भ्रष्टाचार के लिए जनता राजनेताओं को दोषी करार देती है। पर सही मायने में बेेईमान अफसर हैं। अफरशाही में बढ़ता भ्रष्टाचार ये साबित करता है कि लोकायुक्त की कार्रवाई और हाई कोर्ट की फटकार के बाद भी इन्हें डर नहीं लगता। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 12 घोटालेबाज अफसरों के विरूद्ध केस दर्ज करने का आदेश देकर बता दिया कि इनकी बेईमानी की वजह से जनहितकारी नीतियां प्रभावित होती हैं।
0 रमेश कुमार ‘‘रिपु‘‘
छत्तीसगढ़ में आईएएस अफसरों ने बिहार के चारा घोटाले के लिए अपनाये गये नुस्खे से आगे निकल गये। अफसरों ने दिव्यांगों का इलाज कागजों पर दिखाकर एक हजार करोड़ रूपये पर हाथ फेर दिया। यह सब हुआ डाॅ रमन सिंह के कार्यकाल में। जाहिर सी बात है कि पूर्व मुख्मंत्री डाॅ रमन सिंह के कार्यकाल में नौकराशाह उन्हें अंधेरे में रखते थे। राज्य के 6 आईएएस समेत 12 अफसरों की बेईमानी पर्दे में ही रहती यदि रायपुर के कुंदन सिंह ठाकुर की ओर से अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर न करते।
राज्य के 6 आईएएस अफसर आलोक शुक्ला, विवेक ढांड, एम.के राउत, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल और पी.पी सोती समेत सतीश पांडेय, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हरमन खलखो, एम.एल पांडेय और पंकज वर्मा ने फर्जी संस्थान स्टेट रिसोर्स सेंटर एसआरसी राज्य स्रोत निःशक्त जन संस्थान के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला किया है। 30 जनवरी को जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने 2018 में दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को 7 दिनों के भीतर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड आईएएस अफसर एम.के राउत और विवेक ढांढ की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ घोटाले के मामले में सीबीआइ जांच पर रोक लगा दी है।
भाजपा राज में घोटाला
एक हजार करोड़ का घोटाला सन् 2008 से 2018 के दौरान भाजपा राज में हुआ है। चैकाने वाली बात यह है कि पूर्व मुख्य सचिवों में विवेक ढांड अभी रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी रेरा के अभी अध्यक्ष हैं। जो संवैधानिक पद है। दूसरे पूर्व मुख्य सचिव सुनील कुजूर राज्य सहकारी निर्वाचन आयोग के कमिश्नर हैं। मुख्य सूचना आयुक्त एम.के. राउत का नाम भी फर्जीवाड़ा करने वालों में है। एम. के. राउत का कहना है कि वे कभी समाज कल्याण विभाग में नहीं थे। विवेक ढांड और राउत को रमन सरकार ने संवैधानिक पदों पर बिठाया था। वहीं सुनील कुजूर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुख्य सचिव और फिर निर्वाचन आयोग का कमिश्नर बनाया। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ आलोक शुक्ला का नाम भी घोटाला करने वालों में है। बहुचर्चित नान नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले में वे करीब तीन साल तक निलंबित थे। उन्हें कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार ने बहाल किया है। जबकि नान घोटाले की लड़ाई भूपेश सड़क से सदन तक की,आलोक शुक्ला को बार्खास्त करने के लिए।
अपना कल्याण किया
छत्तीसगढ़ में बाबूलाल अग्रवाल पहले आईएएस अफसर हैं, जो केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग में 250 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप में बर्खास्त किये जा चुके हैं। जेल भी जा चुके हैं। प्रदेश गठन के पहले इस कांड में शामिल पी.पी श्रोती सन् 2000 में भोपाल से आए थे। सेवानिवृति के बाद भी सेवावृद्धि लेते रहे हैं। पंचायत और समाज कल्याण विभाग के संचालक के पद पर बरसों तक जमे रहे। राज्य योजना मंडल के सदस्य भी रहे। समाज कल्याण विभाग के अपर संचालक एम.एल. पांडेय पहले भी भ्रष्टाचार के मामले में फंस चुके हैं। कुछ साल पहले एंटी करप्शन ब्यूरो ने उनके घर छापा मारा था। छापे में अग्रोहा सोसायटी में करीब 5 हजार वर्गफुट में आलीशान बंगला। दस हजार वर्गफुट में दो मंजिला आलीशान भवन। जिसमें स्कूल चल रहा है। 25 एकड़ जमीन पाटन में। मुंबई, पुणे में करोड़ों का निवेश। 28 बैंक खाते में एक करोड़ से अधिक राशि। कई जमीन खरीदी के प्रमाण मिले हैं। पूछताछ के दौरान एसीबी को 10 विदेश दौरों का पता चला। घर से डाॅलर भी मिले। 25 से अधिक बैंक खाते। विभिन्न फर्मो में 50 लाख से अधिक का निवेश। समाज कल्याण विभाग के अपर संचालक एमएल पांडे पर 9 साल पहले 90 लाख का घोटाला करने का आरोप लगा था। उनके खिलाफ तत्कालीन सचिव एम.के राउत ने एफआईआर करने की सिफारिश की थी। लेकिन इसे दबा दिया गया। इतना ही नहीं उन्हें पद से हटाने के बजाय मनपसंद पोस्टिंग भी दी गई। दिव्यांगों के नाम का पैसा डकारने वालों में समाज कल्याण विभाग के संयुक्त संचालक राजेश तिवारी अशोक तिवारी, हरमन खलखो, पंकज वर्मा और सतीश पांडेय के भी नाम हैं।
ऐसे किया महाघोटाला
अधिकारियों ने फर्जी संस्थान स्टेट रिसोर्स सेंटर (एसआरसी) के नाम पर घोटाला किया है। एसआरसी का कार्यालय माना रायपुर में बताया गया, जो समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है। एसआरसी ने बैंक ऑफ इंडिया के एकाउंट और एसबीआइ मोतीबाग के तीन एकाउंट से संस्थान में कार्यरत अलग.अलग लोगों के नाम पर फर्जी आधार कार्ड से खाते खुलवाकर रुपये निकाले गए। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि ऐसी कोई संस्था राज्य में है ही नहीं। सिर्फ कागजों में संस्था का गठन किया गया था। राज्य को संस्था के माध्यम से 1000 करोड़ का वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह सीबीआइ जांच से सभी बातों के खुलासे की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल घोटाले के लिए डॉ रमन सिंह और केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह को जवाब देह बता रहे हैं।
फर्जी बिल पास
भारत सरकार ने दिव्यांग बच्चों के सर्वेक्षण के लिए एक करोड़ की रकम आवंटित की थी। लेकिन अफसरों ने इस रकम को कागजों में चंद जिलों को वितरित करने की खानापूर्ति की। शेष रकम से गैर.आवश्यक वस्तुओं की खरीदी के फर्जी बिल संलग्न कर एक करोड़ रूपये पर हाथ फेर दिया। सर्वेक्षण भी नहीं किया। दरसअल ज्यादातर जिलों में सर्वेक्षण की रकम वितरित ही नहीं की गई। राशि पर हाथ मारने के लिए समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने अपने चहेते अधिकारियों की पदस्थापना वाले जिले को एक से अधिक बार राशि आवंटित किया। ताकि सर्वेक्षण व्यय कागजों में दर्शाया जा सके। इसमें रायपुर के व्यापक इंटरप्राइजेस और सिक्यूर्ड सर्विसेस अमलीडीह के लाखों के बिल संलग्न किये गए। इन बिलों में ना तो ऑर्डर नंबर है और ना ही जीएसटी विवरण। अफसरों ने विज्ञापन के लिए होर्डिंग्स पर लाखों खर्च बताया लेकिन, होर्डिग्स किस स्थान पर है और किस विषय को लेकर लगाई गई, इसका कोई विवरण नहीं है। अफसरों ने लाखों की सरकारी रकम राज्य संसाधन एवं पुनर्वास केंद्र को देना बताया, लेकिन व्यय बिल लगाया सिक्योरिटी सर्विस का। राज्य संसाधन एवं पुनर्वास केंद्र माना को जारी 18 लाख रुपए के बिल सिक्योर्ड सर्विसेस अमलीडीह और सिक्योरिटी कंपनी के दर्शाये गए। इसके अलावा श्री साई इंटरप्राइजेस भनपुरी से कम्प्यूटर टेबल, सोफा, राउंड टेबल समेत अन्य मेसर्स रॉय किराना एंड जनरल स्टोर माना से राशन, होटल विनायक इंटरनेशनल में लंच, डिनर और रुम बुकिंग, ओम साई मोबाइल्स एंड कम्प्यूटर से लैपटॉप, डेस्कटॉप समेत अन्य उपकरणों की खरीदी के केवल बिल हैं, सामान नहीं है। सभी बिल पास भी हो गया।
यह संगठित अपराध हैः हाई कोर्ट
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य के मुख्य सचिव अजय सिंह ने अपना शपथ.पत्र दिया था। इसमें उन्होंने 150.200 करोड़ की गलतियां सामने आने की बात कही थी। हाईकोर्ट ने कहा कि जिसे राज्य के मुख्य सचिव गलतियां और त्रुटि बता रहे हैं, वह एक संगठित और सुनियोजित अपराध है। फर्जीवाड़े में उलझे कुछ ओहदेदारों की नियुक्ति भले रमन सिंह ने की हो लेकिन, ज्यादातर अफसर अब भूपेश बघेल के आदमी बन गये हैं। यह मामला पहले सिंगल बेंच के पास था फिर गंभीरता को देखकर दो जजों की बेंच को भेजा गया। कहा जा रहा है कि कोर्ट संज्ञान नहीं लेती तो इतना बड़ा घोटाला उजागर ही नहीं होता।
रेणुका सिंह का भी नाम
फर्जीवाड़े में केंद्रीय जनजाति विकास राज्यमंत्री रेणुका सिंह भी लपेटे में आ गई हैं। जब यह फर्जीवाड़ा हुआ, तब वह कुछ समय के लिए राज्य की समाज कल्याण मंत्री थीं। रेणुका सिंह का कहना है कि उन पर गलत आरोप लगाया गया है,लेकिन पूछताछ की गई तो पूरा सहयोग करेंगी।
डेढ़ लाख की रिश्वत लेते पकड़े गये
भ्रष्टाचार की बेल छत्तीसगढ़ से लेकर मध्यप्रदेश तक फैली है। दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है,लेकिन बेईमान अफसरों के पौ बारह हैं। योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग रीवा संभाग के संयुक्त संचालक राजेंद्र कुमार झारिया को लोकायुक्त पुलिस ने डेढ़ लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। इसके बाद लोकायुक्त की एक टीम ने झारिया के भोपाल स्थिति निवास पर छापा मारा है। छापे में लोकायुक्त पुलिस को 36 लाख रुपए नगद, लगभग पौने दो किलो चांदी और सोना मिला है। झारिया कस्टम हाउसिंग कालोनी नयापुरा कोलार के रहने वाले है। संतोष कुमार द्विवेदी ठेकेदार ने लोकायुक्त पुलिस से शिकायत की थी कि झारिया विधायक निधि से स्वीकृत कार्य में प्रशासनिक अनुमति दिलाने के एवज में 3 प्रतिशत राशि की मांग कर रहे हैं। विधायक निधि से ग्रामीण क्षेत्र में पानी का टैंकर व 10 गांवों में यात्री प्रतीक्षालय बनवाने के लिए 71,22500 रुपए की धनराशि जारी की गई है।
जाहिर सी बात है कि बेईमान अफसरों की वजह से जन हितकारी योजनाएं और नीतियों का सही तरीके से क्रियान्वयन नहीं होता। अदालत को भी ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाये जाना चाहिए।