लाॅक डाउन से अर्थव्यवस्था की चूलें हिल गई है। भूपेश सरकार जीएसटी की बकाया राशि नहीं मिलने और नगरनार स्टील प्लंाट को निजी हाथों में देने से, केन्द्र सरकार से नाराज है। वहीं राज्य की बीजेपी भूपेश सरकार पर हर मोर्चे पर फेल बता रही है। चुनौती दोनों के सामने है। राज्य सरकार के समक्ष अजीविका और जिन्दगी बचाने की सबसे बड़ी समस्या है। सवाल यह है कि गिरती जीडीपी के बीच कैसे उबरेगी सरकार।
0 रमेश कुमार ‘‘रिपु‘‘
छत्तीसगढ़ कोविड 19 के शिकंजे में नहीं थी, तब एक निजी एजेंसी की सर्वे रिपोर्ट मे,ं गैर भाजपा शासित राज्यों की तुलना में भूपेश देश के श्रेष्ठ मुख्यमंत्री थे। पांच महीने बाद देश के श्रेष्ठ मुख्यमंत्री के हाथ पांव फूलने लगे हैं। भूपेश सरकार के सिस्टम को कोरोना हो जाने की वजह से आज, कोरोना मरीजों की संख्या 36 हजार के पार हो गई है। जबकि मार्च में 11 में से सिर्फ एक मरीज करोना का था। राजधानी रायपुर में हर दिन करीब बारह सौ मरीज कोरोना के निकलने लगे हैं। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष धरमलाल कौशिक कहते हैं,‘‘ प्रदेश सरकार ने आज तक सर्वदलीय बैठक कोरोना के संदर्भ में नहीं की। सरकार का सिस्टम कोरोना पर नकेल लगाने में फेल हो गया। क्वारेंटाइन सेंटर में भारी अव्यस्था की वजह से मरीज वहां से भागने लगे हैं’’।
अनैतिक दबाव बना रहा केन्द्रः सिंह
कोरोना की वजह से प्रदेश सरकार के समक्ष अजीविका और जिन्दगी बचाने की सबसे बड़ी समस्या है। बस ट्रांसपोटर्स को कोरोना की वजह से साढ़े सात सौ करोड़ का नुकसान हुआ। प्रदेश के 350 उद्योगों मंे उत्पादन रूक जाने से अरबों का नुकसान हुआ। प्रदेश सरकार ने सभी विभागों के बजट में तीस फीसदी की कटौती की घोंषणा की। ऐसी विषम परिस्थियों में भूपेश सरकार ने तीन हजार करोड़ से अधिक कर्ज अब तक ले चुकी है। गोधन योजना,राजीव गांधी न्याय योजना की राशि किसानों को देने के लिए। स्वास्थ्य एवं वाणिज्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा,‘‘ हमें कर्ज लेने की स्थिति न आती। जीएसटी क्षतिपूर्ति प्रदान करना केंद्र सरकार का दायित्व है और वर्तमान में अक्षम नजर आ रही है। केंद्र को स्वयं ऋण लेकर राज्यों को क्षतिपूर्ति प्रदान करनी चाहिए। जीएसटी का उद्देश्य एक राष्ट्र एक कर था। सभी राज्यों ने क्षतिपूर्ति प्रदान करने के आधार पर सहमति दी थी। लेकिन वर्तमान में भाजपा अनैतिक निर्णय कर राज्यों पर दबाव बना रही है। आरबीआई से कर्ज के नाम पर केंद्र सरकार बोझ डाल रही है। महामारी में ऐसा करना क्रूरता है।’’
भूपेश ने लिखा मोदी को पत्र
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते हैं,हमारी सरकार छत्तीसगढ़ को बदलने में लगी है। हमारे लिए आदिवासी और किसान ही सर्वोपरि हैं। जबकि केन्द्र की बीजेपी सरकार छत्तीसगढ़ के लोगों का अहित कर है, फिर भी बीजेपी के सांसद और विधायक की चुप्पी हैरान करती है। पिछले साल अगस्त में जीएसटी का संग्रहण 1873 करोड़ था, जो इस साल बढ़कर 1994 करोड़ रूपये। वसूली में 6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। राज्य का पैसा केन्द्र सरकार नहीं देगी तो सरकार जनहित के काम कैसे करेगी? नगरनार स्टील प्लांट को केन्द्र सरकार निजी हाथों में सौपने की तैयारी कर रही है लेकिन, बीजेपी के एक भी विधायक और सांसद ने इस मामले में पी.एम को पत्र तक नहीं लिखा। जाहिर है कि बीजेपी नहीं चाहती कि यहां के लोगों को नगरनार स्टील प्लांट का लाभ मिले। एनएमडीसी द्वारा करीब 20 हजार करोड़ रूपए की लागत से बस्तर में नगरनार स्टील प्लांट का निर्माण किया जा रहा है। इस स्टील प्लांट से बस्तर की बहुमूल्य खनिज सपंदा का दोहन होगा, साथ स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। इससे बस्तर के साथ ही राष्ट्र निर्माण में भी इसके सहयोग को याद किया जाएगा। बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट को निजी लोगों के हाथों में बेचने से लाखों आदिवासियों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को गहरा आघात पहुंचेगा’’। गौरतलब है कि नगरनार स्टील प्लांट में लगभग 211 हेक्टेयर सरकारी जमीन छत्तीसगढ़ शासन की है। 27 हेक्टेयर जमीन 30 वर्षों के लिए सशर्त एनएमडीसी को दी गई है। बाकी पूरी शासकीय जमीन छत्तीसगढ़ शासन के स्वामित्व की है और राज्य शासन ने जो जमीन उद्योग विभाग को हस्तांतरित की है,उसकी पहली शर्त यही है कि उद्योग विभाग द्वारा भूमि का उपयोग केवल एनएमडीसी द्वारा स्टील प्लांट स्थापित किये जाने के प्रयोजन के लिए ही किया जायेगा।
अडानी से जमीन सरकार दिलाए
सरगुजा जिला प्रशासन को जांच से पता चला कि परसा ईस्ट केते बासन कोल ब्लॉक में अडानी ने ग्रामीणों की जमीन अवैध तरीके से हड़प लिया है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार अडानी के खिलाफ एफआईआर दायर कर कोल खनन के लिए दी गई,स्वीकृति जमीन किसानों को वापस कराए। छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा कि नोटरी के शपथ पत्र पर किसानों की जमीन खरीदना अवैध है। अडानी इंटरप्राइजेज जैसी कॉर्पोरेट कंपनियों को न कानून की और न ही लोगों के अधिकारों व आजीविका की चिंता। ग्राम सभाओं के विरोध के बावजूद प्रशासन से मिलीभगत करके ग्राम सभाओं के फर्जी प्रस्ताव बनाकर पर्यावरण स्वीकृति हासिल की। कायदे से अब गांवों के सामुदायिक अधिकारों को बहाल किया जाना चाहिए। जिसे तत्कालीन भाजपा सरकार ने वर्ष 2016 में खारिज कर दिया था। सरगुजा में व्यक्तिगत वनाधिकार पत्रकों को भी सरपंचों की मदद से प्रशासन के अधिकारियों द्वारा छीने जाने के कई प्रकरण मौजूद है। ऐसे सभी पीड़ित आदिवासियों के वनाधिकार पत्रक लौटाए जाएं।
नकली खाद,बीज पर बहस
विधायक अजय चन्द्राकर ने कहा, निजी लैब में जांच की रिपोर्ट लगाकर अमानक खाद और बीज बेचने वाली कंपिनयों को सरकार तरजीह दे रही है। जांजगीर के नवागढ़ जैजैपुर ब्लाक में 12 हजार एकड़ में धान अंकुरित नहीं हुए। कृषि मंत्री रविंद्र चैबे ने कहा कि राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था से अनुमति के बाद बीज वितरण किया गया है। 12 हजार एकड़ में धान अंकुरित नहीं होने की बात आधारहीन है। कलेक्टर की जांच में पता चला कि तुलसी से 26 बोरी धान भीगने के कारण कम अंकुरित हुआ था। डीएनए टेस्ट केवल हाइब्रिड बीजों का किया जाता है। सत्या नाम की कोई भी संस्था बीज विकास निगम में अनुबंधित नहीं है।
मांग से कम यूरिया
कृषि वैज्ञानिक पी एन सिंह के अनुसार एक एकड़ धान की खेती के लिए 200 किलो यूरिया खाद चाहिए। छत्तीसगढ़ में लगभग 39 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है। ऐसे में प्रदेश को 19 लाख टन यूरिया चाहिए। जबकि सहकारी समिति को केवल 6.3 लाख टन यूरिया सरकार ने उपलब्ध कराया है। इस प्रकार प्रदेश में प्रति हेक्टेयर यूरिया की उपलब्धता केवल 122 किलो और प्रति एकड़ 49 किलो ही है। बाकी 12.13 लाख टन यूरिया के लिए किसान बाजार पर निर्भर है। देश मे रासायनिक खाद का पूरे वर्ष में प्रति हेक्टेयर औसत उपभोग 170 किलो है,जबकि छत्तीसगढ़ में यह मात्र 75 किलो ही है। दावा है कि 18 अगस्त तक सरगुजा संभाग में 18825 टन यूरिया की आपूर्ति की जा चुकी है, लेकिन सहकारी समितियों तक यह सप्लाई नहीं हुई है। यही वजह है कि धमतरी, कांकेर, सरगुजा, अंबिकापुर आदि जिलो में किसान यूरिया के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं। छत्तीसगढ़ की 1333 सहकारी समिति में 14 लाख सदस्यों में से 9 लाख सदस्य समिति से लाभ प्राप्त करते हैं। प्रदेश में 8 लाख बड़े और मध्यम किसान है।
विपक्ष का अरोप
बीजेपी उपध्याक्ष सच्चिदानंद उपासने ने कहा, प्रदेश सरकार ने मंत्रियों और विधायकों के अधिकार छीन लिए। कर्ज लेकर सरकार चल रही। राज्य में सरकार नही, माफिया राज चल रहा। स्मार्ट गांव बनाने का दावा करते हैं, लेकिन एक गांव का नाम बता दें। पंचायतों में धान सड़ रहा, शराब माफिया की नजर है। सरकार ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचला। प्रदेश में पिछले साल 7629 लोगों ने आत्महत्या की। जिसमें 233 किसान भी हैं। यह प्रदेश के लिए शर्मनाक बात है।
सत्ता पक्ष का तर्क
प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा,भाजपा नेताओं की वफादारी मोदी के प्रति तो दिखती है लेकिन, छत्तीसगढ़ की जनता के हितों और हकों के प्रति नहीं। मोदी के प्रति वफादारी साबित करने के लिए इनने छत्तीसगढ़ की जनता की जरूरतों, दुख, दर्द और तकलीफ की अनदेखी की हैं। भाजपा के नेता कह रहे हैं कि, राज्य सरकार कर्ज लेती जा रही है। किसानों के साथ जो वायदा किया है, उसे पूरा करने के लिए कर्ज ले रहे हैं। मोदी सरकार संसाधन उपलब्ध नहीं करवा रही है और भाजपा नेता राजनीति कर रहे हैं। केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के साथ अन्याय कर रही है फिर भी भाजपा नेता चुप हैं।
बरहाल,राजनीतिक विरोध अपनी जगह है। अधिकतर लोगों में सामान्य आर्थिक परिस्थितियों, रोजगार, मंहगाई और को लेकर हताशा है। सामान और सेवाओं की मांग में भी भरी कमी आई है। कायदे से सरकार को उद्योग जगत में कैसे जान फूंकने के लिए क्या कदम उठाए जाएं, इसकी पहल की जानी चाहिए।