Sunday, November 8, 2020

कुछ भी संभव है मरवाही में

  









मरवाही विधान सभा के उपचुनाव में अब कुछ भी हो सकता है। अभी तक कांग्रेस ढाई घर से ज्यादा चलने की बात कर रही थी। लेकिन छजका ने बीजेपी को समर्थन देकर कांग्रेस के उठते हाथ को ठिठका दिया है। आम मत है कि नए चुनावी समीकरण ने सत्ता पक्ष की धड़कने बढ़ा दी है।    


0 रमेश कुमार ‘‘रिपु’’
            छत्तीसगढ़ में होने जा रहे मरवाही विधान सभा उप चुनाव ऐसे मोड़ पर पहुंँच गया है,जिसकी कल्पना मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी नहीं की रही होगी। चुनाव प्रचार थमने के दो दिन पहले छजका के वरिष्ठ नेता धरम जीत सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक से पेन्ड्रा में मुलाकात के बाद बीजेपी का समर्थन देने की बात कहकर कांग्रेस खेमें खलबली मचा दी। राज्य में इस सियासी गठजोड़ ने सबको हैरान कर दिया है। इस नए चुनावी समीकरण से मरवाही विधान सभा क्षेत्र में अब कुछ भी हो सकता है। भूपेश बघेल की प्रतिष्ठा को धक्का भी लग सकता है। इसकी वजह यह है कि अभी तक कांग्रेस ढाई घर से ज्यादा चलने का दावा कर रही थी लेकिन छजका के समर्थन से उठता हाथ ठिठक गया है।
बीजेपी को खुला समर्थन छजका मिलने से कांग्रेस के समक्ष दुविधा की स्थिति उत्पन्न हो गई। गौरतलब है कि अमित जोगी और उनकी पत्नी ऋचा जोगी का नामांकन रद्द होने के बाद जोगी परिवार के पास कोई विकल्प नहीं रह गया था। यद्यपि ऋचा जोगी ने अपने जाति का मामला हाई कोर्ट में दायर कर दी हैं। विधायक रेणू जोगी मरवाही विधान सभा में अजीत जोगी की जीवनी की किताब लेकर सबसे न्याय करने की अपील कर रही थीं। लेकिन निर्वाचन अधिकारी ने उन्हें मरवाही विधान सभा के हाट बाजार आदि स्थानों पर जाने पर रोक लगा दी। इस आधार पर कि छजका का कोई भी उम्मीदवार चुनावी समर में नहंी है और न ही छजका किसी अन्य पार्टी का समर्थन कर रही है। इसलिए प्रचार जायज नहीं है।
राजनीतिक गलियारे में इस बात की आशंका थी कि मतदान से पहले छजका बीजेपी को समर्थन कर सकती थी। इस समर्थन के बाद से कांग्रेस खेमें में हलचल तेज हो गई है। वैसे भी आठ मंत्री और दस संसदीय सचिव इस विधान सभा में महीनों से डेरा डाले हुए थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को तीन दिन दौरा करना पड़ा।  छजका के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने कहा है कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भाजपा प्रत्याशी डॉ गम्भीर को जीताने का निर्णय लिया है। मैं पार्टी के नेताओं के निर्णय से सहमत हूँ।   मेरा मानना है कि वैचारिक रूप से क्षेत्रीय दल और राष्ट्रीय दल में स्थायी समझौता सम्भव नहीं है, बशर्ते कि राष्ट्रीय दल हमारी स्वराज की भावना का सम्मान करे। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जब कांग्रेस ने मेरे स्वर्गीय पिता अजीत जोगी के अपमान को अपने प्रचार का मुख्य केंद्र बिंदु बना लिया है। मेरे परिवार को चुनाव के मैदान से छलपूर्वक बाहर किया गया है। ऐसी परिस्थिति में मुझे मेरे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का निर्णय स्वाभाविक और सर्वमान्य लगता है।  
छजका बीजेपी की बी टीम
मरवाही उपचुनाव में जनता कांग्रेस के भाजपा को समर्थन दिए जाने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तंज कसते हुए कहा कि भाजपा और जोगी कांग्रेस के बीच पहले से गठबंधन रहा है। हम तो पहले ही कहते रहे हैं कि छजका भाजपा की बी टीम है। यह सब लोग जानते थे कि इनके बीच सालों से गठबंधन है। लेकिन पहली बार खुले में स्वीकार किए हैं। रमन सिंह स्वीकार किए,अब अमित जोगी भी स्वीकार कर रहे हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी नोट बांटे
इस चुनाव में विपक्ष और सत्ता पक्ष एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। इस बीच छजका के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने सोशल मीडिया में एक फोटो शेयर की। जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी डॉ के के धु्रव भाजपा के झंडे के सामने बैठ कर खुलेआम 2000 के नोटों की गड्डी बांट रहे हैं। जाहिर है कि कांग्रेस इस चुनाव को जीतना अपनी प्रतिष्ठा बना ली है। यही वजह है कि यहां की महिलाओं को लुभाने के लिए साड़ियांँ बांँटे जाने का वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुआ। वीडियो मरवाही विधान सभा के झिरिया टोला गाँव का है। रेणू जोगी ने कहा,जब घोषणाएं काम नहीं आईं, तो साड़ी और शॉल का सहारा लेने लगे हैं। लेकिन मरवाही के लोग बिकाऊ नहीं हैं। इसकी शिकायत जिला निर्वाचन अधिकारी कलेक्टर डोमन सिंह को करने के बाद भी वो चुप रहे।’’
चुनाव की दिशा बदली
बहरहाल छजका का अब भाजपा का समर्थन करने पर कांग्रेस कैसी रणनीति बनाती है इस पर सबकी नजर है। वहीं भाजपा को इस समर्थन से कितना लाभ मिलता है यह वक्त बतायेगा। गौरतलब है कि कांग्रेस पिछले दो माह से जनता कांग्रेस के छोटे बड़े नेताओं को अपनी तरफ मिला रही थी। वहीं भाजपा ने एक कदम आगे बढ़ते हुए पूरी छजका समर्थन हासिल कर चुनाव की दिशा बदल दी है। कांग्रेस को भी लगने लगा है कि बीजेपी पहले से कुछ और भारी हो गई है। वैसे पिछले दो माह से कांग्रेस के चुनाव प्रभारी जयसिंह अग्रवाल ने जो फिल्डिंग यहां की है, उससे कांग्रेस यहांँ दिखने लगी। अजीत जोगी के चुनाव लड़ने से यहां बीजेपी हमेशा दूसरे नम्बर पर रही है। अब जोगी की पार्टी का समर्थन बीजेपी को मिलने से कांग्रेस में हताशा बढ़ी है।   
रिकार्ड मतों से जीतेंगेः भूपेश
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने मरवाही उप चुनाव की कमान संभल रखी है। वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का दावा है कि कांग्रेस यहांँ रिकार्ड मतो से जीत दर्ज करेगी। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह का दावा है कि मै वहाँं दो दिन रहा। वहाँं की तस्वीर बता रही है कि जनता में बीजेपी के प्रति भारी उत्साह है। मरवाही में आम आदमी का भाव केवल कांग्रेस को हराने का है। कांग्रेस की जमानत जब्त हो सकती है। मरवाही विधान सभा की जनता मरवाही में शराब, कटोरी, साड़ी, कंबल बांटने के बाद भी कांग्रेस को वोट नहीं करेगी।  
डील और सेटिंग के आरोप गलत
डाॅ रमन सिंह ने युगवार्ता से कहा कि कांग्रेस का आरोप बेबुनियाद है कि बीजेपी और छजका के बीच किसी तरह की डील हुई है। कांग्रेस की मरवाही विधान सभा में जमीन खिसक रही है, इसलिए वो झूठ और अफवाह का सहारा ले रही है। गांव-गांव में घूमकर रेणू जोगी जनता से मिल रहीं थीं। अजीत जोगी का अपमान हुआ तो वो बाहर आईं। वो अपने लिए वोट अपील नहीं कर रही थीं। कांग्रेस को हराने की उनकी अपली बताती है कि उनके मन की ब्यथा कैसी है।  
बीजेपी की जीत तय
डाॅ रमन सिंह ने कहा कि रेणू जोगू मरवाही विधान सभा में सुबह शाम जाकर वहां की जनता से न्याय मांग रही थीं। न्याय इस इस बात के लिए अजीत जोगी को अपमानित किया गया। उनके पोस्टर जलाए गए। जोगी परिवार को मरवाही से दूर किया गया। वो अपील कर रही थीं कि इस बार मरवाही की जनता कांग्रेस की जमानत जब्त कराए। इसका असर जनता पर पड़ेगा, भाजपा की जीत तय है। जाहिर सी बात है कि छजका के समर्थन से अब भाजपा मरवाही विधान सभा में अपना झंडा गड़ता देख रही है।
कांग्रेस डील करने में माहिर
नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने कहा कई मतदाताओं का कहना था कि छजका को चाहिए कि वो बीजेपी का खुलकर समर्थन कर दे। ताकि लोग बीजेपी का खुलकर प्रचार करें। रहा सवाल कांग्रेस के आरोप का कि डील हुई है। वो ऐसा स्वयं करते हैं,ऐसा दूसरों को भी कहते हैं। कांग्रेस प्रदेश में डील ही तो कर रही है। शराब की डील, रेत की डील कर रही है। अब सीमेंट के दाम 40 रुपए बढ़ गए हैं। मरवाही में शराब, कटोरी, साड़ी, कंबल बांटा जा रहा है। चुनाव आयोग के सामने बात रखी है कि मरवाही में सत्ता का उपयोग हो सकता है।
यहां के एक मतदाता ने कहा कि यह चुनाव कांग्रेस के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए जरूरी है जीतना है,अन्यथा कांग्रेस में उनके विरोधी और विपक्ष उन्हें नोच डालेंगे। बहरहाल चुनाव के नतीजो जो भी आएं लेकिन बीजेपी और छजका यह गठबंधन कांग्रेस के लिए आगामी विधान सभा चुनाव के लिए सिरदर्द साबित हो सकते हैं।
 

 
 
 

 


 

जोगी बिन मरवाही

             
मरवाही विधान सभा उप चुनाव से तय होगा कि भूपेश बघेल मुख्यमंत्री के रूप में राज्य में कितना लोकप्रिय हैं। अमित जोगी और उनकी पत्नी ऋचा जोगी का नामांकन रद्द होने से बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी मुकाबला है। पहली बार मरवाही विधान सभा के चुनावी समर में जोगी परिवार नहीं रहेगा। सवाल यह है कि, क्या कांग्रेस को मात देने, अमित जोगी बीजेपी का साथ देंगे? 


0 रमेश कुमार ‘रिपु’’
            छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ेगा मरवाही विधान सभा उप चुनाव हारने या जीतने से। क्यों कि कांग्रेस के 68 विधायक हैं। राज्य में यह पहला उपचुनाव है। यह चुनाव तय करेगा कि भूपेश बघेल राज्य में कितना लोकप्रिय हैं। यदि कांग्रेस यह सीट हार जाती है, तो स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव को मौका मिल जाएगा कहने को कि, भूपेश बधेल की लोकप्रियता गिर गई है। अजीत जोगी की मृत्यु के बाद यह सीट खाली हुई है। राज्य बनने के बाद से अब तक मरवाही विधान सभा में जोगी परिवार का ही कब्जा था। यह पहला अवसर है, जब छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली बार अजीत जोगी के बिन चुनाव हो रहा है। भूपेश बघेल और अजीत जोगी के बीच 36 का सियासी रिश्ता था। अमित जोगी को कांग्रेस से निकाले जाने के बाद अजीत जोगी दूसरी पार्टी छजका बनाई। इस पार्टी के पांच विधायक थे। अब चार रह गए। छजका के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी हैं। मरवाही सीट खाली होने पर मुख्यमंत्री ने सारी व्यवस्था बना ली थी। मरवाही विधान सभा को प्रदेश का 29 वां जिला घोषित कर दिया। नगर पंचायत मरवाही को नगर पालिका बना दिया। पूरा प्रशासनिक अमला अपने मन माफिक तैनात कर दिया।
जोगी परिवार का नामांकन रद्द
अजीत जोगी दो दशक तक राजनीतिक आदिवासी बनकर राजनीति की। निधन के साथ ही उनकी जाति का मामला भी खत्म हो गया। भूपेश सरकार एक झटके में अमित जोगी की जाति के मामले का अंत कर दिया। मरवाही विधान सभा के उपचुनाव में अमित जोगी और उनकी पत्नी ऋचा जोगी का नामांकन जिला निर्वाचन अधिकारी ने रद्द कर दिया। अमित जोगी के नामांकन में आपत्ति कांग्रेस के अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की ओर से उर्मिला मार्को और निर्दलीय प्रताप सिंह भानू ने की थी। तीनों ही के पास राज्य स्तरीय छानबीन समिति के उस आदेश की कॉपी थी, जिसमें अमित जोगी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त किया गया था। 17 अक्टूबर को करीब दो घंटे चली दावा,आपत्ति पर सुनवाई के बाद रिटर्निंग आफिसर डोमन सिंह ने ऋचा जोगी का भी पर्चा रद्द करते हुए कहा,पर्चा विधि मान्य नहीं है। छानबीन समिति ने जांच में पाया कि उनके पास अनुसूचित जन जाति का वैध प्रमाण पत्र नहीं था। मुंगेली जिला की जाति सत्यापन समिति ने पत्नी ऋचा जोगी का प्रमाणपत्र निलंबित कर दिया है। मरवाही उप चुनाव के 19 प्रत्याशियों के नामांकन पर दावा आपत्ति की जाँच में सबसे ज्यादा समय अमित जोगी पर लगा। 120 मिनट चली बहस में अमित 90 मिनट बोले।

नकली आदिवासी थे जोगी
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा,‘‘ भाजपा ने नकली आदिवासी के मुद्दे पर चुनाव लड़ा और सत्ता में आए। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने जाति मामले में पूरे 15 साल लगा दिए और उसी के दम पर सत्ता हासिल की। जोगी की जाति के संबंध में उनकी ही शिकायत थी। सभी जानते हैं कि किस प्रकार से उनकी जुगलबंदी रही है। अनुसूचित जनजाति के नाम पर बहुत से लोग फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर नौकरी करते हैं। शिकायत होती है, तो स्टे लेकर सालों तक फायदा उठाते रहते हैं। अब फैसला आया, तो भाजपा को इसका स्वागत करना चाहिए।‘‘
यह षडयंत्र हैः डाॅ रमन
पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह ने कहा कि षडयंत्र के तहत अमित जोगी का नामांकन रद्द किया गया है।  18 अक्टूबर को अमित जोगी ने फैसला किया कि वे मरवाही विधान सभा में न्याय यात्रा निकालेंगे। उन्होंने कहा मुझे पूरा विश्वास है की मरवाही अजित जोगी और उनके परिवार के साथ हो रहे इस अन्याय के खिलाफ न्याय जरूर करेगा। कुछ लोग इस गलत फहमी मे हैं की जोगी परिवार को चुनाव लड़ने से रोक कर, उन्होंने जोगी परिवार को खत्म कर दिया है। पर मैं उन्हें कह देना चाहता हूँ की ये पिक्चर का अन्त नहीं है, पिक्चर अभी बाकी है। वहीं विधायक रेणू जोगी अपने एक वीडियो में लोगों से कह रही हैं बेटे अमित जोगी को नामांकन साजिश के तहत रद्द किया गया है। अन्याय हुआ है। अब आप लोगों को बदला लेना है।  
एससी थे अजीत जोगी के पिता
पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर कहते हैं अजीत जोगी जिस महिला को अपनी मांँ बताया करते थे, वह उनकी वास्तविक माँं नहीं थी। जोगीसार गांँव का जब मै प्रभारी था, दौरा किया करता था। जिसे वे अपनी माँं बताते थे उसके पिता ने बताया था कि इसकी शादी नहीं हुई है। यानी जोगी कंवर जाति के नहीं थे। अजीत जोगी के पिताजी अनुसूचित जाति के थे। सतनामी या कोई दूसरे जाति के। इसलिए भी उस समय भी ज्यादा कुछ नहीं बोला क्यों कि कोर्ट में मामला चल रहा था। अब जाति प्रमाण पत्र निरस्त हुआ है, तो मेरे हिसाब से सही हुआ है। आज भी मैं कह सकता हूंँ कि, वे कंवर ब्लड के है ही नहीं। वैसे जोगी सरनेम कंवर जाति में नहीं होता है। उनके पिताजी अनुसूचित जाति की थी।   
पूरा सरकारी तंत्र मरवाही में
इस समय आधा दर्जन मंत्री और संसदीय सचिव से लेकर पूरा प्रशासनिक अमला मरवाही विधान सभा में डेरा जमाए हुए है। अमित जोगी का नामांकन खारिज होने के बाद, अब बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर हैं। मरवाही विधान सभा उपचुनाव से कांग्रेस की टिकट से डाॅक्टर डाॅ कृष्ण कुमार धु्रव और बीजेपी से डाॅ गंभीर सिंह हंै। तीन नवम्बर को मतदान है। 10 नवम्बर को परिणाम आयेगा। भाजपा जहांँ पहले चुनाव में पिछे चल रही थी, अचानक से सामने आ गई।  अब लड़ाई कांग्रेस और भाजपा में आमने सामने की हो गई। वैसे इस समय सबसे चर्चा का विषय जनता कांग्रेस के दिग्गज नेता धरमजीत सिंह को लेकर हो रही है कि, आखिर वो हैं कहां। वहीं भूपेश बधेल डाॅ के के सिंह का नामांकन भरवाने आए, लेकिन टीएस सिंह देव नहीं आए। उन्हें इस चुनाव से दूर रखा गया है।
रेणू की अपील बेकार गई
मरवाही विधान सभा में छजका के कार्यकत्र्ता बहुत हैं। आदिवासी समाज के लोग हैं। अमित जोगी  भावानात्मक कार्ड खेल सकते हैं। जिला बनने से लोग खुश हैं लेकिन, अमित जोगी का नामांकन खारिज होने से नाराजगी भी देखी जा रही है। इससे पहले रेणू जोगी ने अपील की थी कि, कांग्रेस को अपना उम्मीदवार मरवाही में नहीं खड़ा करना चाहिए। जिस तरह यूपी में सपा और बसपा सोनिया गांधी के खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं उतारती है। वैसा ही यहां भी करना चाहिए। भूपेश बघेल कहना था कि इस मामले पर निर्णय पार्टी हाईकमान ही ले सकता है,हम नहीं।
अर्चना कांग्रेस में शामिल
मरवाही उपचुनाव से पहले भाजपा को बड़ा झटका लगा है। भाजपा के पूर्व विधायक प्रत्याशी रही अर्चना पोर्ते और ध्यान सिंह पोर्ते कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। साल 2018 में अर्चना पोर्ते ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के खिलाफ चुनाव लड़ी थीं। दूसरे नंबर पर थी भाजपा 2008 में। ध्यान सिंह पोर्ते भी भाजपा प्रत्याशी रह चुके हैं। अर्चना पोर्ते ने कहा, कुछ लोग 20 साल से आदिवासियों का हक और अधिकार छीनकर बैठे थे। लेकिन उन्होंने 20 साल से मरवाही का विकास नहीं किया। मरवाही की जनता के बारे में नहीं सोचा। इन लोगों ने जज्बातों से खेला, उन्हें ठगा। इस चुनाव में उन्हें मरवाही से बाहर करेंगे।
बहरहाल कांग्रेस विकास कार्य और जिला बनाने के दम पर, तो भाजपा कांग्रेस सरकार की विफलता को लेकर जनता के बीच है। कांग्रेस वहांँ पूरी ताकत झोंक दी है जबकि, भाजपा किसी भी तरह नहीं चाहेगी की कांग्रेस वहांँ जीत दर्ज करे। सवाल यह है कि अमित जोगी अपनी न्याय यात्रा के जरिये जनता से बदला लेने के लिए किसे वोट देने की अपील करेंगे? सबकी नजर है। वैसे वे सार्वजनिक रूप से बीजेपी को वोट देने की अपील नहीं करेंगे। लेकिन इसकी संभावना ज्यादा है कि, वे बीजेपी को वोट देने की गोपनीय तरीके से बात कर सकते है










 

 
 
 

 

 
 

 
 

कहीं भी सुरक्षित नहीं महिलाएं


प्रदेश में यौन अपराध चिंताजनक रफ्तार से बढ़ रहे हैं। कुछ ऐसी घटनाएं हंै जो खौफनाक सच्चाई को उजागर कर रहे हैं। शहरों में भी अब महिलाएं पुरूषों के हवस का आसान शिकार हैं। फिर भी कांग्रेस के मंत्री दावा करते हैं उनके यहां का गैंगरेप हाथरस जैसा नहीं है। स्पष्ट है कि कांग्रेस की मानसिकता में बदलाव की जरूरत है। पिछले नौ माह में डेढ़ हजार रेप की घटनाएं बता रही हैं कि छत्तीसगढ़ रेप स्टेट बन गया है।  


0 रमेश कुमार ‘‘रिपु’’
            छत्तीसगढ़ में बढ़ते यौन अपराध ने कांग्रेस सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई घटना को लेकर कांग्रेस ने प्रदर्शन किया। लेकिन बलरामपुर,कांेडागांव और जशपुर की गंभीर घटना पर कांग्रेस चुप्पी साध ली। जबकि पिछले नौ माह में छत्तीसगढ़ में डेढ़ हजार से अधिक दुष्कर्म की घटनाएं घटी। हैरान करने वाली बात है कि जांजगीर चांपा के कलेक्टर जनक प्रासद पाठक काम का लालच देकर एक महिला का यौन शोषण करते रहे। उस महिला को काम नहीं मिलने पर वह कलेक्टर जगन से दूरी बना ली। लेकिन वो उसके मोबाइल पर अश्लील मैसेज, वीडियो लगातार भेजते रहे। उसे प्रताड़ित करने के लिए उन्होंने धमकी दी, यदि उनसे नहीं मिली तो उसके पति को बर्खास्त कर देंगे। 15 मई 2020 को उनके आॅफिस में मिली। वहां उन्होंने उसके साथ दुष्कर्म किया। उसकी शिकायत पर पुलिस ने उनके खिलाफ धारा  376, 506 509 ख के तहत मामला दर्ज की। जाहिर सी बात ऐसी घटनाओं में बड़े लोगों को बचाने के लिए कई रास्ते निकल आते हैं।
 थाना प्रभारी रेपिस्ट निकला
अपने पद और ताकत का इस्तेमाल महिलाओं पर करने वाले सिर्फ कलेक्टर ही नहीं,गलत दुरूप्रयोग पुलिस अफसर भी करते हैं। पत्थगांव में थाना प्रभारी रहते हुए ओम प्रकाश धु्रव ने एक महिला को शादी का झांसा देकर उसका यौन शोषण करते रहे। उनके खिलाफ महिला ने कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज करा दी। निलंबित होने पर एक साल से वे फरार थे। रायगढ़ एस. पी संतोष कुमार ने मामले की जांच की। रायगढ़ जिला न्यायालय ने 16 अक्टूबर को सरेंडर करने पर उन्हें जेल भेज दिया।
यहां का गंैगरेप भयावह नहीं
हैरानी वाली बात है कि गैंगरेप की घटनाओं की तुलना करते हुए नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डेहरिया ने कहा कि, हाथरस की घटना की तुलना में बलरामपुर में हुई घटना कम गंभीर है। सवाल यह है कि क्या गैग रेप की घटनाओं की तुलना करनी चाहिए? गौरतलब है कि बलरामपुर के वाड्रफनगर इलाके में 19 सितम्बर को एक नाबालिग लड़की को नशीली गोलियांँ खिलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया गया। चाइल्ड लाइन के समन्वयक महेंद्र को उसने काउंसलिंग में दुष्कर्म की जानकारी दी। आरोपी जयप्रकाश अगरिया को गिरफ्तारी के बाद दूसरे आरोपी की शिनाख्ती परेड कराई गई। जिसमें घनश्याम की शिनाख्ती हुई। नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार के खिलाफ भाजपा ने वाड्रफनगर पुलिस चैकी के सामने विरोध दर्ज कराते हुए गांधी जयंती मनाई। भाजपा ने कहा है कि पुलिस आरोपी को बचाने के लिए पीड़िता की मेडिकल जांच में लेट,लतीफी की। भाजपा ने पीड़िता को 10 लाख मुआवजा देने की मांग की। वहीं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने पीड़िता के पिता से कहा, सरकार पीड़िता के पढ़ने का सारा खर्चा उठाएगी। आप चाहें तो उसे रायपुर में भी पढ़ा सकते हैं।’’
रेपिस्ट को बचाने सौदा
ऐसे अपराध से पता चलता है समाज में गिरावट पहले से अधिक आई है। रेपिस्टों को बचाने पुलिस  सौदा करती है। जैसा कि कोंडागांव जिले के धनौरा थाना क्षेत्र के ओड़ागांव में एक युवती के साथ सात लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया। दो माह पहले वह अपने मामा के यहां शादी में अपनी सहेली के साथ गई थी। देर रात आरोपी उसे उठा ले गए जंगल। वहाँं उसके साथ गैंग रेप किया। वापस लौटने पर उसने अपनी सहेली को बताया। घटना के बाद युवती के परिजन पुलिस के चक्कर लगाते रहे लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं हुई। इस बीच 4 अक्टूबर को युवती के पिता ने आत्महत्या की कोशिश की। पिता का कहना था कि वह अपनी बेटी को न्याय नहीं दिला पा रहे थे,इसलिए दुखी होकर आत्महत्या करने जा रहे थे।
कब्र से निकाला शव
ओड़ागांव की सरपंच संगीता नाग ने दावा किया कि पीड़िता की आत्महत्या के 15 दिनों बाद मामले को लेकर दो आरोपियों के परिजनों को पूछताछ के लिए थाना बुलाया गया था। इस दौरान थाने में गांँव के कुछ अन्य लोगों की मौजूदगी में परिजनों और थाना प्रभारी के बीच लेने देन की बात हुई थी। बड़ी रकम मांगे जाने पर डील पक्की नहीं हुई। थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है। पीड़िता के सुसाइड मामले पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य यशवंत जैन ने एस.पी को पत्र लिखकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा। युवती के शव को कब्र से निकाल कर  पी.एम मेकाहारा के फारेंसिक डिपार्टमेंट के डाॅक्टरों ने किया है।
दुष्कर्म के मामलों में इजाफा इस बात का संकेत है कि गांव हो या फिर शहरी आबादी दोनों जगह बदलाव केवल दिखावटी है। लोग कितने भी रईस हों,अच्छे कपड़े पहनें,अच्छी गाड़ियों में चलें लेकिन, उनके व्यवहार में संकीर्णता बनी रहती है। शादी,बर्थडे पार्टी और अन्य आयोजनों में बलात्कार जैसे अपराध ज्यादातर होते हैं।
नौ माह में डेढ़ हजार रेप
छत्तीसगढ़ में महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध परेशान करने वाले हैं। महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न, जबरन सहवास, छेड़छाड़,कपड़े खींच कर बेइज्जत करना जैसे अपराध में इजाफा हो रहा है।  राज्य में एक जनवरी 2019 से 31 जनवरी 2020 तक बलात्कार के 2575 मामले दर्ज किए गए हैं। राज्य के रायपुर जिले में सबसे अधिक 301 मामले, रायगढ़ जिले में 196, बिलासपुर में 144,सरगुजा में 139,सूरजपुर में 132, जशपुर में 123, बलौदबाजार में 123, बस्तर में 115, कोरिया में 114, बलरामपुर में 112 और कोरबा जिले में 102 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह का आरोप है कि पिछले नौ माह में डेढ़ हजार दुष्कर्म की घटनाएं प्रदेश में घटी। गैंगरेप के बढ़ते मामलों पर सी.एम. बघेल के साथ चर्चा के लिए राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को छत्तीसगढ़ आना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा प्रदेश की बेटियां बस्तर से बलरामपुर तक कहीं भी सुरक्षित नहीं ये कैसा नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने चले हैं। छत्तीसगढ़ के हर जिले में प्रतिदिन एक बलात्कार हो रहा है। हम राहुल गांधी को छत्तीसगढ़ आमंत्रित करते हैं।
इनामी रेपिस्ट बिहार में पकड़ाया
सीतामढ़ी बिहार निवासी बेचूराम रायपुर में काम कर रहा था। इस दौरान अगस्त 2016 में मंदिरहसौद निवासी 14 साल की किशोरी को शादी का झांसा देकर भगा ले गया। किशोरी के गायब होने पर परिजनों ने गुमशुदगी दर्ज कराई। आरोपी करीब 4 माह बाद दिसंबर में किशोरी को रायपुर रेलवे स्टेशन पर छोड़कर भाग निकला। रायपुर एसएसपी अजय यादव ने बिहार पुलिस से संपर्क किया और आरोपी को उसके गाँव से गिरफ्तार किया।
खुद के प्रदेश की चिंता नहीं
उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 साल की युवती से दुष्कर्म और हत्या के विरोध में कांग्रेस ने रायपुर में मौन प्रदर्शन किया। लेकिन उनके राज्य में हो रहे गैग रेप का उन्हें अफसोस नहीं है। जशपुर जिले में 9 अक्टूबर को 19 वर्षीय लड़की अपने रिश्तेदारों के यहांँ से लौट रही थी। आरोपी 33 वर्षीय अरूण लकड़ा, 37 वर्षीय सुशील चैहान,और फिरोज बेक ने उसका अपहरण कर उसके साथ गैंग रेप किया। पीड़िता सुबह गाँव के बाहर बिहोश मिली। उसकी मेडिकल जाँच के बाद तीनों आरोपियों के खिलाफ मामला पंजीबद्ध किया गया है।
ऐसी घटनाओं से एक बात साफ है कि बलात्कारी ज्यादातर जान पहचान वाले ही होते हैं। उन्हें लगता है कि कम उम्र की लड़कियों से रेप करने पर वो डर की वजह से किसी को बतायेंगी नहीं। समाज में एक बड़े सांस्कृतिक बदलाव की जरूरत है। जैसा कि कोरबा में एक पिता अपनी बेटी के साथ दुष्कर्म कर रहा था। हिम्मत जुटा कर उसने अपने पिता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। बढ़ता बलात्कार और बचते अपराधी से जाहिर है कि औरत कहीं महफूज नही हैं। प्रगतिशील समाज, अब भी औरत को अबला ही मानता है। जरूरी है राज्य सरकारों को अपने प्रदेश मंे यौन अपराध पर नकेल लगाने की दिशा में सोचना चाहिए।