Sunday, November 10, 2019

मुहब्बत का सावन

                         मुहब्बत का सावन        
’’तन्हाइयों की बारिश में भीगते भीगते आषाढ़ बीत गया। अब तो सावन भी लग गया। सावन की झड़ी में क्या, इस बरस भी अकेला ही भीगना पड़ेगा? बोलो ना, क्या यह हसरत इस जन्म में मुकम्मल नहीं होगी। मेरी ये दुआ ऊपर वाला कुबूल करने से रहा,तुम ही कुबूल कर लोे’’।
देवेश की मिन्नतों पर रूपाली खिलखिला कर हंसते हुए बोली,’’तुम और तुम्हारी ख्वाहिशें.. दोनों अजीब है। कोई सावन में भीगनेे के लिए ऊपर वाले से दुआ मांगता है,वो अपनी महबूबा के साथ..! ऐसी दीवानगी मेंने कभी न देखी और न सुनी है। मै तुम्हारी यह दुआ कुबुल करने से रही। देखो, ऊपर वाला तुम्हारी दुआ कब कुबूल करता है... मै तो चली’’।
’’पिछले तीन बरस से, हर सावन में देवेश अपने संग मुझे भी सावन में भीगने की गुजारिश कर रहा है। जब वो बड़े प्यार से मुझे प्यासी नज़रों से देखता है तो मै उसकी आंखों में झांक कर देखती हूं कि प्यार का सागर कितना हिलकोरे मार रहा है। सच में, उसे प्यार है या फिर सिर्फ बातों में प्यार जता रहा है। वैसे सच कहूं..हर प्रेमी बातों में प्यार कुछ ज्यादा ही जताते हैं। हर बार की तरह उसे मेरा यही जवाब,मेरा सावन अभी आया नहीं है। ये भी नहीं जानती,वो कब और किस तरह आयेगा। जब आयेगा.. तब भीग लूंगी। कम से कम, अभी तो नहीं’’
सोच लो, कहीं ऐसा न हो तुम्हारा सावन बरसे न। और तुम बगैर भीगी ही रह जाओ’’। देवेश मुस्कुरा के बोला।
’’ऐसा होगा, इसकी उम्मीद कम ही है। और ऐसा हुआ तो फिर मै इस सावन के साथ भीग लूंगी। पर अभी मूड नहीं है। रूपाली आंखें मटकाते हुए बोली।
मुहब्बत और इश्क का यही तो कमाल है। लड़की मुहब्बत तो किसी से भी कर लेती है,लेकिन इश्क सबसे करे, कोई जरूरी नहीं। इश्क में ऐसा बहुत कम होता है कि लड़कियां जल्दीबाजी दिखायें। रूपाली के साथ भी ऐसा ही था। वो देवेश से मुहब्बत तो करती है,लेकिन इश्क के लिए अभी उसे कोई जल्दी नहीं है। क्यों कि रूपाली दुविधा में है। इश्क करे या फिर कॅरियर को देखे। वैसे मुलाकात की हथौड़ी, चाहत की शीलालेख पर बार बार पड़ती है तो, किसी न किसी आकार में ढल ही जाती है। माशूका को यदि आशिक इस बात का यकीन दिला दे कि वो उसके साथ बेवफाई नहीं करेगा। उम्र भर साथ रहने का भरोसा दिलाने में कामयाब हो जाये तो मुहब्बत को इश्क में तब्दील होने में वक़्त नहंीं लगता। रूपाली और देवेश की मुहब्बत में भी ऐसा ही हो रहा था। रूपाली को पहली नज़र में ही देवेश से मुहब्बत हो गई,फिर इश्क भी हो गया। पर उससे इज़हारे इश्क नहीं कर रही थी। पर उसे यकीन हो गया है कि देवेश के साथ वो खुश रहेगी।
जब हम दिल से किसी को चाहने लगते हैं और उस पर यकीन करने लगते हैं तो इश्क के मामले में किसी की भी सलाह,कांटो की तरह चुभती हैं। रूपाली के साथ भी यही हुआ।
रूपाली ने देवेश से शादी करने की इच्छा अपनी मां के सामने जाहिर की तो उसकी मां अराधना न केवल हैरान हुई बल्कि, शाद की बात सुनकर चैंक पड़ी। क्यों कि उन्हें तो कभी लगा ही नहीं कि उनकी बेटी प्यार में है। सभी की मां की तरह उन्होंने भी कहा, ’’ क्या तुम्हें ऐसा नहीं लगता कि अपने कॅरियर को किक मार रही हो? आज एक बड़े मीडिया हाउस में जिस ओहदे पर हो, वहां तक पहुंचने में लोगों को बरसों लग जाते हैं। हो सकता है कल को न्यूज़ एडिटर बना दी जाओ। देवेश के प्यार के लिए यदि तुम अपने कॅरियर को किक मार के सदा के लिए उसकी हो जाना चाहती हो तो, मै यही कहूंगी कि जल्दी बाजी कर रही हो। हो सकता है कि तुम्हारा यह डिसीजिन तुम्हारे आने वाले कल के लिए बेहतर न हो। तुम अपनी ज़िन्दगी के लिए राइट परसन चुन रही हो। मुहब्बत में कदम जब दिल की पगडंडी पर जब चलने लगते हैं तो बहुत कुछ दांव पर लग जाता है। सोच लो,तुम्हारा क्या दांव पर लगने वाला’’।
मां,देवेश एक विदेशी कंपनी में मैनेजर है। वो सेटल है। फिर जिस शिद्दत से वो मुझे प्यार करता है,जरूरी नहीं है कि आप मेरे लिए अरैंज मैरिज करें तो वो देवेश से अच्छा हो। मै देवेश को जानती हूं,पहचानती हूं। उससे प्यार करती हूं। हां,आपकी इस बात से सहमत हूं कि अपने कॅरियर को किक मार रही हूं। लेकिन कभी मुझे नौकरी की जरूरत पड़ी तो मै जानती हूं,अखबारांे में सर्विस कभी भी, मुझे मिल जायेगी। मेरे पास अनुभव है। योग्यता है। लेकिन देवेश मुझे मिलेगा, इसकी गारंटी नहीं है’’।
’’ठीक है। अभी तुम्हें देवेश और उसका प्यार दिख रहा है। नींद की रातों में उसकी आंखें रोशनी सी चमकती है। तुम्हारी हाथों की लकीरों में तुम्हें देवेश का साथ दिखता है। क्या तुझे कभी आकाश की आंखों में प्यार नहीं दिखा? जो बचपन से अब तक तेरे साथ रहा। छोटी- छोटी बातों पर तेरे रूठ जाने पर तुझसे स्वाॅरी कहता था। तेरे पास किताब नहीं थी,वो तुझे अपनी किताबें दे दी परीक्षा के वक़्त और खुद बगैर किताब के परीक्षा दिया। उसकी सदा कोशिश रही कि तुम प्रथम आओ। वो सदैव तुम्हारी मदद के लिए हाथ आगे किये रहता था। याद कर कितनी बार बीमार पड़ी और वो ही तुझे अस्पताल ले गया। तुझे आइस्क्रीम खाना होता था तो वो चिलचिलाती धूप में दुकान चला जाता था। कोई किसी के लिए इतनी दौड़ भाग क्यों करेगा? चाहत भी कोई चीज़ होती है। कोई जुबां से न बोले तो इसका मतलब यह तो नहीं हुआ कि उसके दिल में मुहब्बत नहीं है। रही बात मैनेजर की तो ..वो भी.. मैनेजर है,शहर के बड़े होटल में। आखिर देवेश और आकाश में फर्क क्या है? वो तुझे दिल से चाहता है। मै ने उसकी आंखों में तेरे लिए प्यार उमड़ते कई बार देखा है। हां,उसने कभी अपने प्यार का इज़हार नहीं किया होगा। डरता है, तेरी डाट से। वैसे कभी तुम उसे, अपने आगे फटकने नहीं दी। उसे अपने बराबर कभी खड़ा नहीं होने दी। इसलिए उसकी आंखों में,उसके दिल में,और उसकी चाहत में प्यार  नहीं देखी। लेकिन मै ने कई बार देखा है कि आकाश उसे दिल से बेहद चाहता है। मै देवेश को जानती नहीं,शायद इसलिए आकाश का पक्ष ले रही हूं। ऐसा हो सकता है। फिर भी,कहूंगी...अपनी जिन्दगी का बड़ा फैसला लेने से पहले, एक बार मेरी बातों पर गौर करके देखना। हमें कोई एतराज़ नहीं है, शादी तुम्हारी तो करनी ही है। तुम जहां कहोगी,तुम्हारी पसंद के लड़के से शादी कर देंगे’’।
’’मंा, आकाश मेरा केवल दोस्त है। दोस्त,राइट परसन नहीं होते। बेस्ट फ्रेंड,सदा बेस्ट ही रहते हैं। शादी के पहले भी और शादी के बाद भी। और आकाश को मैने उस नज़र से कभी देखा भी नहीं। उसके प्रति मेरे दिल में ऐसी फीलिंग भी नहीं है,जिससे मै उसके बारे में कुछ सोच सकूं। बड़ी मासूमियत से रूपाली ने कहा।
’’बेस्ट फ्रेंड यदि राइट परसन बनें तो ज़िन्दगी में कभी कोई शिकायत नहीं होती। कभी यह कहने का मौका नहीं मिलता बीवी को कि मै ने तुमसे शादी करके बड़ी गलती की। मुझे देख। तेरे पापा मेरे बेस्ट फ्रेंड थे। आज भी हैं। कभी उन्हें मुझ पर झल्लाते हुए देखी? नहीं ना। बल्कि मै ही उन पर हावी रहती हूं। लेकिन, वो कुछ बोलते नहीं। क्यों कि, वो जानते हैं कि उनकी बेस्ट फ्रेंड को कौन सी बात बुरी लग सकती है’’।
कई बार हमारी आंखों को भी ख़बर नहीं हो पाती है कि बहुतों का प्यार पानी में झलकता महल सा होता है। दिन की धूप में जिसकी बाहांें में झूम जाने का ख़्वाब सजाया और चांदनी रात के फूलों को जूड़े में सजा लेने की चाह जगी,ऐसे हमसफ़र जब भ्रम तोड़ते हैं,तब लगता है पहली नज़र का प्यार सिर्फ धोखा है’’। अनुराधा ने सलाह देते हुए कहा।
रूपाली प्यार के ऐसे मोड़ पर है जहां उसकी पहली और आखिरी चाहत सिर्फ देवेश। उसने अपना फैसला अनुराधा को सुना दिया कि उसके दिल के मकान पूरी तरह देवेश बस चुके हैं। किसी दूसरे की कल्पना नहीं कर सकती। अनुराधा भी रूपाली के फैसले को दरकिनार न करते हुए उसकी शादी देवेश के साथ कर दी।
ज़िन्दगी में कभी कभी इश्क पहले होता है और झंझटें बाद में आती है। रूपाली की नज़र में देवेश का का प्यार किसी इबादत से कम नहीं था। लेकिन उसका यह भ्रम तब टूटा जब उसकी ज़िन्दगी में अचानक एक ऐसी शाम आई कि,उसकी सुबह हुई कि नहीं, उसे पता ही नहीं चला। जिन आंखों ने पहली बार रूपाली को देखकर चांद कहा था। उसके ख़्यालों में खो जाने की चाह हुई थी। वो आज बेवफ़ाई कर रही हैं।हुआ ये कि रूपाली की एक मेडिकल रिपोर्ट ने देवेश और रूपाली के बीच जो प्यार की नदी बहती थी,वो अचानक सूख गई। रिपोर्ट ने देवेश को सकते में डाल दिया।
रूपाली की मेडिकल रिपोर्ट देखकर देवश की आंख फटी की फटी रह गई। वो हैरान हो गया। अपने आप से रिपोर्ट देखकर उसने कहा,’’ अभी से ये दिन देखने के आ गये? आखिर रूपाली की उम्र ही क्या है? सिर्फ 28 साल। और इतनी कम उम्र में उसे बे्रेस्ट कैंसर! हमारी शादी को हुए,अभी एक बरस ही तो हुए हैं। और ये मुसीबत! कैंसर के मरीजों का ख़्याल आते ही उसके पांव तले की जमीन खिसक गई। एक महीने तक उसने रूपाली को बताया नहीं कि उसे ब्रेस्ट कैंसर है। अलबत्ता एक महीने में वो ऐसा बदला कि उसे बरसों बाद देखने वाले देखकर कह ही नहीं सकते कि यह वही देवेश है। जो रूपाली की तारीफ करते थकता नहीं था। उसके प्यार के सिवा उसे कुछ दिखता नहीं था। अब बात, बात पर रूपाली पर गुस्सा करने लगा है। छोटी, छोटी सी बातांे पर.. उस पर खींझने लगा। चाय देने में एक मिनट की भी देरी हो जाने पर उसका हाथ उस पर उठ जाया करता था। देवेश में इस तरह के आये बदलाव से रूपाली हैरान थी। धीरे धीरे उसे भी अंदर ही अंदर गुस्सा आने लगा। मुझ पर जान लुटाने वाला,मुहब्बत की कस्में खाने वाला और कैडल डिनर के लिए आये दिन दबाव डालने वाला शख्स, अचानक बदल कैसे गया? उसमें इतनी नफ़रत से कहां से आ गई। बेवफाई जानबुझकर कर रहा है या फिर वाकय में बेवफा हो गया है?
एक दिन रूपाली को स्टेपलर की जरूरत पड़ी। देवेश के टेबल की ड्राज में से स्टेपलर निकालते वक्त एक फाइल दिखी। यहां कौन सी फाइल है? देखें,आखिर कैसी फाइल है। यह सोच कर उसने फाइल पलटी तो देखा कि यह तो उसकी मेडिकल रिपोर्ट है।जिसमें उसे ब्रेस्ट कैंसर है। रिपोर्ट देखकर रूपाली को पहले खुद पर यकीन नहीं हुआ। उसने कई बार अपना नाम पढ़ा। फिर उसने रिपोर्ट में दिये गये मोबाइल नंबर पर फोन करके डाॅक्टर से सच जानना चाहा। उधर से आवाज आई,कैसर पहले स्टेज पर है। 
मुझे कैंसर है। रिपोर्ट आये एक महीने हो गये हैं। और देवेश मुझसे अब तक यह बात छुपा कर क्यों रखी? बताया क्यों नहीं? आखिर क्या चल रहा है देवेश के मन में। कहीं वो इस रिपोर्ट से टूट तो नहीं गया। वो मेरे बारे में सोच,सोच के अंदर से हिम्मत तो नहीं खो दिया। इसीलिए मुझ पर झल्ला उठता है?
कैंसर होने की रिपोर्ट पर रूपाली सन्न रह गई। उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया। अब क्या होगा। उसने जो सपने देखे थे देवेश के साथ, वो कैसे मुकम्मल होंगे। क्या वो अब मां नहीं बन पायेगी? मां,का ख्याल आते ही रूपाली सिहर उठी। देवेश क्या करेंगे? मै यदि नहीं बची तो...! मेरे बगैर देवेश कैसे रहेगा? देवेश उसके बगैर अधूरा हो जायेेगा। पागल हो जायेगा। उसकी दुनिया उजड़ जायेगी। अभी अभी ही तो हमारी शादी हुई थी। एक बरस में ही, इतना सब कुछ हो जायेगा। कभी सोचा न था। मुझे देवेश को धीरज बंधाना होगा, आदमी बहुत जल्दी टूट जाते हैं। चिंता न करें। मुझे कुछ भी न होगा। ब्रेस्ट कैसर ही हुआ है। पहला स्टेज है। बहुत लोगों को होता है। अब ब्रेस्ट कैंसर लाइलाज नहीं है। हां,जिन्दगी में इसकी कल्पना हम दोनों ने कभी नहीं की थी। खासकर इस उम्र में बिलकुल नहीं। ब्रेस्ट कैसर के बाद ज़िन्दगी खत्म नहीं हो जाती है। यह मर्ज अपने नाम से ही पूरे परिवार को डरा जरूर देता है। मगर मुझे देखिये, मै बिलकुल डरी नहीं हूं। तुम मेरे साथ हो तो.. फिर मुझे कैसा डर...!
अपने आप से कई बातें रूपाली कर ली। अगले पल ही उसने अपने आप को संभालते हुए खुद से बोली,मै जैसा सोच रही हूं,ये सच नहीं हो सकता। क्यों कि मरीज तो मै हूं। देवेश को तो मुझ पर दया दिखानी चाहिए। प्यार आना चाहिए। मुझे अधिक से अधिक खुश रखना चाहिए,लेकिन उनका व्यवहार  इसके ठीक उल्टा क्यों है? एक बार भी उन्होंने हमदर्दी नहीं दिखाई। हमदर्दी के दो शब्द भी नहीं बोले। मुझे कैंसर होते ही, कहीं किसी और से तो उनका इश्क नहीं चल रहा है? क्या मुझे कैंसर होने से देवेश बदल जायेगा..? उसकी मुहब्बत मेरे लिए कम हो जायेगी? उसकी मुहब्बत बदल जायेगी’’? एक साथ मन में कई सवाल रूपाली को घेर लिये। हर सवालों का जवाब चाहिए। यानी देवेश के आने तक उसका इंतज़ार करना ही पड़ेगा। उसे अभी फोन करना ठीक नहीं होगा’’।
रात को खाने की टेबल पर अचानक देवेश चीख पड़ा रूपाली पर। सब्जी में कोई इतनी मिर्ची डालता है..। तुम चाहती क्या हो? कभी दाल में नमक ज्यादा और कभी नमक ही नहीं। आखिर तुम्हें हो क्या गया है। कोई ऐसा खाना बनाता है? ऐसा लगता है तुमने तय कर लिया है कि अच्छा खाना बनाकर खिलाना ही नहीं है। यदि ऐसा है तो, मेरे साथ मत रहो। ऐसे में, तुम्हें अब और बर्दाश्त नहीं कर सकता। अपने मां के पास चली जाओ। ताकि मै चैन से रह सकूं। गुस्से में देवेश बोला।
सब्जी को चखते हुए रूपाली ने कहा,इसमें तो मिर्ची डाली ही नहीं है। मै ऐसे में तुम्हें अब और बर्दाश्त नहीं कर सकता,क्या मतलब देवेश..। रूपाली ने मासूमियत से कहा।
’’नहीं है मिर्ची तो तुम ही खा लो। मुझे ऐसी सब्जी नहीं खानी है, बस’’। चीख कर देवेश ने कहा।
ठीक है,मत खाइये। जो खाना है खा लो। मै बड़े जतन से तुम्हारी पसंद की आलू ,गोभी, मटर की सब्जी बनाई। वो ही पसंद नहीं है। कल ही बोले थे न,कि सब्जी में मिर्ची नहीं डालना। भूल भी गये। कोई बात नहीं। कुछ देर ठहर कर रूपाली बोली, गुस्सा शांत हो गया हो तो यह बताइये, मेरी मेडिकल रिपेार्ट पिछले एक माह से ला कर रखी है लेकिन,बताए क्यों नहीं कि, मुझे बे्रस्ट कैंसर है..!
भूल गया बताना। ब्रेस्ट कैंसर है,यह भी कोई बताने की चीज़ है। नहीं बताया तो क्या हो गया। और फिर तुमने रिपोर्ट देख तो ली’’।
’’एक महीने बाद देखी। इस बीच हम किसी अच्छे डाॅक्टर से मिल सकते थे। कैंसर है। कोई छोटी मोटी बीमारी नहीं। ऐसी बीमारी में क्या कोई ऐसी लापरवाही करता है? मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी’’।
’’उम्मीद तो मुझे भी नहीं थी कि तुम्हें कैंसर हो जायेगा’’। देवेश तेज आवाज में बोला।
तो,अब क्या करोगे? धीमी आवाज में रूपाली ने पूछा। उसे जो जवाब देवेश से मिले वो कैंसर से भी बड़ा भयावह था।
’’मैने तुमसे प्यार किया.. शादी किया..खुशी खुशी ज़िन्दगी जीने के लिए। इसलिए नहीं कि एक बीमार ज़िन्दगी को ढोऊं। मुझसे कोई उम्मीद भी नहीं रखना। सर्दी,खांसी,बुखार और मलेरिया जैसी बीमारी होती तो उसके इलाज़ के लिए न बोलता। लेकिन कैंसर..! यह तो मौत से भी बद्तर बीमारी है। मै ही नहीं,कोई भी इस बीमारी की शिकार बीवी से कैसे रिश्ता रखेगा? कैसर के इलाज़ के बाद भी, तुम  डिफेक्टिव समान की तरह हो जाओगी। सारी उम्र कैंसर हास्पीटल भागना पड़ेगा। कैंसर मरीज एक धड़कती लाश से ज्यादा कुछ नहीं है। बीवी होकर भी तुम्हारा होना.. न होना, कोई मायने नहीं रहेगा। तुम मां भी बन सकोगी, इसकी कोई गारंटी नहीं। यदि बन भी गई तो हमेशा डर बना रहेगा कि होने वाली संतान भी कहीं कैंसर की मरीज तो नहीं होगी..!
और कुछ कहने को बाकी हो तो कह लो। पता नहीं फिर कहने को न मिले। सुबुकते हुए रूपाली ने कहा।
’’हां,सच यही है। मेरी बातें कड़वी लग रही होगी,लेकिन गलत नहीं कह रहा हंू। और एक बात.. मै तुम्हारे कैसर इलाज के लिए अपना समय और पैसा जाया नहीं कर सकता। अच्छा होगा कि तुम अपनी मां के पास चली जाओ। मुझे कैंसर वाली बीवी का पति कहलाना पसंद नहीं है। मै तुम्हें नहीं ढो सकता। मै अपना कॅरियर देखूं कि या तुम्हारी बीमारी। जानती हो, बड़ी मुश्किल से नौकरी मिलती है। इस बीमारी के इलाज़ में कई माह लग जाते हैं। और मै इतनी लंबी छुट्टी नहीं ले सकता। इलाज़ कराता रहा तो नौकरी चली जायेगी। प्राइवेट फर्म में इतनी छुट्टी नहीं मिलती। इस बीमारी का भरोसा नहीं, कितने रूपये लगेंगे। वैसे भी तुम्हारे पापा ने दहेज में कुछ खास दिये भी नहीं। इसलिए तुम अपने पापा से कह सकती हो कि...।
बीच में ही टोकते हुए रूपाली ने गुस्से से कहा,’’क्यों,सात लाख दिये तो थे। क्या कम थे? तुम बहुत पानीदार हो तो वही रकम लौटा दो’’।
’’सात लाख जो दिये थे वो सब खर्च भी तो हो गये। कौन सा मेरे घर वालों ने बचा कर बैंक में डाल दिया। देखो मै कोई बहस नहीं करना चाहता। सीधी सी बात,मै कैंसर वाली औरत को बीवी बतौर नहीं रख सकता। और न ही मेरे पास तुम्हारे इलाज़ के लिए समय है’’। देवेश मुंह बनाते हुए कहा।
रूपाली को लगा जैसे उसके पैर तले की जमीन खिसक गई। सिर से आसमान गायब हो गया। जिसके लिए अपनी मां की बातों को इज्ज़त नहीं दी। नज़र अंदाज़ की। वो आज मुझे न केवल नज़र अंदाज़ कर दिया बल्कि, दिल से भी निकाल दिया। क्या ऐसा भी कोई महबूब होता है,जो सावन में एक साथ भीगने की तमन्ना रखता था.. वो कैंसर होने पर एक पल में.. सात फेरे की गांठ को खोल दे? नफ़रत करे,गुस्सा करे। हमसफ़र तो साथ साथ चलते हैं,ये कैसा हमसफ़र है ..जो साथी कोे तकलीफ में देखकर रास्ता बदल दिया। क्या,ऐसे ही लोग बेवफ़ा कहे जाते हैं’’..?
रूपाली हिम्मत से उठ खड़ी हुई और देवेश से कहा,’’ मुझे कैंसर हुआ है तो क्या हुआ,अभी ज़िन्दगी खत्म नहीं हुई है। मै अपने आप से लडूंगी। कोई मेरा साथ दे या न दे’’।
रूपाली अपनी मां के पास लौट आई। कई दिन बीत गये। रूपाली को चुप चुप देखकर अराधना ने एक दिन पूछा,क्या देवेश से झगड़ा करके बिना बताये उसे,यहां चली आई हो ? इस सवाल का कोई जवाब रूपाली ने नहीं दिया।
एक दिन अराधना ने देखा कि रूपाली अपने कमरे में चुप चाप रो रही है। अराधना ने गौर किया कि कोई बात है जो रूपाली उससे छिपा रही है। जानना जरूरी है। उसने आकाश को फोन कर बताया कि रूपाली आई है। उसे आये एक सप्ताह हो गये हैं। लेकिन उसे आज रोते हुए देखी। मगर वो कुछ बता नहीं रही है। उससे बात करके देख,शायद तुझे कुछ बताये’’।
कंपनी की तरफ से आकाश को एक सप्ताह के लिए मलेशिया जाने का ट्रिप मिला था। वह चाह रहा था कोई उसके साथ चले। उसने रूपाली को फोन कर कहा,’’तुझे आये एक सप्ताह हो गया और मुझे फोन करना भी जरूरी नहीं समझी। अरे हां,अब मुझे फोन क्यों करेगी। अब तो तुझे कोई और दोस्त मिल गया है। साथी मिल गया है। हमसफ़र मिल गया है। खैर। ये बता मलेशिया घूमने चलेगी क्या? दरअसल,मुझे कंपनी की तरफ से मलेशिया जाने का ट्रिप मिला है। यदि कोई एतराज़ न हो तो मेरे साथ चलती तो अच्छा रहता। अभी मै घर आ रहा हूं। दो टिकट फिल्म की लिया हूं। बहुत दिन हुए तेरे साथ फिल्म देखे। देख इंकार मत करना’’।
रूपाली ने कहा,’’मेरी तबीयत ठीक नहीं है। इसलिए मन नहीं कर रहा है। मै फिल्म देखने नहीं जा सकती। मम्मी के साथ चले जा’’।
’’मुझे कुछ नहीं सुनना है। तैयार रहना, आ रहा हंू। फिल्म नहीं देखने जाना है तो मत जा। मुझे पेट में दर्द रहता है इसलिए पहले डाॅक्टर के पास जाऊंगा। सब कुछ ठीक रहा तो ही फिल्म जायेंगे। ओ.के‘‘।
आकाश आ गया पर रूपाली तैयार नहीं हुई थी। अराधना के कहने पर मुश्किल से रूपाली आकाश के साथ जाने को तैयार हुई। रास्ते में आकाश ने कहा,पहले फिल्म चलें या फिर डाॅक्टर के पास’’?
रूपाली ने कहा,पहले लेडी डाॅक्टर के पास चलते हैं। उसके बाद फिर देखेंगे,कहां जाना है।
लेडी डाॅक्टर की तुझे क्या जरूरत पड़ गई? ठीक है, कह रही है तो पहले वहीं चलते हैं। फिल्म के लिए बहुत टाइम है’’।
डाॅ रूचि रस्तोगी से मिलने रूपाली जाने लगी तो आकाश भी उसके साथ अंदर चला गया। रूपाली पहले उसे बाहर ही बैठने को कहने वाली थी,फिर कुछ सोचकर कुछ नहीं बोली। रूपाली ने डाॅ रूचि को अपनी रिपोर्ट दिखाई।
रिपोर्ट देखकर डाॅ रूचि ने कहा,आपको तो ब्रेस्ट कैंसर हैं। लेट मत करो। अभी फस्ट स्टेज पर है। कोई खतरे की बात नहीं है। अच्छा होगा कि टाटा हास्पीटल में दिखा लो’’।
बे्रस्ट कैंसर हैं! आकाश ने हैरान होकर कहा। और अभी तक यह बात छिपा कर रखी थी!
डाॅक्टर रूचि से सारी बातें समझने के बाद आकाश ने रूपाली से कहा,ऐसा करते हैं फिल्म देखने का प्रोग्राम रिजेक्ट। हम पहले टाटा हास्पीटल चलते हैं। पहले फाइल बनवाते हैं। फिर डाॅक्टर से मिलते हैं। आज ही बहुत कुछ हो जायेगा। तुम्हारा पंजीयन, मेमोग्राफी और ब्लड की रिपोर्ट भी आ जायेगी।
रूपाली ने कहा,मुझे कैंसर है,येे बात मै मम्मी को अभी तक नहीं बताई हूं। तुम्हें पता है,इस मर्ज के इलाज़ में आदमी टूट जाता है। उसका साथ देने वाले भी मरीज हो जाते हैं। कैंसर वाले मरीज को  ढोना पड़ता है। मम्मी सुनेगी तो न जाने कैसा रियेक्ट करेंगी। क्या तुम्हें पता है इलाज़ में कितने रूपये लगेंगे? पहले घर चलते हैं। मम्मी से बात करते हैं,वो क्या कहती हैं। तब तय करेंगे क्या करना हैं। कैंसर हुआ है। अभी इतनी जल्दी खतरे के स्टेज पर नहीं पहुंच जायेगा। हमारे पास समय है’’।
‘‘मै तुम्हारी एक नही सुनूंगा। पहले अस्पताल चलते हैं। वहां देखते हैं आज क्या,क्या हो सकता है। और रहा सवाल मम्मी को बताने का तो वो फोन पर भी बता सकते हैं। लेकिन अभी मम्मी को कुछ नहीं बतायेंगे। रहा सवाल पैसे का तो,तुम्हारे, मेरे बीच ये पैसे की बात कहां से आ गई। तू मुझे अपना बेस्ट फ्रेंड नहीं मानती क्या? तेरी शादी होने के बाद, क्या अब मै तेरा बेस्ट फ्रेंड नहीं रहा? आकाश हक से कहा।
’’ऐसा मैने कब कहा कि तू मेरा बेस्ट फ्रेंड नहीं है। मेरी सांस जब तक चलती रहेगी, तब तक मै यही कहूंगी कि तू ही मेरा बेस्ट फ्रेंड है। बस,खुश। मेरी एक बात मान ले.. पहले घर चलते हैं’’। प्यार जताते हुए रूपाली ने कहा।
’’तेरा ये बेस्ट फ्रेंड आज तेरी बात नहीं सुनेंगा। आज मेरी सुनेगी’’। आकाश ने कहा।
रूपाली रास्ते भर सोचती रही,मै देवेश को अपनी जान समझती रही,लेकिन मेरी जाॅन तो कोई और है। क्या बेस्ट फ्रेंड ऐसे भी होते हैं..? टाटा हास्पीटल में एक बेंच में रूपाली बैठी रही और आकाश इधर से उधर दौड़ता रहा। रूपाली का ब्रेस्ट इक्जामिन के बाद डाॅक्टर ने मेमोग्राफी,और ब्लड की जांच लिखा। रिपोर्ट आने के बाद आॅपरेशन की डेट मिलेगी। दरअसल आकाश ने रूपाली की फाइल डिलेक्स श्रेणी की बनावाया। ताकि जल्द जांच हो जाये और आॅपरेशन भी।
तीन चार दिन में सारी रिपोर्ट आ गई। रूपाली के आॅपरेशन की डेट मिलने के बाद आकाश ने अराधना को बताया,’’रूपाली को ब्रेस्ट कैंसर है। इसलिए वो उस दिन रो रही थी‘‘।
’’ब्रेस्ट कैंसर ? हमारे खानदान में किसी को भी ब्रेस्ट कैंसर कभी नहीं हुआ। मुझे भी नहीं है। फिर इसे कैसे हो गया? ये कब से आई हुई है, लेकिन मुझे अभी तक बताई क्यों नहीं? कब पता चला? किस स्टेज पर है? डाॅक्टर से अभी तक मिली कि नहीं..? मुंबई में रहकर भी इतना लेट,हद हो गई? बड़ी हैरानी से अराधना ने एक संास में कई सवाल कर गईं।
’’चिंता करने की कोई बात नहीं। फस्ट स्टेज पर है। खतरे वाली बात नहीं है। जरा आॅपरेशन करके निकाल देंगे। हां कुछ कैमों लगेंगे। मेरे साथ रूपाली कहीं घूमने नहीं जाती थी,टाटा हास्पीटल ही जाती थी। बहुत डरी हुई थी। वो तो डाॅक्टर ने जब समझाया, तब इसकी हिम्मत बंधी’’। आकाश ने कहा।
ये लड़की,हद कर दी। कैंसर हो गया तुझे,देवेश को पता है कि नहीं? अराधना ने रूपाली से पूछा।
’’हां, मम्मी उन्हें सब पता है। उनका नाम मत लो। मै उनके लिए अजनबी हो गई और वो मेरे लिए’’। रूपाली चिढ़ कर बोली।
’’क्या कहा! तुम्हारे बीच कोई लड़ाई हुई है क्या? जो इस तरह बोल रही है। ये तो पति पत्नी के बीच होते रहता है। देख, तेरे पापा और मेरे बीच क्या झगड़ा नहीं होता। क्या मै इन्हें छोड़ कर चली गई या फिर ये मुझे’’। अराधना समझाते हुए रूपाली से कहा।
’’आप नहीं समझेंगी मम्मी। ऐसी बात नहीं है’’। रूपाली बड़े धैर्य से यह बात कही।
’’फिर कैसी बात है। मुझे जब तक बतायेगी नहीं, पता कैसे चलेगा। तुम दोनों के बीच हुआ क्या है’’। नाराजगी भरे अंदाज में अराधना ने कहा।
’’रूपाली विवश होकर विस्तार से सारी बात बताई तो अराधना सन्न रह गई। गजब कर दिया इस लड़के ने। क्या कोई ऐसा भी करता है? कहती थी कि देवेश बहुत अच्छा है। मुझे सदा खुश रखेगा। ये क्या? जो व्यक्ति पत्नी को कैंसर होने पर सैम्पथी दिखाने की बजाय, ऐसा बोले, उससे तो सारी ज़िन्दगी के लिए मुंख मोड़ लेना.. कहीं ज्यादा अच्छा है। ऊपर से ये कहना कि जब ठीक हो जाओ तब ही आना? जाहिर सी बात है कि उसे तुझसे प्यार कभी था ही नहीं। तेरी नौकरी, तेरी खुबसूरती और योग्यता को देखकर शादी किया था। मेरी बात मान ली होती तो आज ये दिन देखने को नहीं मिलते। जिसे कभी रिस्पांस नहीं दी,वो ही आज तेरे उस पल में काम आया, जहां देवेश को होना चाहिए था। मै कहती थी ना, बेस्ट फ्रेंड यदि लाइफ पार्टनर हों तो ज़िन्दगी में हर दिन सबेरा है’’।   
रूपाली जब तक आॅपरेशन थियेटर से नहीं निकली आकाश बाहर तकता रहा। उसे कमरे में ले जाया गया। आधे घंटे में उसे होश आ गया। सामने उसकी नज़र पड़ी तो उसे आकाश ही दिखा। जो उसके लिए गजरा और गुलाब का गुलदस्ता लेकर आया था। गजरा रूपाली को बेहद पसंद है। अपने बालों में अक्सर वो लगाया करती थी। ये बात देवेश को पता थी लेकिन, शादी के बाद वो कभी रूपाली के लिए गजरा लेकर नहीं आया। आकाश के हाथ में गजरा देखकर उसकी आंखें भर आई। 
’’अर,े अब रोना क्यों? आॅपरेशन हो गया और तुम्हें पता भी नहीं चला। अब जल्दी ठीक हो जाओगी। तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि तुम्हारे साथ पूरा घर परिवार है’’। चहक कर आकाश ने कहा।
परिवार! लड़की की जब शादी हो जाती है तो उसका परिवार सिर्फ ससुराल होता है। लेकिन मेरे ससुराल से तो कोई भी मुझे देखने नहीं आया, आकाश। रूआंसी होकर रूपाली ने कहा।
मेरा कहने का मतलब,मम्मी अभी आती होंगी। उनका फोन कुछ देर पहले आया था। आकाश ने कहा।
तभी अराधना जूस,फल,पानी आदि लेकर पहुंची।
अराधना ने आकाश से कहा, ऐसा कर तू सुबह से कुछ खाया पिया नहीं है। खाना लाई हूं,खा ले। रूपाली जूस पी लेगी। तू थक गया होगा। तूझे मलेशिया जाना था न। रूपाली के चक्कर में तेरा जाना कैंसिल तो नहीं हो गया?
नहीं मम्मी, कंपनी को बता दिया है कि अभी नहीं जा सकता। फिर कभी चला जाऊंगा। रूपाली का ट्रीटमेंट ज्यादा जरूरी है। आप आ गई हैं तो मै निकलता हूं। शाम को फिर जाऊंगा’’। कहकर आकाश चला गया।
कोई गैर अपना बनकर साथ दे या फिर सहयोग करे तो... दर्द खुशबू बनकर दिल में उतर जाता है। रूपाली उस खुशबू को महसूस कर रही है। वैसे रूपाली का कुछ लगता नहीं आकाश । आकाश के मां बाप बचपन में ही गुजर गये थे। वो अपने चाचा और चाची के साथ रहता था। दोनों की कोई औलाद नहीं होने की वजह से आकाश को अपने बेटे की तरह पाल कर बड़ा किये। अराधना भी उसे बेहद दुलार और प्यार देती आई हैं। रूपाली और आकाश दोनों एक साथ बड़े हुए।
मिट्टी के चूल्हे में इश्क की अंगीठी के जलने का पता दिल को तब होता है,जब वो किसी और के  लिए धड़कने लगता है। आज रूपाली महसूस कर रही है कि देवेश तो उसके लिए बना ही न था। उसके लिए तो आकाश ही बना था,मै ही उसे पहचानने में गलती कर गई।
वो आकाश और देवेश की तुलना कर रही थी अपने आप में,तभी अराधना ने कहा,’’यदि आकाश न होता तो इतनी जल्दी तेरा आॅपरेशन भी न हो पाता। मुझे उसने पता ही नहीं होने दिया कि तुझे कैंसर है। ऐसा लगता है बचपन में आकाश मेरे हाथों का बना जितना पोहा खाया था, उसने उस नमक का कर्ज़ आज उतार दिया’’। 
हां,मम्मी आपके नमक का कर्ज़ तो उसने उतार दिया लेकिन मुझ पर उसका उधार चढ़ गया। आज मै बेफिक्र होकर संासे ले रही हूं तो उसकी वजह से। देवेश तो मुझे मरने के लिए छोड़ दिया। मेरी ज़िन्दगी के होंठ तो नीले पड़ गये थे। जब मैने अपनी मेडिकल रिपोर्ट देखी कि मुझे कैंसर है, तब उम्र के आकाश पर मेरे सपनों के सारे परिंदे एकाएक गायब हो गये’’।
’’कोई हमारे सपनों के परिंदों को उढ़ा देता है तो कोई उसे वापस लाने चुपके से ज़िन्दगी में आ  जाता है। तुझे याद भले न हो लेकिन मैने कहा था,देवेश के लिए तू अपने कॅरियर को किक मार कर गलती कर रही है। प्यार को बचाये रखने के लिए जरूरी है एक दूसरे में ढलना। एक दूसरे को ट्रस्ट करना। प्यार तो शीशा है। जरा सी ठेस लगी तो पहले प्यार का ताज़महल ढहता है उसके बाद दिल टूटता है’’। अराधना ने कहा।
’’देवेश का नाम मत लो मम्मी। जो मुझे मरने के लिए छोड़ दिया हो,उसका नाम लेकर मेरी पीड़ा को और मत बढ़ाओ। मुझे नई जिन्दगी,बेस्ट फ्रेंड ने दी है। लगता है मेरे आंसुओं से उसका कोई रिश्ता है। मै आज समझी हूं कि कोई जुबां से न बोले,तो इसका मतलब यह नहीं कि उसके दिल में अपने दोस्त के प्यार और उसकी चाहत की तड़प नहीं होती। अब उसके हिस्से का सावन नहीं रोयेगा। न ही उसकी चाहतों का बादल बिछड़ेगा। मै इस करवा चैथ में चांद किसके लिए देखूंगी,यह तय कर लिया है’’।
रूपाली के गालों पर आकाश के लिए प्यार के आंसू लुढ़क आये। जो बता रहे थे मुहब्बत के सावन का कोई महीना नहीं होता। दिल कभी कभी अपनों के लिए खुशी के आंसू भी रो लेता है।