जन अदालत में मौत और हिंसक वारदात के जरिए एक बार फिर माओवादी खौफ की तिजारत शुरू कर दिए हैं। नक्सलियों ने एक माह में 31 लोगों की हत्या करके सरकार के उस दावे को गलत साबित कर दिया,जिसमे ंकहा जा रहा था, कि पिछले दो साल में नक्सली कमज़ोर हुए हैं।
0 रमेश कुमार ‘‘रिपु’’
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दावा करते हैं,कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के जीवन में बदलाव आ रहा है। वहीं बस्तर संभाग में चार मार्च 2021 से तीन अप्रैल तक यानी एक महीने के भीतर नक्सलियों ने 31 हत्यायें की। इसी साल 3 अप्रैल को बीजापुर के तर्रेम थाना क्षेत्र में सुरक्षा बल और नक्सलियों की मुठभेड़ में 24 जवान शहीद हुए। यानी नक्सली घटनाओं में कमी बताने वाली कांग्रेस सरकार के उस दावे को माओवादियों ने गलत साबित कर दिया है,जिसमें कहा जा रहा था, कि पिछले दो सालों में नक्सली कमजोर हुए हैं। इसलिए नक्सली वारदातों में कमी आई है। नक्सलियों की लगातार हिंसक वारदातें यही साबित करती हैं,कि अब भी उनका बोलबाला है। उन्हें कमजोर आंकना सिर्फ़ भ्रम है।
पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा दावा करते हैंनक्सलियों की कमर टूटी है। सन् 2021 में 46 नक्सली मारे गए। साथ ही 499 माओवादी गिरफ्तार किये गये। 555 नक्सलियों ने सरेंडर किया। गढ़चिरौली में 13 नवम्बर को हुई मुठभेड़ में जवानों ने जिन 26 नक्सलियों को ढेर किया, उनमें से 7 माओवादी बस्तर के हैं। सभी पर 46 लाख रुपए का इनाम घोषित था। सबसे ज्यादा लोकेश पर 20 लाख रुपए का इनाम था। लच्छू और कोसा पर 4-4 लाख रुपये। किसन उर्फ जयमन और सन्नू पर 8-8 लाख रुपए का इनाम था। चेतन 2 लाख रुपए का इनामी था। इनमें एक महिला माओवादी भी शामिल है। जिसकी हिस्ट्री खंगाली जा रही है। पचास लाख रुपए का इनामी नक्सली मिलिंद भी इस मुठभेड़ में मारा गया है।
नक्सलियों की सरकार है
भूपेश सरकार तीन साल बाद भी नक्सल नीति नहीं बना सकी है। इसका खामियाजा नक्सल प्रभावित जिलों के लोगों को भोगना पड़ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह कहते हैं,‘‘ आप बस्तर जाकर देखिए,अब नक्सली ही कहने लगे हैं, कि उनकी सरकार बन गई है। पहले की तुलना में नक्सली घटनाएं बढ़ गई है। अप्रैल में नक्सली मुठभेड़ में सुरक्षा बल के 22 जवान शहीद हुए। इस बड़ी घटना ने विज्ञापनों में नक्सली घटनाओं में कमी बताने वाली कांग्रेस सरकार के उन दावों को गलत साबित कर दिया,जिसमे ंकहा जा रहा था कि पिछले दो साल में नक्सली कमज़ोर हुए हैं।’’
गौर तलब है,कि कांग्रेस के घोंषणा पत्र के क्रमांक 22 में लिखा है कि नक्सल समस्या के समाधान के लिए नीति तैयार की जाएगी। और वार्ता शुरू करने के लिए गंभीरता पूर्वक प्रयास किए जाएंगे। प्रत्येक नक्सल पंचायत को सामुदायिक विकास कार्यो के लिए एक करोड़ रुपये दिए जायेंगे। जिसमें कि विकास के माध्यम से उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। नक्सल प्रभावित जिले के लोग कहते हैं, आज तीन साल हो गए,कांग्रेस सरकार ने क्या नीति बनाई? बातचीत के लिए क्या प्रयास किए? नक्सल पंचायतों को कितना पैसा दिया?
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में माओवादी एक बार फिर अपनी ताकत की ताकीद करा रहे हैं। पुलिस का दावा है, कि लोन वार्राटू के जरिये एक बरस में सौ से अधिक इनामी नक्सलियों को सरेंडर कराने में दंतेवाड़ा जिला देश में पहले स्थान पर है। इन नक्सलियों पर कुल एक करोड़ 85 लाख रुपये का इनाम था।
छग में ज़्यादा मौतें
पिछले 20 सालों में पूरे देशभर में कुल 4739 माओवादियों की बीमारी, हादसों और मुठभेड़ की वजह से मौत हुई है। इनमें 909 महिला माओवादी भी शामिल हैं। साथ ही सेंट्रल कमेटी मेंबर 16, एसएससीए, एसजेडसी, एएससी मेंबर 44, आरसी मेंबर 9 और जेसीए डीवीसी और डीसी के 168 मेंबर भी शामिल हैं। माओवादियों की किताब के अनुसार पिछले 20 सालों में अब तक कुल 4031 छोटे-बड़े हमले जवानों पर किए हैं। इन हमलों में कुल 3054 जवानों को मारने और 3672 जवानों को घायल करने का दावा किया है। सरकार बैकफुट पर
छत्तीसगढ़ अकेला ऐसा राज्य है,जहांँ माओवादियों का दबदबा है। राज्य में नक्सलियों की बढ़ती घटनाओं की वजह से पुलिस और केन्द्रीय गृह विभाग के वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार के विजय कुमार,डीजीपी अशोक जुनेजा, सी.आर.पी.एफ, बी.एस.एफ. और आई.टी.बी.पी के अफ़सरों की संयुक्त बैठक हुई। बैठक में नक्सलियों के खिलाफ़ छह माह की कार्ययोजना बनाई गई है।
मुठभेड़ में नक्सलियों के मारे जाने के बावजूद माओवादी की दशहतगर्दी में कमी नहीं आई है। यानी इनामी माओवादियों के सरेंडर के बावजूद भाकपा की विचार धारा को अपनाने वाले अभी हैं। जो मानते हैं,कि माओवाद ही सच हैं। असंतोष और सरकार की उपेक्षा की गहरी भावना के चलते जंगल अब भी उनके कब्जे में है। अबूझमाड़ को पुलिस माओवाद के चंगुल से मुक्त नहीं करा सकी है। इन्हीं जंगलों में जनताना सरकार का आतंक कायम है।
बहरहाल बयानों से माओवादियों पर नकेल नहीं लगाया जा सकता। अब ग्रीन हंट नहीं हंटर चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं लगता कि भूपेश सरकार लाल आतंक के बढ़ते कदम को रूकने की दिशा में कोई ठोस फैसला करेगी।
लाल आतंक के बढ़ते क़दम
कोरोना की वजह से नक्सलियों की शांति को पुलिस ने मीडिया में जमकर प्रचार किया,कि वे कमज़ोर हो गए हैं। इसका जवाब में माओवादी एक फिर खौफ़ का व्यापार करने हिंसक वारदातें करने लगे हैं।
0 सात जनवरी 2022 को बीजापुर के गंगालूर थाना के तहत पुसनार इडिनार में नक्सलियों ने पुलिस मुखबिर के आरोप में जन अदालत लगाकर अपने मिलिशिया कमांडर कमलू पुनेम एवं मिलिशिया सदस्य मांगी पुनेम की हत्या कर दी। नक्सलियों ने अपने साथी की मौत पर प्रेस नोट जारी कहा,नक्सली कमांडर कमलू पुनेम गद्दार था। अपनी बहन के साथ शारीरिक संबंध रखता था। एक बरस में 14 लागों की नक्सलियों ने जनअदालत लगाकर हत्या की। आईजी सुन्दराज पी ने कहा,नक्सलियों में गैगवार के चलतेे ऐसा हुआ है।
0 20 मार्च 2021 को बीजापुर जिले में माओवादियों ने पुलिस के जवान सन्नू पोनेम की हत्या कर दी। 23 मार्च को नारायणपुर जिले में माओवादियों ने सुरक्षाबल के जवानों की एक बस को विस्फोटक से उड़ा दिया। जिसमें 5 जवान मारे गए। 26 मार्च 2021 को बीजापुर में माओवादियों ने जिला पंचायत के सदस्य बुधराम कश्यप की हत्या कर दी। 25 मार्च को माओवादियों ने कोंडागांव जिले में सड़क निर्माण में लगी एक दर्जन से अधिक गाड़ियों को आग लगा दी।
0 प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में पदस्थ सब इंजीनियर अजय रोशन लकड़ा और प्यून लक्ष्मण परतगिरी 11 नवम्बर 2021 को बीजापुर जिले के गोरना से नक्सली उठा ले गये। अजय की पत्नी अपने मासूम बेटे के साथ जंगलों में कई दिनों तक भटकती रही। कई दिनों बाद नक्सलियों ने रिहा किया।
0 रावघाट एरिया कमेटी के नक्सल सप्लाई टीम के सदस्य दिनेश नुरेटि को नक्सली कमांडर राजू सलाम ने 12 नवम्बर को जन अदालत में मौत के घाट उतार दिया। माओवदियों का आरोप है कि नरेटी पुलिस के लिए काम करता था।
0 सुकमा जिले मंें नक्सलियों ने 12 नवम्बर को 5 ग्रामीणों का अपहरण किया। इनमें एक महिला भी शामिल थी। अगवा किए गए ग्रामीणों में कवासी कोसा, सोढ़ी गंगा, कवासी हिडमा, कवासी देवा, माडवी नंदू शामिल थे।
0 27 नवम्बर 2021 को दंतेवाड़ा में नक्सलियो ंने के.के रेललाइन को निशाना बनाते हुए रेलवे ट्रेक को उखाड़ दिया। जिससे टेªन डिरेल हो गई। किंरदुल-विशाखापट्टनम रेलवे मार्ग पर भांसी और कमालपुर के बीच नक्सलियों ने इस घटना को अंजाम दिया।
0 दो दिसम्बर को नरायणपुर में सोनपुर के साप्ताहिक बाजार से कबाड़ी का सामान लेकर लौट रहे व्यापारी सुसेन देवरी नक्सलियों के प्लांट किये गए आईइडी ब्लास्ट की चपेट में आ जाने से गंभीर रूप से घायल हो गया।
0 गरियाबंद जिले के पीपलखुटा गांव में लगभग 4 करोड़ की लागत से टैंक का निर्माण एक निजी कंपनी कर रही थी। आठ दिसम्बर को कुछ हथियारबंद नक्सली ट्रैक्टर, एक चेन माउंटेन समेत कुछ अन्य गाड़ियों में आग लगा दी।
0 कांकेर में नौ दिसम्बर को नक्सलियों ने जवानों को निशाना बनाने के लिए सीरियल ब्लास्ट किए। रावघाट थाना क्षेत्र के बैहासालेभट में सशस्त्र सीमा बल का कैंप है। नया कैंम्प पाडर गांव में बनाया जा रहा है। ब्लास्ट की चपेट में आने से जवान अरुण शर्मा घायल हो गए।