Thursday, March 30, 2023

मानहानि के फैसले पर टन भर राजनीति

"राहुल गांधी ने पूरे मोदी समुदाय पर आरोप नहीं लगाया। बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी का भी नाम नहीं लिया। फिर मान हानि पूर्णेश मोदी और मोदी समुदाय की कैसे हो गयी? सूरत का फैसला कहांँ तक उचित है,सवाल है ही,साथ ही सत्ता पक्ष की सियासत ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं।" 0 रमेश कुमार ‘रिपु’ यह एक यक्ष प्रश्न है। राहुल के बयान से किसकी मानहानि हुई। समुदाय की या व्यक्ति की? ललित मोदी,नीरव मोदी और नरेन्द्र मोदी क्या अदालत में याचिका फाइल कर कहा, कि राहुल गांधी के बयान से हमारी मानहानि हुई है? याचिका कर्ता पूर्णेश मोदी का नाम राहुल गांधी ने लिया नहीं। राहुल गांधी ने मोदी समुदाय पर आरोप लगाया नहीं। उन्होंने कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली में नीरव मोदी,ललित मोदी और नरेन्द्र मोदी को चोर कहा। और यह पूछा,कि सब चोरों के सरनेम मोदी ही क्यों हैं। यह नहीं कहा, कि सब मोदी चोर हैं। राहुल गांधी के वकील ने दलील दी थी,कि पूर्णेश मोदी को इस मामले में पीड़ित पक्ष के रूप में शिकायतकर्ता नहीं होना चाहिए था। क्योंकि राहुल गांधी नें अधिकांश भाषणों में प्रधानमंत्री को निशाना बनाया है,न कि पूर्णेश मोदी को। बीजेपी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा कहते हैं,राहुल गांधी नेे ललित मोदी,नीरव मोदी और नरेन्द्र मोदी को चोर कहकर ओबीसी समाज का अपमान किया है। वहीं सवाल यह है,कि योगी आदित्यनाथ ने सी.एम. बनने के बाद आखिलेश यादव के आवास खाली करने पर गंगाजल से धुलवा कर,क्या ओबीसी समाज का सम्मान बढ़ाया था? ललित मोदी मारवाड़ी हैं और नीरव मोदी जैन। क्या इन्हें चोर कहने से ओबीसी समुदाय का अपमान होता है? नरेन्द्र मोदी ओबीसी से आते है। तेली जाति के हैँ । वैसे भी गुजरात में परचून का काम करने वाले मोदी कहे जाते हैं। क्या यह मान लिया जाए,कि देश की अर्थव्यवस्था पर चोट करके भागे नीरव मोदी और ललित मोदी का बीजेपी ओबीसी के नाम पर सम्मानित करना चाहती है? अजीब क्रोनोलाॅजी है - राहुल गांधी ने सात फरवरी को मोदी और अडानी मामले पर लोकसभा में सवाल किये। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लिखा है कि देश के बाहर अडाणी की शेल कंपनियां हैं। सरकार बताए ये कंपनियां किसकी है। शेल कंपनियों से अडाणी के खाते में आया बीस हजार करोड़ रुपए किसका है? गौरतलब है कि देश में एक लाख 75 हजार सेल कंपनियां बंद कर दी गई हैं। सोलह फरवरी को शिकायत कर्ता पूर्णेश मोदी गुजरात हाई कोर्ट में खुद का स्टे वापस ले लेते हैँ । 27 फरवरी को सुनवाई शुरू होती है। 17 मार्च को फैसला रिजर्व और 23 मार्च को फैसला आता है। आनन फानन में लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी। प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार किसी भी जन प्रतिनिधि को दो साल या फिर इससे अधिक की सजा होती है,तो उसकी सदस्यता चली जाती है। जबकि मध्यप्रदेश में बीजेपी के दो विधायकों के साथ ऐसा अभी तक नहीं हुआ है। सूरत की अदालत का फैसला कहांँ तक उचित है,उस पर भी चर्चा है। यद्यपि सूरत की अदालत ने राहुल गांधी को एक महीने का समय दिया है ऊपरी अदालत में अपील करने का। लेकिन लोकसभा सचिवालय ने एक दिन की भी मोहलत देना उचित नहीं समझा। दिल्ली के घटनाक्रम से बहुतों को एहसास हुआ कि राजनीति क्या चीज है। असंभव को संभव बना दिया। छल,प्रपंच,स्वार्थ और साजिश। सभी एक साथ। राहुल के साथ जो हुआ,सब खेल है। प्रयोजित है। कुछ संयोग और कुछ दुर्योग। पर अभी भी बहुत कुछ होना बाकी है। कांग्रेस देश भर में सत्याग्रह कर रही है। और राहुल मामले को लेकर लगभग सभी विपक्षी दल एक हो रहे हैँ । यानी सन् 1977 जैसा मामला है। यदि ऐसा हुआ तो 2024 की चुनावी डगर बीजेपी के लिए टेढ़ी हो सकती है।जैसा कि अरविंद केजरीवाल कहते हैं,देश में गैर बीजेपी नेताओं को मुकदमें में फंसा कर खत्म करने की साजिश की जा रही है। हमारे कांग्रेस से मतभेद हैं,मगर राहुल गांधी को इस तरह मानहानि केस में फंसाना ठीक नहीं। हम अदालत का सम्मान करते हैं,पर इस निर्णय से असहमत हैं। बीजेपी नेताओं का क्या होगा - मानहानि मामले पर राजनीति का पारा ऊपर नीचे अभी होता रहेगा। इसलिए कि विपक्ष भाजपा नेताओं के पुराने वीडियो सोशल मीडिया में जारी कर सवाल कर रहे हैं,कि क्या यह मानहानि नहीं है? जैसा कि कांग्रेस नेत्री सुप्रिया कहती हैं,मोदी जी ने चीन में कहा,पिछले जनम में कोई पाप किया था,इसलिए हिन्दुस्तान में जन्म लिया। पिछले सत्तर साल में देश में कुछ नहीं हुआ। क्या देश की 140 करोड़ जनता का यह अपमान नहीं है? संसद में मोदी ने रेणुका की हंसी पर कहे,रामायण सीरियल बंद होने के बाद पहली बार शूर्पनखा सी हंँसी सुनने को मिली। सोनिया गांधी को कांग्रेस की विधवा कहा गया। शशि थरूर की पत्नी सुनंदा को पचास करोड़ की गर्ल फ्रेंड कहे थे। सवाल यह है कि शीर्ष नेताओं की भाषा का संस्कार ऐसा होगा, तो फिर लोकतंत्र में शिष्टता,आदर्श और मूल्यवादी राजनीति के बचने की संभावना नहीं रह जाएगी। सवाल यह भी है, कि देश के नेताओं को बोलना कब आएगा? इतनी जल्दी बाजी क्यों - लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने में इतनी जल्दी बाजी क्यों की? यह सवाल हर कोई कर रहा है। न खाऊंगा और न खाने दूंगा नारे पर अब संदेह होने लगा है। इसलिए कि जो अडानी 2014 से पहले तक दुनिया में 609 वे नंबर पर थे और कुछ साल में दूसरे नंबर पर कैसे पहुंचे? नियम बदल कर अडाणी को 6 एयरपोर्ट दिए गए। दुनिया का सबसे ज्यादा प्रॉफिटेबल मुंबई एयरपोर्ट को जीवीके से हाईजैक कर लिया गया। एयरपोर्ट में आज अडाणी की 24 फीसदी हिस्सेदारी है। 126 हवाई जहाजों का जो एचएएल का कॉन्ट्रैक्ट था, अनिल अंबानी को चला गया। प्रधानमंत्री इजराइल जाते हैं और अडाणी को ड्रोन को री फिट करने का कॉन्ट्रैक्ट मिल जाता है। 4 डिफेंस की इनके पास कंपनियां है। प्रधानमंत्री ऑस्ट्रेलिया जाते हैं और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया वन बिलियन डॉलर लोन अडाणी को दे देता है। बांग्लादेश गए। कुछ दिन बाद बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड 25 साल का कॉन्ट्रैक्ट अडाणी के साथ साइन करता है। श्रीलंका राष्ट्रपति राजपक्षा ने कहा था,कि मोदी जी ने दबाव डाला था कि अडाणी को विंड पावर प्रोजेक्ट दे दिया जाए। मोदी इन आरोपों का कोई जवाब संसद में नहीं दिए। अडानी मामले पर जेपीसी भी गठित नहीं की। उक्त बातें राहुल संसद में फिर न उठा कर सरकार को कटघरे में खड़ा करें। इसलिए राहुल की सांसदी छिनी गई। बहरहाल राहुल गांधी के जेल जाने या फिर संसद सदस्यता खत्म होने से बीजेपी को कोई खास लाभ मिलेगा, इसकी संभावना नहीं दिख रही है। इसलिए कि राहुल के रहने पर ही बीजेपी को कोसने को बहुत कुछ मिलेगा। राहुल मामले पर जिस तरह पूरा विपक्ष एक होता दिख रहा है,इससे बीजेपी को नुकसान होगा।