मध्यप्रदेश के विधान सभा अध्यक्ष गिरीश गौतम कहते हैं विंध्य प्रदेश बनाना या फिर मऊँगंज को जिला बनाना हमारा विषय नहीं है। यह सरकार का विषय है। यदि जनता चाहती है तो हम उसका विरोध भी नहीं करेंगे। मेरे डीएनए में कामरेड है। बावजूद इसके वाम से दक्षिणपंथ की ओर झुकाव से जन सेवा का धर्म नहीं बदल जाएगा। किसी के बनी रेखा को काटकर अपनी रेखा बनाने में विश्वास नहीं रखता और अपने आप को विंध्य का शेर की बजाय विंध्य का पुत्र कहलाना ज्यादा अच्छा मानता हँू। उनसे बातचीत किये है 0 रमेश कुमार ’रिपु’
ने उसके प्रमुख अंश-
0 आपका कहना था कि, वाम से दक्षिण पंथी इसलिए हुआ कि श्रीनिवास तिवारी को हराना था। बड़ा मंच चाहिए था। क्या अब वाम आपके लिए कोई मायने रखता है?
00 वो बात पुरानी हो गई। राजनीतिक व्यक्ति को मंच अपने लिए नहीं चाहिए। जन कल्याण के काम के लिए स्वाभाविक तौर पर मंच की जरूरत होती है। मैं समझता हूँ बीजेपी से बेहतर मंच और कोई नहीं है। वाम मोर्चा का जहांँ तक सवाल है,कामरेड मेरे डीएनए में है। इसलिए उसे अलग करके नहीं देखना चाहिए।
0 वाम से दक्षिण में विचलन आश्चर्यजनक नहीं है?
00 वाम से दक्षिण में विचलन जरा भी आश्चर्यजनक नहीं है। कोई भी सिद्धांत होगा अंतोगत्वा समाज के लिए ही काम करेगा। वाम पंथ हो या फिर दक्षिण पंथ,दोनों कभी नहीं कहते कि टाटा बिरला के लिए काम करो। देश बहुत बड़ा है। मैं समझता हूँ कि वामपंथी सामाजिक परिदृश्य को नहंी समझ पाए। उन्हांेने धर्म को धर्म की तरह देखा, उसके मर्म को नहंी समझा। उदाहरण बतौर,कुंभ का आयोजन धर्म है लेकिन, बगैर आमंत्रण के लोगों का वहांँ पहुंचना यह धर्म का मर्म है। वामदल मजदूर और गरीबों की बात करता है। दीनदयाल अंत्योदय की बात करते हैं। ऐसी स्थिति में फर्क कहांँ है। अंत्योदय में भी अंंितम छोर पर खड़े व्यक्ति के उत्थान और प्रगति की बात करते हैं। सबका साथ,सबका विकास की धारणा को लेकर चलना चाहिए।
0 कामरेड स्पीकर और नवाचारी स्पीकर दो नाम से आप को लोग जानने लगे हैं। दोनों में कौन सा संबोधन आपके दिल को छूता है।
00 मेरे में कामरेड है। कामरेड को कोई ब्रांड नहीं है। यह अंग्रेजी का शब्द है। जिसका मतलब साथी होता है। सबका साथ,सबका विकास की धारणा को लेकर आगे चलेंगे। सदन अच्छे से चले। मार्शल का इस्तेमाल न करना पड़े। सदन की गरिमा बनी रहे। इसलिए कुछ नये नियम बनाए हैं। प्रथम बार निर्वाचित विधायकों को सवाल करने का पहले मौका दिया जाएगा। वरीयता और प्रशिक्षण के साथ सदन की गरिमा बनी रहे इसलिए भाषा के संस्कार पर विशेष ध्यान देने को कहा है। अति उत्साह में असंसदीय भाषा का इस्तेमाल से बचें। राजनीति की गरिमा सदन में बनी रहेगी तो बाहर भी उसका मूल्य है। सदन के अंदर झूठा,फेकू,बंटाधार,मामू आदि असंसदीय भाषा सुनने को अब नहंी मिलेगी।
0 आम लोगों की धारणा है कि, अब विंध्य प्रदेश बन जाएगा। कुछ नही ंतो मऊगंज जिला बन ही जाएगा। आप किसे प्राथमिकता देंगे?
00 विंध्य प्रदेश बनाना और मऊगंज को जिला बनाना दोनों हमारा विषय नहीं है। यह सरकार का काम है। जनता चाहेगी तो विंध्य प्रदेश बन जाएगा और मऊगंज जिला भी बन जाएगा। जनता जो चाहती है, हम उसके खिलाफ नहीं जायेंगे।
0 विंध्य के लोगों की आम धारणा है कि माननीय गिरीश जी कुछ अलग हटकर हैं। तो क्या यह मान लिया जाए कि, श्रीनिवास तिवारी की रेखा को काटकर वो अपनी बड़ी रेखा बनाएंगे?
00 मैं उस सिद्धांत को मानता हूँ, किसी की रेखा को काटकर अपनी रेखा को बड़ी नहीं करना है। न ही किसी दूसरे की रेखा का फालो करूंगा। अपनी रेखा अपने कर्मों से खुद बनाऊंगा। मुझे पद मिला है, तो अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए मिला है। मैं अपने लिए अपने को चुनौती मानता हूँ। वक्त और जनता पर यह फैसला छोड़ता हूँॅॅू कि वह खुद मूल्यांकन कर, तय करे कि किसकी रेखा बड़ी है।
0 विंध्य में एक परंपरा है जो बडे पद पर पहुँच जाता है उसे विंध्य का शेर कहते हैं। विंध्य का सूरज आदि ऐसे संबोधन से लाद दिया जाता है। आप को ऐसे संबांेधन से अब तक नवाजा गया या नहीं?
00 मैं अपने आप को विंध्य की धरती का बेटा मानता हॅू। विंध्य का शेर जैसे विंध्या का सूरज आदि संबोधन मुझ पर सूट नहीं करता। मैं विंध्य का शेर होना भी नहीं चाहता।
0 श्री निवास तिवारी ने विंध्य की जनता को संजय गांधी अस्पताल दिये। आप विंध्य को क्या देना चाहंेगे?
00 विंध्य में यह देखने का मिला है कि, यहांँ कैंसर के मरीज बहुत हैं। तंबाखू के सेवन की वजह से कैंसर के मरीजों का पता तब चलता है जब,चैथे या फिर अंतिम स्टेज पर मरीज पहँुंच जाता है। हमने सभी माननीय विधायकों से आग्रह किया है कि, वे सरकार पर दबाव बनाएं और यहाँं एक रिसर्च सेंटर खोला जाए। ताकि यहां के लोगों को अपने इलाज के लिए बाहर न जाना पड़े।
0 देवतलाब विधान सभा क्षेत्र को क्या देना चाहेंगे?
00 हमारी इच्छा है कि पर्यटन के क्षेत्र में देवतलाब का नाम हो। साथ ही यह प्रयास रहेगा कि, देवतलाब नगर पंचायत के साथ तहसील बन जाए। ताकि जनता को इसका लाभ मिल सके।
0 श्रीनिवास तिवारी के समय सत्ता का एक ही केन्द्र था, जिसे अमहिया सरकार कहते थे। क्या यह मान लिया जाए कि, विंध्य के स्पीकर की परंपरा का निर्वाह होगा या फिर आप दूसरी पार्टी से हैं, तो कुछ और होगा?
00 मंै ऐसी परंपरा पर विश्वास नहीं करता। यदि सत्ता का केन्द्र एक जगह करना होता, तो सारे विधायकों को अपने पास बुलाता। किसी भी विधायक या फिर सांसद से मिलने उनके निवास नहीं जाता।
0 हर राजनीतिक व्यक्ति का एक मुकाम होता है। क्या आपको लगता है कि आप की सियासी यात्रा पूरी हो गई?
00 विधान सभा अध्यक्ष बन जाना ही मेरी राजनीति का मुकाम नहीं है। मंै इसे पड़ाव मानता हॅू। राजनीतिक व्यक्ति की यात्रा सतत चलती रहती है। तब तक, जब तक वो चल सकता है। मेरा मानना है कि हर राजनीतिक व्यक्ति को सदैव जिज्ञासु और विद्यार्थी की भूमिका में रहना चाहिए। ताकि उसे सीखने का मौका मिलता रहे। अपनी राजनीतक यात्रा में भटक न सके।