छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में लाल गलियारे का विस्तार करने के बाद माओवादी मध्यप्रदेश के बालाघाट, मंडला, डिंडौरी और अमरकंटक तक अपना विस्तार करने में जुट गए हैं। नक्सली गतिविधियां बढ़ने की वजह से हॉकफोर्स का मुख्यालय बालाघाट शिफ्ट कर दिया गया है। सवाल यह है कि क्या बस्तर के माओवादियों के बढ़ते कदम रूक पाएंगे?
0 रमेश कुमार ‘‘रिपु’’
बस्तर के नक्सली मध्य प्रदेश में डेढ़ दशक के बाद फिर अपनी आवा जाही तेज कर दिये हंै। यह माना जा रहा है कि माओवादी अपना विस्तार करने के मक़सद हलचल तेज कर दिये हैं। बालाघाट जिले में नक्सलियों के दलम का दखल कान्हा नेशनल पार्क और उसके आगे तक बढ़ता जा रहा है। वे मंडला, डिंडोरी और अमरकंटक की तरफ पैठ बनाने में लगे हैं। कान्हा पार्क में गांँव नहीं होने से नक्सलियों का जत्था रास्ते में नाकेदारों की चैकियों में रूक कर रखे राशन पानी को चट कर जाते हैं। क्यों कि कान्हा नेशनल पार्क के अन्दर और पार्क के कई किलोमीटर दूर तक गाँव नहीं हैं। नक्सलियों को यहांँ रहने,रूकने और खाने का कोई सहारा नहीं मिलता है। इस वजह से वे लगातार मूवमेंट कर रहे हैं। वन विभाग ने इसकी रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय और गृह विभाग को भेजी है। हालांकि वन कर्मचारियों को नक्सली किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। लेकिन नक्सलियों की वजह से मंडला के वन क्षेत्र में कटाई कुछ दिनों तक प्रभावित थी।
छत्तीसगढ़ के बस्तर और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में माओवादियों के विस्तार के बाद मध्यप्रदेश के कान्हा किसली टाइगर रिजर्व,मुकी क्षेत्र और मंडला में इनकी गतिविधियांँ देखी जा रही हैं। प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी मानते हैं कि, माओवादियों का दायरा बढ़ने लगा है। इसलिए जनवरी,फरवरी 2021 में सीआरपीएफ की छह कंपनियां मंडला-बालाघाट में तैनात की जाएगी। इनमें 75 फीसदी लड़ाकू जवान होंगे।’’ नक्सली गतिविधियां बढ़ने की वजह से हॉकफोर्स का मुख्यालय बालाघाट शिफ्ट कर दिया गया है। जिसमें 5 दिसंबर को ही आई.पी.एस. नागेंद्र सिंह और सहायक पुलिस निरीक्षक घनश्याम मालवीय की पोस्टिंग की गई है। नवंबर 2020 में कान्हा के बफर क्षेत्र में एक नक्सली ऑपरेशन को भी अंजाम दिया जा चुका है।
बस्तर के नक्सली मूवमेंट कर रहें
बालाघाट में माओवादियों की मूवमेंट 2019 से अचानक बढ़ गई है। इस बीच कुछ इनामी माओवादी मुठभेड़ में मारे भी गये हैं। गौरतलब है कि जुलाई 2019 की दरम्यिानी रात में लांजी क्षेत्र के पुजारी टोला में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेंड हुई थी,जिनमें एक महिला सहित दो इनामी नक्सली मारे गये थे। उसके बाद 17 सितंबर 2020 को कान्हा पार्क के बफर जोन से लगे बांधाटोला और समनापुर के जंगल से पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में 12 लाख का इनामी नक्सली ओसा उर्फ बादल गिरफ्तार किया गया। 7 नवंबर 2020 को भी पुलिस ने कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के करीब मालखेड़ी के जंगल में मुठभेड़ में एक महिला नक्सली को मार गिराया था। ये महिला नक्सली खटिया मोर्चा दलम 02 की बताई गई थी। जी.पी सिंह एडी.जी नक्सल ऑपरेशन कहते हैं,‘‘कान्हा टाइगर रिजर्व में मूवमेंट छत्तीसगढ़ बॉर्डर की तरफ से बढ़ा है। नवंबर में रिजर्व के बफर क्षेत्र में एक ऑपरेशन किया जा चुका है। सर्विलांस तेज है। अतिरिक्त फोर्स बुलवाई जा रही है। बस्तर और गढ़चिरौली में कार्रवाई जारी है, इसीलिए कुछ नक्सलियों ने मध्यप्रदेश की तरफ रूख किया है।’’
दो इनामी महिला नक्सली मारी गईं
11 दिसबर 2020 की रात्रि करीब साढे 10 बजे सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ मंे दो महिला नक्सली मारी गई। शोभा पति उमेश गावड़े 30 वर्ष मलाजखंड एरिया कमेटी की सक्रिय सदस्य है, जो कि गढचिरौली निवासी बताई गई है। इस पर मध्यप्रदेश सरकार ने 3 लाख रूपये,छत्तीसगढ़ में 6 लाख और महाराष्ट्र में 06 लाख सहित कुल 14 लाख इनाम घोषित था। उस पर म.प्र में 04, छत्तीसगढ़ में 11 और महाराष्ट्र में 06 अपराध दर्ज थे। दूसरी महिला नक्सली सरिता उर्फ आयते उम्र 24 वर्ष निवासी गंगालूर एरिया बस्तर क्षेत्र महाराष्ट्र मारी गई। सावित्री बस्तर की दरेकसा एरिया कमेटी की सदस्य है। इस पर मध्यप्रदेश सरकार ने 3 लाख रूपये, छत्तीसगढ़ 05 लाख रूपये और महाराष्ट्र सरकार ने 06 लाख रूपये कुल 14 लाख रूपये इनाम घोषित था। इस पर मध्यप्रदेश में 19 छत्तीसगढ़ में 01 और महाराष्ट्र में 05 अपराध दर्ज थे।
बालाघाट में 47 ग्रामीणों की हत्या
बालाघाट जिले में पिछले तीन दशक से नक्सलियों की गतिविधियां बनी हुई है। जिनके खात्मे के लिये 08 हजार सुरक्षा बल कार्य कर रहे है। बालाघाट जिले के 160 गांँव प्रभावित है। नक्सल उन्मूलन के नाम पर केंद्र सरकार से सन् 2020 के लिए 03 करोड़ रूपये का बजट मिला। अब तक नक्सलियों ने पुलिस मुखबीरी के शक में 47 ग्रामीणों की हत्या कर चुके हैं। वहीं 37 पुलिस जवान शहीद हुए हैं। पुलिस नक्सली मुठभेड़ में 20 सक्रिय नक्सली मारे जा चुके हैं।
कई दमल सक्रिय हैं
बालाघाट जिले में हार्डकोर नक्सलियों के तीन दलम कार्य कर रहे हैं। टाडा दलम, मलाजखंड दलम और कान्हा नेशनल पार्क में, विस्तार दलम। विस्तार दलम मुख्यालय बनाकर विस्तार कर रहा है। इसके अलावा यहां कई दलम हैं जो माहौल को खराब कर रहे हैं। इनमें मलाजखंड, टांडा दलम, कान्हा-भोरम दलम, परसवाड़ा दलम, विस्तार दलम, केबी डिवीजन, खटिया.मोर्चा दलम और देवरी दलम हैं। इन दलमों के नक्सली ग्रामीणों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। बालाघाट पुलिस रेंज के आई.जी के.पी वेंकटेश्वर राव कहते हैं,‘‘बालाघाट व मंडला जिले में बस्तर के नक्सली, कबीरधाम जिले से लेकर भोरमदेव अभ्यारण्य के रास्ते अपना विस्तार करने में जुटे हैं। हालांकि पुलिस भी इन नक्सलियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है।’’
नब्बे के दशक में आये थे नक्सली
मध्यप्रदेश का आदिवासी बहुल जिला बालाघाट में नब्बे के दशक तक सब कुछ ठीक था। बैगा और गोंड़ जाति के लोग आदिम युग की संस्कृति में ही मस्त रहते हैं। लेकिन बालाघाट के पुलिस अधीक्षक रीना मित्रा के समय माओवादियों ने मुखबिरी के शक में एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी। पहली बार यहांँ के लोगों ने सुना कि, नक्सलियों ने ऐसा किया है। इसके बाद लाल आतंक की आमद धीरे धीरे अंचल में बढ़ने लगी। बालाघाट में सीतापाल विस्फोट कांँड में 16 जवान शहीद हुए, तो प्रदेश में सनाका खिंच गया। तब से अब तक लाल आतंक की लकीर छोटी नहीं हुई। और यहीं से नक्सलियों की धमक और उनकी दहशत की तपिश बढ़ी। 15 सितम्बर 1999 को किरनापुर स्थित निवासगृह में दिग्विजय सिंह के कबीना मंत्री लिखीराम कावरे की हत्या करके नक्सलियों ने सरकार को चुनौती दी थी। लिखीराम कावरे की हत्या में शामिल जमुना को मार्च 2019 में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई में मारा गया था। जमुना पर मध्यप्रदेश शासन की ओर से पांच लाख रुपये, छत्तीसगढ़ शासन ने आठ लाख रुपये और जिला गोदिंया महाराष्ट्र की पुलिस नें छह लाख रुपये और सीबीआई ने 50 हजार रुपये का इनाम रखा था।
नक्सलियों के बढ़ते कदम
बस्तर की तरह नक्सली बालाघाट जिले में उत्पात नहीं करते, लेकिन उनकी दशहत है। वर्तमान मे नक्सलियों की गतिविधियां पूर्व की तरह दक्षिण बैहर के चैरियां, एचिलौरा, राशिमेटा, सोनगुड्डा, कोरका, बोंदारी, मछुरदा, सालेटेकरी, किरनापुर, एलांजी क्षेत्र के आलीटोला, बोरबन, कलकत्ता, बोदालझोला, देवरबेली, सायर, संदूका, टेमनी, बडगुड, सतोना, रिसेवाडा, टिमकीटोला, सीतापालाआदि जगहों पर इनकी गतिविधियां देखी गई है। इसके अलावा राष्ट्रीय उद्यान कान्हा पार्क क्षेत्र के गढी, मुक्की, मलांजखंड और बैहर क्षेत्र से लगे गांव मालखेडी,समनापुर, बांधाटोला क्षेत्रो में नक्सलियों की गतिविधियों की सूचना पुलिस को लगातार मिल रही है। पुलिस का मानना है कि बस्तर की तरह बालाघाट को नक्सली अपना मुख्यालय बनाने की फिराक में है। करीब दो सैकड़ा नक्सली होने का अनुमान है। राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक डीजीपी वी. के. सिंह ने कहा था कि नक्सली राज्य में अपना विस्तार कर रहे हैं। बालाघाट के साथ ही वे मंडला में सक्रिय हैं और अपना प्रभाव डिंडोरी के अलावा अमरकंटक में भी बढ़ाना चाहते हैं।’’
जाहिर सी बात है कि नक्सली दण्डकारण्य राज्य बनाने के लिए अपना दायरा बढ़ा रहे हंै। लेकिन ऐसा नहीं लगता कि नक्सलियों के बढ़ते कदम को सरकार आसानी से रोक लेगी। इसलिए कि बलाघाट के बैगा जन जातियों का उद्धार सरकार नहीं कर पाई है। नक्सली बैगा आदिवासियों का फायदा उठाने एक बार फिर मध्यप्रदेश में अपने पांँव पसार रहे हैं।