Monday, May 4, 2020

पीलिया के शिकंजे में रायपुर

 कोरोना वायरस के खतरे के बीच राजधानी रायपुर में पीलिया 36 वार्डो में अपना पैर पसार चुका है।   कई वार्डो के पानी में खतरनाक बैक्टीरिया ई-कोलाई,स्यूडोमोनास,प्रोटियाज,क्लेवसिला पाया गया है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने प्रदेश के सभी निकायों को नालियों के बीच से जाने वाली पेयजल पाइप को बदलने के निर्देश दिए हैं, पर पैसे का कोई इंतजाम नहीं किया है। 







0 रमेश तिवारी ‘‘रिपु‘‘
             छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मुख्यमंत्री हैं। स्वास्थ्य मंत्री हैं। पूरी सरकार है। नगर निगम के कमीश्नर हैं। फिर भी उस काग्रेस सरकार के रहते पीलिया हो गया,जो पीलिया होने पर सड़क पर उतरती थी। नगर निगम के प्लांट से गंदा पानी शहर में सप्लाई किए जाने से इस बार पीलिया हुआ। सरकार का दावा है कि अमृत मिशन योजना के तहत शहर में करीब दो सौ किलोमीटर पेयजल पाइप लाइन बिछाया गया है। नई पानी की टंकियों से पानी सप्लाई की जा रही है। ऐसे में, पीलिया होने पर राजनीति का गरमाना स्वाभाविक है। हमेशा की तरह एक ही सवाल,आखिर राजधानी को पीलिया दिया किसने? महापौर एजाज ढेबर अपने बचाव मे कहते हैं,‘‘पीलिया इससे पहले भी रायपुर में हुआ है। सांसद सुनील सोनी जब मेयर थे, उस वक्त पेयजल की पाइप लाइन नालियों में डाली गई थी,उसी का नतीजा है’’।
कोरोना वायरस के खतरे के बीच तीन अप्रैल को कई लोगांे को पीलिया होने की रिपोर्ट आई तब सरकार का ध्यान गया। हैरान करने वाली बात है कि नेहरु मेडिकल कॉलेज के माइक्रो बायोलॉजी विभाग की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि आमापारा और मंगल बाजार इलाके के पानी में ई-कोलाई और स्यूडोमोनास,प्रोटियाज,क्लेव सिला बैक्टरिया मिला है। इस रिपोर्ट से नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। तीन सौ लोगों को पीलिया हुआ था,जो बढ़कर करीब दो हजार पहुंच गया है। पीलिया के शिकंजे में शहर के 35 वार्ड हैं। जो बढ़ भी सकता है।
हाई कोर्ट में याचिका
बिलासपुर हाईकोर्ट में पीलिया को लेकर एक जनहित याचिका दायर किये जाने पर मनोज परांजपे, अमृतो दास और सौरभ डांगी को न्यायमित्र नियुक्त किया है। न्यायमित्र सौरभ डांगी ने बताया कि हाईकोर्ट में जनहित याचिका लंबित है। नहरपारा और मोवा में हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में टैंकर से पानी सप्लाई करने और नालियों से जाने वाली पेयजल लाइन को बदलने कमीश्नर को पत्र लिखा गया है। पिछले वर्ष बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग सहित राज्य के अन्य जिलों में पीलिया फैला था।
भाजपा-कांग्रेंस आमने सामने 
भाजपा ने मेयर एजाज ढेबर और एमआईसी पर पीलिया से निपटने में नाकाम होने का आरोप लगाया है। वहीं मेयर एजाज ढेबर ने कहा कि पीलिया प्रभावित क्षेत्रों में रायपुर सांसद सुनील सोनी,प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव कितनी दफा गए? पीलिया केवल पानी से ही नहीं बल्कि, दूषित भोजन से भी फैल रहा है। मेयर एजाज ढेबर ने फिल्टर प्लांट में लापरवाही बरतने वाले दो इंजीनियरों को शो काॅज नोटिस जारी किया है। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा,राजधानी में पीलिया का प्रकोप चिंता का विषय है। सड़ चुके पाइपों को हटाया जाए। निगम परिषद दलगत राजनीति से उठकर पार्षद और निर्दलीय पार्षदों में समन्वय स्थापित कर व्यवस्था को सुधारें। पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने कहा,  पीलिया के प्रकोप पर ठेले,खोमचों वालों के दूषित खानपान पर ठीकरा फोड़ना गलत है। इसलिए कि लॉक डाऊन के चलते लोग बाहर का कुछ नहीं खाए हैं। राजधानी के विभिन्न इलाकों में हेपेटाइटिस ए वाइरस की वजह से लगभग 18 सौ मरीजों को पीलिया होना बेहद गंभीर मामला है,जिनमें से 519 मरीजों में बिलीरुबिन का अधिक मात्रा में पाया जाना और 317 मरीजों में अलग,अलग प्रकार के हेपेटाइटिस के लक्षण मिले हैं,जो चिंता का विषय है।
एक सच इनका
नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डेहरिया ने कहा,एक सप्ताह के भीतर रायपुर में 24256 मीटर पाइप लाइन बदली गई है। 440 नल कनेक्शन शिफ्ट किए गए हैं। प्रभावित इलाकों में नल कनेक्शन शिफ्ट करने का काम अब भी जारी है’’। सुन्दर नगर की सुमन द्विवेदी कहती हैं,‘‘सबसे बड़ा सवाल यह है कि, गर्मी में पीलिया राजधानी में क्यों होता है? इसी पाइप से पानी ठंड और बरसात में भी सप्लाई होता है। कहीं न कहीं निगम प्रशासन पीलिया के लिए दोषी है’’। निगम प्रशासन के अनुसार शहर के 116 मोहल्ले में 55549 से ज्यादा क्लोरीन की गोली बांटी गई है। 10315 व्यक्तियों को ओआरएस का घोला बांटा गया। अब तक 2237 व्यक्तियों का रक्त परीक्षण किया गया। पीलिया की जानकारी के लिए 14562 घरों में भ्रमण किया गया है। प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य शिविर भी लगाए गए हैं। बैजनाथपारा, छोटापारा की जल आपूर्ति रोक कर पीलिया वाले इलाके में पुरानी पाइप लाइन को काट कर नई पाइप लाइन डालने का काम चल रहा है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मीरा बघेल कहती हंै, पीलिया से सभी को खतरा है,लेकिन गर्भवती महिलाओं को ज्यादा है। विभाग इसकी जांच कर रहा है’’। 
राशि का इंतजाम नहीं 
नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने प्रदेश के सभी निकायों को नाले नालियों के बीच से गुजरी पाइप लाइनें बदलने के निर्देश दिए हैं लेकिन, इसके लिए पृथक से राशि का कोई इंतजाम नहीं किया है। शासन के निर्देश पर निगम ने पूरे निगम एरिया का सर्वे कराने कहा था। बिलासपुर निगम एरिया में 135 जगहांें पर लीकेज और 300 से अधिक स्थानों पर नाले नालियों के बीच से गुजरीं पाइप लाइनों को बदलने के लिए करीब 3000 मीटर से अधिक पाइप लाइन की जरूरत पड़ेगी। मेयर रामशरण यादव ने सभी आठों जोन को पाइप लाइनों के लीकेज दुरुस्त करने तथा प्लास्टिक पाइप लाइनों को बदलने कहा है। वहीं प्रभाकर पांडेय कमिश्नर नगर निगम बिलासपुर,का कहना है कि जिस उपभोक्ता की पाइप लाइनें नालियों के बीच से गुजरीं हैं, उन्हें ऊपर उठाया जाएगा। इससे पाइप लाइनों को पूरी तरह बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी’’। 
खतरनाक मोहल्ले
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने शहर के 58 इलाकों से पानी का सैंपल लेकर जांच किया तो 32 जगहों के पानी में ई कोलाई,क्लेबसिला और स्यूडोमोनास बैक्टीरिया मिले हैं। आमापारा, मंगल बाजार, डी.डी नगर, महामाया पारा, प्रोफेसर कालोनी, हीरापुर मंगल बाजार, वासुदेव पारा, कुशालपुर, लाखेनगर चांगोराभाठा, दलदल सिवनी, मोवा, टाटीबंध, अटारी, महामाया पारा, चूड़ामणि, उरकुरा, उरला समेत बीरगांव में पीलिया के मरीज हैं। हैरानी वाली बात यह है कि 34 जगहों के पानी की रिपोर्ट में 20 जगह का पानी पीने के काबिल नहीं है। 
जाहिर सी बात है कि पीलिया की वजह से अभी केवल दो मौतें हुई है। इसकी रोकथाम के लिए जल्द ही कारगर कदम उठाना जरूरी है अन्यथा आने वाले दिनों में कोरोना संक्रमण से ज्यादा पीलिया राजधानी का संकट बढ़ाएगा। 

18 जिलों का जल, जीवन नहीं है
रायपुर पीलिया की गिरफ्त में है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश के 18 जिलों के 592 गांवों के पानी में फ्लोरोसिस और फ्लोराइड की मात्रा बहुत अधिक। सबसे बुरी स्थिति रायपुर संभाग की है। रायपुर संभाग के 246 गांवों का पानी पीने योग्य नहीं है। इन गांवों का पानी लोगों की हड्डियां कमजोर कर रहा है। यह खुलासा राज्य स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग ने किया है। प्रभावित गांवों में दंतरोग और हड्डियों से संबंधित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। बस्तर और बीजापुर के 9-9 गांव, बिलासपुर. 2, धमतरी. 41, जशपुर. 23, कांकेर. 54,कवर्धा. 01, कोरबा. 84, कोरिया. 4, महासमुंद. 02, रायगढ़. 4, रायपुर. 246, राजनांदगांव, 2, सरगुजा. 75, दुर्ग, 6, बालोद 28 और बेमेतरा के दो गांवों के पानी में फ्लोरोसिस और फ्लोराइड की मात्रा बहुत अधिक है। ऐसे गांवों में भी अन्य बीमारियां हो सकती है।