Wednesday, May 18, 2022

औरंगजेब के पैरोकार चुप क्यों हैं...


औरंगजेब को सेकूलर बताने वाले चुप है। उसे सहिष्णु बताने वाले खामोश हैं। कथित बाबरी मस्जिद पर केसरिया झंडा फहरा दिया गया था, तो कइयों का कलेजा फट गया था। पर कांग्रेस,सपा,जद और बसपा से लेकर वाममोर्चा हल्ला मचा रहा था। आज ज्ञानवापी मस्जिद में बाबा के मिल जाने पर जनउधारी राहुल गांधी,मंदिर मस्जिद जाने वाले अखिलेश,चंडीपाठ करने वाली ममता बनर्जी,यदुवंशी बताने वाले आरजेडी,फ्री तीर्थ यात्रा करने वाले केजरी वाल,पार्टी का नाम शिवसेना, वो भी



चुप है। लेफ्ट तो सदा चुप रहता है। और तो और देश के सभी वामपंथी लेखकों के मुंह पर दही जम गया है।  कठमुल्ले के ठेकदारों ने कभी नहीं स्वीकारा कि ज्ञानवापी मंदिर है, न कि मस्जिद। सैकड़ो साल से बाबा पर वजू हो रहा था। हैरानी वाली बात है कि जेएनयू के प्रोफेसर के एन पट्टिनकर औरंगजेब को सेकूलर और सहिष्णु बताने कई झूठी कहानियांँ गढ़ दी। मुगलों ने कभी मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई। उन्हांेने यहां तक कह दिया कि बनारसा में सूफी और पंडित के बीच गठजोड़ हो गया था,उनके शासन के नियमों के मुताबिक गलत था इसलिए मंदिर तोड़ा गया।

सच्चाई यह है,कि भारतीय जनमानस के बीच जगह बनाने में नाकामयाब था आलमगीर औरंगजेब। आम लोगों के बीच औरंगजेब की छवि हिंदुओं से नफरत करने वाले धार्मिक उन्माद से भरे कट्टरपंथी बादशाह की थी। जिसे कथित जनऊधारी की पार्टी के समर्थक सबसे बड़ा सहिष्णु बताते हैं। वह व्यक्ति अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अपने बड़े भाई दारा शिकोह को भी नहीं बख्शा।

औरगंजेब को लेकर कई प्रोफेसर और इतिहासकारों ने कहानियां गढ़ी है। औरंगजेब बंगाल जा रहे थे। कई हिन्दू राजाआंे ने उनसे कहा, कि बाबा काशीनाथ के दर्शन करना चाहती है उनकी रानियां। इसलिए वे वहांँ कुछ दिनों तक ठहरना चाहती है। जब दर्शन करने गई तो एक रानी गायब हो गई। इस पर कहा गया कि इससे मंदिर अशुद्ध हो गया। बाद में वो रानी मिल गई। उन्होने कहा, कि औरंगजेब के सैनिकों ने उनकी जान और लाज बचाई,इसलिए यहां मस्जिद बननी चाहिए। जबकि इन बातों का को कोई प्रमाण नहीं है।

सनातन धर्म में मंदिर को शुद्ध करने की व्यवस्था है। विधि विधान है। ऐसा नहीं है कि मंदिर को तोड़ दिया जाये। जेएनयू के प्रोफेसर हांे या फिर औरंगजेब केा सेकूलर बताने वालों के पास इन सब बातों को कोई साक्ष्य नहीं है। केवल मनगढ़त कहानियों से सत्य नहंी बदलता। आस्था नहीं बदलती है। कोर्ट का यह कहना,कि बाबा मिले है ंतो यह सबसे बड़ा साक्ष्य है।

जो  लोग गंगा-जमुना संस्कृति की बात करते हैं उन्हें शर्म आनी चाहिए। कथित ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे न हो इसके लिए अपने आप को सेकूलर बताने वाले हर तरह का अडंगा लगाया। जबकि शरियत में मनाही है, कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने की। फिर औरंगजेब का समर्थन कथित सेकूलर वाले आज भी कर रहे हैं। बाबा को फव्वारा बताने वालों का शर्म आनी चाहिए। क्या फव्वारा शिवलिंग जैसा होता है..?
सनातन धर्म पर विश्वास करने वाले मानते हैं, कि काशी अविनाशी है। यहाँं सिर्फ डमरू वाले बाबा की ही सरकार चलती है। लेकिन कठमुल्लों ने उन्हें डुबो दिया था। अब उनका अवतरण हुआ है। नंँदी सही जगह पर बैठे हुए हैं। वो इंतजार कर रहे हैं,कब बाबा आयेंगे। अब उनका इंतजार खत्म हो गया। नंँदी महाराज और स्वयंभू शिवलिंग की काहनी का जिक्र लंदन के के एम ए शेरिंग की किताब सेक्रेड सिटी आफ द हिंदूज में भी है। जय काशी बाबा की।