Wednesday, August 12, 2020

‘राम भक्त’बनी‘कांग्रेस’

 












अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन से कांग्रेस बैक फुट में आ गई है। अपनी सियासी लाज बचाने  कांग्रेस राम भक्त बन गई है। कमलनाथ ने हनुमान चालीसा का पाठ अपने घर में कराया वहीं भूपेश बघेल ने राम वन गमन पथ को पर्यटन के रूप में विकसित करने और माता कौशल्या की जन्म भूमि चंदखुरी में भव्य मंदिर बनाने की घोषणा की। सवाल है कि राम भक्त बनी कांग्रेस को क्या इसका सियासी लाभ मिल पाएगा?
0 रमेश कुमार ‘‘रिपु’’
                 इन दिनों सियासत में भी सबसे बड़ा राम भक्त होने की होड़ है। क्यों कि राम नाम जितना हिन्दू आस्था का प्रतीक है, उतना ही अब राजनीतिक आस्था का प्रतीक हो गया है। राम के अस्तित्व को सुप्रीम कोर्ट में नकाराने वाली कांग्रेस को यह बात समझ में आ गई है कि गोस्वामी तुलसी दास सही कह गये थे कि, कालयुग में राम का नाम ही वैतरणी पार लगाएगा। कांग्रेस इसे कुछ ज्यादा ही गंभीरता से ले ली। कांग्रेसी राम भक्त बन गये, इस आशा से कि उनकी सियासी वैतरणी पार लग जाएगी।
दरअसल कांग्रेस को लगता है कि बीजेपी राममंदिर निर्माण को मध्यप्रदेश के उपचुनाव, बिहार और पश्चिम बंगाल के चुनाव में कैश करेगी। इसलिए वह साफ्ट हिन्दुत्व कार्ड खेलने का मन बना ली।   अयोध्या में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में होने वाले भूमि पूजन के कार्यक्रम से पहले कमलनाथ ने घर पर राम दरबार सजा लिया। कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं से आव्हान किया कि वे हुनमान चालीसा का पाठ करें। और प्रदेश के विकास और कोरोना से मुक्ति की कामना करें। वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राम वन गमन पथ को पर्यटन के रूप में विकसित करने और माता कौशल्या की जन्म भूमि चंदखुरी में भव्य मंदिर बनाने की घोषणा की। रामवनगमन पथ की डिजाइन को उन्होंने स्वीकृति दे दी। अगस्त के अंतिम सप्ताह से काम भी शुरू हो जाएगा। छत्तीसगढ़ के लोगों की मान्यता है कि राम का ननिहाल रायपुर से 25 किलोमीटर दूर चंदखुरी में है। राम से जुड़ी हर ऐतिहासिक स्थलों को भूपेश सरकार कैश करने में जुट गई है।  
नाथ क्यों बनें राम भक्त
मध्यप्रदेश में 27 सीटों में उपचुनाव होने हैं। मध्य प्रदेश की 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। इनमें 16 सीटें ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की भी हैं। जहां राममंदिर मुद्दा असर डालता रहा है। इन क्षेत्रों में जातिगत समीकरण पहले पायदान पर रहता है। कमलनाथ ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए तमाम चालें चल रहे हैं। राम मंदिर निर्माण से जुड़ी कमलनाथ की बयानबाजी और हनुमान चालीसा के पाठ का आयोजन भी, इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। कमलनाथ ने कहा कि,‘हिन्दुओं की आस्था का सवाल है। इसलिए हम सभी को राम मंदिर के निर्माण का स्वागत करना चाहिए’’। अपने इस बयान से वे यही बताना चाहिते हैं कि कांग्रेस अब हिन्दू हो गई है। दरअसल चुनाव में मात खाने से बचने के लिए कांग्रेस राम भक्त बन रही है। विनायक दामोदर सावरकर ने कहा था कि, आने वाले समय में कांग्रेसवादी कोट पर जनेऊ पहनकर संघ के सिद्धातों का प्रचार करने के लिए बाध्य हो जाएंगे’’। उनकी बात आज सच लगी है। हर कांग्रेस जनऊधारी बन रहा है।

कांग्रेस के लिए चुनौती है बीजेपी   
राजधानी रायपुर में संसदीय सचिव और विधायक विकास उपाध्याय एक लाख दिया बांटा। इसके साथ ही सबसे अपील की कि एक दीप भगवान राम के नाम पर अपने घर में जलायें। उन्होंने युगवार्ता से कहा कि भाजपा ने धर्म के नाम पर जो मार्केटिंग की है, उसे रोकना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। छत्तीसगढ़ भगवान राम का ननिहाल है। जो उत्साह अयोध्या में है,वही छत्तीसगढ़ में है। राम मंदिर   बनने जा रहा है,तो पहला हक कांग्रेस का है। राजीव गांधी ने ही राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किये थे’’। इस पर पूर्व कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा,यह खुशी की बात है कि, जो लोग राम के अस्तित्व को नकार रहे थे। कोर्ट में राम मंदिर की सुनवाई की तारीख को आगे बढ़ाते रहे,वो आज राम नाम का दीप जला रहे हैं’’।  
साफ्ट हिन्दू का कार्ड
सियासत के केन्द्र में अयोध्या करीब पांच सौ सालों से है। राम मंदिर की आधार शिला रखे जाने सेे कांग्रेस की आंख खुली कि, राम मंदिर का विरोध करके सियासी नैया पार नहीं लगा सकते। लगातार कांगे्रस को मात मिलने से राहुल गांधी साफ्ट हिन्दुत्व का कार्ड खेलने के लिए ही मंदिर जाने की रणनीति अपनाई। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी राहुल गांधी मंदिरों मे माथा टेका। कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में सत्ता वापसी के लिए बरसों पुराने बीजेपी के राम वनगमन पथ निर्माण के मुद्दे को  कांग्रेस के संकल्प पत्र में शामिल किया था। सरकार बनने पर इस पर काम भी शुरू हुआ था। बीजेपी और संघ के गौवंश प्रेम के मुद्दे को भुनाने में भी कमलनाथ पीछे नहीं रहे थे। लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ सरकार ने एक हजार गौ शालाएं खोलने का निर्णय लिया। इसमें एक लाख निराश्रित गांे वंश की देख रेख और 40 लाख मानव दिवसों का निर्माण शामिल था। इसके पहले कोई भी शासकीय गो शाला नहीं खोली गई थी। गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों को होगी पांच साल की जेल, साथ ही भारी जुर्माना भी तय किया था।
कांग्रेस हुई राम भक्त
राम नाम जितना हिन्दू आस्था का प्रतीक है,उतना ही अब राजनीतिक आस्था का प्रतीक हो गया है। कहीं राम का ननिहाल खोज लिया गया है, कहीं वनगमन के चिन्ह। मिथ और इतिहास का एक अजीब सा चाट तैयार कर रही है कांग्रेस। देश में शांति सद्धभाव चाहने वाले,धर्म के नाम पर फसाद करने वालों से अब खुश होंगे। इसलिए कि अब राम के नाम पर दंगा फसाद नहीं होगा’’। अयोध्या में रामलला के मंदिर का भूमि पूजन होने पर प्रियंका गांधी ने ट्विट किया कि, सरलता, साहस,संयम, त्याग, वचनबद्धता, दीनबंधु राम नाम का सार है। राम सबमें है,राम सबके साथ है। भगवान राम और माता सीता के संदेश और उनकी कृपा के साथ रामलला के मंदिर के भूमिपूजन का कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का अवसर बने‘‘। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेश में हिन्दुत्व का अगवा बनने की चाह में राम का ननिहाल ढूंढ लिये। राजधानी रायपुर से 25 किलोमीटर दूर चंदखुरी में प्राचीन कौशल्या मंदिर के सौन्दर्यीकरण के लिए 15 करोड़ और रामवनगमन पथ को चिन्हित कर उसे पर्यटन स्थल बनाने 137.54 करोड़ रूपये देने की घोषणा की। पहले चरण के लिए रामवनगमन पथ के 9 जगहों को चिन्हित किया गया है, वहीं दूसरे चरण में 43 स्थलों को वहां की मान्यता और भगवान राम के कार्यों के आधार पर विकसित किया जाएगा। जाहिर सी बात है कि वो 2023 के विधान सभा चुनाव में हिन्दू वोटरों को साधने की रणनीति को अंजाम देने में लगे हैं।
राम के मिशन पर भूपेश  
छत्तीसगढ़ सरकार राम से जुड़ी निशानियों को संवारने में जुट गई है। रामेश्वर में लंका कूच से पहले राम ने शिवलिंग स्थापित किए थे,उसी तरह उन्होंने छत्तीसगढ़ के रामपाल में भी शिवलिंग स्थापित कर आराधना की थी। रामपाल बस्तर जिले में स्थित है। रामपाल के बाद सुकमा जिले के रामाराम में भूदेवी की आराधना की थी। अब दोनों स्थानों को सरकार अपने नये पर्यटन सर्किट में शामिल कर रही है। कोरिया से सुकमा तक रामवनगमन पथ राम मय होगा। कार्य योजना में तीर्थ एवं पर्यटनों स्थलों के द्वार से लेकर लैंप पोस्ट और बैंच तक के सौंदर्यीकरण का विशेष ध्यान रखा गया है। श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को पग,पग पर, भगवान श्रीराम के दर्शन होंगे। राम वन गमन पथ के मुख्य मार्ग सहित उप मार्गों की कुल लम्बाई लगभग 2260 किलोमीटर है। इस मार्ग के किनारे संकेतक, तीर्थ स्थलों एवं पर्यटनों की जानकारी सहित भगवान श्रीराम के वनवास से जुड़ी कथाएं देखने और सुनने को मिलेंगी। लगभग 1400 किलोमीटर सड़कों के दोनों ओर विभिन्न प्रजातियों के पौधों का रोपण किया जाएगा।  पर्यटकों की सुविधाओं का विशेष ध्यान दिया गया है।     
बहरहाल,सवाल यह है कि सियासत में अचानक कांग्रेस का राम भक्त बन जाने से क्या उसे राम पर आस्था रखने वाले माफ कर उनकी सियासी नैया पार लगा देंगे? जबकि भारतीय जनमानस कभी भी धर्म की खिलाफत सहन नहीं करता। खासकर इस काल में, जब लोग राममय हो रहे हैं। रामनीति और राजनीति में भेद है। आज यदि गजानंद माधव मुक्तिबोध होते तो वो  आज कांग्रेसियों से जरूर पूछते.पार्टनर तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है?