Wednesday, May 17, 2023

हिन्दुत्व की चुनावी लड़ाई बीजेपी के काम नहीं आई

कर्नाटक में हिन्दुत्व की चुनावी लड़ाई मोदी के काम नहीं आई। इसी के साथ बीजेपी के लिए दक्षिण का प्रवेश द्वार बंद हो गया। इसी साल तीन राज्यों में होने वाले चुनाव से बेहिसाब बेचैनी बीजेपी के लिए बढ़ गयी। मोदी और अमितशाह को चुनाव के बड़े रणनीतिकार बताया जाता था लेकिन ंपजाब हिमाचल प्रदेश के बाद कर्नाटक में हार से स्पष्ट है कि मोदी का सियासी बाजार में रेट गिर गया है । 0 रमेश कुमार ‘रिपु’ लोकतंत्र में हर बार चुनाव में एक ही कार्ड काम नहीं करता। बीजेपी को लगता है कि हिन्दुत्व कार्ड उसके जीत के लिए ट्रंप कार्ड है। कर्नाटक चुनाव में मोदी ने बजरंगदल को बजरंग बली से जोड़कर चुनाव को हिन्दुत्व का रंग देने पूरी ताकत लगा दी। प्रदेश भर में बीजेपी हनुमान चालीसा पढ़ने लगी। मोदी ने पच्चीस किलोमीटर का रोड शो भी किया। लेकिन चुनाव परिणाम यही बताता है कि मोदी और अमित शाह का सियासी बाजार में रेट गिर गया है। मोदी की छवि के दम पर बीजेपी अब ढाई घर नहीं चल सकती। पजाब हिमाचल प्रदेश हारने के बाद कर्नाटक जिसे दक्षिण का सियासी द्वार कहा जाता है, वो बीजेपी के लिए बंद हो गया है। बीजेपी का पश्चिम बंगाल से भी बदतर प्रदर्शन था कर्नाटक में। पश्विम बंगाल में अस्सी सीट और कर्नाटक में 64 सीट पाकर कमजोर विपक्ष की भूमिका में बीजेपी रहेगी। यह कह सकते हैं कि मोदी के नारे की हवा अब निकलने लगी है। कांग्रेस मुक्त भारत की। छह माह बाद तेलंगाना में चुनाव होना है। वहां बीजेपी वैसे ही कमजोर है। क्या यह मान लिया जाए कि मोदी की लीडरशिप कर्नाटक में नहीं चली। डबल इंजन सिर्फ दिल्ली में काम करता है। वो और उनकी सरकार कर्नाटक में फेल हो गए। इस बार बीजेपी अपने चुनावी बयान से मतदाताओं को ज्यादा नाराज किया। जैसा कि विजयनगर में मोदी ने कहा आज हनुमान जी की इस पवित्र भूमि को नमन करना मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है और दुर्भाग्य देखिए। मैं आज जब यहां हनुमान जी को नमन करने आया हूं उसी समय कांग्रेस पार्टी ने अपने मेनिफेस्टो में बजरंगबली को ताले में बंद करने का निर्णय लिया है। कांग्रेस पार्टी को प्रभु श्री राम से भी तकलीफ होती थी और अब जय बजरंगबली बोलने वालों से भी तकलीफ हो रही है। मोदी धार्मिक धु्रवीकरण करने की कोशिश की। उन्हें उम्मीद थी इससे भगवा छतरी तन जाएगी। भ्रष्टाचार - मोदी हर आम सभा में यही कहते रहे कि सारे भ्रष्टाचारी विपक्ष एक हो गए है। लेकिन वे अपने मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार की अनदेखी किए। बीजेपी की हार के कारणों में एक कारण यह भी था। कांग्रेस ने शुरुआत से ही भाजपा के खिलाफ 40 फीसदी कमीशन लेने वाली सरकार को प्रचारित किया। एस.ईश्वरप्पा को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था और बीजेपी के एक विधायक को जेल जाना पड़ा था। राज्य के ठेकेदार संघ ने इसकी शिकायत पी.एम मोदी से भी की थी। लेकिन शिकायत को उन्होंने तरजीह नहीं दी। चुनाव में काग्रेस ने इसे मुद्दा बनाकर बीजेपी के गले की फांस बना दिया। सियासी समीकरण - बीजेपी जिनके दम पर चुनाव जीतने का दम भर रही थी,उन्हें ही ठीक से नहंी जोड़ पाई। बीजेपी अपने कोर वोट बैंक लिंगायत समुदाय को अपने पास न रख सकी और न ही दलित आदिवासी ओबीसी और वोक्कालिंग समुदायों का भरोसा बन सकी। दूसरी ओर कांग्रेस मुसलमानों दलितों और ओबीसी के अलावा लिंगायत समुदाय के वोट बैंक में सेंध लगाने में सफल रही है। पुराना मौसूर वोक्कालिंगा का गढ़ है। यहां जेडीएस मजबूत है यही माना जा रहा था। क्यों कि पिछले दफा 58 सीटों में सबसे अधिक 24 सीट जेडीएस को,कांग्रेस को 18 और बीजेपी को 15 सीट मिली थी। इस बार पासा बदल गया। बोम्मई सरकार ने चुनाव से पहले मुसलमानों के लिए चार फीसदी कोटा समाप्त कर दिया था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आगामी सरकार तक यथावत बनाए रखने का आदेश दिया। जाहिर है मुसलमानों ने बीजेपी को नकार दिया। धु्रवीकरण काम नहीं आया - कर्नाटक में एक साल से बीजेपी नेता हलाला हिजाब से लेकर अजान तक का मुद्दा उठा रहे हैं। हिजाब टीपू सुल्तान कम्युनल वॉयलेंस और करप्शन. कर्नाटक का पूरा चुनाव इन्हीं मुद्दों के इर्द.गिर्द रहा। उडुपी जहां से हिजाब विवाद शुरू हुआ। मेलकोटे जहां टीपू सुल्तान के आदेश पर 800 ब्राह्मणों की हत्या का दावा किया जाता है। श्रीरंगपटना जहां की जामिया मस्जिद के बारे में दावा है कि इसे टीपू सुल्तान ने हनुमान मंदिर तोड़कर बनवाया था। रामनगर जिसे दक्षिण की अयोध्या कहा जाता है बीजेपी सरकार ने यहां भव्य राम मंदिर बनाने का वादा किया। इसके अलावा वोक्कालिंगा वोटरों को साधने के लिए मोदी ने बेंगलूरु के संस्थापक कैपेगौड़ा की एयरपोर्ट के सामने 108 फीट की प्रतिमा का लोकार्पण किया था। वोक्कालिंगा के धर्म गुरू निर्मलानंद स्वामी से अमितशाह की भेंट को बीजेपी सियासी फायदा से जोड़ ली। इस जाति का आरक्ष्ण दो फीसदी बढ़ा दिया गया है। बावजूद इसके धु्रवीकरण काम नहीं आया। दिग्गज नेताओं को किनारे किया - बीजेपी ने भले ही येदियुरप्पा की जगह बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया हो लेकिन सी.एम की कुर्सी पर रहने के बावजूद बोम्मई का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा। जबकि कांग्रेस के पास डी.के शिवकुमार और सिद्धारमैया जैसे मजबूत चेहरे थे। बोम्मई को आगे खड़ा करना भाजपा को महंगा पड़ा। कर्नाटक में बीजेपी को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस येदियुरप्पा को बीजपी ने साइड में कर दिया। चुनाव प्रचार की कमान वोक्कालिंगा के केन्द्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे के पास थी। पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी को भाजपा ने टिकट नहीं दिया। जबकि दोनों नेता कांग्रेस में शामिल हो गए और मैदान में उतर गए। येदियुरप्पा, शेट्टार, सावदी तीनों ही लिंगायत समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं। जिन्हें नजर अंदाज करना बीजेपी के हित में नहीं था। सत्ता विरोधी लहर - कांग्रेस सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार के सवाल पर बोम्मई सरकार को घेरी। चालीस फीसदी कमीशन की सरकार का स्लोगन देकर कांग्रेस ने बीजेपी के नाक में दम लगा दिया। भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी लंबे समय तक कर्नाटक में ही रहे। इसका प्रभाव जनता में काफी देखा गया है। कांग्रेस अघ्यक्ष मल्ल्किार्जुन खड़गे दलित वोटरों को लुभाने में लगे हैं। प्रदेश अध्यक्ष डी.के. शिवाकुमार खुद वोक्कालिंगा जाति से हैं और सिद्धरमैया पिछड़ी जाति कोरुबा से है। दोनों ने मतभेद भुलाकर कांग्रेस का प्रचार किया। राज्य में सत्ता विरोधी लहर चली जिसे बीजेपी नियंत्रित नहंी कर सकी। बहरहाल कर्नाटक में हिन्दुत्व की चुनावी लड़ाई मोदी के काम नहीं आई। इसी के साथ
लिए दक्षिण का प्रवेश द्वार बंद हो गया। इसी साल तीन राज्यों में होने वाले चुनाव से बेहिसाब बेचैनी बीजेपी के लिए बढ़ गयी। मोदी और अमितशाह को चुनाव के बड़े रणनीतिकार बताया जाता था लेकिन ंपजाब हिमाचल प्रदेश के बाद कर्नाटक में हार से स्पष्ट है कि मोदी का सियासी बाजार में रेट गिर गया है ।

Wednesday, May 10, 2023

कर्नाटक में चुनावी लड़ाई हिन्दुत्व पर आई

''सत्ता में आने पर बजरंग दल पर प्रतिबंध की बात कांग्रेस ने की तो बीजेपी ने इसे धर्म से जोड़ कर हिन्दुत्व की राजनीति को हवा दे रही है। बीजेपी को लगता है हनुमान चालीस का पाठ और मोदी के रोड शो से कर्नाटक में भगवा छतरी तन जाएगी। यदि कर्नाटक बीजेपी नहीं जीती तो उसे हिन्दी बेल्ट को जीतना मुश्किल होगा। 0 रमेश कुमार ‘रिपु’ लोकतंत्र में एक बयान चुनाव की दशा और दिशा बदल देते हैं। जनता की सोच बदल देते हैं। जनता में भावनात्मक लहर पैदा कर देते हैं। सत्ता में आने पर बजरंग दल पर प्रतिबंध की बात कांग्रेस ने की तो बीजेपी ने इसे धर्म से जोड़ कर हिन्दुत्व की राजनीति को हवा दे रही है। बीजेपी को लगता है, हिन्दुत्व की राजनीति से कर्नाटक में भगवा छतरी तन जाएगी। यदि कर्नाटक बीजेपी नहीं जीती तो उसे हिन्दी बेल्ट को जीतना मुश्किल होगा। वैसे अमितशाह और तमाम चैनल के सर्वे के आधार पर पार्टी मान चुकी थी, कि दक्षिण का मिशन खतरे में है। बीजेपी ने अब बजरंग दल को बजरंगबली से जोड़ कर कर्नाटक में धर्म ध्वजा के जरिए विपक्ष को तगड़ा झटका देने की मुहीम में जुट गई है। पार्टी के नेता मान रहे हैं,कि प्रदेश भर में हनुमान चालीसा का पाठ और मोदी के (28 विधान सभा में ) रोड शो से कांग्रेस बैकफुट में आ गई। ‘हाथ’ में आने वाली सत्ता के फिसल जाने के भय से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डी.के. शिवकुमार ने कहा,सत्ता में आने पर पूरे राज्य में हनुमान मंदिर का जीर्णोद्वार करवाएंगे और नए हनुमान मंदिर बनवाएंगे। पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली बीजेपी के हिन्दुत्व कार्ड की बढ़ती तपिश को कम करने कहा, पीएफआई और बजरंगदल जैसे संगठन को समाज में शांति भंग करते हैं। राज्य सरकार बजरंग दल को प्रतिबंधित नहीं कर सकती। बीजेपी बजरंग बाण से चालीस फीसदी वाली सरकार और अल्पसंख्यकों को आरक्षण नहीं देने जैसे मामले की हवा निकालने में लग गई है। यू.पी में अयोध्या के तर्ज पर बेंगलूरु के रामगढ़ में स्थित राम मंदिर में भव्य राम मंदिर बनाने की घोषणा कर दी। रामगढ़ में ही शोले फिल्म की शूटिंग हुई थी। रामगढ़ के आस-पास के इलाके में करीब चालीस विधान सभा आते हैं। हिन्दुत्व कार्ड का असर कितना हुआ,चुनाव परिणाम बताएंगे। चुनावी हथकंडे - कर्नाटक चुनाव जीतना बीजेपी के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव के नजरिए से महत्वपूर्ण है। क्यों कि पिछली बार कर्नाटक ने मोदी की झोली में 25 सीटें दी थी। बीजेपी ने कर्नाटक में अपनी सत्ताई किला बचाने के लिए रेवड़ी की पोटली भी उछाली। जबकि प्रधान मंत्री रेवड़ी नीति की खिलाफत मंच से कई बार चुके हैं। सत्ता विरोधी लहर को कम करने की पूरी ऊर्जा पार्टी लगा दी है। बीजेपी एस.सी. कोटे का आरक्षण 15 फीसदी से बढ़ाकर 17 कर दिया है। और एस.टी. कोटे को 3 से बढ़ाकर सात कर दिया है। लिंगायत समाज की कुछ जातियों को आरक्षण 5 से 7 और वोक्कालिंगा समाज का 4 से 6 फीसदी कोटा बढ़ाया गया है। मोदी की छवि दांव पर - कर्नाटक चुनाव तय करेगा पी.एम.मोदी की छवि से वोटर कितना प्रभावित है। पंजाब,हिमाचल प्रदेश और नागालैंड में पी.एम की छवि का कोई खास लाभ नहीं मिला। इसलिए पार्टी कर्नाटक का चुनाव स्थानीय नेताओं के दम पर लड़ रही है। पार्टी में लिंगायत समाज के वसवराज बोम्मई सी.एम.हैं,लेकिन चुनाव प्रचार की कमान वोक्कालिंगा के केन्द्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे के पास है। वोक्कालिंगा वोटरों को साधने के लिए बीजेपी ने बेंगलूरु के संस्थापक कैपेगौड़ा की एयरपोर्ट के सामने 108 फीट की प्रतिमा का लोकार्पण मोदी ने पिछले साल किया था। इसके अलावा वोक्कालिंगा के धर्म गुरू निर्मलानंद स्वामी से अमितशाह की कई भेंट से सियासी फायदा से जोड़ा जा रहा है। इस जाति का आरक्षण दो फीसदी बढ़ा दिया गया है। बीजेपी से नाराज - पुराना मौसूर वोक्कालिंगा का गढ़ है। यहां जेडीएस मजबूत है। पिछले दफा 58 सीटों में सबसे अधिक 24 सीट जेडीएस को,कांग्रेस को 18 और बीजेपी को 15 सीट मिली थी। मुसलमानों को पाले में लाने कांग्रेस पहले से ही प्रयासरत है। बोम्मई सरकार ने चुनाव से पहले मुसलमानों के लिए चार फीसदी कोटा समाप्त कर दिया था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने नौ मई तक रोक लगा दी। दरअसल अधिकांश विधान सभा में मुस्लिम वोटर 20 से 25 हजार के करीब हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस को 38 फीसदी वोट मिले थे,जो बीजेपी से दो फीसदी अधिक था। इसके बावजूद बीजेपी को कांग्रेस से अधिक सीट मिली थी। बीजेपी के 105 विधायक जीते थे। कर्नाटक में 224 विधान सभा में 54 लिंगायत समाज के विधायक हैं। जिसमें सर्वाधिक 37 बीजेपी के विधायक हैं। सौ सीटों पर लिंगायत वोटर प्रभावी हैं। ओल्ड कर्नाटक-मुंबई रीजन यानी अभी का कितुर कर्नाटक क्षेत्र में इसकी बहुलता है। इस क्षेत्र में बेलागवी, धारवाड़,विजयपुरा,गडग,हवेरी,बगलकोट और उत्तर कन्नड़ के सात जिले और विधान सभा की 50 सीटें आती है। कांग्रेस का वर्तमान नेतृत्व गैर लिंगायत के हाथों में है। लिंगायत इस समय बीजेपी से नाराज है। देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस का आधार वोक्कालिंगा वोटर हैं। इस बार कुमार स्वामी यही मानकर चल रहे हैं कि किसी को बहुमत नहीं मिलने पर उनकी बल्ले-बल्ले हो सकती है। कांग्रेस की रणनीति - बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए डी.के शिवकुमार और सिद्धरमैया की जोड़ी आपसी गुटबाजी को दरकिनार करके सीधे जनता को सरकार की नकामी गिना रहे हैं। कांग्रेस सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार के सवाल पर बोम्मई सरकार को घेर रही है। चालीस फीसदी कमीशन की सरकार का स्लोगन देकर कांग्रेस ने बीजेपी के नाक में दम लगा रखा है। भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी लंबे समय तक कर्नाटक में ही रहे। इसका प्रभाव जनता में काफी देखा गया है। कांग्रेस अघ्यक्ष मल्ल्किार्जुन खड़गे दलित वोटरों को लुभाने में लगे हैं। प्रदेश अध्यक्ष डी.के. शिवाकुमार खुद वोक्कालिंगा जाति से हैं और सिद्धरमैया पिछड़ी जाति कोरुबा से है। हिन्दुत्व पर जोर - बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में हिन्दुत्व पर जोर दिया है। गो हत्या प्रतिबंध कानून और जबरिया धर्म परिवर्तन कानून का सख्त बनाने का वायदा किया। बीजेपी को लगता है कि हिजाब विवाद,टीपू सूल्तान विवाद,और मुस्लिम व्यापारियों के बहिष्कार से उसे फायदा मिल सकता है। पार्टी राज्य में 2500 करोड़ रुपये से पाँच सर्किट बनाने की बात कही है। इन पांच सर्किट में तीन परशुराम सर्किट,गंगोपुरा सर्किट,और कावेरी सर्किट वाले इलाके टीपू सुल्तान,हिजाब और पीएफआई पर रोक जैसे मुद्दे हैं। वोटरों को लुभाने बीजेपी ने गरीबी रेखा के नीचे परिवार को आधा लीटर नंदिनी दूध प्रतिदिन देने का वायदा की। दरअसल कांग्रेस ने बीजेपी पर राज्य के सहकारी ब्रांड नंदनी को खत्म करने का आरोप लगाया था। हर महीने परिवार के हर सदस्य को 5 किलो बाजरा। उगादी,गणेश चतुर्थी और दीवाली पर बीपीएल परिवार को तीन मुफ्त गैस सिलेंडर, कर्नाटक ओनरशिर में संशोधन, हर वार्ड में लैब, अटल आहार केन्द्र,कर्नाटक में समान नागरिक संहिता आदि बातें हैं। बहरहाल कर्नाटक यदि बीजेपी हार गई तो उसे मध्यप्रदेश बचाने में दिक्कत जा सकती है। छत्तीसगढ़ उसके हाथ में आएगी इसकी संभावना कम है। राजस्थान में गहलोत और सचिन के सियासी जंग पर बीजेपी की राजनीति टिकी है। तेलंगाना में बीजेपी नहीं आई तो अगामी लोकसभा चुनाव चौकाने वाले होंगे।