतेवाड़ा के भाजपा विधायक भीमा मंडावी चुनाव प्रचार से वापस लौट रहे थे और नक्सलियों ने बारूदी विस्फोट कर 9 अप्रैल को उनकी हत्या कर दी थी। राज्य में नक्सली राजनीतिक व्यक्तियों को टारगेट कर के चल रहे हैं। इसी कड़ी में विधान सभा में सपा प्रत्याशी संतोष पुनेम को माओवादियों ने अपहरण कर धारदार हथियार से 19 जून को इलमिडी थाना क्षेत्र के मरिमल्ला गांव के पास उनकी हत्या कर दी। संतोष पुनम ठेकेदरी के चलते नक्सलियों के निशाने पर थे। मृतक संतोष पुनम का शव लेने उनकी पत्नी और भाई गये तो नक्सलियों ने उन्हें बैरंग लौटा दिया और शव को मरिमल्ला गांव के पास फेंक दिया। नक्सली आतंक का सिलसिला यहीं नहीं थमा। नक्सलियों ने सड़क निर्माण कार्य में लगे 4 वाहन डोजर, जेसीबी, ट्रेक्टर और बोलेरो को आग के हवाले कर दिया। नक्सलियों की यह वारदात कर एक बार फिर पुलिस की सफलता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।
पीछे हटे नहीं हैं नक्सली
नक्सली अभी तक आम ग्रामीणों को पुलिस का मुखबिर बताकर हत्या करते आये हैं। लेकिन अब पुलिस कर्मी भी उनके निशाने पर हैं। 23 जून को अपने परिवार के साथ मिरतुर निवासी सहायक आरक्षक चैतु कड़की सब्जी खरीदने आया था। नक्सलियों ने उस पर चाकू से प्राण घातक हमला किया। दिया। अस्पताल लाते वक्त रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। ऐसी वारदातों से जाहिर है कि माओवादियों में अब कानून का डर नहीं रही गया है। लेकिन बीजापुर एसप.पी. दिव्यांग पटेल मानते है,’’ नक्सलियों के पैर उखड़ रहे हैं। वे पहले से कमजोर हुए हैं। हताशा में ऐसी वारदातें कर अपने होने का एहसास करा रहे हैं। बारिश में नक्सली घने जंगलांे में या फिर कहीं और छिप जाते है। लेकिन पुलिस की सर्चिग पूरे बारिश के महीने में चलती रहती है। बस्तर में नक्सलवाद अब अंतिम पड़ाव में है’’। नक्सली वारदातों में कमी आई है। लेकिन नक्सली पीछे हटे नहीं है। नक्सल प्रभावित जिला कोंडागांव में पिछले छह सालों के आंकड़े बताते हैं कि 332 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। पांच दर्जन से अधिक नक्सली सबसे छोटा जिला नारायणपुर में सरेंडर किये। जिसमें 40 नक्सलियों को आरक्षक एवं अन्य पदों में नियुक्त किया गया। आठ लाख का इनामी नक्सली नक्सलवाद से नाता तोड़कर इन दिनो पर्यावारण के लिए काम कर रहा है। हजारों नक्सली समाज की मुख्यधारा से जुड़ गये हैं। बावजूद इसके नक्सलियों की आड़ में आदिवासी महिलाओं के साथ पुलिस के घिनौने वारदात के चलते बस्तर में नक्सलवाद खत्म नहीं हो रहा है। जल,जंगल और जमीन की लड़ाई इसे हवा दे रही है। ऐसी धारणा है यहां की।
13 लाख का इनामी नक्सली
दरअसल नक्सलियों की समानांतर सरकार के चलते आम आदमियों की सांसे दहशतजदा है। पुलिस लगतार नक्सलियों पर हमला कर रही है। जून महीने के प्रथम सप्ताह पुलिस ने चार नक्सलियों को मार गिराया। पुलिस के दबाव में बीजापुर जिले के मिरतुर थाना इलाके में लंबे समय से आतंक का पर्याय बना 13 लाख का इनामी ओड़िशा राज्य के कालाहांडी में सेंट्रल कमेटी सुरक्षा प्लाटून नंबर.3 का कमांडर गुड्डू उर्फ सुरेश,जनमिलिशिया कमांडर दिलीप पुनेम समेत 4 नक्सलियों ने 19 जून को दंतेवाड़ा एसपी डॉ अभिषेक पल्लव के सामने सरेंडर किया। नक्सली गुड्डू पर ओड़िशा सरकार ने 8 लाख और छत्तीसगढ़ सरकार ने 5 लाख का इनाम घोषित किया था। वहीं जनमिलिशिया कमांडर दिलीप पर एक लाख का इनाम था। दिलीप पुनेम भांसी क्षेत्र में सक्रिय था। हत्या रेलवे पटरी उखाड़ने जैसी घटनाओं में शामिल रहा है। गुड्डू बीजापुर जिले मंे 13 पुलिस जवानों की हत्या में भी शामिल था। 22 वाहनों में आगजनी एटपाल में एंबुश लगाकर पुलिस पार्टी पर हमला करने की घटना में शामिल था।
माओवादियों की बड़ी टीम
देखा जाए तो राज्य के 27 जिलों में 18 जिले नक्सली प्रभावित जिले है। अभी इन जिलों में नक्सली गतिविधियां तेज है, दंतेवाड़ा, कांकेर, बस्तर,बीजापुर, नारायणपुर ,राजनांदगांव, सरगुजा, जशपुर, कोरिया, धमतरी, महासमुंद, बालोद, कबीराम, रायगढ़ ,बलौदाबाजार, गरियाबदं, सूरजपुर और बलरामपुर। सरगुजा 2010 में नक्सल मुक्त घोषित किया गया था। लेकिन एक बार फिर से नक्सलियों की मूवमेंट ने सरकार को हैरानी में डाल दिया है। पुलिस अफसरों का कहना है कि लेवी वसूली और उगाही की शिकायतें मिलती है। अभी तक नक्सली झारखंड में वारदात करने के बाद यहां आ जाते थे, कुछ दिनों बाद चले जाते थे। लेकिन इस बीच देखा जा रहा है कि उनका मूवमेंट बढ़ रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि पड़ोसी राज्यों में नक्सलियों की उपस्थिति की वजह से छत्तीसगढ़ के कई जिले उनके रडार में है। रायगढ़ में नक्सली नहीं हैं,लेकिन नक्सली अब लाल आतंक के कॉरिडोर का विस्तार करने में लग गए है। ज्यादातर वारदातें बस्तर के सातों जिलों में होती है। लेकिन नक्सलियों ने सरकार और फोर्स का ध्यान बांटने के लिए अब छोटे जिलों में वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।
आठ लाख की इनामी थी सीमा
18 जून को धमतरी-कांकेर सीमा से लगे कट्टी गांव में एक अन्य घटना में आठ लाख की हार्ड कोर महिला नक्सली सीतानदी दलम कमांडर सीमा मंडावी को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया। पिछले दस सालों से इसका आतंक था। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की रहने वाली सीमा उर्फ जरीना मंडावी उम्र 45 वर्ष 2005 में माड़ इलाके में नक्सली संगठन में काम कर रही थी। माड़ के कुतुल इलाके में सक्रिय सीमा के काम को देखते नक्सलियों ने उसे महिला एलजीएस का सेक्रेटरी बनाया था। इसी दौरान सीमा का माड़ इलाके में काम कर रहे राज्य कमेटी सदस्य पुसु से प्रेम प्रसंग हो गया था। उसके खराब चाल चलन की बात भी नक्सली संगठन में जोर पकड़ने लगी थी। इसलिए 2008 में डीवीसी रैंक से डिमोशन कर उसे मैनपुर एरिया कमेटी सदस्य बना दिया गया। 2014 में छिंदखड़क स्कूल के चपरासी पर पुलिस मुखबिर होने का आरोप लगाकर की थी हत्या। 2017 में रावस सरपंच के पुत्र का अपहरण कर उसकी भी हत्या करने में शामिल रही।
नक्सल संगठन की खुलेगी पोल
जगदलपुर,महाराष्ट्र और तेलंगाना की पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन के तहत 70 लाख के इनामी नक्सली नर्मदा और उसके पति किरण को गिरफ्तार किया है। इनकी गिरफ्तारी से नक्सल संगठन को एक बड़ा आघात पंहुचा है। जिसके पीछे की वजह बताई जा रही है कि नर्मदा नक्सलियों के दंडकारण्य जोन के चप्पे.चप्पे से वाकिफ है। दंडकारण्य और गढ़चिरौली के क्षेत्र में होने वाली बड़ी नक्सल घटनाओं में तैयार की जाने वाली रणनीति में इसकी अहम भूमिका रहती थी। बस्तर के डीआईजी सुंदरराज पी ने बताया कि छत्तीसगढ़ पुलिस भी पूछताछ के लिए एस.पी स्तर के अधिकारियों की टीम गठित कर महाराष्ट्र भेजेगी। जिससे उन्हें उम्मीद है कि दोनों ही बड़े नक्सलियों से कुछ अहम सुराग हाथ लग सकते हैं। नर्मदा डीकेएफजेडसी की भी सदस्य है और उसके पति किरण नक्सलियों की प्रचलित पत्रिका प्रभात के लिए लंबे समय से लिखता रहा है। जिससे पुलिस अधिकारियों को उम्मीद है कि इन दोनों के पास से छत्तीसगढ़ के नक्सल संगठन की अहम जानकारियां हो सकती हैं।
नक्सली सिस्टम में शहरी
एक तरफ नक्सलियों की सलतनत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है प्रदेश में किसी की भी सरकार आये या जाये। दूसरी ओर शहरी नक्सली और जंगली नक्सली को लेकर सियासी बहस ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं। जैसा कि मुख्य मंत्री भूपेश बघेल ने बीजेपी के संकल्प पत्र में सिस्टम में शहरी नक्सली घुसने के आरोपों पर कहा कि यदि वो आज हैं तो रमन सिंह को उनके नाम सार्वजनिक करना चाहिए और प्रमाणित करना चाहिए। उन्होंने रमन सिंह से पूछा कि जब शहरी, नक्सली सिस्टम में घुसा तो 15 साल तक क्या कर रहे थे। यदि उन्हें मालूम था तो क्या कार्रवाई की। रमन सिंह पर हमला करते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि जिस अधिकारी वी.के चैबे ने शहरी नक्सलियों के नेटवर्क को तोड़ा उसकी मौत की जांच रमन सिंह की सरकार ने नहीं कराई। इस घटना में 29 जवान शहीद हो गए और अधिकारी को गालंट्री एवार्ड दे दिया गया। भाजपा की ऐसी कार्यशैली हो सकती है लेकिन कांग्रेस की नहीं।
जाहिर है कि नक्सलियों की बढ़ती वारदातें और कुछ इनामी नक्सलियों के सरेंडर कर देने से नक्सलवाद खत्म नहीं होगा। माओवादियों के खिलाफ नरम उपाय के बजाय दोतरफा आक्रमण की रणनीति को अंजाम देना होगा। ऐसे कदम उठाए जाएं ताकि नक्सली हिंसा का सफाया किया जा सके।