Saturday, July 11, 2020

पड़ गए बीज टूट,फूट के

  
स्वास्थ्य एंव पंचायत मंत्री टी.एस.सिंहदेव ने एक चैनल में यह कहकर सनसनी फैला दी कि,यदि किसानों को अंतर की राशि अगली फसल से पहले नहीं मिली, तो इस्तीफा दे दूंगा। मुख्य मंत्री के रवैये से वे क्षुब्ध थे। उनके ट्वीट और बयान से माना जा रहा है कि कांग्रेस की दीवार में दरार पड़ गई है। 




0 रमेश कुमार ‘‘रिपु’’
                 एक ट्वीट ने बता दिया कि कांग्रेस की दीवार में दरार पड़ गई है। ट्वीट स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंह देव का था। उन्होंने ट्वीट किया कि सभी बेरोजगार, शिक्षा कर्मियों, विद्या मितान, प्रेरकों एवं अन्य युवाओं की पीड़ा से मैं बहुत दुखी और शर्मिंदा हूँ’’। दरअसल 29 जून को बेरोजगार युवक हरदेव सिन्हा बेरोजगारी से परेशान होकर मुख्यमंत्री निवास के सामने खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा लिया था। युवक मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी परेशानी रखना चाहता था। लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उसे भीतर नहीं जाने दिया। गौरतलब है कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में था कि कांग्रेस सरकार बनने पर बेरोजगारों को ढाई हजार रूपये महीना बेरोजगारी भत्ता देंगे। 
छत्तीसगढ़ सरकार में कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव अपनी ही सरकार से खुश नहीं है। यह कयास इस वजह से लगाया जा रहा है कि ट्वीटर पर प्रदेश के बेरोजगारों के प्रति चिंता व्यक्त की। इसके बाद 30 जून को एक टी.वी. चैनल में सभी नागरिकों के सामने लिखित और मौखिक रूप से कहा कि यदि अगली फसल से पहले 2500 रुपए सरकार के वादे के मुताबिक धान के बदले, मिलने वाला मूल्य प्रति क्विंटल, किसानों का नहीं मिला, तो मेरा इस्तीफा स्वीकार कर लेना। जाहिर सी बात है कि उनका इशारा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ओर था। उनके इस सियासी बयान सेे बखेड़ा खड़ा होना ही था। और यही हुआ एक जुलाई को। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने टी.एस सिंह देव को राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए अधिकृत प्रवक्ता के पद से हटा कर, कृषि मंत्री रविन्द्र चैबे और वन मंत्री मोहम्मद अकबर को नियुक्त कर दिया। सरकार की तरफ से कहा गया कि ऐसा पत्रकारों की मांग पर किया गया है। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी शैलष त्रिवेदी ने इस मामले में कहा,‘‘ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरफ से दो मंत्रियों को सरकार का अधिकृत प्रवक्ता इसलिए नियुक्ति किया गया है,ताकि सरकार की तरफ से दी जाने वाली जानकारियों में विविधता ना रहे और जनता के बीच किसी भी विषय पर स्पष्ट जानकारी पहुंचे’’।
अब सियासी रिश्ता 36 का
टीएस सिंह देव के बयान से यह तो साफ हो गया कि कांग्रेस में आल इज वेल नहीं है। भूपेश और टीएस सिंह देव के बीच 36 का सियासी रिश्ता है,न कि 63 का। उनके बयान ने सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी है। वहीं विपक्ष इस पर चुटकी ले रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री डाॅक्टर रमन सिंह ने कहा है,‘‘ टी.एस. सिंहदेव के इस्तीफे की पेशकश कांग्रेस सरकार की चलाचली की बेला का अलार्म है। राज्य सरकार की दगाबाजी, वादाखिलाफी और सियासी नौटंकियों का एक न एक दिन यही हश्र होना था। भाजपा लगातार जिन मुद्दों पर सरकार की आलोचना कर रही है, सिंहदेव के इस्तीफे की पेशकश से उस पर मुहर लग रही है। सरकार में दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले मंत्री टी. एस. सिंहदेव की यह पेशकश सरकार के राजनीतिक चरित्र के ताबूत की पहली और आखिरी कील साबित होगी। सरकार ने न किसानों के साथ न्याय किया, न शराबबंदी का वादा निभाया और न ही प्रदेश के शिक्षित बेरोजगारों के लिए रोजगार के कोई अवसर बाकी रखे। बेरोजगार युवकों को प्रदेश की भूपेश सरकार ने इस कदर हताशा के गर्त में धकेल दिया है कि वे अब आत्मदाह तक करने जैसा कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं। यह सरकार के लिए चुल्लूभर पानी में शर्म से डूब जाने वाली स्थिति है’’।
एक साल भर्ती रूकी हुई है
प्रदेश में करीब सवा साल से शिक्षक भर्ती प्रक्रिया अटकी हुई है। इसको लेकर अभ्यर्थी काफी नाराज हैं और लगातार प्रदर्शन भी करते रहे हैं। शिक्षक भर्ती का विज्ञापन पिछले साल 9 मार्च 2019 को जारी हुआ था। इसके अंतर्गत व्याख्याता, शिक्षक सहायक, शिक्षक विज्ञान सहायक, शिक्षक विज्ञान प्रयोगशाला के कुल 14580 पदों पर भर्ती होनी है। सवा साल में सिर्फ परीक्षा के परिणाम ही घोषित हुए हैं। करीब 4 माह पहले सत्यापन कार्य शुरू हुआ, लेकिन वह भी काफी धीमी गति से चल रहा है। 14 माह बाद भी ना तो व्याख्याता और ना ही किसी भी शिक्षक और सहायक शिक्षक संवर्ग की प्रथम पात्र,अपात्र की सूची जारी हुई है। कंाग्रेस के घोषणा पत्र में शराब बंदी,बेरोजगारों को भत्ता,एक लाख सरकारी पदों पर भर्ती, मुफ्त इलाज की सुविधाएं, आंगनबाड़ी केंद्रों में शिक्षा का बंदोबस्त,स्वामीनाथन कमेटी की कई सिफारिशों को लागू करने की बात कही गई है। 
सियासत शुरू
टी.एस.सिंहदेव के बयान और ट्वीट पर बीजेपी अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा कि टी.एस.सिंहदेव का शर्मिदा होना उचित है। उनमें अभी नैतिकता है, इसलिए सरकार में जो देखा, वह उन्होंने कहा। सरकार तो नाकाम है। घोंषणा पत्र में किये गये वायदे पूरे करने में मुकर रही है’’। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा,‘‘टीएस सिंहदेव ने किसानों के साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठाकर सरकार को सबक सिखाने का जो संकल्प व्यक्त किया है, भाजपा उसका स्वागत करती है। महिला स्व.सहायता समूहों के कर्ज माफ करने का वादा तक अब सरकार के एजेंडे में कहीं नजर नहीं आ रहा है। पूर्व कलेक्टर एंव भाजपा नेता ओपी चैधरी ने अपने ट्वीट में लिखा, धन्यवाद! आपने शर्मिंदा होने की संवेदनशीलता कम से कम दिखाई। भारतीय संविधान में कैबिनेट के सामूहिक उत्तरदायित्व का सिद्धांत है। कैबिनेट के किसी सदस्य का बयान, पूरे कैबिनेट और सरकार का बयान होता है।
बायें करने की राजनीति
भूपेश सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है, उसे मिला प्रचंड जनादेश। उनसे जनता की उम्मीदें बहुत है। जिन पर खरा उतरना भूपेश सरकार के लिए बेहद कठिन काम है। वे अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों का विश्वास खो रहे हैं। टी.एस.सिंह देव कहने को स्वास्थ्य एवं पचायत मंत्री हैं लेकिन,मुख्यमंत्री पिछले कई माह से उन्हें बायें करते आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की बैठक में मुख्यमंत्री ने उन्हें बताया तक नहीं,जबकि वे रायपुर में ही थे। मुख्यमंत्री निवास से सिंहदेव का निवास मुश्किल से दो सौ मीटर है। कोरोनाकाल के समय भी उनसे राय लेना उचित नहीं समझा। जब टी.एस. सिह देव से पूछा गया कि स्वास्थ्य विभाग की बैठक में क्यों नहीं गये,उनका जवाब था कि, उन्हें स्वास्थ्य विभाग के बैठक की जानकारी नहीं थी। सचिव की जवाबदारी थी,पर उन्होंने भी जरूरी नहीं समझा बताना। मंत्रियों के विभाग बंटवारे के समय टी.एस सिंह देव वित्त विभाग चाहते थे,लेकिन मुख्यमंत्री ने उसे अपने पास रखा। गोबर खरीदी योजना समिति में सिंहदेव का नाम है। वाणिज्यिक विभाग सिंह देव के पास है,लेकिन विभाग ने इन्हें बताया तक नहीं और एक कोयला व्यापारी के यहां जी.एस.टी.मामले पर छापा पड़ गया।
कांग्रेस का जवाब
टी.एस सिंह देव के इस्तीफे के बयान पर कांग्रेस दुविधा में है कि मिडिया को क्या जवाब दें। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री अमर जीत भगत ने कहा, किसी और के बयान पर मैं कुछ नहीं कह सकता। लेकिन एक बात साफ करना चाहूंगा कि घोषणा पत्र पांच सालों के लिए होता है। अभी तो सरकार को मात्र डेढ़ साल हुए हैं। कांग्रेस  प्रवक्ता आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा कांग्रेस की सरकार पर सवाल उठाने से पहले अपने 15 साल के कार्यकाल को याद करे। 
क्या करेंगे सिंहदेव
सवाल यह है कि क्या मध्यप्रदेश की तरह छत्तीसगढ़ में भी हो सकता है? वैसे संभावनाओं पर राजनीति चलती है। गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू मुख्यमंत्री से एक समय नाराज चल रहे थे। लेकिन उन्होने चुप्पी साध ली है,अगली रणनीति उनकी भी चैकाने वाली हो सकती है। कांग्रेस के अंदर का एक सच यह है कि ढाई साल भूपेश और ढाई साल टी.एस.सिंह देव मुख्यमंत्री रहेंगे। तो दोनों तरफ से बाजी पलटने की कवायद हो सकती है। कांग्रेस के एक गुट का कहना है, अगामी एक साल के अंदर मुख्यमंत्री ऐसा कुछ कर सकते हैं कि, सिंहदेव स्वयं कांग्रेस छोड़ देंगे या फिर इस्तीफा दे देंगे। ऐसी स्थिति में वे अपने साथ कितने विधायक ले जाते हैं,अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। वैसे मुख्यमंत्री उन्हें बायें करने की सियासी प्रक्रिया शुरू कर दिये है। इसकी जानकारी राहुल गांधी को है। बीच में टी.एस सिंह देव दिल्ली गये थे,अपनी बात रखने। दोनों के बीच क्या बातें हुई, बाहर नहीं आई। बहरहाल कांग्रेस के अंदर बायें चलने की जो राजनीति चल रही है, उसका अंत कहां जाकर होगा, न तो कांग्रेस को पता है, और न ही दस जनपथ को।