मुख्यमंत्री बतौर भूपेश बघेल ने अपने दो साल के कार्यकाल में नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने ढेर सारी योजनाओं की घोंषणा की। अपनी मर्जी की राजनीति भी खूब की ।इन दिनों टी.एस सिंह देव और और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच बढ़ती खटास की की खबर सूर्खियांें में है। अचानक भूपेश बघेल ने इस्तीफा दे दूंगा कहकर उन बातों को हवा दे दियां कि पार्टी उन्हें अर्द्धविराम करने की तैयारी में है। चर्चा है कि पश्चिम बंगाल के चुनाव के बाद प्रदेश को नया मुख्यमंत्री मिल सकता है।
0 रमेश कुमार ‘‘रिपु’’
बतौर तीसरे मुख्यमंत्री 17 दिसम्बर 2018 को भूपेश बघेल ने जब कुर्सी संभाली, तो लोगों की जुबान पर एक सवाल तब भी था और आज भी है। टी.एस सिंहदेव ने मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी या फिर दोनों के बीच कोई सियासी समझौता हुआ है? सवाल को तवज्जो नहीं मिली। समय के साथ भूपेश बघेल प्रदेश कांग्रेस में और पार्टी हाईकमान मे अपनी पकड़ बनाते चले गये। वक्त के साथ भूपेश को यह एहसास होने लगा कि उनके राजनीतिक रास्ते में आगे चलकर टी.एस सिंहदेव कंटक बन सकते हैं,तो उनके मीडिया सलाहकारों ने सत्ता के दो धु्रव बना दिये। एक टी.एस सिंह देव और दूसरा भूपेश बघेल।
बेचैन करने वाली बात
कभी भूपेश बघेल और टी.एस सिंह देव प्रदेश में जय और वीरू की जोड़ी के नाम से प्रसिद्ध थे,लेकिन उसमें गांठ पर गांठ पड़ती गई। टी.एस सिंह देव से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल धीरे धीरे दूरियांँ बनाने लगे और उनके अधिकारों में कटोती करने लगे। उन्हें सरकारी प्रवक्ता से हटा दिया। उनकी छवि धूमिल करने उनको सूचित किये बगैर स्वास्थ्य विभाग की भूपेश बघेल ने बैठक की। उनकी हर फाइलों पर नजर रखी जाने लगी। अब वे दूसरे नम्बर के मंत्री की हैसियत से बाहर हैं। उनकी जगह कृषि मंत्री रविन्द्र चैबे और वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने ले ली। कांग्रेस के सीनियर लीडर की छवि को धूमिल करने की सारी कोशिशों के बीच टी एस सिंह देव मौन की राजनीति का रास्ता चुना। अपना ध्यान अपने विभाग पर फोकस किया। प्रदेश में ही हीं देश में नम्बर एक पर पंचायत और सांख्यिकी विभाग रहा। मनरेगा,पी.एम सड़क योजना,जीएसटी वसूली में छत्तीसगढ़ सबसे आगे रहा। कोरोना काल में हर जिले में सस्ती जांच की व्यवस्था की।
शिलान्यास की राजनीति
भूपेश बघेल प्रदेश में अपनी छवि को निखारने दूसरे साल ताबड़तोड़ लाखों करोड़ों रूपये की योजनाओं का, शिलान्यास की राजनीति को अहमियत दी। वहीं आयकर विभाग का छापा उनके निज सचिव के यहाँ पड़ने पर बड़ी भद्ध भी हुई। इस बीच टी एस सिंह देव और मुख्यमंत्री बघेल के बीच बढ़ती दूरियों से कांग्रेस की प्याली में टकराहट का ज्वार भी देखा गया। किसानो के खाते में साल के अंत तक राशि नहीं आने पर एक चैनल को इस्तीफा देने की बात कहकर सीधे सीधे उन्होंने सरकार को घेरा। कांग्रेस के घोषणा पत्र को पूरा नहीं किये जाने को लेकर भी स्वास्थ्य एवं पंचायत मंत्री टीएस सिंह देव ने सरकार पर ऊगली उठाने लगे तो मुख्यमंत्री ने उनके पर कतरना शुरू किया। जाहिर सी बात है कि दो साल तक मुख्यमंत्री ने अपनी छवि राष्ट्रीय नेता बनाने में लगाई,वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को अपने हाथ में लेने के सारे जतन भी किये। प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया कहते हैं,‘‘ भूपेश सरकार का दो साल का कार्यकाल लाजवाब रहा। प्रदेश की जनता की आकांक्षाओं के अनुकूल,सरकार खरी उतरी।’’
बेचैन करने वाली बात
राजनीतिक हल्कों में यह चर्चा है कि भूपेश बघेल को प्रदेश कांग्रेस में अर्द्धविराम करने की तैयारी हाई कमान ने कर ली है। टी.एस सिंह देव और भूपेश के बीच ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री बने रहने का सियासी समझौता हुआ है। जाहिर सी बात है यदि छत्तीसगढ़ में यह फार्मूला लागू हुआ, तो राजस्थान में भी यही होगा। संसदीय सचिव विकास उपाध्याय कहते हैं,भूपेश बघेल कांग्रेस और प्रदेश में अपनी राजनीतिक बेल की जड़ें इतनी गहरी कर लिये हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए हाई कमान के पास कोई वजह नहीं है।’’वहीं स्वास्थ्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा मुख्यमंत्री का कार्यकाल आलाकमान की इच्छा पर निर्भर करता है। मुख्यमंत्री दो दिन के भी हुए हैं और 15 साल के भी। यह सब आलाकमान तय करता है। पिछले दिनों कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी के साथ भूपेश की विशेष मुलाकात,चर्चा में थी। यह कयास लगाया गया कि उन्हें केन्द्र की राजनीति के लिए राष्ट्रीय महासचिव बनाया जा रहा है। गौरतलब है कि भूपेश बघेल केन्द्र सरकार पर लगातार हमला करते आए हैं। इससे वो सुर्खियों में हैं। केन्द्र की लगभग हर योजना पर मीन मेख निकाली। कृषि नीति को भी अपने राज्य में लागू नहीं करने, अलग से कानून बनाने कैबिनेट की बैठक की।
केन्द्र कर रहा है भेदभाव
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी सरकार के दो वर्षों के कार्यकाल पर कहा कि देश का जीडीपी सिकुड़ गया है, जो कि बेहद चिंतनीय है। लेकिन छत्तीसगढ़ में मंदी का असर नहीं है। छत्तीसगढ़ एक मॉडल है। हम कोशिश कर रहे हैं कि छत्तीसगढ़ के जो उत्पाद हैं, उनके विक्रय की व्यवस्था की जा सके। बीजापुर, बिलासपुर, सूरजपुर जैसे तमाम क्षेत्रों में विकास कार्य हुए हैं। केंद्र सरकार हमें पैसे नहीं दे रही है। जीएसटी का 4000 करोड़ से अधिक की राशि हमें मिलनी थी। केंद्र सरकार भेदभाव कर रही है। सभी के हाथ में रोजगार हो यह कोशिश राज्य सरकार की है। मनरेगा में बेहतर कार्य हुआ है। वाटर रिचार्जिंग जैसे क्षेत्र में बेहतर कार्य किए जा रहे हैं। इस बार 2305 खरीदी केन्द्र बनाए गए हैं। इस बार सरकार ने 90 लाख मीट्रिक टन खरीदी का लक्ष्य रखा है। किसानों को पांच बार टोकन दिए जाएंगे। प्रदेश में 2017-18 में 56.85 लाख टन धान की खरीदी हुई थी। अब यह आंकड़ा 83.94 लाख टन तक पहुंच गया है। इस बार धान का रकबा 27 लाख 59 हजार 385 हेक्टेयर से अधिक है। किसानों की संख्या 12 लाख 6 हजार से बढ़कर 18 लाख 38 हजार हो गई है।
मोहन मरकाम हुए खफा
प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में भले भूपेश बघेल अपनी पकड़ा बनाए हुए हैं लेकिन, मुख्यमंत्री बदले जाने की चर्चा के चलते प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम भी अपने सुर बदल दिये हैं। निगम मंडल की नियुक्ति में उनके अपने समर्थकों का नाम नही होने से मरकाम बैठक से नाराज होकर चले गए। यह माना जा रहा था कि मोहन मरकाम भूपेश के रबड़ स्टाम्प हैं। कांग्रेस में 30 आदिवासी विधायक हैं,जो कि मरकाम के साथ हैं। भूपेश बघेल ने परिस्थिति को देखकर कहा कि संगठन और पार्टी की रायशुमारी के बाद निगम मंडल में नियुक्ति की जाएगी।
सत्ता विभाजन फार्मूला साफ करें
चर्चा है कि हाईकमान के सामने हुए मौखिक समझौते के तहत पहले ढाई साल भूपेश बघेल मुख्यमंत्री रहेंगे,इसके बाद के ढाई साल टी.एस सिंहदेव। इन चर्चाओं पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, ‘‘कांग्रेस हाईकमान सत्ता विभाजन के इस फार्मूले को स्पष्ट करे। और बताए प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन रहेगा।’’
किसान अन्याय योजना
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना को अन्याय योजना बताते हुए कहा, किसानों को आधे अधूरे भुगतान पर चिंता जताते हुए प्रेदश के वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंह देव को उनकी चुनौती याद दिलायी है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा था किसानों को अंतर की राशि नहीं मिलेगी तो वे इस्तीफा दे देंगे। एक माह विलंब से धान खरीदी हो रही है। किसानों को गत वर्ष का बकाया अब तक नहीं मिला। मुख्यमंत्री बताएं क्या नयी खरीदी से पूर्व किसानों का पुराना भुगतान हो जाएगा। केंद्र सरकार ने नए कृषि कानूनों में किसानों को 72 घंटों के भीतर उनकी खरीदी गई उपज के एकमुश्त भुगतान का प्रावधान कर दिया है और ऐसा न होने पर यह आपराधिक कृत्य माना जाएगा।
सफल रहे
भूपेश बघेल तेदूपत्ता का बोनस ढाई हजार से बढ़ाकर चार हजार रूपये किये।
धान के समर्थन मूल्य की राशि ढाई हजार रूपये की। गोधन न्याय योजना के तहत दो रूपये किलो गोबर खरीद रही है सरकार।
नरूवा,गरूवा, घुरूवा और बाड़ी योजना से ग्राम सुराज का अलख जगाया। बिजली बिल में आधी छूट। मोर जमीन,मोर मकान, मुख्यमंत्री मितान योजना,पौनी पसारी योजना,हमर गांव,हमर योजना के तहत ग्राम पंचायत,जनपद पंचायत,जिला पंचायत को अच्छा काम करने पर पुरस्कृत करना।
धरसा विकास योजना,पढ़ाई तंहर दुआर,पढ़ाई तुहर मोहल्ला,पचास रूपये में कोविड की जांच की सुविधा मुहैया की।
भूपेश चूके
किसानों को गत वर्ष का बकाया अब तक नहीं मिला।
सरकार बनते ही पूर्ण शराबबंदी का वायदा।
बेरोजगारों को चार हजार रूपये मासिक बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया। अपराध पर नियंत्रण नहीं।
नक्सलवाद के खात्मे के लिए अब तक नीति नहीं बनी। कांग्रेस के घोषणा पत्र के वायदे अधूरे हैं।
धान कीएमएसपी ढाई हजार रूपये चार किश्तों में देकर सरकार बिचैलियों को लाभ पहुंचाना चाहती है। प्रदेश को कर्जदार बना दिया।