उत्तर प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव में 54 मंत्री,विधायक और सांसदों के बावजूद बीजेपी को झटका मिलना क्या इस बात का संकेत है, कि योगी आदित्यनाथ का जलवा फीका पड़ गया है? योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर के लोगों को भाजपा नहीं भाई। क्या यू.पी.में सियासी फिजायें करवट बदलने को बेताब हैं? और भैया लोग राज्य में नई सियासी धुन सुनने की चाह रखते हैं! बंगाल चुनाव की तरह क्या य.ूपी. में भी राष्ट्रीय दलों का आधार सिकुड़ जाएगा और क्षेत्रीय पार्टियाँ लम्बी रेस का घोड़ा साबित होंगी?
0 रमेश कुमार ‘रिपु’’
पंचायत चुनाव के परिणाम ने औकात बता दी। मंत्रियों की और राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों की। प्रदेश में गाँव की चैपाल से लेकर हर शहर के चैराहे पर अगली विधान सभा की चर्चा गर्म है। राज्य में अगले साल विधान सभा चुनाव है। पंचायत चुनाव में मर्यादाएं तार-तार हुई। मगर जवाबदेही जीरो। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को अपने 23 कैबिनेट मंत्री 22 राज्यमंत्री और 9 स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्रियों पर भरेासा था, कि पंचायत चुनाव में भी गेरूआई राजनीति की पताका लहरायेगी। सांसद से लेकर विधायको को हर मोर्चे पर लगाया गया था। दस का दम। बेचारे साबित हुए बेदम। यानी योगी सरकार की इतनी बड़ी मंत्रियों की फौज और बूथ लेवल पर मजबूत संगठन होने के बाद भी मंसूबों पर पानी फिर गया।
समाजवादी पार्टी,बसपा और कांग्रेस ने भी पंचायत की फ्री स्टाइल सियासी अखाड़े में उतरने के लिए काफी तैयारी की थी। इसलिए कि पंचायती चुनाव को राज्य में 2022 मे होने वाले विधान सभा चुनाव का सेमी फाइनल माना जा रहा था। वहीं सत्ता पक्ष का मानना है, कि मछली-मछली कितना पानी,अभी तय होना बाकी है। दूसरी ओर विपक्ष का दावा है,मछली कहीं पानी के बाहर सूखे में न आ जाए।’’
वैसे पंचायत चुनाव में कोई भी पार्टी अपने उम्मीदवारों की घोंषणा नहीं करती,लेकिन बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की थी। चुनाव परिणाम से पता चला, कि बीजेपी को शिकस्त मिली है। सपा गदगद है। प्रदेश के 75 जिले में 3050 सीट में हुए चुनाव में सपा को 759 सीटें और बीजेपी को 768 सीटें मिली। बसपा 319,कांग्रेस 125 रालोद 69 आम आदमी पार्टी 64 और 944 सीटें निर्दलीय के खाते में गई। दो सीटों के नतीजे घोषित नहीं हुए। निर्दलीय के दम पर सूबे में कई जगह जिला पंचायत अध्यक्ष बनेंगे। हो सकता है, इस जोड़ तोड़ में बीजेपी आगे निकल जाए।
बदलाव की आहट
बहरहाल,यही माना जाता है,कि राज्य में जिसकी सरकार होती है,पंचायत चुनाव के परिणाम भी उसी के पक्ष में जाते हैं। बदलाव की यह आहट बीजेपी के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष राम गोंविद सिंह चैधरी कहते हैं,‘‘यू.पी में सियासी फिजायें करवट बदलने को बेताब हैं? और भैया लोग राज्य में नई सियासी धुन सुनने की चाह रखतेे हैं।’’पंचायती राज की सियासत सूबे की राजनीति में बड़ा दखल रखती है। एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को बड़ी उम्मीद थी, कि राम मंदिर का निर्माण बीजेपी की राजनीति के लिए संजीवनी साबित होगी। लेकिन हैरानी वाली बात है, कि बीजेपी अयोध्या, मथुरा,काशी में मात खा गई। मथुरा से आने वाले दो मंत्री श्रीकांत शर्मा और लक्ष्मी नारायण चैधरी क्षेत्र में भाजपा को जीत नहीं दिला सके। जिला पंचायत की 33 सीटों में बसपा को 13 भाजपा 8 आरएलडी. 8 अन्य 3 और सपा को एक सीट मिली। जबकि बीजेपी मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि को गरमा कर भी कुछ नहीं पाई। अयोध्या में उसे करारा झटका लगा। यहाँ 40 सीटों में सपा को 18,बीजेपी को 08,बसपा 04 निर्दलीय एंव अन्य को 10 सीटें मिली। वाराणसी में बीजेपी के खाते में 40 में से केवल 8 सीटें आ सकी, जबकि सपा 14,बीएसपी को 5 सीट मिली। अयोध्या में राम मंदिर के दम पर 2022 का विधान सभा चुनाव जीतने का सपना संजोए हुए है। लेकिन परिणाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर में भी बीजेपी के खिलाफ रहा। बीजेपी के जिला अध्यक्ष दिवाकर सिंह ने कहा,‘‘परिणाम निराशाजनक हैं। अयोध्या जिले की हर विधानसभा सीट पर बीजेपी विधायक होने के बावजूद हम 40 जिला पंचायत सीटों में से सिर्फ 8 जीतने में सफल हुए हैं। वहीं बीजेपी का दावा है कि जितने भी निर्दलीय चुनाव जीते हैं,वो उसकी पार्टी के हैं।
योगी को तगड़ा झटका
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। जिला पंचायत सदस्य पद के लिए 68 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी का दावा था, कि 20 से कम सीटें नहीं मिलेगी। समाजवादी पार्टी ने 20 सीटें झटक ली है। 21 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने कब्जा कर लिया। इसके अलावा बसपा ने 2 कांग्रेस आम आदमी पार्टी और निषाद पार्टी के हिस्से एक-एक सीटें आईं है। पूर्वांचल में भी बीजेपी का दबदबा रहा। लेकिन यहाँ भी बीजेपी को करारी शिकस्त मिली। लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ दुबे कहते हैं,‘‘मतदाताओं में योगी सरकार को लेकर भारी रोष कोरोना महामारी में ऑक्सीजन, बेड और अस्पताल की अव्यवस्था से होने वाली मौत को लेकर था। सरकारी अमला सिर्फ आंकड़ों की बाजीगिरी करता आया है।’’
मायावती उत्साहित
बसपा मुखिया मायावती चुनाव परिणाम से उत्साहित हैं। उन्होंने कहा यह परिणाम आगामी विधानसभा चुनावों के लिए लोगों में नई ऊर्जा, जोश भरने और हौसले बुलंद करने वाला है। हमारी पार्टी के प्रत्याशियों के साथ ही कार्यकर्ता तथा नेता इस परिणाम को पाकर बेहद उत्साहित हैं। हम प्रदेश की जनता का तहे दिल से आभार प्रकट करते हैं। आगरा, मथुरा, मेरठ, बुलंदाशहर, गाजियाबाद, सहारनपुर, आजमगढ़ सहित करीब 25 जिलों से बहुजन समाज पार्टी की परिणाम काफी अच्छा आया है।
योगी सरकार से नाराज
कोरोना और किसान आंदोलन के साइड इफ्ेक्ट इस चुनाव में साफ-साफ दिखे। वहीं कई जगह सपा और बीजेपी की सीटों में कोई खास अंतर नहीं है। लेकिन योगी और पी.एम. मोदी के गढ़ में बीजेपी को वोट करने की बजाय, लोगों ने सपा को पसंद किया। वाराणसी में जिला पंचायत की 40 सीटों में से बीजेपी को आठ सीटों से ही संतोष करना पड़ा। वहीं 17 सीटों पर सपा, कांग्रेस के 5 प्रत्याशी जीते हैं,3 बसपा, 6 निर्दलीय और एक आम सीट आम आदमी पार्टी को मिला। इस चुनाव परिणाम से विपक्ष यह प्रचारित कर रही है कि मतदाताओं का विश्वास बीजेपी से उठ गया है। विपक्ष की बातों से क्या यह मान लिया जाये, कि विधान सभा चुनाव में राष्ट्रीय दलों का आधार सिकुड़ जाएगा और क्षेत्रीय पार्टियाँ लम्बी रेस का घोड़ा साबित होंगी? चूंकि विधान सभा चुनाव आठ माह बाद होेने हैं,यदि समय रहते बीजेपी ने अपनी रणनीति में जन हित के लिए कोई बड़ा बदलाव कर लेती है तभी विपक्ष को चित होगा। जानकारों का कहना है, कि कोरोना इतनी जल्दी जायेगा नहीं और किसानों की नाराजगी भी दूर नहीं होगी। बीजेपी के लिए यही दो कारक कंटक साबित हो सकते हैं।
बीजेपी धमका रहीःयादव
सपा प्रमख अखिलेश यादव ने कहा, बीजेपी यूपी पंचायत चुनाव में जीते लोगों को धमका रही हैं। साल 2022 के विधानसभा चुनावों में उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। बीजेपी ने कभी लोकतंत्र का सम्मान नहीं किया है। बीजेपी सरकार की कुरीतियाँं प्रदेशवासियों को भारी पड़ रहीं हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा,‘‘जीते हुए प्रत्याशियों को जनता का आशीर्वाद प्राप्त हुआ है। जीते हुए प्रत्याशी चुनौती पूर्ण समय में कोरोना महामारी से लड़ने में स्थानीय प्रशासन का सहयोग करें और मानवता की सेवा करने में आगे आएं।’’ वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा, पंचायत चुनाव में पार्टी ने संतोष जनक प्रदर्शन किया है। उनकी पार्टी के 270 जिला पंचायत सदस्य और समर्थित जीते हैं 571 जिला पंचायत सदस्य दूसरे नंबर पर रहे 711 कांग्रेस के प्रत्याशी समर्थक तीसरे पायदान पर रहे हैं।
किसान आंदोलन का असर
पश्चिम यू.पी. यानी पूर्वांचल में किसान आंदोलन और कोरोना की दूसरी लहर ने बीजेपी का खेल बिगाड़ने का काम किया है। मेरठ से लेकर शामली,बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, गाजियाबाद, बुलंदशहर, बागपत, हापुड़, हाथरस, अलीगढ़, मथुरा में पार्टी को करारी मात मिली। पश्चिम यू.पी में किसान आंदोलन आर.एल.डी. के लिए संजीवनी साबित हुआ है। राष्ट्रीय लोकदल ने 35 सीटें मिलने का दावा किया है। सपा के साथ उसके गठबंधन होने के चलते सपा को 76 सीटें मिली हैं।
बहरहाल पंचायत चुनाव के नतीजों ने बीजेपी को मंथन करने के लिए मजबूर कर दिया हैं। क्यों कि सूबे में आठ महीने के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं।
हार के स्वाद ने सोचने को मजबूर किया
पंचायत चुनाव में बीजेपी को मिली करारी हार ने सियासत के सूरमाओं को सोचने के लिए विवश कर दिया है। खासकर अपने अपने गढ़ में गेरूआई राजनीति की लाज बचाने में नाकाम रहने वाले बीजेपी के मंत्री,विधायक और सांसदों को। जवाबदेही के बहीखाते में केन्द्रीय नेतृत्व क्या लिखेगा,यह तो वक्त बतायेगा। हैरानी वाली बात है, कि मध्य यूपी, पूर्वाचल,ब्रज क्षेत्र,बुंदेलखंड ,पश्चिमी यू.पी,रूहेल क्षेत्र और सेन्ट्रल यूपी में में बीजेपी को बढ़त नहीं मिली।
मिस इंडिया रनर अप दीक्षा हारीं
फेमिना मिस इंडिया 2015 की रनर अप दीक्षा सिंह जौनपुर जिले के बसखा से पंचायत लगभग पाँच हजार वोटों से हार गई। अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरूआत करने से पहले ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी समर्थित उम्मीदवार नगीना सिंह ने लगभग 5000 मतों के अंतर से जीत दर्ज की दीक्षा सिंह पंचायत चुनाव में 5 वें स्थान पर रहीं। उन्हें विकास के नाम पर केवल 2000 वोट मिले।
0 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर के रहने वाले उनके करीबी गोरख सिंह जिला पंचायत सदस्य का चुनाव नहीं जीत सके। वहीं समाजवादी पार्टी अपना दुर्ग बचाने में कामयाब रही।
0 डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह तक कानपुर देहात नहीं जीता पाए। यहां पर भी सपा व निर्दलीयों ने बाजी मारी और भाजपा को केवल 4 सीटें मिलीं। निर्दलीय और सपा 11-11 पर रहीं। बसपा 6 सीटें जीत सकी। इसी तरह केशव प्रसाद मौर्य कौशांबी और प्रयागराज में भी भाजपा को नहीं जीता पाए यहां पर निर्दलीय और समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की।
0 समाजवादी पार्टी सपा के वरिष्ठ नेता और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता राम गोविंद चैधरी के बेटे सहित अनेक सूरमाओं के रिश्तेदारों को पराजकय का सामना करना पड़ा है। सपा के वरिष्ठ नेता राम गोविंद चैधरी के बेटे रंजीत चैधरी जिला पंचायत के वार्ड संख्या 16 से पराजित हो गए हैं। वह तीसरे स्थान पर रहे।
0 कानपुर में दो मंत्री सतीश महाना और नीलिमा कटियार जिला पंचायत सदस्यों को जिताने में कामयाब नहीं हो पाईं। यहाँं भी सपा आगे रही। सपा ने 285 सीटें और भाजपा ने 155 सीटें जीतने का दावा किया है।
0 कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर और दारा सिंह चैहान के क्षेत्र मऊ में सपा-बसपा और भाजपा पर निर्दलीय भारी पड़े। मायावती की पार्टी को 7 सीटें मिली हैं तो सपा और भाजपा को दो-दो सीटें मिलीं। 34 सीट में 21 सीट निर्दलीय जीते हैं। मंत्री का दावा है, कि यह सभी सदस्य भाजपा के समर्थन में जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाएंगे।
0 कैबिनेट के मंत्री रमापति शास्त्री के भतीजे भी जिला पंचायत के चुनाव हार गए हैं। बृजेश पाठक लखनऊ शहर के मध्य से विधायक हैं। उनको उन्नाव में जिला पंचायत के लिए लगाया गया थाए जहां पर निर्दलीय और सपा अपने ज्यादा सदस्य जीता पाए हैं।
0 प्रतापगढ़ जिले से उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह मोती सिंह अपनी पत्नी को चुनाव नहीं जीत पाए। मंत्री की पत्नी का टिकट पार्टी ने काट दिया था। उसके बावजूद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़वाया था। इसके अलावा जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह जिला पंचायत में कुछ खास प्रदर्शन हीं कर पाए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कोटे से गन्ना मंत्री बने सुरेश राणा भूपेंद्र चैधरी समेत आधा दर्जन मंत्रियों की मेहनत पर किसान आंदोलन ने पानी फेर दिया।
0 भाजपा के बिल्थरारोड क्षेत्र के विधायक धनन्जय कन्नौजिया की मांँ सर्यकुमारी देवी नगरा क्षेत्र पंचायत के वार्ड संख्या 19 से चुनाव हार गई हैं।
0 भाजपा के पूर्व सांसद हरिनारायण राजभर के बेटे अटल राजभर जिला पंचायत के वार्ड संख्या 24 से सपा नेता व पूर्व मंत्री शारदा नन्द अंचल के पौत्र विनय प्रकाश अंचल जिला पंचायत के वार्ड संख्या 27 से तथा भाजपा के गोरक्षनाथ प्रांत के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष देवेंद्र यादव जिला पंचायत के वार्ड संख्या 10 से चुनाव हार गए हैं।
0 भाजपा नेता व पूर्व सांसद बब्बन राजभर के भाई लल्लन राजभर सीयर क्षेत्र पंचायत के गजियापुर ग्राम पंचायत से प्रधान पद का तथा भाजपा सांसद नीरज शेखर के निकट सम्बन्धी आलोक सिंह सीयर क्षेत्र पंचायत के मझौवा से क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव हार गए हैं।
बीएसपी ने गाड़ी फूंकी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जिले गोरखपुर में ब्रह्मपुर ब्लॉक के वार्ड नंबर 60 से बहुजन समाज पार्टी समर्थित उम्मीदवार रविप्रताप निषाद और वार्ड 61 से कोदई निषाद का आरोप है, कि चुनाव में उनकी जीत हुई थी। लेकिन जीत का प्रमाण पत्र हम लोगों को न देकर हारे हुए गोपाल यादव और रमेश को देने से इन दोनों प्रत्याशियों के समर्थकों ने हंगामा शुरू कर दिया। भीड़ ने चैरीचैरा क्षेत्र की नई बाजार पुलिस चैकी फूंक डाली। सुरक्षा में तैनात पीएसी की गाड़ी और सड़क पर खड़ी बाइकों में आग लगा दी। पुलिस और वहांँ से गुजर रही गाड़ियों पर पथराव भी किया।
हथगोले फेके
बाराबंकी जिले में थाना जहांगीराबाद इलाके के बेरिया में चुनावी हार जीत के बाद दो पक्षों में झगड़ा के दौराान लाठी डंडे चले। उसके बाद एक दूसरे के घरों पर हथगोले फेंके जाने लगे। झगड़े का कारण वर्चस्व की लड़ाई बताया जा रहा है। हालांकि पुलिस ने बलपूर्वक मामला शांत करा दिया है। किसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। झगड़े में घायल हुए वसीम ने बताया, कि चुनावी तकरार में हो रही लड़ाई को शांत कराने गए थे। लेकिन दूसरे पक्ष ने हमला बोल दिया। गम्भीर रूप से घायल वसीम को इलाज के लिए जिला अस्पताल भेजा गया है।
शादी की रात जीती
रामपुर की रहने वाली पूनम शर्मा 30 मई की रात सात जन्मों के बंधन में बंधने जा रही थी। वह वरमाला के लिए स्टेज पर जाने वाली थी। अचानक इसी बीच उसे पता चला कि वह पंचायत सदस्य का चुनाव 31 वोटों से जीत गई। उसे 601 वोट मिले थे। पूनम ने पंचायत चुनाव में वार्ड नंबर 135 से क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा था। घर वाले शादी में मशगूल थे। पूनम बार.बार एजेंट के जरिए मतगणना अपडेट ले रही थी। रात करीब 10 बजे पूनम को पता चला कि वह चुनाव जीत गई है। वह वरमाला का कार्यक्रम छोड़कर हाथों में मेंहदी सजाए, लाल जोड़े में मतगणना स्थल पर पहुंच गई। जीत का प्रमाण पत्र हासिल किया। पूनम दोगुनी खुशियों संग अपने घर लौटी और जीवन साथी संग सात फेरे लिए।
रमेश तिवारी ‘रिपु’
मो. 7974304532
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