बस्तर आई जी ने दावा किया कि नक्सलियों में गैगवार के चलते छह माओवादियों की हत्या हो गई। लाल गलियारे में दरार पड़ने का यह संकेत है। इसके बाद नक्सलियों ने 25 हत्या का जिम्मा लेकर पुलिस को खुली चुनौती दे दी है। राज्य में बढ़ती नक्सली हिंसा पर राज्यपाल को आपात बैठक बुलानी पड़ी। नक्सलियों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि खैर चाहते हैं,तो अपनी पुलिस से कहो, भ्रामक प्रचार करना बंद करें।
0 रमेश कुमार ‘‘रिपु’’
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य में नक्सल उन्मूलन के लिए केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिख कर सीआरपीएफ की सात बटालियन देने और बस्तरिया बटालियन के गठन की मांग की। लेकिन गृह मंत्री ने उनकी माँग को खारिज कर दिए। इस पर मुख्यमंत्री ने यह दावा किया कि, पैतालीस फीसदी नक्सली वारदातों में कमी आई है।’’ उनके कहने का राजनीतिक आशय यह था कि केन्द्र सरकार नक्सलवाद खात्मे में कोई मदद नहीं की फिर भी हमने अपनी सूझ बूझ से नक्सली घटनाओं में कमी लाए। बस्तर आई जी सुन्दरराज पी. एक कदम आगे बढ़कर कहा, निर्दोष ग्रामीण आदिवासियों की हत्या के विवाद में माओवादी संगठन दो फाड़ हो गया है। एक गुट निर्दोष ग्रामीणों की हत्या के खिलाफ है। दूसरा गुट हत्या जरूरी मानता है। इसी बात को लेकर कुछ दिन पहले बीजापुर जिले के ग्राम ईतावर के जंगल में गंगालूर एरिया कमेटी का कमांडर दिनेश मोड़ियम निवासी पेद्दाकोरमा और गंगालूर एरिया कमेटी का सदस्य मोड़ियम विज्जा निवासी मनकेली के बीच विवाद होने पर, दोनों एक दूसर के ऊपर बंदूकें तान दी। दोनो तरफ से चली गोली में, मोड़ियम पिज्जा की मौत हो गई।
सरकार के दावे को नकारा
भूपेश सरकार और बस्तर आई जी सुन्दर राज पी. के दावे को खारिज करते हुए नक्सल संगठन की एक यूनिट डीकेएसजेडसी के प्रवक्ता विकल्प ने जारी प्रेस नोट में कहा,‘‘ 12 गोपनीय सैनिक 5 भितरघाती और 8 पुलिस मुखबिरों की जन अदालत में हत्या की गई है। ताकि नक्सलियों का डर लोगों में बना रहे। गंगालूर एरिया कमेटी इंचार्ज डीवीसी मोड़ियम विज्जा की जनअदालत में हत्या इसलिए की गई कि वह पुलिस का मुखबिर था। नक्सलियों के बीच गैंगवार की बात, पुलिस की मनगढंत कहानी है। भ्रामक प्रचार है। बस्तर के आई.जी. पी सुंदरराज समेत बीजापुर और दंतेवाड़ा के एस.पी. पर विकल्प ने मुखबिरों का जाल फैलाने का आरोप लगाया है। कोरोना संक्रमण के कारण नक्सलियों की सप्लाई चैन ध्वस्त नहीं हुई है।’’
सीआरपीएफ का दावा
सीआरपीएफ का कहना है वामपंथी उग्रवाद का दायरा सिमटने लगा है। गुरिल्ला लड़ाई में परांगत नक्सलियों की संख्या घटने की वजह से अब हथियार डालने को विवश हैं। झारखंड के कोडरमा, लोहरडगा, पलामू, सिमडेगा, चतरा, गिरिडीह, गुमला और खूंटी में भी यही स्थिति है। यहाँं के गांँव में नक्सलियों का बराबर संपर्क रहता है। वे अपनी कथित विचारधारा की किताबों के जरिए युवाओं को समूह में शामिल करना चाहते हैं। पर इसमें खास सफलता नहीं मिल रही है। तेलंगाना का आदिलाबाद, जयशंकर, भूपालपल्ली, खम्मम, कोमारम, भीम ओडिशा के बोलनगीर, बौध, देवगढ़, कंधमाल, कोरापुट मलकानगिरी, नुआपाड़ा और रायगढ़ आदि में भी नई भर्ती का संकट चल रहा है। वहीं लगतार सर्चिंग और दबाव से नक्सली पहले की तरह वारदात करने से बच रहे हैं। नक्सलियों के प्रति सहानुभूति रखने वाले, उनसे दूरियांँ बनाने लगे हैं।
नक्सलियों का जनाधार कम हुआ
जगदलपुर के पत्रकार रानू तिवारी कहते हंै,‘‘बस्तर के अंदरूनी इलाकों में लगातार नक्सलियों का जनाधार कम होता जा रहा है और नक्सल संगठन से जुड़े स्थानीय कैडर आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। छत्तीसगढ़ को नक्सलियों का गढ़ कहा जाता है। यहांँं भी आत्म समर्पण के मामले बढ़ रहे हैं। कांकेर, कोंडागांव,महासमु्ंद, नारायणपुर, राजनंदगांव, सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा आदि जिले में नक्सलियों को नए लड़के नहीं मिल पा रहे हैं। नए लड़के ही नक्सलियों की ताकत हुआ करते हैं।’’
इनामी नक्सली बना दिया
जब भी कोई नक्सली सरेंडर करता है या मारा जाता है, पुलिस उसे इनामी बना देती है। बीजापुर जिले के पश्चिम बस्तर डिविजन कमेटी कमांडर मोड़ियम विज्जा पर दस लाख का इनाम था। लखु हेमला माओवादी जनताना प्रभारी पर तीन लाख रूपये का इनाम था। संतोष डीएकएमएस रेंज कमेटी अध्यक्ष पर तीन लाख रूपये, कमलू पुनेम जनमिलिशिया कमाण्डर एक लाख रुपए, संदीप उर्फ बुधराम कुरसम. जनमिलिशिया प्लाटून और सेक्शन कमाण्डर दसरू मण्डावी जनताना सरकार अध्यक्ष पर भी एक लाख रूपये का इनाम था। जबकि इन सब को नक्सली पुलिस का मुखबिर बता रहे हैं।
मोस्ट वांटेड नक्सली
बस्तर पुलिस की सूची में कुल 34 नक्सलियों के नाम और तस्वीरें हैं। इनमें नम्वाला केशव राव उर्फ गगन्ना, कट्टम सुदर्शन उर्फ आनंद,मल्लोजुला वेणुगोपाल उर्फ भूपति, अक्कीराजू, हरगोपाल उर्फ साकेत और गणेश उईके जैसे बड़े माओवादी नेताओं के नाम शामिल हैं। ये सभी नक्सली छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र व ओड़िशा में हुई कई बड़ी वारदातों में शामिल रहे हैं। पुलिस ने सक्रिय मोस्ट वांटेड इनामी नक्सलियों के लीडरों की सूची जारी करते हुए इन हार्डकोर नक्सलियों की सूचना देने की अपील की है। पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि इनामी नक्सलियों की सूचना देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा। पोस्टर में पोलित ब्यूरो सदस्य से लेकर सेंट्रल कमेटी मेंबर, सेंट्रल रीजनल ब्यूरो सदस्य, सेंट्रल मिलिट्री कमीशन सदस्य के नाम शामिल हैं। इन कुख्यात नक्सलियों पर 8 लाख रूपए से लेकर 1 करोड़ तक का इनाम घोषित है।
नक्सली हिंसा 29 जिलों में नहीं हुई
सीआरपीएफ के आंकड़ों के मुताबिक साल 2015 में 570 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था। 2016 में 1442, 2017 में 685 2018 में 644 2019 में 440 और इस साल 15 अगस्त तक 241 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। 2015 में 89, 2016 में 222, 2017 में 136 2018 में 225, 2019 में 145 और मौजूदा वर्ष में 54 वामपंथी उग्रवादी मारे गए हैं। देश के नब्बे जिलों को नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता रहा है। हालाँकि गत वर्ष 61 जिलों में ही वामपंथी उग्रवाद से सम्बंधित हिंसा की घटनाएं सामने आई थीं। इस साल की बात करें तो पहले छह माह में केवल 46 जिलों में ऐसी घटनाएं देखने को मिली हैं। पिछले दो दशकों में बस्तर में नक्सलियों ने 1700 से अधिक निर्दोष ग्रामीणों पर मुखबिर का आरोप लगाते हुए उनकी हत्या कर दी है।
नक्सली मोर्चे पर सरकार विफल
भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, प्रदेश सरकार केवल नक्सली मोर्चे पर ही नहीं,बल्कि आदिवासी जनता की रक्षा करने में पूरी तरह असफल है। प्रदेश में जब नक्सलवाद चरम पर था, तब भी बस्तर की आदिवासी जनता की इतनी बड़ी संख्या में हत्या नहीं हुई। पिछले 6 माह में 75 से अधिक ग्रामीणों की हत्या नक्सलियों ने की।’’ बीजापुर में ही नक्सलियों ने 30 अगस्त को कुटरु थाना में पदस्थ एएसआई सहायक सब इंस्पेक्टर नागैय्या कोरसा को अगवा करने के बाद अगले दिन उनका शव कुटरू.बीजापुर मार्ग पर केतुलनार के पास सड़क किनारे पड़ा मिला था। जगदलपुर से 40 किलोमीटर दूर गुमलवड़ा में भी मुखबिरी के शक में 12 से 15 हथियारबंद नक्सली ग्रामीण को घर से बाहर निकालकर गला रेतकर उनकी हत्या कर दी। कुछ दिन पहले नक्सलियों ने जनअदालत लगाकर 4 ग्रामीणों की हत्या कर दी थी। बीजापुर के पुसनार और मेटापाल से 25 ग्रामीणों का नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था। गंगालूर थाना क्षेत्र के हिरोली गांव में नक्सलियों ने जनअदालत लगातार 4 ग्रामीणों की गला रेतकर हत्या कर दी थी।
एक सच पुलिस का
बस्तर पुलिस के मुताबिक 1 जनवरी 2020 से 30 सितंबर तक नक्सलियों ने 38 निर्दोष ग्रामीणों की हत्या की। मुठभेड़ में बस्तर पुलिस ने 21 नक्सलियों को मार गिराया है। इसके अलावा 32 जवानों की शहादत हुई है। 40 से अधिक नक्सलियों ने हथियार डाले। इसके अलावा 100 से अधिक नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है। जवानों ने 30 आईडी बम बरामद किए। वहीं नक्सलियों से 25 हथियार भी पुलिस ने बरामद किए गए हैं। इस सूची में 25 उन निर्दोष ग्रामीणों का नाम नहीं,जिन्हें जन अदालत मे ंनक्सलियों ने मार दिया।
बहरहाल बस्तर में नक्सली राज्य सरकार की बोली का जवाब गोली से दे रहे हैं। कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद प्रदेश में नक्सली घटनाओं में इजाफा हुआ है। माओवादियों के खिलाफ सरकार को आक्रमक रणनीति को अंजाम देना जरूरी है।