Thursday, October 15, 2020

लाल आतंक का झूठा दावा

  










बस्तर आई जी ने दावा किया कि नक्सलियों में गैगवार के चलते छह माओवादियों की हत्या हो गई। लाल गलियारे में दरार पड़ने का यह संकेत है। इसके बाद नक्सलियों ने 25 हत्या का जिम्मा लेकर पुलिस को खुली चुनौती दे दी है। राज्य में बढ़ती नक्सली हिंसा पर राज्यपाल को आपात बैठक बुलानी पड़ी। नक्सलियों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि खैर चाहते हैं,तो अपनी पुलिस से कहो, भ्रामक प्रचार करना बंद करें। 


0 रमेश कुमार ‘‘रिपु’’
                मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्य में नक्सल उन्मूलन के लिए केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिख कर सीआरपीएफ की सात बटालियन देने और बस्तरिया बटालियन के गठन की मांग की। लेकिन गृह मंत्री ने उनकी माँग को खारिज कर दिए। इस पर मुख्यमंत्री ने यह दावा किया कि, पैतालीस फीसदी नक्सली वारदातों में कमी आई है।’’ उनके कहने का राजनीतिक आशय यह था कि केन्द्र सरकार नक्सलवाद खात्मे में कोई मदद नहीं की फिर भी हमने अपनी सूझ बूझ से नक्सली घटनाओं में कमी लाए। बस्तर आई जी सुन्दरराज पी. एक कदम आगे बढ़कर कहा, निर्दोष ग्रामीण आदिवासियों की हत्या के विवाद में माओवादी संगठन दो फाड़ हो गया है। एक गुट निर्दोष ग्रामीणों की हत्या के खिलाफ है। दूसरा गुट हत्या जरूरी मानता है। इसी बात को लेकर कुछ दिन पहले बीजापुर जिले के ग्राम ईतावर के जंगल में गंगालूर एरिया कमेटी का कमांडर दिनेश मोड़ियम निवासी पेद्दाकोरमा और गंगालूर एरिया कमेटी का सदस्य मोड़ियम विज्जा निवासी मनकेली के बीच विवाद होने पर, दोनों एक दूसर के ऊपर बंदूकें तान दी। दोनो तरफ से चली गोली में, मोड़ियम पिज्जा की मौत हो गई।
सरकार के दावे को नकारा
भूपेश सरकार और बस्तर आई जी सुन्दर राज पी. के दावे को खारिज करते हुए नक्सल संगठन की एक यूनिट डीकेएसजेडसी के प्रवक्ता विकल्प ने जारी प्रेस नोट में कहा,‘‘ 12 गोपनीय सैनिक 5 भितरघाती और 8 पुलिस मुखबिरों की जन अदालत में हत्या की गई है। ताकि नक्सलियों का डर लोगों में बना रहे। गंगालूर एरिया कमेटी इंचार्ज डीवीसी मोड़ियम विज्जा की जनअदालत में हत्या इसलिए की गई कि वह पुलिस का मुखबिर था। नक्सलियों के बीच गैंगवार की बात, पुलिस की मनगढंत कहानी है। भ्रामक प्रचार है। बस्तर के आई.जी. पी सुंदरराज समेत बीजापुर और दंतेवाड़ा के एस.पी. पर विकल्प ने मुखबिरों का जाल फैलाने का आरोप लगाया है। कोरोना संक्रमण के कारण नक्सलियों की सप्लाई चैन ध्वस्त नहीं हुई है।’’
सीआरपीएफ का दावा
सीआरपीएफ का कहना है वामपंथी उग्रवाद का दायरा सिमटने लगा है। गुरिल्ला लड़ाई में परांगत नक्सलियों की संख्या घटने की वजह से अब हथियार डालने को विवश हैं। झारखंड के कोडरमा, लोहरडगा, पलामू, सिमडेगा, चतरा, गिरिडीह, गुमला और खूंटी में भी यही स्थिति है। यहाँं के गांँव में नक्सलियों का बराबर संपर्क रहता है। वे अपनी कथित विचारधारा की किताबों के जरिए युवाओं को समूह में शामिल करना चाहते हैं। पर इसमें खास सफलता नहीं मिल रही है। तेलंगाना का आदिलाबाद, जयशंकर, भूपालपल्ली, खम्मम, कोमारम, भीम ओडिशा के बोलनगीर, बौध, देवगढ़, कंधमाल, कोरापुट मलकानगिरी, नुआपाड़ा और रायगढ़ आदि में भी नई भर्ती का संकट चल रहा है। वहीं लगतार सर्चिंग और दबाव से नक्सली पहले की तरह वारदात करने से बच रहे हैं। नक्सलियों के प्रति सहानुभूति रखने वाले, उनसे दूरियांँ बनाने लगे हैं।
नक्सलियों का जनाधार कम हुआ
जगदलपुर के पत्रकार रानू तिवारी कहते हंै,‘‘बस्तर के अंदरूनी इलाकों में लगातार नक्सलियों का जनाधार कम होता जा रहा है और नक्सल संगठन से जुड़े स्थानीय कैडर आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। छत्तीसगढ़ को नक्सलियों का गढ़ कहा जाता है। यहांँं भी आत्म समर्पण के मामले बढ़ रहे हैं। कांकेर, कोंडागांव,महासमु्ंद, नारायणपुर, राजनंदगांव, सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा आदि जिले में नक्सलियों को नए लड़के नहीं मिल पा रहे हैं। नए लड़के ही नक्सलियों की ताकत हुआ करते हैं।’’  
इनामी नक्सली बना दिया
जब भी कोई नक्सली सरेंडर करता है या मारा जाता है, पुलिस उसे इनामी बना देती है। बीजापुर जिले के पश्चिम बस्तर डिविजन कमेटी कमांडर मोड़ियम विज्जा पर दस लाख का इनाम था। लखु हेमला माओवादी जनताना प्रभारी पर तीन लाख रूपये का इनाम था। संतोष डीएकएमएस रेंज कमेटी अध्यक्ष पर तीन लाख रूपये, कमलू पुनेम जनमिलिशिया कमाण्डर एक लाख रुपए, संदीप उर्फ बुधराम कुरसम. जनमिलिशिया प्लाटून और सेक्शन कमाण्डर दसरू मण्डावी जनताना सरकार अध्यक्ष पर भी एक लाख रूपये का इनाम था। जबकि इन सब को नक्सली पुलिस का मुखबिर बता रहे हैं।   
मोस्ट वांटेड नक्सली
बस्तर पुलिस की सूची में कुल 34 नक्सलियों के नाम और तस्वीरें हैं। इनमें नम्वाला केशव राव उर्फ गगन्ना, कट्टम सुदर्शन उर्फ आनंद,मल्लोजुला वेणुगोपाल उर्फ भूपति, अक्कीराजू, हरगोपाल उर्फ साकेत और गणेश उईके जैसे बड़े माओवादी नेताओं के नाम शामिल हैं। ये सभी नक्सली छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र व ओड़िशा में हुई कई बड़ी वारदातों में शामिल रहे हैं। पुलिस ने सक्रिय  मोस्ट वांटेड इनामी नक्सलियों के लीडरों की सूची जारी करते हुए इन हार्डकोर नक्सलियों की सूचना देने की अपील की है। पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि इनामी नक्सलियों की सूचना देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा। पोस्टर में पोलित ब्यूरो सदस्य से लेकर सेंट्रल कमेटी मेंबर, सेंट्रल रीजनल ब्यूरो सदस्य, सेंट्रल मिलिट्री कमीशन सदस्य के नाम शामिल हैं। इन कुख्यात नक्सलियों पर 8 लाख रूपए से लेकर 1 करोड़ तक का इनाम घोषित है।  
नक्सली हिंसा 29 जिलों में नहीं हुई
सीआरपीएफ के आंकड़ों के मुताबिक साल 2015 में 570 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था। 2016 में 1442, 2017 में 685 2018 में 644 2019 में 440 और इस साल 15 अगस्त तक 241 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। 2015 में 89, 2016 में 222, 2017 में 136 2018 में 225, 2019 में 145 और मौजूदा वर्ष में 54 वामपंथी उग्रवादी मारे गए हैं। देश के नब्बे जिलों को नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता रहा है। हालाँकि गत वर्ष 61 जिलों में ही वामपंथी उग्रवाद से सम्बंधित हिंसा की घटनाएं सामने आई थीं। इस साल की बात करें तो पहले छह माह में केवल 46 जिलों में ऐसी घटनाएं देखने को मिली हैं। पिछले दो दशकों में बस्तर में नक्सलियों ने 1700 से अधिक निर्दोष ग्रामीणों पर मुखबिर का आरोप लगाते हुए उनकी हत्या कर दी है।
नक्सली मोर्चे पर सरकार विफल
भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, प्रदेश सरकार केवल नक्सली मोर्चे पर ही नहीं,बल्कि आदिवासी जनता की रक्षा करने में पूरी तरह असफल है। प्रदेश में जब नक्सलवाद चरम पर था, तब भी बस्तर की आदिवासी जनता की इतनी बड़ी संख्या में हत्या नहीं हुई। पिछले 6 माह में 75 से अधिक ग्रामीणों की हत्या नक्सलियों ने की।’’ बीजापुर में ही नक्सलियों ने 30 अगस्त को कुटरु थाना में पदस्थ एएसआई सहायक सब इंस्पेक्टर नागैय्या कोरसा को अगवा करने के बाद अगले दिन उनका  शव कुटरू.बीजापुर मार्ग पर केतुलनार के पास सड़क किनारे पड़ा मिला था। जगदलपुर से 40 किलोमीटर दूर गुमलवड़ा में भी मुखबिरी के शक में 12 से 15 हथियारबंद नक्सली ग्रामीण को घर से बाहर निकालकर गला रेतकर उनकी हत्या कर दी। कुछ दिन पहले नक्सलियों ने जनअदालत लगाकर 4 ग्रामीणों की हत्या कर दी थी। बीजापुर के पुसनार और मेटापाल से 25 ग्रामीणों का नक्सलियों ने अपहरण कर लिया था। गंगालूर थाना क्षेत्र के हिरोली गांव में नक्सलियों ने जनअदालत लगातार 4 ग्रामीणों की गला रेतकर हत्या कर दी थी।  
एक सच पुलिस का
बस्तर पुलिस के मुताबिक 1 जनवरी 2020 से 30 सितंबर तक नक्सलियों ने 38 निर्दोष ग्रामीणों की हत्या की। मुठभेड़ में बस्तर पुलिस ने 21 नक्सलियों को मार गिराया है। इसके अलावा 32 जवानों की शहादत हुई है। 40 से अधिक नक्सलियों ने हथियार डाले। इसके अलावा 100 से अधिक नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है। जवानों ने 30 आईडी बम बरामद किए। वहीं नक्सलियों से 25 हथियार भी पुलिस ने बरामद किए गए हैं। इस सूची में 25 उन निर्दोष ग्रामीणों का नाम नहीं,जिन्हें जन अदालत मे ंनक्सलियों ने मार दिया।
बहरहाल बस्तर में नक्सली राज्य सरकार की बोली का जवाब गोली से दे रहे हैं। कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद प्रदेश में नक्सली घटनाओं में इजाफा हुआ है। माओवादियों के खिलाफ सरकार को आक्रमक रणनीति को अंजाम देना जरूरी है।    
 
 

सुरूर में रहने का फैशन

 

 












साधन संपन्न युवा तबका मौज मस्ती वाली पार्टियों में कोकीन,हेरोइन,ब्राउन शुगर जैसे मादक पदार्थ लेने लगा है। जवां मन की रईस दुनिया में नशे का स्तर बदल गया है। राजधानी रायपुर ही नहीं, प्रदेश के कई जिलों में महंगे नशे का कारोबार तेजी से बढ़ा है। सुरूर में आने का सामान खरीदना रईस तबके के फैशन मंे शुमार हो गया है। 


0 रमेश कुमार ‘‘रिपु’’
                    शराब के नशे से दस गुना ज्यादा कोकीन असरकारक होता है। इसलिए युवाओं में इसकी माँंग ज्यादा है। हर किसी युवा को लगता है कि इसे लेने के बाद वह पूरी रात पार्टी में मस्ती कर सकता है। ब्राउन शुगर, हेरोइन और कोकीन जैसे मादक पदार्थ आंतरिक आनंद से भर देते हैं। उत्तेजना बनाए रखनें में यह अधिक असरकारक है।’’यह कहना है पंचशील नगर रायपुर का निवासी श्रेयाश झाबक का। कोतवाली पुलिस ने इसे और इसके साथी विकास छोर को 17 ग्राम कोकीन के साथ गिरफ्तार किया। बरामद कोकीन की कीमत एक लाख 70 हजार रूपए है। नगर पुलिस अधीक्षक डी.सी. पटेल कहते हैं,‘‘राजधानी रायपुर ड्रग सेंटर बन गया है। यहांँ कई स्थानों में कोकीन, ब्राउन शुगर और हेरोइन के ग्राहक हैं। सभी ग्राहक रईस हैं। बैरन बाजार स्थित पालीटेकनिक काॅलेज के सामने दोनों आरोपी कोकीन के ग्राहक का इंतजार कर रहे थे। अब रईस लोगों की जिन्दगी का हिस्सा बन गया है ड्रग्स है।’’
राजधानी रायपुर में ड्रग्स के शौकीनों की सूची बेहद लंबी है। दो दर्जन से अधिक लोगों के नाम सामने आने के बाद से खलबली मच गई है। पुलिस अब पता करेगी कि मंुबई मैं ड्रग्स बेचता कौन है, और कहाँं से लाता है। राजधानी रायपुर में बड़ी बड़ी पार्टियों में ड्रग्स की सप्लाई करने वाले और भी लोग हैं। वैसे प्रदेश में गांजा भारी मात्रा में पुलिस पकड़ती आई है। गांजा की तस्करी पूरे प्रदेश में होती है।
कभी एक्स्टेसी का चलन अधिक था। अब कोकीन,ब्राउन शुगर और हीरोइन बड़ी असानी से उपलब्ध हो जाने की वजह से व्यापारिक घरानों की संताने साथ ही कंपनियों के अधिकारी, जिन्हें भारी वेतन मिलता है। लुत्फ उठाने की चाह रखते हैं। वे ड्रग्स बेचने वालो ंकी तलाश में रहते हैं। अजय कुमार (बदला नाम) ने बताया कि अब ड्रग्स की शर्मिंदगी जैसी बात नहीं रही। पिछले साल मेरे एक मित्र के जन्म दिन मे केक की जगह 20 ग्राम कोकीन का ढेर था। और जब लोगों ने सुना कि इतना सा पावडर दो लाख का है, तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ।’’जाहिर सी बात है कि ड्रग्स का चलन अब बड़े शहरो में आम बात है। सातवे दशक में हरे रामा, हरे कृष्णा फिल्म में जीनत अमान गांजा पीते हुए दम मारो दम,मिट जाएं गम पर थिरकी थीं। तब सारे युवा उनके दीवाने हो गए थे।  
और ड्रग्स संस्कृति आ गई
नशा मुक्ति संस्था के अध्यक्ष राम निवास तिवारी कहते हैं,‘‘आज ड्रग्स लेागों की कामयाबी और प्रदर्शन का साधन बन गया है। पहले बड़ी पार्टी मे महंगी शराबें परोसी जाती थी, अब कोकीन और ब्राउन शुगर चलता है। भांग का चलन ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ा है। भांग को अध्यात्मिक प्रसाद कहा जाता है। पहले दिन भर का थका हारा मजदूर, शाम को गांँजा पी लेता था। अब इसका चलन कम उम्र के बच्चों में बढ़ गया है। कह सकते हैं कि 17 वर्ष की उम्र के बच्चे भी गांँजा पीते हैं।’’हाॅस्टल मे ंरहने वाले छात्र और छात्राओ में मौज मस्ती की चाहत सबसे पुरानी मानवीय चाहत है। जाम छलकाना और केरल की मारिजुआना सिगरेट फूकने के लिए किसी पार्टी या क्लब जाने की जरूरत नहीं समझते। नारर्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के अधिकारी कहते हैं,‘‘ करीब दशक भर पहले तक छत्तीसगढ़ में भांग,गांजा,शराब का नशा करने वाले ही मिलते थे। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद उद्योग धंधे की संख्या बढ़ने के साथ, लोगों के पास जरूरत से ज्यादा पैसा आने से ड्रग्स की संस्कृति यहाँं भी दिखने लगी है। नतीजा, हर जिले में कोकीन,चरस,हीरोइन और ब्राउन शुगर के केस सामने आने लगे हंै।’’
डेढ़ करोड़ की ब्राउन शुगर मिली
महासमुद जिले की पुलिस को राजस्थान निवासी शंकर के पास से 730 ग्राम ब्राउन शुगर मिला। आरोपी रायपुर में कांशीराम नगर में रहता है। उसके पास से ऑटोमेटिक पिस्टल 7.6 एम. एम. और दो जिंदा कारतूस भी मिला। महासमुद एस.पी प्रफुल्ल ठाकुर ने बताया कि 12 अगस्त को दुपहिया वाहन से आरोपी शंकर रायपुर से अपनी मैस्ट्रो मैजिक वाहन में ब्राउन शुगर लेकर ओडिशा खरियार रोड जा रहा था। घोड़ारी नदी मोड़ के पास जांच के दौरान पकड़ा गया। प्रारंभिक पूछताछ में पहले अपने आप को क्राइम ब्रांच रायपुर में पदस्थ होना है। एएसपी मेघा टेम्भुरकर ने कहा, जैसलमेर के रास्ते पाकिस्तान के किसी गिरोह का सदस्य हो सकता है।  
पत्रकार से ब्राउन शुगर मिला
ड्रग्स के कारोबारी युवा हैं और इनके ग्राहक भी युवा ही हैं। पहले कहा जाता था कि तलाक होने, मुहब्बत में नाकाम अथवा गलत सोहबत की वजह से नशीले पदार्थो का इस्तेमाल करने लगा है। लेकिन आज संपन्न और सफल व्यक्ति ही नशीले पदार्थो का सेवन करता है। इसकी फिक्र नहीं करते कि इससे उनके शरीर को कितना नुकसान होगा। जल्द से जल्द रईस बनने की चाहत में युवा वर्ग ड्रग्स के धंघे में आ गए हैं। राजधानी रायपुर के एक प्रतिष्ठित अखबार का 36 वर्षीय संवाददाता प्रकाश गुप्ता पत्रकारिता की आड़ में ब्राउन शुगर के कारोबार में लिप्त पाया गया। अंबिकापुर पुलिस ने 22 सिंतबर को उसके पास से दस ग्राम ब्राउन शुगर बरामद किया। जिसकी कीमत दो लाख रूपये है। आरोपी कुछ दिनों पूर्व ब्राउन शुगर के मामले में जेल से 6 वर्ष की सजा काट कर बाहर आया है। आरोपी को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है। गौरतलब है कि 8 दिसंबर 2018 में शंकर घाट में पुलिस ने ब्राउन शुगर तस्करी कर रहे दो युवकों को पकड़ा था। इनके पास से तीन लाख रुपए कीमत की ब्राउन शुगर जब्त किया था। इसमें से एक आरोपी बर्खास्त पुलिस आरक्षक है।  
 कुरियर से आते हैं ड्रग्स
ड्रग्स सप्लायर विकास बंछोर के अनुसार रायपुर में होने वाली बड़ी पार्टियों में ड्रग्स खपाया करता था। आरोपी इन पार्टियों में ड्रग्स को खपाने के लिये कोरियर और ट्रेनों में पार्सल से ड्रग्स मंगवाया करता था। ड्रग्स सप्लायर विकास कई बड़ी युथ पार्टियों को मैनेज करने का काम करता था। इन पार्टियों के जरिए वो बड़े घरों के युवक युवतियों से संपर्क कर उन्हें कोड मुहैया करवाता था। आरोपी ड्रग्स के बदले में इन युवओं से काफी मोटी रकम चार्ज करता था। बता दें कोकीन यानी कोक बॉलीवुड का ये सबसे फेवरेट ड्रग्स है। इसे कोक के नाम से जाना जाता है। एक ग्राम कोक की कीमत 6 से 7 हजार रुपए होती है। इसे युवा नाक के जरिए लेते और खाते भी हैं। एक बार जिसे कोक की लत लग गई, इसे छोड़ना मुश्किल होता है। इसे बड़े शहरों का चहेता नशा कहते है। क्योंकि ये वजन कम करता है और नींद उड़ाता है। मुंबई के बाद अब रायपुर में मिले कोकिन ड्रग्स मामले में नया खुलासा सामने आया है।  
अंतर्राज्जीय गांजा तस्कर
महासमुंद जिलां मादक पदार्थों की तस्करी का बड़ा जिला बन गया है। पड़ोसी राज्य उड़ीसा से अवैध मादक पदार्थ गांजा की तस्करी जारी है। थाना कोमाखान की पुलिस नाकाबंदी कर संदिग्ध वाहन की तलाश कर रही थी। इस दरमियान उड़ीसा की ओर से आ रहे एक ट्रक का नंबर राजस्थान पासिंग बताया गया था, को फारेस्ट नाका टेमरी के पास रोका गया। वाहन में सवार दो व्यक्त्यिों से पूछताछ की गई। खाली कैरेट के बीच 26 बोरियों में 165 पैकेट खाकी रंग की झिल्ली में अवैध मादक पदार्थ गांजा लिपटा मिला। खालीद और जाकिर हुसैन ने पुलिस को बताया  िकवे दोनों अलवर राजस्थान के हैं। आरोपियों ने बताया कि उड़ीसा के भवानीपटना से दिल्ली तक गांजा की आपूर्ति उनके द्वारा की जा रही थी। आरोपियों के कब्जे से 8 कुंटल 10 किलो गांजा जप्त किया गया है। जिसकी बाजार मूल्य एक करोड़ बासठ लाख रूपये है।  
बहरहाल नशे में उढ़ते छत्तीसगढ़ की चिंता करते हुए युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध हरितवाल ने एसएसपी अजय यादव से मिलकर युवाओं के बीच ड्रग्स की चर्चा कर दस हजार रूपये प्रति ग्राम खरीदने वाले ग्राहकों तक पुलिस पहुंच कर सुरूर के समान पर रोक लगाएं। ताकि राजधानी रायपुर नशे की गिरफ्त से बच सके।
 

 

 

सियासत के शिकार संविदाकर्मी

  










कांग्रेस के घोषणा पत्र में था कि सरकार बनने के दस दिनों के बाद संविदा स्वास्थ्य कर्मियों को नियमित कर दिया जाएगा। 13 हजार एनएचएम कर्मी हड़ताल पर हैं। पांँच हजार कर्मचारी इस्तीफा दे चुके हैं। कांग्रेसी विधायक इनकी हड़ताल को जायज ठहरा रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री में तनतनी की सियासत का शिकार हड़ताली कर्मी हो रहे हैं।


0 रमेश कुमार ‘‘रिपु’’
                         छत्तीसगढ़ कांग्रेस में सियासत की नई भंगिमा देखी जा रही है। यहांँ मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के बीच 63 की बजाए 36 का सियासी रिश्ता है। कभी स्वास्थ्य मंत्री टी.एस सिंह देव कांग्रेस सरकार में दूसरे नंबर के मंत्री माने जाते थे,लेकिन अब उनकी गिनती किस नंबर में होती है,कांग्रेसी भी नहीं जानते। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उन्हें बायें कर दिए हैं। उनका नाम सरकार की प्रवक्ता सूची से हटा दिया गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी.एस सिंह देव में सत्ताई टकराहट का शिकार राज्य के 13 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मी हो रहेे हैं। उन्नीस सितंबर से हड़ताल पर हैं संविदा स्वास्थ्य कर्मी। लेकिन स्वास्थ्य मंत्री टी.एस सिंह देव बात करने की बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। पाँच हजार एनएचएम कर्मी इस्तीफा दे चुके हैं। आने वाले समय में प्रदेश के सभी संविदा स्वास्थ्य कर्मी इस्तीफा दे देंगे। अन्य कर्मचारी संगठन ने सरकार को धमकी में कहा है कि यदि सख्त  कार्रवाई किए तो उनके समर्थन में हम भी हड़ताल पर चले जाएंगे।  
पूर्व मंत्री एवं बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि राज्य में बीस हजार कोराना टेस्ट हर दिन हुआ करते थे। संविदा कर्मियों की हड़ताल से अब टेस्ट की संख्या दस हजार के करीब पहुंँच गई है। सरकार को इनसे बातें करके समस्या का हल निकाला जाना चाहिए। इसलिए भी कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में है कि सरकार बनने पर दस दिनों के अंदर इन्हें नियमित किया जाएगा। सरकार की हटधर्मिता जनहित में नहीं है।’’
छवि खराब करने की साजिश
कांग्रेस के एक नेता ने कहा,सरकार मतलब मुख्यमंत्री होता है। चूंकि टी.एस सिंह देव की सत्ता में जो स्थिति थी, अब वो नहीं रही। इसलिए वे मुख्यमंत्री से वे नाराज चल रहे हैं। उनकी छवि खराब करने के मकसद से वे चाहते हैं कि संविदा कर्मी हड़ताल पर रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गोधन न्याय योजना और राजीव गांधी न्याय योजना के जरिए अपनी छवि आम आदमियों के बीच चाऊर वाले बाबा से बेहतर बनाने की रणनीति बनाई। ताकि वे अगली बार भी मुख्यमंत्री बन सकें। लेकिन हैरानी वाली बात है कि   उनकी छवि जैसी बननी चाहिए, वैसी नहीं बन पाई। जो छवि बनी भी, उसे खराब करने एक खेमा पूरे जी जान से लगा हुआ है। कायदे से मुख्यमंत्री को स्वास्थ्य विभाग किसी युवा विधायक को देना चाहिए।’’
अन्य संगठनों का समर्थन
इस समय राज्य में एक लाख से अधिक कोराना मरीज हैं। सात सौ की जानें जा चुकी हैं। सरकारी अस्पताल में बेड खाली नहीं है। संविदा कर्मियों के हड़ताल से न केवल स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं बल्कि, कोरोना के चलते आम आदमी की जान संशय में है। स्वास्थ्य मंत्री की चुप्पी हैरानी वाली है ही ऊपर से उनका यह कहना की हड़ताल खत्म नहीं किए तो सभी को बर्खास्त कर दिया जाएगा।’’ उनके इस बयान पर अब हर जिले से इस्तीफा का सिलसिला शुरू हो गया है। वहीं छत्तीसगढ़ संयुक्त अनियमित कर्मचारी महासंघ, सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ, मनरेगा कर्मचारी संघ एवं विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने हड़ताल का समर्थन कर सरकार की परेशानी बढ़ा दिये हैं। महासंघ के सचिव श्रीकांत लास्कर ने कहा, यदि हड़ताली कर्मचारियों पर किसी प्रकार की कार्रवाई की गई तो राज्य के समस्त संविदा कर्मचारी भी अनिश्चित कालीन हड़ताल करने बाध्य होंगे। समस्त विभागों में कार्यरत अनियमित संविदा दैनिक वेतन भोगी अधिकारी कर्मचारियों द्वारा 25 सितंबर से नियमितिकरण के समर्थन में काली पट्टी लगाकर काम कर रहे हैं।
विधायकों ने सीएम को लिखा पत्र    
कांगे्रस के विधायकों ने संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल का समर्थन कर सरकार को संशय में डाल दिया है। विधायक अरुण वोरा ने मुख्यमंत्री को पत्र में लिख कर कहा, पिछले 7 माह से कोरोना काल में संविदा स्वास्थ्य कर्मी लगातार सेवाएं देते आए हैं। कांग्रेस अपने जन.घोषणा पत्र में किए वायदे को न भूले।‘‘ इससे पहले बसपा विधायक इंदू बंजारे, सौरभ सिंह, विनय भगत भी सी.एम को पत्र लिख चुके हैं। जबकि राजनांदगांव विधायक दलेश्वर साहू और महापौर हड़ताल मंच पर पहुंँच कर समर्थन किया। वहीं भिलाई विधायक और मेयर देवेंद्र यादव ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा, 16 साल से 13000 संविदा कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कोरोना में भी उन्होंने 7 माह से निष्ठा पूर्वक सेवा दी है। इसके चलते कई कर्मचारी संक्रमित भी हुए हैं। इनको स्वास्थ्य और अन्य सुविधाएं भी नहीं मिली। ऐसे में इनकी मांगों पर विचार किया जाना चाहिए।’’
एफआईआर के आदेश
जांजगीर में एनएचएम के 300 कर्मचारियों ने इस्तीफा दिया। इसमें डॉक्टर भी शामिल हैं। फावड़ा लेकर  बारिश में भीगते हुए सभी ने गोठान में गोबर उठाया। कर्मचारी बोले,गोबर बेचकर पैसा मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करेंगे। वहीं दूसरी ओर एनएचएम संचालक ने कर्मचारियों को 24 घंटे के भीतर ड्यूटी   ज्वॉइन नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी। बावजूद इसके बिलासपुर में 350, कोरिया में 300, अंबिकापुर में 250 और सुकमा में 136 से ज्यादा कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया।ं सरकार ने  संघ के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत कुमार सिन्हा समेत 50 से ज्यादा कर्मचारियों को बर्खास्त कर,  एफआईआर दर्ज करने के आदेश देकर चैका दिया है। बस्तर में चार कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश वहां के सीएमएचओ ने दिए। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा, आंदोलनरत स्वास्थ्य कर्मचारियों को वेतन देने की बजाए सरकार कोरोना काल मेें बर्खास्तगी का फरमान दे रही है। बिना पीपी किट,दास्ताना दिए कोरोना का इलाज करने, डाॅक्टरों का कह रही है। सरकार लोगों की जिन्दगी से खेल रही है।’’
निकाली गई भर्ती, मांगे आवेदन
हड़तालियों की कमर तोड़ने बलौदाबाजार में जिला चिकित्सा अधिकारी ने संविदा के 18 पदों पर भर्तियां निकाली। इनमें 6 ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर 6 ब्लॉक अकाउंट मैनेजर 6 ब्लॉक डाटा मैनेजर का पद शामिल है। वॉट्सऐप वीडियो कॉल के जरिए इंटरव्यू लिया जाएगा। सीएमएचओ मीरा बघेल ने कहा, रायपुर जिले में 700 संविदा स्वास्थ्यकर्मी हैं। इसमें से 150 हड़ताली कर्मचारियों की लिस्ट अभी उनके पास आई है। इसमें उन्होंने काम बंद करने की बात कही है। वैकल्पिक व्यवस्था कर काम किया जाएगा। कोई काम नहीं रुकेगा। थोड़ा प्रभावित जरूर होगा।’’
जनता की जान जोखिम मेंः जोगी
संविदा कर्मचारियों के समर्थन में जोगी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने कहा,कोरोनाकाल में काम के कर्मचारियों को निकालने का मतलब जनता की जान जोखिम में डालना और अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना है। सरकार में यदि थोड़ी सी भी नैतिकता है, तो बीते 6 माह से कोरोना से लड़ने वाले इन कोरोना योद्धाओं को नोटिस के बजाय नियमितीकरण का आदेश जारी कर इनका सम्मान करें। आम आदमी पार्टी के बस्तर जिला अध्यक्ष तरुणा बेदरकर ने स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव की मार्मिक अपील को भावुक अत्याचार कहा है। इसी महामारी काल में छत्तीसगढ़ सरकार संसदीय सचिवों की नियुक्ति की, विधायकों का पेंशन बढ़ाया तो इस महामारी काल मे 24 घण्टे डयूटी देने वाले इन कर्मियों को नियमित करने में क्या परेशानी है? कायदे से दिल्ली की तर्ज पर कोरोना वारियर्स की मौत हो जाती है तो उनके परिवार को 1 करोड़ रूपये मुआवजा देना चाहिए।‘‘  
अपना वायदा छोड़ा नहींः सिंहदेव
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने वीडियो जारी कर कहा है कि घोषणा पत्र के अपने वादों को हमने छोड़ा नहीं है। मुझे लगता है कि यह समय हड़ताल में जाने का नहीं है। नियम कानून अपनी जगह होते हैं। प्रश्न कार्रवाई का नहीं है, प्रश्न आपके विवेक का,आपकी समझदारी का है।’’
बहरहाल संविदा कर्मी अपनी हड़ताल को ताकत बना लिए हैं,वहीं सरकार में बैठे लोग अपने वायदे को अमल में लाने की बजाए एक दूसरे की आस्तीन खींचने की सियासत में लीन है। सवाल यह है कि प्रदेश कोरोना काल में विषम स्थिति के दौर से गुजर रहा है। यदि प्रदेश के सभी संगठन हड़ताल पर चले गए तो क्या होगा,इस को ध्यान में रखकर सरकार को जल्द फैसला करना चाहिए।