Monday, January 4, 2021

धान के कटोरे में उबाल

   
'' किसान कृषि सुधारों से नाराज होकर राज्य में प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं बीजेपी को किसान महापंचायत स्थल की मिली अनुमति को रद्द किये जाने से  गुस्से में है। बीजेपी का मानना है कि किसानों को इन कानूनों में जो आपत्तियां दिख रही थी,बातचीज के बाद केन्द्र सरकार ने दूर करने की बात कही है। ऐसे में आंदोलन का कोई औचित्य नहीं है।  ''


0 रमेश कुमार ‘‘रिपु’’
छत्तीसगढ़ में केन्द्र की कृषि नीति पर अपनी अपनी स्टाइल में सियासत किये जाने से धान के कटोरे में  उबाल आ रहा है। केन्द्र के कृषि नीति में सुधारों से नाराज होकर राज्य के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं जिला कवर्धा में बीजेपी को किसान महापंचायत स्थल की मिली अनुमति को अचानक जिला प्रशासन ने रद्द कर देने पर पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह नाराज हो गए। जाहिर सी बात है कि बीजेपी प्रदेश में आगामी चुनाव को लेकर प्लान के तहत काम करना शुरू कर दिया है। बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि पश्चिम बंगाल के चुनाव के बाद नरेन्द्र मोदी और अमित शाह छत्तीसगढ़ पर फोकस करेंगे। इसलिए कि चुनाव की फंडिग भी कांग्रेस को इसी राज्य से होती है। मध्यप्रदेश में चुनावी फंडिग की राशि को लेकर कमलनाथ,दिग्विजय सिंह सहित कई नेता फंस गए हंै। वही फंदा भूपेश सरकार पर पड़ने का अंदेशा है। डाॅ रमन सिंह को छत्तीगसढ़ की कांग्रेस सरकार को घेरने की खुली छूट दी गई है। साथ ही उनके नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई है। जिसमें राज्य सभा सदस्य सरोज पांडे, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के अलावा राज्य के अन्य नेताओं को शामिल किया गया है। प्रदेश प्रभारी पुरेन्दश्वरी अगले साल तक क्या रणनीति बनायेंगी, अभी कुछ तय नहीं है। जिस तरह अजीत जोगी से सत्ता छीना गया था, वही रणनीति भूपेश सरकार के खिलाफ बनाने की योजना है। बहरहाल धान खरीदी के बहाने राज्य में ठनाठनी है।  
 लेकिन बीजेपी में गुटबाजी भी कम नहीं है। अभी तक दुर्ग शहर और ग्रामीण में अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो पाई है।
किसान राजनीति गरमाई
प्रदेश के किसानों को बीजेपी किसान महापंचायत के जरिये समझाने में लगी है कि केन्द्र की कृषि नीति हित में है,वहीं कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दल बिल के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने युगवार्ता से किसान आंदोलन को राजनीतिक साजिश बताया। किसानों को भ्रम में डालकर कुछ लोग आंदोलन चला रहे हैं। किसानों को इन कानूनों में जो आपत्तियां दिख रही थीं,बातचीत के बाद केंद्र सरकार ने दूर करने की बात कही है। ऐसे में आंदोलन का कोई औचित्य नहीं है। वहीं नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा जिस कृषि बिल को लेकर यहांँ के किसानों को डराया जा रहा है,वह अभी छत्तीसगढ़ में लागू नहीं है। सवाल यह है कि पूरे छत्तीसगढ़ में किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं?’’जाहिर सी बात है कि किसान आंदोलन के जरिये प्रदेश में राजनीतिक दलों के बीच सियासी तकरार के साथ एक दूसरे को घेरने की राजनीति हो रही है। किसान आंदोलन किस बिन्दु पर जाकर खत्म होगा,कोई तय नहीं है।  
किसान अर्बन इलाके के नहीं
पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने बृजमोहन अग्रवाल के बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, किसानों को अर्बन नक्सली कहने वाले खेती की इतनी समझ भी नहीं रखते हैं कि किसान अर्बन इलाकों में नहीं, गांवों में रहते हैं। राजीव गांधी न्याय योजना के तहत भूपेश सरकार धान खरीदी पर प्रति क्विंटल 2500 रुपए का भुगतान करती है। यह केंद्र की ओर से तय धान के समर्थन मूल्य 1868 और 1888 रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा है। किसान भाजपा के किसान विरोधी चाल चरित्र और चेहरा को पहचानते हैं। भाजपा की सरकार ने भी 7 साल में किसानों से किए वादे को पूरा नहीं किया बल्कि, किसान विरोधी तीन काले कानून लाकर किसानों को गुलामी की ओर ढकेलने की साजिश की है। आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में छत्तीसगढ़ के किसानों का रायपुर के बूढ़ातालाब स्थित धरना स्थल पर क्रमिक अनशन जारी है। बहरहाल केन्द्र सरकार को चुनौती देने के लिए किसानों के साथ पूरा विपक्ष आकर लामबंद है। धान के कटोरे में असंतोष खदबदा रहा है।
किसानों की परेशानी  
एक तरफ कांग्रेस किसान नीति का विरोध कर रही है। वहीं भूपेश सरकार किसानों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है। डायल 112 में केवल 36 घंटे में 408 शिकायत दर्ज हुई। सीएम भूपेश बघेल ने डायल112 पर किसानों की आने वाली शिकायतों को 24 घंटे में निदान करने के निर्देश दिए हैं। गिरदावरी या रकबे में कमी से लेकर किसी भी तरह की शिकायत का हल न्यूनतम समय पर वरिष्ठ अधिकारी निकालें और मॉनिटरिंग करने कहा गया है,ताकि किसी तरह की लापरवाही न हो सके। लेकिन निवारण की गति बहुत धीमी है।
रकबा ही कर दिया कम
अभनपुर सिवनी के किसान रितु कुमार ने शिकायत दर्ज करायी कि उन्होंने 25 हेक्टेयर में खेती की है,लेकिन मंडी में सिर्फ 19 हेक्टेयर खेती के हिसाब से धान की खरीदी की जा रही है। उनका रकबा कम कर देने से अपना बकाया धान कैस और कहां बेचें समस्या खड़ी हो गई है।  
खाते में नहीं बेच पा रहे धान
संकरी के किसान महेश कुमार ने अपनी शिकायत में कहा है कि मै अपने खाते में धान नहीं बेच पा रहा हॅू। मंडी में मौजूद अफसरों और स्टाफ ने मेरा धान खरीदने से ही मना कर दिया है। मेरा पूरा धान मंडी में ही रखा हुआ है।
जमीन नहीं की गई ऑनलाइन
धरसींवा के सोंदरा मंडी से एक किसान ने शिकायत दर्ज करायी है कि उनकी पथरीडीह में डेढ़ एकड़ जमीन है। लेकिन रिकार्ड में ही दर्ज नहीं किया गया है। इस वजह से उनकी जमीन का रिकार्ड ऑनलाइन नहीं दिखा रहा। इस वजह से उनके धान की खरीदी नहीं की जा रही है।
हर शिकायत का निदान करने के निर्देश
सीएम भूपेश बघेल ने डायल.112 पर जो भी शिकायतें आ रही हैं उसका 24 घंटे में निदान करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए ऐसी व्यवस्था बनाई गई हैए जिससे संबंधित व्यक्ति तक शिकायत पहुुुंचे और तत्काल उस दिक्कत को दूर किया जा सके। किसान 112 पर अपनी शिकायत बताएंगेए उनका कॉल स्टेट कंट्रोल रूम में भी कनेक्ट होगा। इस तरह गिरदावरी या रकबे में कमी से लेकर अन्य तरह की कोई भी शिकायत हो तो उसका न्यूनतम समय पर हल निकाला जा सकेगा। वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी मॉनिटरिंग करने कहा गया हैए जिससे किसी तरह की लापरवाही न हो सके।