Tuesday, February 23, 2021

सरकार और माओ दोनों भटक गए हैं

 
       

छत्तीसगढ़ में माओवादी हैं,तो सुरक्षा बल है। सुरक्षा बल है,तो सोनी सोरी की आवाज़ है। जो वर्दी से उभरने वाली दरिंदगी के खिलाफ गूंजती है। सोनी सोरी मानती है कि, फोर्स के दम पर नक्सलवाद खत्म नहीं होगा। पाँच बटालियन और मिलने से महिलाओ के साथ अनाचार बढ़ेगा। लोन वार्रंाटू सिर्फ पैसा और प्रमोशन पाने, पुलिस का काॅसेप्ट है। इससे नक्सलवाद कमजोर नहीं होगा। नक्सलवाद  पर इस तरह की तमाम बातें सोनी सोरी से की। प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश - 


0 रमेश कुमार ‘‘रिपु’’
0 छत्तीसगढ में नक्सली हिंसा बढ़ने की वजह क्या मानती हैं?
00 छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से आदिवासियों के साथ ज्यादा अत्याचार होने लगा है। पेसा कानून की बात की जाती है लेकिन, उसे अमल में नहीं लाया जाता है। ग्राम सभा होनी चाहिए। पर होती नहीं। मैं मानती हूूॅ कि, सीआरपीएफ के कई कैंप लगे हैं,नक्सलियों से मुक्ति के लिए। सवाल यह उठता है,जब कैंप लगे हैं,तो फिर आदिवासियों के साथ जुल्म,अत्याचार क्यों होता है। महिलाओं के साथ अनाचार क्यों होता है? आदिवासियों को नक्सली बताकर बार बार जेल क्यों भेजा जाता है? सरकार सोचती है कि,ऐसा करने से नक्सलवाद खत्म हो जाएगा, तो गलत सोचती है। आदिवासी परेशान होकर कहता है, जब झूठे तरीके से नक्सली बताकर जेल में डाला जा रहा है,तो नक्सली ही बन जाते हैं।
0 क्या आप मानती हैं कि, जब तक पुलिस निर्दोष आदिवासियों केा नक्सली बताकर गोली मारती रहेगी या फिर जेल में डालती रहेगी, नक्सलवाद खत्म नहीं होगा।
00पुलिस बल के जरिये सरकार जो कर रही है,उससे नक्सलवाद खत्म नहीं हो सकता। लड़ाई यहांँ जल,जमीन और जंगल की है। न कि नक्सलियों की लड़ाई है। सरकार की नीतियाँं आदिवासियो के हित में नहीं है। सरकार पेसा कानून को अमल में तो लाए। महिलाओं के साथ होने वाले अनाचार और जुल्म को रोकने क्या कर रही है,यह तो बताये। आदिवासियों को नक्सली बताकर गोली मारने का सिलसिला थमेगा नहीं,ऐसे में नक्सलावाद कैसे खत्म होगा?
0 बस्तर के आई जी रहे एस.आर.पी कल्लूरी की वजह से नक्सलवाद मे कमी आई या फिर नक्सलवाद और बढ़ा?
00 कल्लूरी के पहले भी नक्सलवाद था और अब भी है। बल्कि पहले से अधिक है। जब तक आदिवासियों के पक्ष में सरकार खड़ी नहीं होगी,नक्सलवाद खत्म नहीं हो सकता। कोरोना काल के मार्च महीने में 17 डीआरजी के जवान शहीद हुए। सरकार कहती है,नक्सलवाद कमजोर हो रहा है,यह सिर्फ अखबारों में दिखता है। सच्चाई यह है कि, नक्सलवाद पहले से और बढ़ा है। बस्तर में आदिवासी नक्सलियों के मुखबिर के शक में मार दिये जाते है। नक्सली भी पुलिस के मुखबिर के आरोप में आदिवासियों को मार देते हंै। नक्सली मरने की जगह, आदिवासी पहले भी मरते थे। आज भी मर रहे हैं।
0 क्या आपको लगता है कि, नक्सली अपने मकसद से भटक गये हैं।
00 आदिवासियों के लिए सरकार बड़ी बड़ी बाते करती है,लेकिन करती क्या है? जब से होश संभाली हूूॅ, देख रही हॅू कि निर्दोष आदिवासी ही पिस रहा है। सरकार और माओ दोनों भटक गए हैं। दोनों अपने मकसद के विपरीत चल रहे हैं।
0 कांग्रेस सरकार और बीजेपी सरकार, दोनों में से किसे मानती है कि नक्सलवाद के खिलाफ उनका काम अच्छा है?
00 बीजेपी हो या फिर कांग्रेस, दोनों नक्सलवाद से निपटने मे असफल है। बीजेपी के समय सलवा जुड़ूम से आदिवासियों को जो जख्म मिले,उसे भुलाया नहीं जा सकता। नक्सल समस्या के लिए कांग्रेस ने अपने घोंषणा पत्र मे जो बातें कहीं थी, लगता है उसे भूल गई है। नक्सल नीति बनाने की बात की थी। दो साल बाद भी नहीं बनी।
0 क्या आप माानती हैं कि, नक्सली क्रांतिकारी हैं। वे क्रांति करने निकले हैं।
00 बंदूक से लड़ाई करने वालों को क्रांतिकारी कैसे कह सकते हैं। माओ की गोली हो या फिर पुलिस की,दोनों से इंसान मरते है। मानवता मरती आई है। आदिवासी मरते हैं। विचारों से जो क्रांति लाए, उसे ही क्रांतिकारी कहेंगे।
0 लोन वार्रंाटू को, क्या पुलिस का सही कांस्पेट है मानती हैं?
00 लोन वार्राटू पूरी तरह फजी कांस्पेट है। हैरानी वाली बात है कि,दंतेवाड़ा जिले में 400 माओवादी सरेंडर करते है फिर भी चार,चार एनकांउटर होता है। आखिर क्यों? दरअसल सरेंडर करने वाले किसान हैं, आदिवासी हैं। जब एक जिले में इतने माओवादी सरेंडर कर रहे है, तो सोचने वाली बात है कि पूरे बस्तर में आखिर कितने नक्सली होंगे? दंतेवाड़ा नक्सल मुक्त क्यों नहीं होता? पिछले दिनों राज्यपाल मेडम से यही सवाल की। उनके पास कोई जवाब नहीं था। जल,जमीन और जंगल उद्योगपतियों को देकर, सरकार जल,जमीन और जंगल की हत्या करा रही है।    
0 केन्द्र सरकार ने पाँंच बटालियन और दी है बस्तर को। इससे आदिवासियों का भला होगा क्या?
00 पाँच बटालियन देने से कैंप और बन जायेंगे। जब जब फोर्स की संख्या बढ़ी है, महिलाओं के साथ होने वाले अनाचार में इजाफा ही हुआ है। यहांँ माओवादियों से पत्रकार सुरक्षित नहीं है। आम आदमी सुरक्षित नहीं है। खुलेआम पत्रकारों को माओवादी धमका रहे हैं। सरकार दावे के साथ नहीं कह सकती कि वह लोगों को माओ से सुरक्षा मुहैया करा सकती है। हजारों कैप लगा लें,नक्सलवाद खत्म नहीं होगा। बातचीत करनी चाहिए।
0 पुलिस फजी मुकदमे क्यों बनाती है?
00 पुलिस आदिवासियों के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज कर उन्हें नक्सली बताती है, अपने नाम के लिए। अपने प्रमोशन के लिए। पैसे का खेल है। गाँव से किसानों,ग्रामीण आदिवासियों को पकड़ कर लाते हैं और उन्हें एक लाख, दो लाख का इनामी नक्सली बताते है। मार देने पर दस लाख का इनामी नक्सली हो जाता है। कोई आदिवासी विरोध करता है, तो उसे यूपीए कानून के तहत कार्रवाई का डर दिखाया जाता है। अपना स्टेटस बढ़ाने के लिए पुलिस फर्जी मुकदमेे गढ़ती है। बस्तर में हजारों लोगों के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज कर पुलिस उन्हें जेल में डाल दी। निर्मलक्का और उसके पति चन्द्रशेखर रेड्डी को नक्सली बताकर जेल में डाल दिया गया था। उसका पति पहले ही छूट गया था। लेकिन, निर्मलक्का 12 साल बाद निर्दोष जेल से छूटी। सवाल यह है कि, वह नक्सली थी, तो बाइज्जत बरी कैसे हो गई।
0 पुलिस वाले आदिवासी महिलाओं के साथ अनाचार करके,उन्हें माओवादी बताकर गोली क्यों मार देते है या फिर जेल में क्यों डाल देते हैं?
00 पुलिस आदिवासी महिलाओं के साथ रेप करती है। फिर उसे माओवादी बताकर गोली मार देती है, ताकि देशवासियों की उसके प्रति सहानुभूति न रहे। महिला को माओवादी बताकर, खुद का बचाव करती है पुलिस।  
0 नक्सलवाद खत्म कैसे होगा?
00 सरकार को चाहिए कि,वह बातचीत का रास्ता अपनाए। बातचीत उन आदिवासियों के साथ करे, जो दिन रात पुलिस के बीच रहता है। माओवादियों का सामना करता है। उसकी समस्या किससे है। उसकी समस्या क्या है? उसे सरकार समझे। फर्जी तरीके से नक्सली बताकर जेल में डाल देने वालों से बात करे। जल,जमीन और जंगल पर कब्जा करने वालों को, रोकने वालों से बातें करें। आदिवासियों की समस्या को जब तक दूर करने की सरकार नहीं सोचेगी,नक्सलवाद खत्म नहीं होने वाला। माओवादियों से बात करने के लिए भूपेश सरकार ने मना कर दिया है। वे कहते हैं, पहले नक्सली हथियार छोड़ें। ऐसे में कैसे बात होगी। बस्तर के जंगलों के भीतर जो रहते हैं, उनसे पूछें कि, उन्हें कैसा विकास चाहिए। गोली और लाठी से उनकी आवाज दबा दी जाती है। बातचीत से निश्चय ही नक्सलवाद खत्म होगा।
0 पुलिस की आंँखों में सोनी सोरी क्यों खटकती है?
00 सोनी सोरी खटकेगी क्यों नहीं। आदिवासी भाई बहनों के सुख दुख में उनके साथ खड़ी रहती है। उन पर होने वाले जुल्म,अत्याचार और बहनों के साथ होने वाली रेप की घटनाओं के खिलाफ कंधे से कंधा मिलाकर पुलिस की ज्यादती का विरोध करती है। उनके आँसुओं को अपना आंँसू समझती है। मेरी नस नस वाकिफ है, पुलिस के जुल्म से। मेरे ऊपर कैमिकल्स अटैक हुआ,मेरे गुप्तांग में कंकर पत्थर डाले गये,मारपीट की गई। मैं पुलिस के हर हथकंडे को जान गई हूॅ। पुलिस को लगता है कि, मैं आदिवासियों की नहीं, माओवादियों की मदद करती हूूॅ। जबकि ऐसा नहीं है। माओवादियों के साथ न थी और न रहूंगी। कुछ पुलिस वाले मुझे इज्जत भी देते हैं। उन्हें लगता है कि, मेरी लड़ाई आदिवासी भाई और बहनों के लिए है।