Tuesday, June 9, 2020

आगे है और कठिन डगर

   छत्तीसगढ़ सरकार आर्थिक आपातकाल के दौर से गुजर रही है। कोरोना को बढ़ने से रोकना,आम आदमी को आत्म निर्भर बनाने के साथ आर्थिक समस्या का समाधान ढूंढना जरूरी है। डाॅक्टर,नर्स और कर्मचारियों को वेतन देने की स्थिति में नहीं है भूपेश सरकार। ऊपर से अपनी तारीफ की सर्वे रिपोर्ट पेश करने से जनता हैरान है। 









0 रमेश तिवारी ‘‘रिपु’’
                  उम्मीदें खोकर लौटे मजदूर कभी नहीं सोचे थे कि छत्तीसगढ़ में दुर्दशा और दुश्वारी के ऐसे भी दिन देखने को मिलेंगे। धान के कटोरे में सुख नहीं, परेशानी और दुख भरे हैं। आम जिन्दगी के सामने सबसे बड़ी समस्या है, कैसे आत्म निर्भर बनें। वहीं व्यापारी लाचार है कि, कैसे व्यापार खड़ा करे। मजदूरों के पास रोजी रोटी के साथ, मजदूरी की विकट समस्या है। जो मजदूर लौट आए हैं, वो बाहर जाने का मन शायद ही बनाएं। प्रदेश कैसे फिर से खड़ा हो और समृद्धी के रास्ते पर चल पड़े, सरकार को इस दिशा में सोचना चाहिए। मगर सरकार अपनी पीठ थपथपाने के लिए आंकड़े बाजी में लगी है। आईएएनएस सी वोटर की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक गैर भाजपा शासित राज्यों में, प्रदेश की जनता को संतुष्ट करने वाले मुख्यमंत्रियों में भूपेश बघेल दूसरे नम्बर पर हैं। यह रिपोर्ट चैकाती है। वन मंत्री मोहम्मद अकबर कहते हैं,‘‘धान का 25 सौ रूपए न्यूनतम समर्थन मूल्य,किसानों की कर्ज माफी,आदिवासियों की जमीन वापसी जैसे महत्वपूर्ण फैसलों ने मुख्यमंत्री को जनता का लोकप्रिय जन नेता बनाया है’’।
प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव कहते हैं,‘‘डेढ़ वर्षो में ही किसी भी सरकार के काम काज की रिपोर्ट आ जाए, तो हैरानी होती है। बीजेपी चाहती है कि सरकार काम करे और प्रदेश आगे बढ़े। कोरोना काल में सैकड़ों जूनियर चिकित्सकों का इस्तीफा देना, कर्मचारियों की वेतन वृद्धि की बजाए कटौती होना। बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता अभी तक देना शुरू नहीं किया गया है। सवाल यह है कि क्या शराब का विरोध करने वाली महिलाएं संतुष्ट हैं?स्वसहायता समूह की महिलाएं संतुष्ट हैं, जिनके ऋण माफ करने की बात कही गई थी। सरकार को अभी से नम्बर की दौड़ में नहीं आना चाहिए’’।
ग्यारह हजार करोड़ का घाटा
बजरंग अग्रवाल सी.ए.कहते हैं,कोयला,सीमेंट और बिजली ये चार सेक्टर है जिनसे सरकार को करीब 50 फीसदी राजस्व की आय होती है। लेकिन कोरोना लाॅक डाउन की वजह से प्रदेश की अर्थव्यवस्था डगमगा गई है। लॉकडाउन में ट्रांसपोर्ट की सुविधा पूरी तरह से ठप्प होने के कारण फैक्ट्रियों में बना हुआ माल बाहर नहीं जा सका। देश का 18 फीसदी कोयला छत्तीसगढ़ उत्पादित करता है। राज्य को 26 फीसदी आय लौह अयस्क से होती है। देश का करीब 20 फीसदी लौह अयस्क भंडार यहीं है। देश का 15 फीसदी लोहे का उत्पादन छत्तीसगढ़ में होता है। लोहा उत्पादन के मामले में भी राज्य देश में दूसरे स्थान पर है। देश का करीब पांच फीसदी चूना पत्थर का भंडार छत्तीसगढ़ में हैं। राज्य में फिलहाल एक दर्जन से अधिक बड़े सीमेंट संयंत्र हैं, जो देश की करीब 20 फीसदी जरूरत पूरी करते हैं। प्रदेश को देश का पॉवर हब कहा जाता है। यहां सरकारी और निजी सेक्टर मिलाकर करीब 23 हजार मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है। इसके अलावा प्रदेश में ट्रेडिंग का व्यवसाय भी किया जाता है। जिसमें अनाज किराना कपड़ा इलेक्ट्रानिक के सामान शामिल हैं। पड़ोसी राज्य ओड़िशा झारखंड, महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश में भी छत्तीसगढ़ से ही व्यापार किया जाता है। लॉकडाउन खुलने के बाद भी कम से कम 3 माह व्यापार को सुचारू रूप से चलाने में समय लगेगा। इस दौरान 10-11 हजार करोड़ के कर व आर्थिक सेवाओं का नुकसान सरकार को उठाना पड़ सकता है।
लॉकडाउन का असर
आर्थिक मंदी का यह सबसे भयावह दौर है। बेरोजगारी का प्रतिशत 40 फीसदी बढ़ गया है। मनरेगा में मिलने वाले काम से प्रदेश के बारह लाख मजदूर संतुष्ट नहीं हैं। स्टील,सीमेंट पॉवर,कोल उद्योग लगातार चलने वाले उद्योग हैं। जो एकबार बंद होते हैं, तो बगैर मेंटेनेंस के उन्हें शुरू करना मुश्किल है। इसके अलावा इन उद्योगों में काम करने वाले लेबर उत्तर प्रदेश बिहार पंजाब से आते हैं। लॉकडाउन के खत्म होने के बाद इन कर्मचारियों को वापस लौटने में भी समय लगेगा। जिसके कारण औद्योगिक क्षेत्रों को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। प्रदेश में 24 मार्च से घरेलू उड़ानें बंद हैं। साल भर 35 फीसदी कारोबार गर्मी के सीजन में ही होता है। 3 मई तक प्रतिबंध की वजह से प्रदेश में तीन सौ करोड़ का व्यापार प्रभावित हुआ। पर्यटन से जुड़े लोग और उनका व्यवसाय भी प्रभावित हुआ। 
आर्थिक आपातकाल 
पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह कहते हैं सी.एम रिलीफ फंड में जमा राशि पर श्वेत पत्र जारी करे सरकार।  सरकार बताए गांव के क्वारेंटाइन सेंटर को कितनी राशि दी। राज्य में आर्थिक आपातकाल की स्थिति है। कर्मचारियों की वेतनवृद्धि रोक दी गई है। अब वेतन में 30 फीसदी की कटौती की जा रही है।    सरकारी व्यय की सीमा को कम किया गया है। समस्त विभाग अब वो पूरे साल 70 प्रतिशत ही बजट खर्च कर सकेंगे। मध्यप्रदेश के सी.एम शिवराज सिंह चैहान ने गांवों के लिए 1500 करोड़ दिए हैं। यहां 9-10 करोड़ खर्च कर सरकार ने कोई बड़ा काम नहीं किया है। छत्तीसगढ़ में सरकार ने क्वारेंटाइन सेंटर को सरपंच के भरोसे छोड़ दिया है। सेंटर में गर्भवती मां,बच्चे की मौत हो रही है। लोग आत्महत्या कर रहे हैं। पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा,डाॅ रमन सिंह बताएं मोदी सरकार के 20 लाख करोड़ के पैकेज से छत्तीसगढ़ को कितना  मिला। 
क्वारेंटाइन सेंटरों में अव्यवस्था
क्वारेंटाइन सेंटर में 3 गर्भवती माताओं और 4 बच्चों सहित एक दर्जन लोगों की 15 दिनों के भीतर मौत हो गई। इनमें तीन लोग हादसे का शिकार हुए। वहीं 2 ने आत्महत्या कर ली। पांच श्रमिक बीमारी के कारण दम तोड़ चुके हैं। सूबे के 19216 क्वारंटाइन सेंटरों में 203581 प्रवासी मजदूरों को रखा गया हैं।   सरकार का दावा है कि 7 लाख लोगों को क्वारंटाइन में रखने की उसकी क्षमता है और इसका प्रबंध भी कर लिया गया है, लेकिन 2 लाख लोगों को भी वह ठीक से नहीं रख पा रही है। कोरोना मरीजों की संख्या 500 के पार हो गई है। मुंगेली जिले की लोरमी में स्थित एक धर्मशाला को क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है। आंध्र प्रदेश के 45 प्रवासी मजदूरों को अछूतों की तरह गेट के बाहर से खाने के पैकेट दिए जा रहे हैं। खाने की गुणवत्ता बहुत खराब है। मामला सामने आने पर अधिकारियों ने मजदूरों पर आरोप लगाते हुए कहा खाने में दारू,मुर्गा की मांग कर रहे हैं। नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि क्वारेंटाइन सेंटर्स में लगातार हो रहीं मौतों के बाद भी   बदइंतजामी दूर नहीं किया जा रहा है। अब ये क्वारेंटाइन सेंटर्स कई तरह के इन्फेक्शन बीमारियों को जन्म दे रहे हैं।
वेतन नहीं मिलने से इस्तीफा
रायपुर,रायगढ़ और सिम्स बिलासपुर से करीब तीन सौ जूनियर रेसीडेंट डॉक्टरों ने 2 माह से वेतन नहीं मिलने पर इस्तीफा दे दिया है। कोरोना वार्ड में ड्यूटी और सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए। दाऊ कल्याण सिंह सुपर स्पेश्यालिटी अस्पताल में सेवाएं दे रहीं संविदा व दैनिक वेतनभोगी नर्सों को दो माह से वेतन नहीं मिला है। जिससे वे नाराज हैं। प्रदेशभर में 383 छात्रों को जूनियर रेसीडेंट बनाकर पोस्टिंग कर दी गई लेकिन, अब तक उनका वेतन तय नहीं किया गया है। 
कैसे बने आत्म निर्भर
कृषि विज्ञान की छात्रा पल्लवी तिवारी कहती हैं,‘‘सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए किसानों को मजबूत करना। एग्रीकल्चर मार्केटिंग कानून को लचीला करें, ताकि किसान अपने उत्पादन को दूसरे राज्य में भी बेच सकें। बिग बाजार से आटा लेने की बजाय किसान से गेहूं खरीदें। आनाज खरीदें। उससे उसकी सब्जियां खरीदें। बेरोजगार युवक एक एप के जरिये अपना एक चलता फिरता किराना दुकान,सब्जी दुकान लांच कर सकता है। जिन्हें जरूरत होगी वो उसे फोन कर अपनी जरूरत के सामान मंगा सकते हैं। इससे उपभोक्ताओं को घर बैठे सामान मिल जाएगा।  किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य सरकार ने 2022 तक किया है। यह तभी संभव है जब किसान अपनी खेत में केवल धान,गेहूं,दलहन ही पैदा न करे। क्यों कि बारिश अधिक या न होने से नुकसान किसान को ही होता है। किसान सब्जियां, फल, प्याज, लहसुन, मक्का, गन्ना, मधुमक्खी पालन,गो पालन, (मिक्सड फार्मिग) की ओर भी ध्यान दे। ताकि वो एक ही उत्पादन पर निर्भर न रहे। ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में सरकार आगे आए।