Monday, May 18, 2020

मजदूरों में वापसी की होड़

 
मजदूर अपने घर वापसी का उत्सव मना रहे हैं। वहीं सरकार को कोरोना का संक्रमण बढ़ने का अंदेशा भी है। वैसे छत्तीसगढ़ में कोरोना के कुल 59 मरीजों में सिर्फ छह ही स्वस्थ्य होने को बचे हैं। सबसे बड़ा सवाल अब यह है कि मजदूरों की वापसी के बाद सरकार इनके रोजगार के लिए क्या करेगी।  










0 रमेश तिवारी ‘‘रिपु’’
              छत्तीसगढ़ के मजदूर बड़ी उम्मीदें लेकर निकले थे निवाले के लिए। लेकिन छाले लेकर लौटे। भरोसा था कि हाथों को इतना काम मिलेगा कि पैसे से हाथ भर जाएंगे। घर के लिए सपने खरीदेंगे। मगर उनके सपनों को कोरोना वायरस ने कुतर दिया। न केवल उनकी उम्मीदे ध्वस्त हुई बल्कि, देश में हाहाकार मच गया। क्यों कि कोरोना एक ऐसा कातिल निकला, जिसके हाथ किसी के खून से सने भी नहीं लेकिन,उसके कहर से सनाका खिंच गया। लाॅक डाउन के बावजूद कई मौतों का गवाह बना अप्रैल और मई महीना। दर्द की कहानियों का इतिहास भी। कई आंखें आंसुओं की पनाहगाह बनी। लोग घरों में लाॅक डाउन थे, पर सरकारें चल रही थीं। सड़कें थीं,पर मंजिल का पता नहीं। रेल के पहिये थमे,मगर पटरियों पर पांव चल रहे थे। मजदूर,मजबूर हो गये। घर से दूर हो गए। लाॅक डाउन का नतीजा है कि भारत,इटली और अमेरिका नहीं बना। सरकारों की राय शुमारी से हिम्मत बंधी। अब मजदूर अपने घर वापसी का उत्सव मना रहे हैं। वहीं,सरकार की चिंता है कैसे राज्य की अर्थव्यवस्था जी उठे। मजदूरों की वापसी के बाद उनके रोजगार,उद्योग धंधे और अर्थ व्यवस्था को फिर से जिंदा करने के यक्ष प्रश्न हैं। वैसे राज्य सरकार ने व्यय में तीस फीसदी की कटौती कर दी है। वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश के तहत वित्तीय वर्ष की प्रथम तिमाही में व्यय सीमा कुल बजट प्रावधान के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। विशेषज्ञ यह मानते हैं कि बजट मे कटौती से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। इसलिए कि कई विभाग अपना बजट खर्च नहीं कर पाते हैं।
सीएम की नहीं सुनते
छत्तीसगढ़ से देश के 21 राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों में करीब तीन लाख प्रवासी मजदूर काम करते हैं। संभावना है कि इनमें से दो लाख मजदूर वापस आ सकते हैं। राज्य सरकार का दावा है कि मजदूरों को लाने और भेजने की व्यवस्था की जा रही है। वहीं यह शिकायत भी है कि मुख्यमंत्री की बातें अधिकारी नहीं सुन रहे हैं। जैसा कि माकपा राज्य सचिव संजय पराते का आरोप है कि माकपा ने तेलंगाना में फंसे 1300 मजदूरों को उनके नाम पते और मोबाइल नंबर भी दिया है। इनमें 89 बच्चे और 128 महिलाएं हैं। ये मजदूर हैदराबाद, सिकंदराबाद, अनंतपुर, रंगारेड्डी, हिमायत नगर, गौलीडोडी, नागल रोड, तुर्कपल्ली, शिवराम पल्ली, सिद्धिपेट, निजमपेट, कोकापेट व अन्य जगहों में फंसे हुए हैं। लेकिन अभी तक कोई पहल सरकार ने नहीं की। 
दस करोड़ होंगे खर्च
श्रम मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया ने युगवार्ता को बताया,‘‘छत्तीसगढ़ में अब तक 108351 मजदूरों ने राज्य में वापसी के लिए पंजीयन कराया है। श्रमिकों के रेल और बस से आने का खर्चा श्रम विभाग उठाएगा। मजदूरों को लाने में लगभग 10 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। दूसरे राज्यों के करीब 27 हजार श्रमिक यहां से जा चुके हैं और 32 हजार लोगों ने जाने के लिए पंजीयन कराया है। प्रवासी मजदूरों के लिए जिलों में हेल्प लाइन के साथ राज्य स्तर पर कंट्रोल रूम बनाया गया है। छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों के मजदूरों की संख्या लगभग 35 हजार है’’।
रोजगार गारंटी में काम
राज्य के श्रम सचिव सोनमणि बोरा ने बताया कि लाॅक डाउन के वक्त करीब 1 लाख 29 हजार मजदूरों ने सरकार से मदद मांगी। उन्हें राशन के साथ नगद मदद की गई। अनुमान है कि छत्तीसगढ़ के करीब तीन लाख लोग दूसरे राज्यों में जाकर मजदूरी करते हैं। इनमें से 50 हजार के आसपास दूसरे राज्यों से पैदल आ गए, जिन्हें 14 दिन के क्वारंटाइन के साथ गावों में रोजगार गारंटी के काम में लगा दिया गया है। 30 हजार के करीब सरकारी साधनों ट्रेन और बसों से आ चुके हैं। वापसी के इच्छुक प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए राज्य सरकार 28 ट्रेनों की मांग की थी, 15 की अनुमति मिली है। कुछ प्रक्रियाधीन है। ग्राम पंचायत जनपद पंचायत में नए जाॅब कार्ड के लिए आवेदन देने पर 15 दिवस के भीतर जाॅब कार्ड बन जाएगा। आवेदक का उक्त ग्राम पंचायत का मूल निवासी होना अनिवार्य है एवं आवेदक का किसी भी जाॅब कार्ड में नाम नहीं होना चाहिए। राज्य में 1200 से अधिक लघु और माध्यम उद्योग चालू करा दिए गए हैं। लगभग 92 फीसदी लोगों को रोजगार मिल गया है। इसमें काम करने वाले 60 फीसदी से अधिक मजदूर दूसरे राज्यों के हैं। उम्मीद है कि वे अब अपने राज्य नहीं जायेंगे। 
समर्थन मूल्य की राशि दी
प्रदेश के 18 लाख से ज्यादा किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत पहली किस्त 21 मई से सीधे उनके खाते में जाएगी। इसके लिए 51 सौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। किसानों को धान के अंतर की राशि 665 और 685 रुपए दी जाएगी। अंतर की राशि की दूसरी किस्त जुलाई,अगस्त में दिए जाने की संभावना है। उद्योगों में काम शुरू होने से 91 हजार 997 श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है। मनरेगा के तहत 9883 पंचायतों में 20 लाख लोगों को रोजगार मिला, जो कि पूरे देश के मनरेगा में 24 प्रतिशत भागीदारी है। वन विभाग की विभिन्न योजनाओं में कुल 6 लाख 42 हजार 949 वनवासियों को रोजगार भी प्रदान किया है।
संक्रमित प्रदेश से आए प्रवासी
राज्य में कुल 59 मरीज थे, जिनमें से 53 मरीज ठीक हो चुके हैं। 6 मरीजों को उपचार चल रहा है। छत्तीसगढ़ में रिकवरी रेट 90 प्रतिशत से अधिक है। अब तक 25 हजार 282 कोरोना वायरस टेस्ट किए जा चुके हैं। 24 हजार 605 लोगों को क्वारंटीन किया गया है। राज्य के श्रमिकों को वापस लाने के लिए पहली ट्रेन गुजरात से आई। आने वाले सभी श्रमिकों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इसके लिए राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 16 हजार 499 और शहरी क्षेत्रों में 623 क्वारंटीन सेंटर बनाए गए हैं। लॉकडाउन के बाद 850 से ज्यादा प्रवासी मजदूर पैदल या लिफ्ट लेकर रायपुर पहुंच चुके हैं। इनमें से 80 फीसदी प्रवासी उन राज्यों से आए हैं जहां कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या टॉप पर है। ज्यादातर मजदूर राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से आए हैं।  
मुख्यमंत्री की मांग
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चाहते हैं केन्द्र सरकार धान का कोटा 24 लाख टन से बढ़ाकर 31.11 लाख टन कर दे। स्वास्थ्य कर्मियों की तरह पुलिस निगम जिला एवं अन्य विभागों के लोगों को भी पी.एम गरीब कल्याण पैकेज में शामिल करें। मनरेगा के तहत 200 दिन का रोजगार दिया जाए ताकि,लोगों को मई,जून में भी काम दिया जा सके। राज्य के कोल ब्लॉकों से कोयला मंत्रालय द्वारा जमा कराई गई 4140 करोड़ रुपए की लेवी राज्य को दी जाए। राज्य का वित्तीय घाटा भी इस वर्ष जीएसडीपी के 5 प्रतिशत के बराबर रखे जाने तथा उधार की सीमा जीएसडीपी के 6 प्रतिशत तक शिथिल किया जाए।
सी.एम कोष में 56 करोड़ आए
कोविड 19 की रोकथाम और जरूरतमंदों की मदद के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष में कुल 56 करोड़ 4 लाख 38 हजार 815 रुपये जमा हुए। कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिये सरकार ने सभी 28 जिलों को 25.25 लाख रुपये और 11 जिलों को 20.20 लाख रुपये जारी किए थे। इस तरह जिलों को अब तक 10 करोड़ 40 लाख रुपये जारी किया जा चुका है। 45 करोड़ 79 लाख 8 हजार 815 रुपये अब भी मुख्यमंत्री सहायता कोष में बचे हैं।   
क्वारंटीन सेंटर से भागे
प्रदेश में कोरिया के क्वारंटीन सेंटर से भागे दो मजदूरों की रिपोर्ट 7 मई को पाॅजिटिव आई। दोनों मजदूर बैकुंठपुर स्थित क्वारंटीन सेंटर में थे और सैंपल देने के बाद झारखंड भाग निकले। जगदलपुर के स्व. बलिराम कश्यप मेडिकल कॉलेज में बने क्वारंटाइन सेंटर से तमिलनाडु के भागे दो ड्राइवर   पकड़े जाने के बाद जेल भेज दिए गए हैं। मुंगेली से चार मजदूर, और दंतेवाड़ा जिले में अरनपुर के क्वारंटीन सेंटर से 23 मजदूर फरार हो गये। तेलंगाना से आये इन मजदूरों की प्रारंभिक जांच में किसी में भी सर्दी खांसी या बुखार जैसे लक्षण नहीं थे। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव कहते हैं, मई और जून में कोरोना के मरीज बढ़ने की आशंका है।