Tuesday, June 30, 2020

अध्यक्ष बदलने की सियासत






कांग्रेस की बांह मरोड़ने और बीजेपी को नई ताकत के साथ खड़ा करने के मकसद से विष्णुदेव साय को तीसरी बार अध्यक्ष बनाया गया है। उनके अध्यक्ष बनने से डाॅ रमन सिंह राजनीतिक रूप से और मजबूत हुए। 
  
0 रमेश तिवारी ’’रिपु’’
        छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी की राजनीति में अब तक एक समानता थी। दोनों दलों में नेतृत्व एक ही वर्ग के पास रहा। पहली बार बदलाव हुआ। बीजेपी से नेता प्रतिपक्ष धर्मलाल कौशिक हैं, जो ओबीसी से हैं और आदिवासी वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष, विष्णु देव साय को बनाया गया है। वहीं कांगे्रस से पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम हैं,जो अनुसूचित जन जाति वर्ग से आते हैं। बीजेपी के अध्यक्ष इसके पहले विक्रम उसेंडी थे। विधान सभा चुनाव 2023 में है,लेकिन उससे पहले बीजेपी ने अपना अध्यक्ष बदल दिया। ऐसा इसलिए किया ताकि, नए प्रदेश अध्यक्ष को चुनाव की तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल जाए। चूंकि बस्तर की पूरी 12 सीटों पर कंाग्रेस का कब्जा है। बीजेपी आदिवासी कार्ड खेलकर आदिवासियों को अपनी ओर करना चाहती है। वैसे नये प्रदेश अध्यक्ष की सुगबुगाहट तभी हो गई जब शहरी निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव में बीजेपी को उम्मीद से कम सफलता मिली। विधान सभा चुनाव के समय सत्ता विरोधी हवा के चलते बीजेपी को केवल 15 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। लेकिन हैरान करने वाली राजनीति का दृश्य तब देखने को मिला जब10 निगमों में महापौर और सभापति नहीं बन सके। 27 में से 20 जिलों में भाजपा जिला पंचायतों में अध्यक्ष नहीं बना सकी। रायपुर में बहुमत था,बावजूद जिला पंचायत अध्यक्ष के उम्मीदवार को सिर्फ 4 वोट मिले, जबकि सदस्य 9 थे। वहीं संगठन में कार्यकारिणी का गठन नहीं कर पाए।
पार्टी के कार्यकत्र्ताओं के बीच यह चर्चा तेज हुई कि 2023 का चुनाव जीतना है, तो नेतृत्व के लिए नया चेहरा चाहिए। ऐसा व्यक्ति चाहिए, जिसकी पकड़ा सत्ता और संगठन में हो। दुर्ग के सांसद विजय बघेल का नाम बड़ी तेजी से उछला। सोशल मीडिया में उन्हें बाधाई दिया जाने लगा। वे चार लाख वोटों से लोकसभा चुनाव जीते थे। अचानक उनका नाम अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर हो गया। अनुसूचित जन जाति मोर्चा के राष्ट्रीय के अध्यक्ष रामविचार नेताम भी प्रदेश अध्यक्ष बननस चाहते थे, लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुकाबले के लिए उन्हें फिट नहीं माना गया। वहीं डॉ रमन सिंह से उनकी पटरी नहीं बैठने की वजह से, वे दौड़ से बाहर हो गए। डाॅ रमन सिंह ने संगठन मंत्री सौदान सिंह को विष्णुदेव साय और महेश गागड़ा का नाम सुझाया। साय के नाम पर बीजेपी अध्यक्ष जे.पी नड्डा ने मुहर लगा दी। विष्णु देव साय की नियुक्ति पर बृजमोहन अग्रवाल,प्रेमप्रकाश पांडे और राममविचार नेताम आदि कुछ नेताओं ने आपत्ति की। साय की नियुक्ति पर उनके खिलाफ पार्टी का दूसरा गुट सोशल मीडिया में उनके खिलाफ कई तरह की बातें लिखा। एक कार्यकर्ता ने साय के अध्यक्ष बनने पर मुख्यमंत्री बघेल को बधाई देते हुए लिखा, भाजपा ने आपकी राह आसान कर दी।
रमन और हुए मजबूत
पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह की पहली पसंद विष्णुदेव साय थे। विष्णु देव साय रायगढ़ लोकसभा सीट से चार बार सांसद रहे। मोदी की 2014 में बनी सरकार में, वे केंद्रीय राज्य मंत्री थे। 2006 से 2010 और फिर 2014 में करीब आठ महीने के लिए प्रदेश अध्यक्ष रहे। वे दोनों बार तब अध्यक्ष बने, जब राज्य में भाजपा की सरकार थी। अब पार्टी सत्ता से बाहर है। उनकी नियुक्ति से संगठन में डाॅ रमन सिंह का दबदबा बढ़ गया। राजनीतिक रूप से वे और भी मजबूत हो गए। पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने कहा,‘‘ पंचायत से पार्लियामेंट तक का अनुभव साय के पास है। उनके अनुभव का लाभ पार्टी को मिलेगा। उनके नेतृत्व में राज्य संगठन एक मजबूत विपक्ष के रूप में स्थापित होगा। 2023 के विधान सभा चुनाव की तैयारी में मदद मिलेगी’।
बृजमोहन पिछड़ गए
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक भी रमन सिंह की पसंद हैं। उन्होंने ही कौशिक को छत्तीसगढ़ भाजपा का अध्यक्ष बनवाया था। कौशिक को नेता प्रतिपक्ष बनाने का भी बृजमोहन समर्थकों ने विरोध किया था। नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में बृजमोहन अग्रवाल स्वयं थे। बृजमोहन भाजपा के जमीनी नेता हैं, लेकिन 2000 में भाजपा दफ्तर में मारपीट की घटना और फिर निलंबन से वे पार्टी में पीछे चले गए। अब उन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मित्रता निभाने का आरोप लग रहा है। 
आदिवासी नेता का विरोध क्यों
छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल क्षेत्र है। इस नजरिये से बीजेपी ने हमेशा आदिवासी नेताओं को तरजीह दी। लेकिन पूर्व मंत्री अजय चन्द्राकर और शिवरतन शर्मा के नेतृत्व में कुछ नेताओं ने आदिवासी नेताओं को ही उपकृत किये जाने के खिलाफ तगड़ी मोर्चाबंदी की। नेताओं का कहना था एनडीए सरकार में विष्णुदेव साय मंत्री थे। वर्तमान में आदिवासी नेेत्री रेणुका सिंह मंत्री हैं। नंदकुमार साय भी राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के मुखिया रहे। संगठन में भी स्व. लखीराम अग्रवाल और धरमलाल कौशिक को छोड़ कर, राज्य बनने के बाद हमेशा आदिवासी नेता को अध्यक्ष बनाया गया। राज्य संगठन में संगठन मंत्री पवन साय भी आदिवासी हैं। पहले रामप्रताप सिंह भी आदिवासी रहे हैं। रामविचार नेताम को राज्य सभा सदस्य बनाया गया। उन्हें अनुसूचित जाति मोर्चा का प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ओबीसी नेताओं की नाराजगी इस बात पर है कि आदिवासी नेताओं को इतना सब कुछ देने के बाद भी विधानसभा चुनाव में बस्तर, सरगुजा में दो सीट नहीं मिल पाई और अब फिर से अध्यक्ष नियुक्ति इसी वर्ग से क्यों? दूसरे वर्ग को भी तरजीह दी जाए।
 बहरहाल नये प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से कांग्रेस में खलबली है। मरवाही विधान सभा में जोगी के निधन से उप चुनाव होना है। यह चुनाव कांग्रेस की साख का सवाल रहेगा।
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डेढ़ साल में भूपेश सरकार की साख गिर गई
डेढ़ साल में उतरने लगा खुमारः साय
बीजेपी के नये प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय कहते हैं, डेढ़ साल में ही भूपेश सरकार की साख जनता के बीच गिर गई है। डेढ़ साल बाद भी घोषणा पत्र मे किये गये महत्वपूर्ण वायदों को पूरा नहीं किया। यही वजह है कि उन्हें झूठे सर्वे का सहारा लेना पड़ा, ‘‘नम्बर टू’’ के लिए। युगवार्ता के रमेश तिवारी‘‘रिपु’’ के साथ बातचीत के मुख्य अंश -  
0 आप को केन्द्रीय नेतृत्व ने तीसरी बार अध्यक्ष बनाया है। जबकि पार्टी के अंदर आपको लेकर विरोध है। इसे लेकर आप क्या सोचते हैं।
00 मेरी नियुक्ति को लेकर किसी तरह का विवाद था,मै नहीं मानता। विवाद होता, तो मेरे अध्यक्ष बनने पर कार्यकत्र्ताओं में उत्साह न होता। पार्टी हित के लिए बीजेपी का पूरा परिवार एक है। मै इसे अपना सौभाग्य मानता हूं कि, केन्द्रीय नेतृत्व ने मुझे तीसरी बार अध्यक्ष पद से नवाजा है। 
0 भूपेश सरकार के काम काज से प्रदेश की 81 फीसदी जनता खुश है। एक सर्वे रिपोर्ट ऐसा कहती है। आप की क्या राय है?
00 डेढ़ साल में ही भूपेश सरकार की साख जनता के बीच गिर गई है। हैरानी वाली बात यह है कि डेढ़ साल की सरकार को सर्वे की क्या जरूरत? यदि ये अपने घोंषणा पत्र के वायदे पूरे किये होते तो जनता बीजेपी के काम काज को याद न करती।   
0 पार्टी की आगामी गतिविधियां क्या होंगी।
00 प्रदेश में 750 से अधिक वर्चुअल रैलियां करेंगे। कार्यकत्र्ताओं को बतायेंगे सरकार की खामियों को किस तरह जनता को बताना है। वाट्सअप्प के जरिये लोगों से संवाद स्थापित करेंगे। मै ने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिखे पत्र, केंद्र सरकार की उपलब्धियां और कोविड से बचाव की जानकारी लिखे पर्चे बांटा। पूरे प्रदेश में कार्यकत्र्ता यही कर रहे हैं। हर जिले का दौरा करूंगा। हमारे पास सरकार के खिलाफ मुद्दे बहुत हैं।
 0 कांग्रेस कहती है कि 15 साल में जो काम बीजेपी नहीं कर सकी, वो हमने डेढ़ साल में कर दिखाया। आप क्या मानते हैं?
00 अपने मुंह से अपनी तारीफ करना कांग्रेस की पुरानी आदत है। यदि प्रदेश की 81 फीसदी जनता खुश है,तो फिर डाॅक्टरों को तीन माह से वेतन क्यों नहीं मिल रहा है। राज्य के कर्मचारियों के वेतन मे कटौती क्यों की गई है। बजट तीस फीसदी कम क्यों किया गया? बेरोजगारों को भत्ता.नौकरी कुछ नहीं मिला। शराबबंदी के घोषणा पत्र पर चुनाव लड़ने वाली सरकार आज शराब क्यों बेच रही है। किसानों का कर्जा माफी भी पूरा नहीं हुआ। पिछले साल ढाई हजार रूपये प्रति क्विंटल धान किसानों से खरीदे थे। इसलिए नहीं खरीदा। समर्थन मूल्य के अंतर की राशि पहली किस्त तो दे दी, लेकिन अन्य किस्त कब देंगे, पता नहीं।