जिस लाल गलियारे में आज तक पुलिस नहीं पहुंँच सकी वहाँं कोविड वायरस ने दस्तक देकर खलबली मचा दिया है। मौत की महामारी के डर से संगठन छोड़ कर नौ नक्सली भाग गए। कई इनामी नक्सलियों की जानें चली गई और कई जान बचाने सरेंडर कर रहे हैं। सवाल यह है कि,क्या कोरोना के भय से लाल गलियारा खाली हो जाएगा?
0 रमेश कुमार ‘रिपु’
इन दिनों नक्सली दहशत में हैं। क्यों कि कोरोना वायरस लाल गलियारा पहुंँच कर कहर मचा रहा है। कोविड महामारी की दूसरी लहर का माओवादियों में खौफ साफ-साफ दिख रहा है। 11 मई को सुरक्षा बलों को गंगूलर इलाके में नक्सलियों के कैंप में छापेमारी के दौरान कामरेड वी.एम का एक पत्र मिला। पत्र 25 लाख की इनामी नक्सली लीडर सुजाता के नाम है। पत्र में लिखा है प्रिय कामरेड दीदी। बस्तर और दरभा डीविजन के कई नक्सली नेताओं की मौत कोरोना की वजह से हुई है और कई गंभीर रूप से बीमार हैं। नौ नक्सली भाग गए हैं। पत्र में लिखा है कि, जिंदा रहंेगे तभी क्रांतिकारी आंदोलन आगे बढ़ा सकते हैं।
जाहिर सी बात है कि नक्सली कैडर के कई नक्सली कोरोना वायरस की चपेट में हैं। पुलिस का मानना है कि करीब 100 से ज्यादा नक्सली कोरोना और फूड पॉइजनिंग की चपेट में आकर बीमार हो चुके हैं। इनमें इनामी नक्सली सुजाता, जयलाल, दिनेश सहित अन्य नक्सलियों के गंभीर होने की पुख्ता सूचना है। जिन नक्सलियों की मौत हुई है उनके नामों का खुलासा अभी नहीं हुआ है। लेकिन ये बड़े कैडर के नक्सली बताए जा रहे हैं। लाल गलियारा छोड़कर जाने वालों में सेक्शन कमांडर बुधराम, विमला, कोंटा प्लाटून से रितेश,जोगा और दरभा डिवीजन से नागेश, सुमित्रा, अनिता का नाम पत्र में है। पत्र में यह भी लिखा है कि जो दवाइयां उपलब्ध हैं उसका असर नहीं हो रहा है।
दक्षिण बस्तर में रूपी और दरभा डिवीजन से छह कमांडर हुंगा, देवे, गंगा, सुदरु, मुन्नी और रीना की मौत हो गई है। पुलिस का दावा है कि लाल गलियारे में सौ से ज्यादा नक्सलियों के संक्रमित होने और उनमें ए.पी.स्ट्रेन के खतरे की आशंका है। चंूकि ये इलाका आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना की सीमा से लगा है, नक्सली आते-जाते रहते हैं। ऐसे में नक्सलियों में कोरोना के ए.पी स्ट्रेन फैलने की आशंका भी है। अगर ऐसा है तो अंदरूनी गाँवों के ग्रामीणों के संक्रमित होने का खतरा भी बढ़ गया है। नक्सली क्टब्, राजेश, सुरेश, मनोज की स्थिति खराब बताई गई है। नक्सली मंगू भी बीमार है। सुजाता के अलावा गंगालूर एरिया कमेटी के सेक्रेटरी दिनेश की टीम से 10-15 नक्सली सदस्य कोरोना संक्रमित हैं। वहीं दरभा डिवीजन कमेटी के नक्सली सामडू और जयलाल की टीम के भी कई सदस्य कोरोना पीड़ित होने की पुख्ता सूचना है। यह सभी नक्सली बड़े कैडर के हैं। पुलिस की नाकाबंदी की वजह से दवाइयों की सप्लाई बंद है। जिससे लाल गलियारे में और ज्यादा दहशत है।
नक्सल दंपती को कोरोना
उत्तर बस्तर जिला बीजापुर परतापुर एरिया कमेटी अंतर्गत मेंढ़की एलओएस के सदस्य नक्सल दम्पती अर्जुन ताती 28 वर्ष एवं लक्ष्मी पद्दा 22 वर्ष बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण 12 मई को संगठन छोड़कर पुलिस के सम्पर्क में आये। जाँंच में कोरोना पॉजिटिव पाये जाने पर कांकेर कोविड अस्पताल में भर्ती हैं।
सरेंडर करें इलाज कराएंगे
दक्षिण बस्तर के तीनों जिले बीजापुर,दंतेवाड़ा,सुकुमा से तेलंगाना राज्य की सीमा लगती है। ऐसे में अब तेलंगाना पुलिस भी अलर्ट हो गई है। तेलंगाना के कोतागुड़म एस.पी सुनील दत्त ने कहा कि,दोनों राज्यों के बॉर्डर इलाके में बड़ी संख्या में नक्सलियों को कोरोना होने की खबर पुख्ता है। ग्रामीणों तक हम लगातार सूचनाएं पहुंँचा रहे हैं कि वे नक्सलियों की बैठक में शामिल न हों। वहीं डॉ अभिषेक पल्लव एस. पी. दंतेवाड़ा ने कहा,‘बरामद पत्र से यह खुलासा हुआ है कि पिछली जोनल कमेटी में कोरोना को लेकर आपस में तीखी बहस हुई थी। बड़े नक्सलियों पर भी निशाना साधते हुआ कहा गया है कि, जोनल कमेटी के सदस्य निचले कैडर तक सही जानकारी नहीं पहुंँचाते हैं। डेढ़ साल से स्थाई नेतृत्व नहीं होने से महत्वपूर्ण निर्णय नहीं हो पा रहा है। जो बीमारी के डर से संगठन छोड़ भागे हैं, सभी बड़े कैडर के इनामी नक्सली हैं। उनसे अपील है कि वे लोन वर्राटू अभियान के तहत सरंडर करंे। छत्तीसगढ़ पुलिस उनके इलाज का पूरा इंतजाम करेगी।’
कोरोना वाले नक्सली
कवर्धा में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के दो इनामी नक्सली दिवाकर उर्फ किशन डी.व्ही.सी सचिव भोरमदेव एरिया कमेटी और महिला देवे उर्फ लक्ष्मी एरिया कमेटी की सदस्य है। इन्हें झलमला थाना क्षेत्र और मध्यप्रदेश की सीमा से गिरफ्तार किया गया है। डी.व्ही.सी दिवाकर उर्फ किशन के विरूद्व छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आठ लाख और मध्यप्रदेश शासन द्वारा पांँच लाख और महिला सदस्य देवे उर्फ लक्ष्मी के विरूद्व छत्तीसगढ़ शासन द्वारा दो लाख और मध्यप्रदेश शासन द्वारा दो लाख का ईनाम घोषित है। दोनों की कोरोना रिपोर्ट पाॅजिटिव आई है।
जवान की हत्या
लाल गलियारे में कारोना वायरस का कहर मचा रखा है मगर नक्सली वारदातों में कमी नहीं आ रही है। 13 मई को नक्सलियों ने ककसाड़ त्यौहार मनाने गए अबुझमाड़ के अंदरूनी गांव नेडनार में एक ग्रामीण को पुलिस का मुखबिर बताते हुए उसकी पत्नी और माँ के सामने रस्सी से बांधकर उसका गला घोंट कर हत्या कर दी।
जांच सहायक आरक्षक विट्टी भीमा एस आई.बी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन ब्रांच में पदस्थ था, उसकी ड्यूटी दोरनापाल थाने में लगाई गई थी। 11 मई की रात जवान अपने घर पर सो रहा था। नक्सली उसे घसीटते हुए दूर ले गए। उन्होंने उसकी डंडे से बुरी तरह पिटाई की और बाद में धारदार हथियार से हत्या कर दी। जवान की पत्नी ने पुलिस को इस बात की जानकारी दी लेकिन जब तक पुलिस वहांँ पहुंँचती नक्सली वहांँ से भाग चुके थे। इसके पहले नक्सलियों में 15 अप्रैल को भेजी में दो सहायक आरक्षक धनीराम कश्यप व पुनेम हड़मा की हत्या कर दी थी।
जिला मुख्यालय कांकेर से करीब 20 किमी कि दूरी पर आमाबेड़ा जाने मार्ग के उसेली और तुमसनार के बीच में 9 मई को नक्सलियों ने एक पुल के पास बम ब्लास्ट किया था। इसके बाद 10 मई को बैनर पोस्टर के माध्यम से नक्सलियों ने इस घटना को अंजाम देने का कारण आमाबेड़ा से कांकेर पहुंँच मार्ग में सड़क निर्माण का कार्य को बताया है। वहीं जोरों पर चल रहे निर्माण कार्य को तत्काल बंद करने की बात कही है। माओवादियों ने पोस्टर में लिखा है कि यदि इसके बाद भी कार्य चालू करने पर सभी गाड़ियों को आग के हवाले कर ठेकेदार को सजा देंगे।
नक्सली दंपति का सरेंडर .
किसकोड़ो एरिया कमेटी के डिप्टी कमांडर बुधराम उर्फ जयसिंह ने अपनी पत्नी सन्नी के साथ जिला मुख्यालय कांकेर में 10 मई को आत्मसमर्पण कर दिया। जयसिंह पर 5 लाख रुपये का और उसकी पत्नी सन्नी जो मूलतः बीजापुर जिले की है पिछले 6 सालों से कांकेर जिले में सक्रिय थी। इस पर 2 लाख रुपये का इनाम था। एस.पी एम.आर अहिरे ने नक्सल दंपति को 10-10 हजार रूपये की सहायता राशि प्रदान करते हुए मुख्य धारा में लौटने पर स्वागत किया है। एस.पी एम.आर. अहिरे ने कहा कि नक्सलियों की साख अब सिमटती जा रही है और स्थानीय आदिवासी जो नक्सलियों के साथ चले गए थे।’’
बहरहाल कोविड की दूसरी लहर का असर इस बार लाल गलियारे में भी है। यह आशंका जताई जा रही है कि नक्सलियों को दवा और राशन नहीं मिलने पर अपनी जान बचाने के लिए लाल गलियारा छोड़ने की होड़ मच जाएगी। ऐसा हुआ, तो नक्सलवाद अपने आप कमजोर होकर खत्म हो सकता है।
0 रमेश तिवारी ‘रिपु’
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